निमोनिया क्या है? - कारण, लक्षण, उपचार और बचाव
Pulmonology |
Posted on 04/17/2023 by RBH
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निमोनिया दुनिया भर में बच्चों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। यह दर्शाता है कि निमोनिया एक गंभीर फेफड़ों का संक्रमण है। बैक्टीरिया, या वायरस के कारण निमोनिया की समस्या एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह समस्या बहुत आम है। दुनिया भर में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया से होने वाली मृत्यु लगभग 15% है। अकेले 2017 में 808,694 बच्चों ने निमोनिया के कारण अपनी जान गंवाई है। इसलिए इसके बारे में जानना बहुत ज्यादा जरूरी है। यदि आपके बच्चों को निमोनिया के लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत एक अच्छे डॉक्टर से मिलें और इलाज के विकल्पों पर बात करें।
निमोनिया क्या है?
निमोनिया फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में यह अधिक आम है।
मुख्य रूप से निमोनिया की समस्या तब होती है, जब बैक्टीरिया, वायरस, या अन्य रोगाणु फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और एल्वियोली नामक वायु थैली में सूजन पैदा करते हैं। यह सूजन हवा की थैलियों को द्रव या मवाद से भरने का कारण बन सकती है, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यदि आप किसी भी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो आपको जयपुर में पल्मोनोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए।
निमोनिया क्यों होता है?
जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि निमोनिया का मुख्य कारण बैक्टीरिया, वायरस, और अन्य रोगाणु है। कई तरीके हैं, जिनसे यह रोगाणु फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और निमोनिया का कारण बन सकते हैं जैसे -
- श्वास मार्ग से: जब कोई संक्रमित व्यक्ति बिना मुंह ढके खांसता या छींकता है, तो रोगाणु श्वास मार्ग से फेफड़ों में जा सकते हैं।
- संक्रमित भोजन और जल के संपर्क में आना: यदि कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के भोजन, पेयजल या उल्टी के संपर्क में आता है, तो उसे निमोनिया हो सकता है।
- रक्त प्रवाह: दुर्लभ मामलों में, बैक्टीरिया या वायरस रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर के दूसरे हिस्सों से फेफड़ों में फैल जाता है।
निमोनिया के लक्षण व उपचार
निमोनिया के लक्षण संक्रमण के प्रकार और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकता है। हालांकि निमोनिया के संबंध में कुछ सामान्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे -
- खांसी, बलगम या कफ का निकलना। यह कफ हरा, पीला या खून जैसा होता है।
- बुखार, पसीना और ठंड लगना।
- सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई। यह समस्या अधिक आम होती है, जब आप कोई मेहनत वाला कार्य करते हैं।
- सीने में दर्द जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ हो।
- थकान और कमजोरी।
- भूख में कमी।
- दिल की धड़कन तेज़ होना और तेजी से सांस लेना।
- भ्रम, विशेष रूप से बुजुर्ग लोगों में।
इसके अतिरिक्त निमोनिया से पीड़ित कुछ लोगों को मतली, उल्टी और दस्त जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इस प्रकार के लक्षण छोटे बच्चों में अधिक पाए जाते हैं। इन्हीं लक्षणों के आधार पर उपचार की योजना बनाई जाती हैं। इलाज से पहले जानते हैं इसकी जांच कैसे होती है।
निमोनिया का टेस्ट कैसे होता है?
निमोनिया की जांच के लिए कई टेस्ट किए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- शारीरिक परीक्षण: फिजिकल एग्जामिनेशन या शारीरिक परीक्षण में निमोनिया के लक्षणों की पहचान की जाती है। जांच के लिए स्टेथोस्कोप का उपयोग कर छाती की जांच की जाती है।
- छाती का एक्स-रे: छाती का एक्स-रे निमोनिया के निदान की पुष्टि करने और फेफड़ों में संक्रमण का स्टेज और स्थान निर्धारित करने में मदद कर सकता है।
- रक्त परीक्षण: संक्रमण के लक्षणों की जांच के लिए रक्त परीक्षण का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि वाइट ब्लड सेल्स की संख्या में वृद्धि का होना।
- स्पूटम कल्चर (थूक की जांच): इस जांच में मुंह में बनने वाले थूक की जांच की जाती है। इस टेस्ट में आपके थूक का सैंपल लिया जाता है और लैब में इसकी जांच की जाती है।
- ब्रोंकोस्कोपी: कुछ मामलों में, वायु मार्ग की जांच करने और परीक्षण के लिए फेफड़े के ऊतकों का एक नमूना लिया जाता है और ब्रोंकोस्कोपी की जाती है।
निमोनिया से बचाव के तरीके
निमोनिया से बचने के कई तरीके हैं जैसे -
- वैक्सीन: अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें और निमोनिया की वैक्सीन के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
- अच्छी स्वच्छता बनाए रखें: अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें। अपने हाथों को बार-बार धोएं, खांसते या छींकते समय अपना मुंह और नाक ढकें और बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें।
- धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और आपको निमोनिया सहित अन्य श्वसन संक्रमण का कारण बनता है।
- स्वस्थ रहें: स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें, जैसे पर्याप्त नींद लें, संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें और तनाव का प्रबंधन करें। इम्युनिटी को बढ़ाना निमोनिया के जोखिम को कम कर सकता है।
