निमोनिया क्या है? - कारण, लक्षण, उपचार और बचाव

निमोनिया क्या है? - कारण, लक्षण, उपचार और बचाव

Pulmonology |by Dr. Rakesh Godara| Published on 10/03/2025

Table of Contents
  1. निमोनिया क्या है और यह क्यों खतरनाक हो सकता है?
  2. न्यूमोनिया के प्रकार
  3. निमोनिया होने के कारण
  4. निमोनिया के लक्षण - Symptoms of Pneumonia
  5. निमोनिया का टेस्ट कैसे होता है?
  6. निमोनिया से बचाव के तरीके
  7. निमोनिया का रामबाण इलाज
  8. बच्चों में निमोनिया का घरेलू उपचार
  9. निमोनिया से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
    1. निमोनिया कितने दिनों में ठीक होता है?
    2. निमोनिया के मरीज को क्या खाना चाहिए?
    3. निमोनिया के मूल लक्षण क्या है?
    4. निमोनिया से बचाव कैसे करें?
    5. निमोनिया का रामबाण इलाज क्या है?
    6. निमोनिया रोग किसकी कमी से होता है?
    7. बच्चों में निमोनिया क्यों होता है?
    8. निमोनिया में नहाना चाहिए या नहीं?
    9. निमोनिया का कैसे पता चलता है?
    10. निमोनिया के इलाज में कौन सी थेरेपी मदद करती है?
    11. क्या निमोनिया में अंडे खाने चाहिए?
    12. क्या निमोनिया संक्रामक है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निमोनिया दुनिया भर में बच्चों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। आप इस रोग की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2018 में, निमोनिया के कारण पांच वर्ष से कम उम्र के 8,00,000 से अधिक बच्चों ने न्यूमोनिया के कारण अपनी जान गंवाई है। 

बैक्टीरिया, या वायरस के कारण निमोनिया की समस्या एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है। भारत जैसे विकासशील देशों में यह समस्या बहुत आम है, इसलिए इस रोग के संबंध में पूर्ण जानकारी बहुत ज्यादा आवश्यक है। यदि आपके बच्चों में निमोनिया के लक्षण दिखते हैं, तो एक अच्छे पल्मोनोलॉजिस्ट से मिलें और तुरंत इलाज लें। इस ब्लॉग की मदद से न्यूमोनिया के इलाज के बारे में पूर्ण जानकारी आपको मिल जाएगी, जिससे आप जल्द दुरुस्त हो सकते हैं।

निमोनिया क्या है और यह क्यों खतरनाक हो सकता है?

निमोनिया एक गंभीर फेफड़ों का संक्रमण है, जिससे हर उम्र के लोग प्रभावित होते हैं। हालांकि, छोटे बच्चे, बुजुर्ग लोग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति इस रोग के जोखिम के दायरे में आते हैं। 

निमोनिया की समस्या मुख्य रूप से तब होती है, जब बैक्टीरिया, वायरस या अन्य कीटाणु फेफड़ों में प्रवेश करते हैं, जिससे वायुकोषों (एल्वियोली) में सूजन आ जाती है। निमोनिया फेफड़ों में सूजन के कारण वायुकोषों (Air sacs) में तरल पदार्थ या मवाद भर सकता है, जिससे ऑक्सीजन का स्तर कम भी हो जाता है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

यह एक खतरनाक स्थिति है, लेकिन लंबे समय तक अनुपचारित रह जाने पर यह जानलेवा स्थिति में परिवर्तित हो सकती है। गंभीर मामलों में निम्न जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि - 

  • श्वसन तंत्र की विफलता
  • सेप्सिस (रक्त प्रवाह में एक व्यापक संक्रमण)
  • फेफड़ों के फोड़े 

इसके अतिरिक्त, अस्थमा, सीओपीडी या हृदय रोग जैसी मौजूदा स्वास्थ्य समस्याएं निमोनिया के कारण और भी अधिक गंभीर हो सकती है। इन जटिलताओं को रोकने के लिए समय पर निदान और इलाज बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। यदि आप लगातार खांसी, बुखार, सीने में दर्द या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो उचित जांच और इलाज के लिए जयपुर में पल्मोनोलॉजिस्ट से परामर्श करना उचित रहेगा।

