Diabetes and Endocrine Sciences | Posted on 04/17/2023 by Dr. Abhinav Kumar Gupta
थायराइड एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि है जो कंठ के ठीक नीचे गर्दन के आधार पर मौजूद होती है। यह ग्रंथि दो मुख्य हार्मोन बनाती है - थायरोक्सिन (T-4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T-3), जो शरीर की हर कोशिका यानी सेल को प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही, उस दर का समर्थन करते हैं जिस पर शरीर फैट और कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल करता है।
थायराइड जिंदगी भर चलने वाली मेडिकल कंडीशन होती है, जिसे आपको लगातार रोकने की कोशिश करनी होगी। वहीं, ज्यादातर मामलों में इसकी रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली एक दवा भी शामिल होती है। हालांकि, आमतौर पर आप थायरॉयड के साथ एक सामान्य जीवन जी सकते हैं। इसके अलावा, आपका हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर आपके इलाज की निगरानी करने के साथ ही साथ समय से उसको एडजस्ट करेगा।
थायराइड के लक्षण बहुत हद तक उसकी गंभीरता पर निर्भर करते हैं, जो समय के साथ बढ़ती है। अब जैसे कि -
महिलाओं में थायराइड 0.4 से लेकर 4.0 एम एल के बीच और पुरुषों में 0.5 से लेकर 4.1 एम एल के बीच होना चाहिए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, हाइपरथायरायडिज्म पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा मात्रा में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए। जैसे-
हाइपरथायरायडिज्म एक ओवर एक्टिव थायराइड है, जो बहुत अधिक थायराइड हार्मोन पैदा करता है। वहीं, हाइपोथायरायडिज्म एक अंडरएक्टिव थायरॉयड है जो हाइपरथायरायडिज्म की तुलना में अधिक आम है।
अब ऐसे तो दोनों स्थितियों में अलग-अलग संकेत या लक्षण होते हैं,लेकिन कभी-कभी वह ओवरलैप भी होते हैं। इसको ऐसे समझें, कि थायराइड का बढ़ना जिसे गोइटर कहा जाता है,यह दोनों तरह के थायराइड में हो सकता है।
आइए इस परिस्तिथि के कुछ और लक्षणों पर एक नजर डालते हैं -
थायरॉयड स्टीमुलेटिंग हार्मोन यानी टीएसएच, जिसे सीरम थायरोट्रोपिन भी कहा जाता है, की जांच के लिए ब्लड टेस्ट का इस्तेमाल थायरॉयड से जुड़ी परेशानियों में किया जाता है। इसका कारण यह है कि टीएसएच शरीर के थायराइड हार्मोन के उत्पादन को उत्तेजित करता है। यही टीएसएच ज्यादा होता है, जब आपका शरीर पर्याप्त थायराइड हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) नहीं बना रहा हो और जब यह बहुत अधिक (हाइपरथायरायडिज्म) बनाता है तो कम होता है।
हाइपरथायरायडिज्म का इलाज लक्षणों से शुरू होता है। आमतौर पर शुरू करने के लिए बीटा ब्लॉकर्स निर्धारित किए जाते हैं। यह दवाएं हृदय गति को धीमा, कंपकंपी कम और चिड़चिडेपन में सुधार कर सकती हैं। इसके अलावा, दूसरे उपचार हाइपरथायरायडिज्म की वजह पर निर्भर करते हैं। अब अगर आपको ग्रेव्स रोग है, तो इसके विकल्पों में मेथिमाज़ोल (टैपाज़ोल) शामिल हैं ।वहीं, अगर दवा काम नहीं करती या यह अन्य वजहों से है, तो दूसरे किसी विकल्पों में थायरॉयड कोशिकाओं को रेडियोएक्टिव आयोडीन के साथ खत्म करना या ग्रंथि को सर्जरी से हटाना शामिल है।
हाइपरथायरायडिज्म से अलग हाइपोथायरायडिज्म का आमतौर पर थायराइड हार्मोन के साथ इलाज किया जाता है और सिंथेटिक (मानव निर्मित) वर्जन को एल-थायरोक्सिन या लेवोथायरोक्सिन कहा जाता है। इसके अंतर्गत, डॉक्टर आपकी उम्र और वजन के आधार पर एक खुराक का चयन करेंगे, फिर समय-समय पर आपके टीएसएच की निगरानी करेंगे कि क्या इसे और एडजस्ट करने की जरूरत है। ध्यान रहे, कि इसका मकसद आपके टीएसएच को सामान्य केटेगरी में वापस लाना और लक्षणों में सुधार करना है।
दूसरी ओर हाइपरथायरायडिज्म के लिए सर्जरी इलाज का एक विकल्प है और कुछ के लिए सर्जरी में एडेनोमा के साथ आपकी थायरॉयड ग्रंथि के आधे हिस्से जिसे लोबेक्टोमी के तौर पर जाना जाता है,को आंशिक रूप से हटाने की जरूरत होती है। ग्रेव्स रोग सहित लगभग सभी अन्य प्रकार के हाइपरथायरायडिज्म के लिए सर्जरी लगभग कुल थायरॉयडेक्टॉमी है।
आपको बता दें, कि टोटल थायराइ डेक्टोमी एकमात्र ऑप्शन है, जो हाइपरथायरायडिज्म का तत्काल इलाज देता है।
हालांकि सर्जरी सबसे आम तरीका नहीं है, लेकिन आप अपनी स्थिति और अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर फैसला ले सकते हैं। मगर इससे पहले दवाओं बनाम थायरॉयडेक्टॉमी के फायदों और नुकसान के बारे में अपने डॉक्टर से बात करना जरूरी है।