पीरियड्स क्या हैं और क्यों होते हैं

पीरियड्स क्या हैं और क्यों होते हैं

Obstetrics and Gynaecology |by Dr. Namrata Gupta| Published on 06/02/2024

पीरियड्स को हिंदी भाषा में मासिक धर्म या माहवारी कहा जाता है। यह एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है, जिसमें हर माह महिलाओं के शरीर में कुछ बदलाव आते हैं। पीरियड्स की शुरुआत का अर्थ है महिला का शरीर गर्भधारण करने के लिए तैयार है। इस चरण को गर्भधारण करने के संबंध में पहला चरण माना जाता है। 

आपके भी मन में कुछ प्रश्न खड़े हो रहे होंगे कि पीरियड्स क्या है? यह क्यों होते हैं? इर्रेगुलर पीरियड्स क्या है? चलिए इस ब्लॉग के माध्यम से इन प्रश्ननों के उत्तर जानते हैं। लेकिन पीरियड्स के संबंध में किसी भी प्रकार की समस्या के लिए हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और इलाज की योजना पर विचार करें।

पीरियड्स क्या है?

पीरियड्स एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के बच्चेदानी (यूट्रस) के अंदर से रक्त और ऊतक, यौनी के द्वारा शरीर से बाहर आते हैं। मुख्य रूप से यह प्रक्रिया एक महीने में एक बार होती है। आसान भाषा में कहा जाए तो पीरियड्स में हमारे शरीर से अस्वस्थ रक्त और ऊतक शरीर से बाहर निकलते हैं, जिससे महिला का शरीर गर्भधारण करने के लिए तैयार हो जाता है।

पीरियड्स तब शुरू होते हैं, जब लड़कियां प्यूबर्टी में होती है। इस दौरान शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं. जिसके कारण उनकी प्रजनन क्षमता विकसित होती है। आमतौर पर पीरियड्स की स्थिति 11 से 17 साल की उम्र की लड़कियों में शुरू हो जाती है, जिसके बाद हर माह में 3 से 7 दिनों तक पीरियड्स आते हैं।

पीरियड साइकिल क्या है?

पीरियड साइकिल या मेंस्ट्रुअल साइकिल पीरियड्स का वह समय होता है, जो पीरियड के पहले दिन से अगले पीरियड के पहले दिन के बीच का समय होता है। चलिए इस स्थिति को उदाहरण की सहायता से समझते हैं। मान लेते हैं कि आपके पीरियड्स 16 जनवरी को शुरू हुए थे। तो आपके पीरियड साइकिल का समय 16 जनवरी से 14 फरवरी तक होगा। पीरियड साइकिल के पूरे चक्र को चार भाग में बांटा जाता है -

  • पीरियड्स: यह पीरियड का पहला चरण माना जाता है। पीरियड्स का समय 3 से 7 दिनों तक रहता है। इसमें बच्चेदानी की परत टूटती है और वह रक्त, ऊतक और बलगम के रूप में यौनि के माध्यम से बाहर निकलती है। 
  • फॉलिक्युलर फेज: यह पीरियड साइकिल का दूसरा चरण है, जो पीरियड्स के सप्ताह के तुरंत बाद आता है। इस फेज में एस्ट्रोजन लेवल (महिला सेक्य हार्मोन) बढ़ता है, और अंडाश्य फर्टिलाइजेशन के लिए एक अंडे का उत्पादन करते हैं। इस दौरान यूटेरिन लाइनिंग फिर से बनने लगती है।
  • ओव्यूलेशन: ओव्यूलेशन का फेज तीसरा चरण है, जिसमें मुख्य यूटेरिन लाइनिंग टूटने लगती है और एक परिपक्व अंडाणु को फैलोपियन ट्यूब में छोड़ देता है। यहाँ से अंडे यूटेरस में जाकर यूटेरिन लाइनिंग से जुड़ जाता है।
  • ल्यूटियल चरण: यह अंतिम फेज़ है। यह फेज तब तक रहता है, जब तक पीरियड्स वापस नहीं आते हैं। यदि पीरियड साइकिल में फर्टिलाइजेशन नहीं होता है, तो यूट्रस की लाइनिंग टूट जाती है और बाहर निकलने लगती है, जिसके कारण पीरियड्स आते हैं।

पीरियड्स में किस प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है?