न्यूमोनिया के प्रकार

एक डॉक्टर के रूप में, मैं निमोनिया के विभिन्न मामलों को देखता हूं, जिनमें से प्रत्येक के लिए विशिष्ट उपचार की आवश्यकता होती है - 

  • बैक्टीरियल निमोनिया: यह स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया के कारण होता है। इसके कारण तेज बुखार, खांसी और सीने में दर्द जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। गंभीर मामलों में हॉस्पिटलाइजेशन और IV एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है।
  • वायरल निमोनिया: यह इन्फ्लूएंजा या COVID-19 जैसे वायरस के कारण होता है, जिसके लक्षण सूखी खांसी, थकान और शरीर में दर्द है। अधिकांश मामलों में डॉक्टरी सलाह की आवश्यकता होती है।
  • फंगल निमोनिया: जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वह इस निमोनिया का शिकार होते हैं। ऐसे में एंटी फंगल उपचार कारगर साबित हो सकते हैं।
  • एस्पिरेशन निमोनिया: जिसकी उम्र अधिक है या फिर जिन्हे स्ट्रोक आ गया है, उनमें यह अधिक आम है। यह भोजन या तरल पदार्थ के माध्यम से फैलता है, जिसके इलाज के लिए अक्सर एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।

जल्दी निदान महत्वपूर्ण है। यदि लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो पल्मोनोलॉजिस्ट (न्यूमोनिया के विशेषज्ञ) से परामर्श ज़रूर करें।

निमोनिया होने के कारण

जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि निमोनिया का मुख्य कारण बैक्टीरिया, वायरस, और अन्य रोगाणु है। कई तरीके हैं, जिनसे यह रोगाणु फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और निमोनिया का कारण बन सकते हैं जैसे कि - 

  • श्वास मार्ग से: जब कोई संक्रमित व्यक्ति बिना मुंह ढके खांसता या छींकता है, तो रोगाणु श्वास मार्ग से फेफड़ों में जा सकते हैं।
  • संक्रमित भोजन और जल के संपर्क में आना: यदि कोई व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के भोजन, पेयजल या उल्टी के संपर्क में आता है, तो उसे निमोनिया हो सकता है।
  • रक्त प्रवाह: दुर्लभ मामलों में, बैक्टीरिया या वायरस रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर के दूसरे हिस्सों से फेफड़ों में फैल जाता है।

निमोनिया के लक्षण - Symptoms of Pneumonia

निमोनिया के लक्षण संक्रमण के प्रकार और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। हालांकि निमोनिया के संबंध में कुछ सामान्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि - 

  • खांसी, बलगम या कफ का निकलना। यह कफ हरा, पीला या खून जैसा होता है।
  • बुखार, पसीना और ठंड लगना।
  • सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई। यह समस्या अधिक आम होती है, जब आप कोई मेहनत वाला कार्य करते हैं।
  • सीने में दर्द जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ हो।
  • थकान और कमजोरी।
  • भूख में कमी।
  • दिल की धड़कन तेज़ होना और तेजी से सांस लेना।
  • भ्रम, विशेष रूप से बुजुर्ग लोगों में।

इसके अतिरिक्त निमोनिया से पीड़ित कुछ लोगों को मतली, उल्टी और दस्त जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि निमोनिया के लक्षण उपचार में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। लक्षणों की पुष्टि के बाद ही इलाज की योजना बनाई जा सकती है। चलिए इलाज से पहले जानते हैं इसकी जांच कैसे होती है।

निमोनिया का टेस्ट कैसे होता है?

निमोनिया की जांच के लिए कई टेस्ट किए जाते हैं, जैसे कि - 

  • शारीरिक परीक्षण: फिजिकल एग्जामिनेशन या शारीरिक परीक्षण में निमोनिया के लक्षणों की पहचान की जा सकती है। जांच के लिए स्टेथोस्कोप का उपयोग कर छाती की जांच की जा सकती है।
  • छाती का एक्स-रे: छाती का एक्स-रे निमोनिया के निदान की पुष्टि करने और फेफड़ों में संक्रमण का स्टेज और स्थान निर्धारित करने में मदद कर सकता है।
  • रक्त परीक्षण: संक्रमण के लक्षणों की जांच के लिए रक्त परीक्षण का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि वाइट ब्लड सेल्स की संख्या में वृद्धि होना।
  • स्पूटम कल्चर (थूक की जांच): इस जांच में मुंह में बनने वाले थूक की जांच की जाती है। इस टेस्ट में आपके थूक का सैंपल लिया जाता है और लैब में इसकी जांच होती है। 
  • ब्रोंकोस्कोपी: कुछ मामलों में, वायु मार्ग की जांच करने और परीक्षण के लिए फेफड़े के ऊतकों का एक नमूना लिया जाता है और फिर उसकी ब्रोंकोस्कोपी की जाती है।

