थायरॉइड की बीमारी क्या होती हैं? जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव
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थायरॉइड की बीमारी क्या होती हैं? जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव

Summary

थायराइड एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि है जो कंठ के ठीक नीचे गर्दन के आधार पर मौजूद होती है। यह ग्रंथि दो मुख्य हार्मोन बनाती है - थायरोक्सिन (T-4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T-3), जो शरीर की हर कोशिका यानी सेल को प्रभावित करते हैं। इसके साथ ही, उस दर का समर्थन करते हैं जिस पर शरीर फैट और कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल करता है।

क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में लगभग 20 करोड़ से अधिक लोग थायराइड रोग से पीड़ित होते हैं? यह रोग थायराइड ग्लैंड से संबंधित है, जो हमारे शरीर का एक मास्टर कंट्रोल पैनल होता है। चलिए इस ब्लॉग की मदद से थायराइड रोग के संबंधित सभी जानकारी प्राप्त करते हैं जैसे - कारण, लक्षण, बचाव, इत्यादि। इस जानकारी से आपको थायराइड से बचने में मदद मिलेगी।

थायराइड क्या है?

थायराइड एक छोटी सी तितली के आकार का ग्लैंड है, जो कंठ के ठीक नीचे गर्दन के बेस में होता है। यह ग्लैंड दो मुख्य हार्मोन से बनता है - थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3), जो शरीर की सभी कोशिकाओं यानी सेल्स को प्रभावित करता है। थायराइड का मुख्य कार्य शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करना है। 

थायराइड रोग वह स्थिति है, जिसमें थायराइड ग्लैंड शरीर की आवश्यकता से कम या अधिक थायराइड हार्मोन का निर्माण करता है, जिसके कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। 

थायराइड रोग के लक्षण

थायराइड विकार के लक्षण बहुत हद तक उसकी गंभीरता और प्रकार पर निर्भर करते हैं। मुख्य रूप से थायराइड रोग दो प्रकार के होते हैं - हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म। चलिए सबसे पहले थायराइड रोग के लक्षणों के बारे में जानते हैं - 

  • थकान
  • ठंड लगना
  • कब्ज
  • शुष्क त्वचा
  • वजन बढ़ना
  • चेहरे पर सूजन
  • बदली हुई आवाज
  • मोटे बाल और त्वचा
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • मांसपेशियों में दर्द, कोमलता और जकड़न
  • पीरियड्स का समय पर न होना या देर से होना
  • बालों का झड़ना
  • ब्रैडीकार्डिया यानी दिल की गति धीमी होना 
  • अवसाद या डिप्रेशन
  • कमजोर याददाश्त की समस्या

थायराइड की जांच कब कराएं?

जब किसी को भी ऊपर बताए गए लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत थायरॉइड स्पेशलिस्ट डॉक्टर से मिलें और जांच कराएं। इसके अतिरिक्त निम्न स्थितियों में भी थायराइड की जांच की आवश्यकता पड़ती है - 

  • गर्भधारण से पहले और दौरान।
  • थायराइड रोग की फैमिली हिस्ट्री होना।
  • ऑटोइम्यून बीमारियां होना।
  • अचानक बिना कारण वजन कम होना या बढ़ना। 

थायराइड टेस्ट नार्मल रिपोर्ट

हमेशा लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि नार्मल थायराइड कितना होना चाहिए? थायराइड के नार्मल रेंज का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट का सुझाव दिया जाता है। ब्लड टेस्ट से थायराइड के सामान्य स्तर का आसानी से पता चल सकता है। चलिए समझते हैं कि नार्मल थायराइड कितना होना चाहिए - 

  • TSH (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन): 0.4 - 4.0 mIU/L
  • T4 (थायरोक्सिन): 6.0 - 10.7 µg/dL
  • T3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन): 100 - 200 ng/dL

यहां ध्यान रखें कि थायराइड का सामान्य स्तर कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकता है जैसे लिंग, उम्र, अन्य स्वास्थ्य समस्या इत्यादि।

हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म के बीच क्या अंतर है?

हाइपरथायरायडिज्म एक ओवर एक्टिव थायराइड है, जिसमें बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का निर्माण होता है। वहीं, हाइपोथायरायडिज्म एक अंडरएक्टिव थायरॉयड है, जिसमें हाइपरथायरायडिज्म की तुलना में बहुत कम थायराइड हार्मोन का निर्माण होता है। दोनों ही स्थितियों में कभी-कभी एक जैसे तो कभी-कभी अलग लक्षण दिखते हैं जैसे -

हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण

  • हाथ कांपना
  • वजन घटना
  • घबराहट
  • तेज हृदय गति
  • नींद न आना
  • भंगुर या ब्रिटल त्वचा
  • चिड़चिड़ापन
  • कमजोरी आना

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण

  • कब्ज
  • थकान
  • वजन बढ़ना।
  • शुष्क या रूखी त्वचा।
  • बातें भूलना।

हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म का डायग्नोसिस और इलाज?