कई बार ऐसा होता है कि महिलाओं को पीरियड आने से पिछले हफ्ते में पीएमएस या प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का अनुभव होता है। इसमें महिलाएं कुछ चीजों का अनुभव करती हैं जैसे - व्यवहार में बदलाव, मुहांसे, एंग्जायटी, गैस बनना या पेट फूलना, चिड़चिड़ापन या बात-बात पर गुस्सा आना। 

यह सारे लक्षण पीरियड्स के शुरुआती लक्षण भी होते हैं। इसके साथ महिलाएं पेट और पीठ के निचले भाग में दर्द भी होता है। पीरियड्स में दर्द होना एक आम स्थिति है, लेकिन कुछ मामलों में दर्द बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जो असहनीय हो जाता है।

पीरियड्स मिस क्यों होते हैं?

क्या इस महीने पीरियड्स नहीं आए हैं? घबराने की आवश्यकता नहीं है। कभी-कभी पीरियड मिस होना एक सामान्य बात है। यदि आप पीरियड्स कम आने के कारण या मिस होने के कारण चिंतित हैं तो ऐसा बिल्कुल न करें और बिना सोचे समझे पीरियड्स मिस होने के उपाय न करें। हालांकि कुछ कारण है, जिसकी वजह से पीरियड मिस होते हैं जैसे -

  • अधिक तनाव
  • वजन बढ़ना
  • अधिक वजन बढ़ना
  • पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या
  • हार्मोनल जन्म नियंत्रण गोलियां का उपयोग
  • प्री-मेनोपॉज या मेनोपॉज की स्थिति
  • थायराइड की समस्या
  • पुरानी स्वास्थ्य समस्या जैसे सीलिएक रोग (पाचन तंत्र की समस्या) और डायबिटीज
  • गर्भधारण करना

कई बार ऐसा होता है कि पीरियड सिर्फ एक बार मिस होता है। लेकिन यदि 3-6 महीने से पीरियड नहीं आ रहे हैं, तो यह एक गंभीर स्थिति है। इसके लिए तुरंत एक अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

पीरियड्स नहीं होने पर क्या करना चाहिए?

कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि कई कारणों से पीरियड्स नहीं आते हैं। इस दौरान महिलाएं पीरियड्स रोकने के उपाय खोजती हैं। यहां एक बात को समझने की आवश्यकता है कि मेनोपॉज शुरू होने के बाद पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। इस स्थिति में कोई भी उपाय कार्य नहीं करते हैं। इस स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। 

यदि आपकी उम्र 20 ये 45 के बीच है और पीरियड्स आने बंद हो गए हैं, तो आपको चिंतित होना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि लड़की को पीरियड्स नहीं आते हैं या फिर एक-दो बार पीरियड आकर बंद हो जाते हैं तो उस स्थिति को चिकित्सा भाषा में एमेनोरिया कहा जाता है। व्यस्क महिलाओं में नियमित रूप से पीरियड न आना कुछ गंभीर स्वास्थ्य स्थिति की तरफ इशारा करता है। इससे बचने के लिए हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे डॉक्टरों से परामर्श करें और त्वरित इलाज प्राप्त करें। डॉक्टर स्थिति का निदान करते हैं और पीरियड्स न आने के कारण का पता लगाते हैं और उसी के आधार पर इलाज की योजना तैयार की जाती है। एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ इस स्थिति में आपकी मदद कर सकती है।

पीरियड्स के दर्द के उपाय

जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द एक सामान्य स्थिति है। यदि दर्द ज्यादा हो तो महिलाएं निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकती हैं - 

  • एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में उबालकर पीएं।
  • दूध और हल्दी इस स्थिति में बहुत लाभकारी साबित होंगे। एक कप दूध में हल्दी डालकर गरम करें और उसमें गुड डाल कर पीएं। 
  • पीठ पर गर्म सेक लगाएं। इसके कारण दर्द और सूजन में कमी आती है।
  • पीरियड्स में डाइट में बदलाव करें जैसे स्प्राउट्स, बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां और ताजे फल को अपने आहार में जोड़ें। इसके साथ ड्राई फ्रूट्स बहुत ज्यादा लाभकारी है।