निमोनिया से बचाव के तरीके

निमोनिया से बचने के कई तरीके हैं जैसे कि - 

  • वैक्सीन: अच्छे डॉक्टर से परामर्श लें और निमोनिया की वैक्सीन के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। वरिष्ठ लोग, क्रोनिक रोगों से जूझ रहे लोग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, और बुजुर्ग लोगों को निमोनिया वैक्सीन की आवश्यकता पड़ सकती है।
  • अच्छी स्वच्छता बनाए रखें: अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें। अपने हाथों को बार-बार धोएं, खांसते या छींकते समय अपना मुंह और नाक ढकें और बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें।
  • धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और आपको निमोनिया सहित अन्य श्वसन संक्रमण का कारण बनता है। 
  • स्वस्थ रहें: स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें, जैसे पर्याप्त नींद लें, संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें और तनाव का प्रबंधन करें। इम्युनिटी को बढ़ाना निमोनिया के जोखिम को कम कर सकता है।
  • अंतर्निहित स्थितियों को प्रबंधित करें: मधुमेह या पुरानी फेफड़ों की बीमारी जैसी अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों का प्रबंधन भी निमोनिया के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।

निमोनिया का रामबाण इलाज

आमतौर पर निमोनिया के इलाज के लिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है जैसे कि - 

  • एंटीबायोटिक्स: यदि निमोनिया बैक्टीरिया के कारण होता है, तो संक्रमण से लड़ने में मदद के लिए एंटीबायोटिक कारगर साबित हो सकती हैं। प्रयास करें कि एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा करें। 
  • एंटीवायरल दवा: यदि निमोनिया वायरस के कारण होता है, जैसे फ्लू वायरस, तो इस संक्रमण के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाएं दी जाती है।
  • एंटीफंगल दवा: यदि निमोनिया एक फंगल संक्रमण के कारण होता है, तो संक्रमण के इलाज में मदद के लिए एंटी फंगल दवाएं दी जाती है। 
  • सहायक देखभाल: इस स्थिति में भरपूर आराम करना, बहुत सारा तरल पदार्थ पीना, सांस लेने में मदद करने के लिए ह्यूमिडिफायर का उपयोग करना और बुखार या खांसी जैसे लक्षणों से राहत पाने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाएं लेना जैसे उपाय शामिल है।

निमोनिया के गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है। निमोनिया को गंभीर होने का समय न दें। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

बच्चों में निमोनिया का घरेलू उपचार

बच्चों के निमोनिया का देसी इलाज निम्न घरेलू उपचारों पर आधारित है - 

  • आराम: अपने बच्चे को जितना हो सके उतना आराम दें। इससे उनका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सकता है। 
  • तरल पदार्थ: अपने बच्चे को जितना हो सके उतना तरल पदार्थ पिलाएं। प्रयास करें कि कार्बोनेटिड ड्रिंक्स उन्हें न दें। हाइड्रेटेड रखने से बलगम कम बनता है। 
  • ह्यूमिडिफायर: अपने बच्चे के कमरे में कूल मिस्ट ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने से सांस लेने में आसानी होती है और खांसी कम होती है।
  • गर्म सिकाई: छाती और पीठ पर गर्म सिकाई करने से छाती की बेचैनी को शांत करने में मदद मिलती है और सांस लेने में आसानी भी होती है।
  • स्टीम थेरेपी: निमोनिया में गर्म पानी से नहाने या गर्म पानी से भाप लेने से बलगम को ढीला करने और खांसी को कम करने में मदद मिलती है।
  • शहद: यदि आपका बच्चा एक वर्ष से अधिक उम्र का है, तो उसे शहद देने से खांसी और गले में खराश को शांत करने में मदद मिल सकती है। याद रखें, एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद न दें, क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है।

यह सारे निमोनिया से बचाव के तरीके हर व्यक्ति अपना सकते हैं। इसलिए समय रहते सही कदम उठाएं, और न्यूमोनिया से छुटकारा पाएं।

निमोनिया से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

निमोनिया कितने दिनों में ठीक होता है?