इन दोनों स्थितियों का पता लगाने के लिए डॉक्टर मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट का सुझाव देते हैं। इस टेस्ट की मदद से शरीर में थायराइड हार्मोन के स्तर को मापा जाता है। इस टेस्ट में मुख्य रूप से थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) की जांच की जाती है। हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में टीएसएच का स्तर ज्यादा होता है। कुछ मामलों में थायराइड ग्लैंड की तस्वीरें लेने के लिए इमेजिंग टेस्ट का सुझाव भी दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आयोडीन अपटेक टेस्ट की भी आवश्यकता पड़ सकती है।

चलिए अब दोनों के इलाज के बारे में बात करते हैं - 

हाइपरथायरायडिज्म: हाइपरथायरायडिज्म के इलाज के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है - 

  • शुरुआत में डॉक्टर बीटा ब्लॉकर्स देते हैं, जिससे हृदय गति कंट्रोल होती है और कंपन को कम करने में मदद मिलती है। 
  • इसके बाद हाइपरथायरायडिज्म के कारण के आधार पर इलाज तय होता है। ग्रेव्स रोग के इलाज के लिए एंटी थायराइड दवाएं दी जाती हैं।
  • अगर दवाएं काम नहीं करती या थायराइड ग्लैंड में गांठ है, तो रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी या सर्जरी से ग्लैंड को निकाल लिया जाता है। 

हाइपोथायरायडिज्म: इस स्थिति के मुख्य इलाज के रूप में सिंथेटिक थायराइड हार्मोन (लेवोथायरोक्सिन) को देखा जाता है। डॉक्टर उम्र और वजन के आधार पर डोज निर्धारित करते हैं और समय-समय पर थायराइड के स्तर की जांच कर इस डोज में बदलाव करते हैं। 

थायराइड रोग के लिए सुपरफूड्स

थायराइड रोग के इलाज में आहार मुख्य भूमिका निभाते हैं। कुछ सुपरफूड्स हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, वह थायराइड हार्मोन के सामान्य स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं जैसे -

  • नारियल: नारियल मीडियम चैन फैटी एसिड (MCFA) से भरपूर होता है, जिसकी मदद से मेटाबॉलिज्म में मदद मिलती है। 
  • अंडे: अंडे आयोडीन और सेलेनियम का अच्छा स्रोत है, जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • ब्राजील नट्स: ब्राजील नट्स में सेलेनियम की मात्रा अधिक होती है, जो थायराइड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। 
  • फलियां: फलियां फाइबर, प्रोटीन और आयरन से भरपूर होते हैं, जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
  • पालक: पालक को आयोडीन और आयरन का अच्छा स्रोत माना जाता है। इन दोनों के कारण थायराइड हार्मोन का स्तर नियंत्रित रहता है। 
  • बेरीज: एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो थायराइड ग्लैंड को नुकसान होने से बचाने में मदद करते हैं।

थायरॉइड से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

थायराइड क्यों होता है?

थायराइड ग्लैंड की समस्याएं कई कारणों से हो सकती हैं, जिनमें जेनेटिक्स, ऑटोइम्यून रोग, आयोडीन की कमी, दवाएं और प्रेगनेंसी शामिल है।

थायराइड में क्या दिक्कत होती है?

मुख्यतः दो प्रकार की थायराइड समस्याएं एक व्यक्ति को परेशान करती हैं: हाइपो (अंडरएक्टिव) और हाइपर (ओवरएक्टिव)। इसके कारण थकान, अचानक वजन बदलना, मूड स्विंग्स और हृदय गति में उतार चढ़ाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

थायराइड का नॉर्मल रेंज क्या है?

आमतौर पर, थायराइड सिमुलेशन हार्मोन (TSH) 0.4-4.0 mIU/L, थायरोक्सिन (T4) 6.0-10.7 µg/dL और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) 100-200 ng/dL के बीच होना चाहिए।

पुरुषों में थायराइड कितना होना चाहिए?

सामान्यतः, पुरुषों में थायराइड हार्मोन का स्तर TSH (Thyroid Stimulating Hormone) के लिए 0.4 से 4.0 mU/L के बीच होना चाहिए। T3 और T4 हार्मोन का स्तर भी सामान्य सीमा में रहना चाहिए। हालांकि, यह सीमा उम्र के अनुसार बदलती रहती है। इसलिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

बच्चों में थायराइड कितना होना चाहिए?

बच्चों में थायराइड हार्मोन का सामान्य स्तर उम्र के आधार पर निर्भर करता है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार 0 से 2 हफ्ते के बच्चे में थायराइड का स्तर 1.6-24.3 mU/L होना चाहिए। वहीं जिन बच्चों की उम्र 2 से 4 सप्ताह है, उनमें टीएसएच का स्तर 0.58-5.57 mU/L और 20 सप्ताह से 18 साल के बच्चे में थायराइड का सामान्य स्तर 0.55-5.31 mU/L होना चाहिए।

थायराइड कितने दिन में ठीक हो जाता है?

थायराइड विकार के उपचार का समय व्यक्ति और स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। कुछ मामलों में उपचार के कुछ सप्ताह में सुधार देखने को मिल सकता है, जबकि अन्य मामलों में यह महीनों या वर्षों तक चल सकता है। डॉक्टर से नियमित जांच और दवाएं बहुत महत्वपूर्ण है।

Written and Verified by:

Dr. Ankur Gahlot

Dr. Ankur Gahlot

Additional Director Exp: 16 Yr

Diabetes & Endocrinology

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A DM in Endocrinology from the Institute of medical sciences, Banaras Hindu University, has worked with Safdarjung Hospital, RML Hospital, New Delhi and Fortis Escorts Hospital Jaipur. His areas of special interest include Type I Diabetes, Gestational diabetes, Thyroid disorders, Pituitary disorders, Adrenal disorders, Osteoporosis, Polycystic ovary syndrome & Endocrinological issues of Infertility. Dr. Gahlot has presented several papers, many of which have won him coveted awards.

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