पीरियड्स में दर्द के उपाय के साथ-साथ पीरियड्स रेगुलर करने के उपाय करने से बहुत लाभ मिलेगा। निम्नलिखित निर्देशों का पालन करके पीरियड्स की स्थिति को रेगुलर किया जा सकता है - 

  • हल्दी के सेवन से मदद मिलेगी
  • अदरक वाली चाय पीएं
  • कच्चा पपीता पीरियड्स में लाभकारी साबित होगा
  • गुड़ का प्रयोग होगा मददगार
  • एलोवेरा का जूस बहुत मदद करेगा
  • सेब के सिरके में चमत्कारी गुण होते हैं।
  • दालचीनी, चुकंदर को अपने आहार में जोडें
  • स्वस्थ आहार का सेवन करें

निष्कर्ष

पीरियड्स एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसका होना बहुत ज्यादा अनिवार्य है। इसके कारण एक महिला को मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हो पाता है। यदि आप गर्भधारण करने, पीरियड्स साइकिल में समस्या, या अन्य पीरियड्स से संबंधित स्थिति का अनुभव कर रही हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे श्रेष्ठ एवं अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। वह आपकी मदद कर सकते हैं। 

हालांकि कभी-कभी महिलाएं पीरियड्स रोकने के घरेलू उपाय की तलाश में रहती है, लेकिन यह प्रकृति से छेड़छाड़ होगी, जिससे बहुत गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।

पीरियड्स से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

पीरियड्स लाने के लिए क्या खाएं?

निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के सेवन से पीरियड्स समय पर आते हैं - 

  • पपीता
  • अनार
  • अदरक
  • हल्दी
  • अजवायन

पीसीओडी में पीरियड कैसे लाए?

पीसीओडी एक सिंड्रोम है, जिसमें महिलाओं में एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) की मात्रा बढ़ जाती है। निम्नलिखित निर्देशों का पालन कर पीसीओडी/पीसीओएस की स्थिति में पीरियड लाए जा सकते हैं - 

  • वजन कम करें
  • स्वस्थ आहार खाएं
  • नियमित व्यायाम करें
  • डॉक्टर से सलाह लें

क्या पीरियड्स में योग या एक्सरसाइज करना चाहिए?

हां, पीरियड्स में योग या एक्सरसाइज करना फायदेमंद साबित होता है। योग और एक्सरसाइज से दर्द कम तो होता है, लेकिन इसके साथ साथ मूड भी बेहतर होता है, और ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है। हालांकि महिलाओं को पीरियड्स के दौरान उन व्यायाम को करने से बचना चाहिए जिसमें ज्यादा जोर लगे।

पीरियड्स लेट होने पर क्या करें?

यदि आपका पीरियड्स 7 दिन से अधिक लेट है और आपने हाल-फिलहाल में बिना निरोध के शारीरिक संबंध स्थापित किया है, तो सबसे पहले आपको गर्भावस्था की जांच करानी चाहिए। यदि आप गर्भवती नहीं हैं, तो आप डॉक्टर से संपर्क करें औऱ अपनी स्थिति के बारे में उन्हें सूचित करें। डॉक्टर हार्मोनल असंतुलन, थायराइड की समस्या, या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों की जांच डॉक्टर करा सकते हैं।

पीरियड्स नहीं आ रहे हैं तो क्या करें?

यदि आपको पीरियड 3 महीने से अधिक समय से नहीं आए हैं, तो आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। सबसे पहले वह हार्मोनल असंतुलन, थायराइड की समस्या, या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि पीसीओडी का निदान और इलाज का सुझाव देते हैं। 

पीरियड्स लाने की दवा कौन सी है?

पीरियड्स लाने के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं। कुछ दवाएं हार्मोनल दवाएं होती हैं, जबकि अन्य गैर-हार्मोनल दवाएं होती हैं। डॉक्टर रोगी के स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर सबसे उपयुक्त दवा का चयन करेंगे।

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