निमोनिया के हल्के मामले लगभग 1-2 सप्ताह में ठीक हो सकते हैं, जबकि अधिक गंभीर मामलों में पूरी तरह से ठीक होने में कई सप्ताह से लेकर महीनों तक का समय लग सकता है।

निमोनिया के मरीज को क्या खाना चाहिए?

यहां क्या खाना चाहिए इसके बारे में कुछ सुझाव दिए गए हैं - 

  • प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं। प्रोटीन ऊतकों के निर्माण और मरम्मत और इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
  • फल और सब्जियों के सेवन को बढ़ाएं क्योंकि यह इम्युनिटी को बढ़ाने के साथ-साथ विटामिन और मिनरल्स की खपत को भी बढ़ाते हैं। 
  • होल ग्रेन्स पाचन स्वास्थ्य को दुरुस्त करता है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। 
  • हेल्दी फैट एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। 
  • शरीर को हाइड्रेट रखें। 

निमोनिया के मूल लक्षण क्या है?

कुछ सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द, थकान, ठंड लगना या कंपकंपी शामिल हैं, जो पसीना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मतली और उल्टी के साथ हो सकते हैं।

निमोनिया से बचाव कैसे करें?

निमोनिया को रोकने के लिए, आपको टीका लगवाना चाहिए, अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करना चाहिए, बीमार लोगों से दूर रहना चाहिए, धूम्रपान छोड़ना चाहिए, स्वस्थ आदतों का अभ्यास करना चाहिए और श्वसन शिष्टाचार का भी अभ्यास करना चाहिए।

निमोनिया का रामबाण इलाज क्या है?

निमोनिया का कोई रामबाण इलाज नहीं है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसके इलाज के लिए विशेष योजना बनाई जाती है। इस योजना में एंटीबायोटिक्स, ऑक्सीजन थेरेपी और दर्द निवारक दवाएं शामिल हैं।

निमोनिया रोग किसकी कमी से होता है?

निमोनिया रोग विटामिन ए और जिंक जैसी पोषक तत्वों की कमी से हो सकता है। इनकी कमी के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। 

बच्चों में निमोनिया क्यों होता है?

बच्चों में श्वसन तंत्र का विकास पूरा नहीं होता है, जिसके कारण उन्हें निमोनिया की समस्या अधिक प्रभावित करती है। 

निमोनिया में नहाना चाहिए या नहीं?

हां, निमोनिया में नहाना जरूरी है क्योंकि हमेशा स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी जाती है। बुखार कम होने पर गुनगुने पानी से नहाएं और थकान को कम करें।

निमोनिया का कैसे पता चलता है?

निमोनिया के लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द शामिल हैं। डॉक्टर शारीरिक जांच, स्टेथोस्कोप और एक्स-रे जैसे टेस्ट करके निमोनिया का पता लगाते हैं।

निमोनिया के इलाज में कौन सी थेरेपी मदद करती है?

निमोनिया के इलाज के लिए एंटीबायोटिक, और एंटीवायरल दवाएं प्रयोग होती हैं। वहीं सांस लेने में तकलीफ की स्थिति में ऑक्सीजन थेरेपी का उपयोग होता है। गंभीर मामलों में हॉस्पिटलाइजेशन की आवश्यकता पड़ती है।

क्या निमोनिया में अंडे खाने चाहिए?

हां, आप न्यूमोनिया में अंडे खा सकते हैं क्योंकि यह पौष्टिक और प्रोटीन से भरपूर होता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वस्थ होती है। प्रयास करें कि आप कच्चे और अधपके अंडे न खाएं। 

क्या निमोनिया संक्रामक है?

हां, वायरल और बैक्टीरियल निमोनिया खांसने या छींकने से श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है। हालांकि, एस्पिरेशन और फंगल निमोनिया संक्रामक नहीं है।

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