- अंतर्निहित स्थितियों को प्रबंधित करें: मधुमेह या पुरानी फेफड़ों की बीमारी जैसी अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों का प्रबंधन भी निमोनिया के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
निमोनिया का जड़ से इलाज
आमतौर पर निमोनिया के इलाज में शामिल हैं -
- एंटीबायोटिक्स: यदि निमोनिया बैक्टीरिया के कारण होता है, तो संक्रमण से लड़ने में मदद के लिए एंटीबायोटिक कारगर साबित हो सकती हैं। प्रयास करें कि एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा करें।
- एंटीवायरल दवा: यदि निमोनिया वायरस के कारण होता है, जैसे फ्लू वायरस, तो इस संक्रमण के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाएं दी जाती है।
- एंटीफंगल दवा: यदि निमोनिया एक फंगल संक्रमण के कारण होता है, तो संक्रमण के इलाज में मदद के लिए एंटी फंगल दवाएं दी जाती है।
- सहायक देखभाल: इस स्थिति में भरपूर आराम करना, बहुत सारा तरल पदार्थ पीना, सांस लेने में मदद करने के लिए ह्यूमिडिफायर का उपयोग करना और बुखार या खांसी जैसे लक्षणों से राहत पाने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाएं लेना जैसे उपाय शामिल हैं।
निमोनिया के गंभीर मामलों में, एंटीबायोटिक या ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता पड़ सकती है।
बच्चों में निमोनिया का घरेलू उपचार
कुछ घरेलू उपचार हैं, जो निमोनिया से पीड़ित बच्चों को राहत प्रदान करने में मदद कर सकते हैं -
- आराम: अपने बच्चे को जितना हो सके उतना आराम दें। इससे उनका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सकता है।
- तरल पदार्थ: अपने बच्चे को जितना हो सके उतना तरल पदार्थ पिलाएं। प्रयास करें कि कार्बोनेटिड ड्रिंक्स न दें उन्हें। हाइड्रेटेड रखने से बलगम कम बनता है।
- ह्यूमिडिफायर: अपने बच्चे के कमरे में कूल मिस्ट ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने से सांस लेने में आसानी होती है और खांसी कम होती है।
- गर्म सिकाई: छाती और पीठ पर गर्म सिकाई करने से छाती की बेचैनी को शांत करने में मदद मिलती है और सांस लेने में आसानी भी होती है।
- स्टीम थेरेपी: गर्म पानी से नहाने या गर्म पानी से भाप लेने से बलगम को ढीला करने और खांसी को कम करने में मदद मिलती है।
- शहद: यदि आपका बच्चा एक वर्ष से अधिक उम्र का है, तो उसे शहद देने से खांसी और गले में खराश को शांत करने में मदद मिल सकती है। याद रखें, एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद न दें, क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है।
निमोनिया से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
निमोनिया कितने दिनों में ठीक होता है?
निमोनिया के हल्के मामले लगभग 1-2 सप्ताह में ठीक हो सकते हैं, जबकि अधिक गंभीर मामलों में पूरी तरह से ठीक होने में कई सप्ताह से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है।
निमोनिया के मरीज को क्या खाना चाहिए?
यहां क्या खाना चाहिए इसके बारे में कुछ सुझाव दिए गए हैं -
- प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं। प्रोटीन ऊतकों के निर्माण और मरम्मत और इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
- फल और सब्जियों के सेवन को बढ़ाएं क्योंकि यह इम्युनिटी को बढ़ाने के साथ-साथ विटामिन और मिनरल्स की खपत को भी बढ़ाते हैं।
- होल ग्रेन्स पाचन स्वास्थ्य को दुरुस्त करता है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
- हेल्दी फैट एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है।
- शरीर को हाइड्रेट रखें।
निमोनिया के मूल लक्षण क्या है?
कुछ सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द, थकान, ठंड लगना या कंपकंपी शामिल हैं, जो पसीना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मतली और उल्टी के साथ हो सकते हैं।
निमोनिया से बचाव कैसे करें?
निमोनिया को रोकने के लिए, आपको टीका लगवाना चाहिए, अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करना चाहिए, बीमार लोगों से दूर रहना चाहिए, धूम्रपान छोड़ना चाहिए, स्वस्थ आदतों का अभ्यास करना चाहिए और श्वसन शिष्टाचार का भी अभ्यास करना चाहिए।
निमोनिया का रामबाण इलाज क्या है?
निमोनिया का कोई रामबाण इलाज नहीं है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसके इलाज के लिए विशेष योजना बनाई जाती है। इस योजना में एंटीबायोटिक्स, ऑक्सीजन थेरेपी और दर्द निवारक दवाएं शामिल हैं।
निमोनिया रोग किसकी कमी से होता है?
निमोनिया रोग विटामिन ए और जिंक जैसी पोषक तत्वों की कमी से हो सकता है। इनकी कमी के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है।
बच्चों में निमोनिया क्यों होता है?
बच्चों में श्वसन तंत्र का विकास पूरा नहीं होता है, जिसके कारण उन्हें निमोनिया की समस्या अधिक प्रभावित करती है।
निमोनिया में नहाना चाहिए या नहीं?
हां, निमोनिया में नहाना जरूरी है क्योंकि हमेशा स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी जाती है। बुखार कम होने पर गुनगुने पानी से नहाएं और थकान को कम करें।
निमोनिया का कैसे पता चलता है?
निमोनिया के लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द शामिल हैं। डॉक्टर शारीरिक जांच, स्टेथोस्कोप और एक्स-रे जैसे टेस्ट करके निमोनिया का पता लगाते हैं।