ऑटोमायकॉसिस : कारण, लक्षण और उपचार
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ऑटोमायकॉसिस : कारण, लक्षण और उपचार

Summary

कान में फंगल इन्फेक्शन को ऑटोमायकॉसिस कहा जाता है, जिसका प्रसार पूरे विश्व में देखा जाता है। रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत के दक्षिणी राज्यों में यह रोग अधिक लोगों को प्रभावित करता है। ऑटोमायकॉसिस के कारण बाहरी कान और इयर कैनाल (कान की नहर) प्रभावित होते हैं।

कान में फंगल इन्फेक्शन को ऑटोमायकॉसिस कहा जाता है, जिसका प्रसार पूरे विश्व में देखा जाता है। रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत के दक्षिणी राज्यों में यह रोग अधिक लोगों को प्रभावित करता है। ऑटोमायकॉसिस के कारण बाहरी कान और इयर कैनाल (कान की नहर) प्रभावित होते हैं। ऑटोमायकॉसिस की समस्या एक व्यक्ति को तब परेशान करती है, जब कान में फंगस नामक सूक्ष्मजीव (Microorganism) कान में बढ़ने लगते हैं। इस फंगस को फैलने के लिए गर्म और नम वातावरण की आवश्यकता होती है। इसके साथ-साथ कान में पानी का जमना और अन्य स्वास्थ्य स्थितियां इस स्वास्थ्य स्थिति को जन्म दे सकती हैं।

चलिए इस ब्लॉग के माध्यम से हम कान में फंगल इन्फेक्शन कारण, लक्षण और उपचार के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं। 

कान में फंगल इन्फेक्शन के लक्षण

कान में फंगल इन्फेक्शन के कारण कई स्वास्थ्य स्थितियां उत्पन्न होती हैं जैसे - 

  • कान में खुजली, जलन या दर्द होना।
  • कान में से भूरे, सफेद या काले गाढ़ा रंग का तरल पदार्थ का निकलना। 
  • इन्फेक्शन के कारण सूजन और कान का लाल हो जाना। 
  • भारीपन या सुनने में समस्या।
  • सिरदर्द के साथ चक्कर आना। हालांकि विशेष रूप से यह लक्षण गंभीर मामलों में ही देखने को मिलते हैं। 

इन लक्षणों के दिखने पर हम आपको सलाह देंगे कि तुरंत परामर्श लें और कान में संक्रमण की समस्या का समय रहते इलाज कराएं। 

कान में फंगल इन्फेक्शन क्यों होता है?

कान में फंगल इन्फेक्शन होने के कई कारण होते हैं, जिनमें से मुख्य को नीचे विस्तार से बताया गया है - 

  • नम वातावरण: इस प्रकार का फंगस अक्सर नम वातावरण में अधिक फैलता है। जिन क्षेत्रों में नमी अधिक होती है, उन लोगों में यह अधिक आम है। 
  • पानी के संपर्क में आना: जो लोग अधिक स्विमिंग करते हैं, या स्नान करने से जिनके कान में बार-बार पानी जाता है, वह फंगल संक्रमण से परेशान होते हैं। 
  • त्वचा की समस्याएं: एक्जिमा या सोरायसिस जैसी त्वचा की समस्याएं कान में फंगल इन्फेक्शन के खतरे को कई गुना बढ़ा सकती हैं।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली कई स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढाती हैं। उसी प्रकार डायबिटीज, एचआईवी/एड्स या कैंसर जैसी स्थितियां शरीर की इम्यून सिस्टम कमजोर कर सकती हैं, जिसके कारण फंगल इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • कुछ दवाएं: इन सबके अतिरिक्त कुछ ऐसी दवाएं होती हैं, जो स्वस्थ बैक्टीरिया को नष्ट कर सकती हैं, जिसकी वजह से फंगस पनपने लगता है। 

यह सारे कान में फंगल इन्फेक्शन के कुछ संभावित कारण है। यह कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान कर सकता है, इसलिए कान में किसी भी प्रकार की समस्या दिखने पर तुरंत ईएनटी (ENT) विशेषज्ञ से मिलें। 

कान में फंगल इन्फेक्शन का इलाज

आमतौर पर ऐंटिफंगल दवाओं की मदद से कान में फंगल इन्फेक्शन का इलाज हो सकता है। यह दवाएं कान में डालने वाली दवा, क्रीम या खाने वाली दवाएं के रूप में दी जाती है। यह दवाएं तब दी जाती हैं, जब व्यक्ति को दर्द नहीं हो रहा होता है। यदि पेशेंट को कान में दर्द का सामना करना पड़ता है तो इबुप्रोफेन या पेरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं दी जा सकती हैं। 

हालांकि किस दवा का प्रयोग होगा, इसका निर्णय पेशेंट के स्वास्थ्य के आधार पर लिया जाता है। इन सबके अतिरिक्त कुछ घरेलू उपाय होते हैं, जिनकी मदद से कान में फंगल इन्फेक्शन का इलाज सरलता से हो सकता है जैसे - 

  • गर्म पानी से सेक: एक साफ कपडा लें और उसे गर्म पानी में अच्छे से भिगोकर निचोड़ लें। फिर उस कपड़े से प्रभावित कान पर 10-15 मिनट तक सेक लगाएं। 
  • सिरका का घोल: वाइट विनेगर या सफेद सिरका और पानी को बराबर मात्रा लें और उसका एक घोल बनाएं और दिन 2-3 बार 2-3 बूंद कान में डालें। सिरके में एसिटिक एसिड होता है, जिससे कान की मैल आसानी से साफ हो जाती है। 
  • लहसुन का तेल: लहसुन कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। लहसुन को हल्का गर्म करें और उसे कान में डालें। इससे बहुत लाभ मिलेगा। 

यह कुछ उपाय हैं, लेकिन बिना डॉक्टरी सलाह के इन उपायों का पालन न करें। हालांकि कुछ और उपाय है जिनका पालन आप सभी कर सकते हैं जैसे - 

  • स्विमिंग के दौरान इयरप्लग लगाएं। 
  • अपने कानों में रुई न डालें।
  • अपने कानों को खरोंचने से बचें।

कान में फंगल इन्फेक्शन से कैसे बचें

कान में फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए आप निम्न निर्देशों का पालन कर सकते हैं जैसे - 

  • कानों को बार-बार न छुएं: इलाज के दौरान तो कानों को बिल्कुल भी नहीं छूना चाहिए और सामान्य तौर पर भी कान को गंदे हाथों से छूने से बचें, क्योंकि इससे फंगल संक्रमण हो सकता है। 
  • कान की सफाई: कान की सफाई करते समय, केवल बाहरी कान को साफ करें। कान के पर्दे की तरफ अधिक न जाएं, क्योंकि इससे वह फट भी सकता है। 
  • कॉटन बड्स के प्रयोग से बचें: कॉटन बड्स से कान के अंदर की सफाई करने से बचें, क्योंकि इससे कान के अंदरूनी भाग को नुकसान हो सकता है। जिन्हें वर्तमान में ही कोई कान की समस्या है, वह इसका प्रयोग तो बिल्कुल भी न करें। 
  • हियरिंग एड्स की देखभाल करें: यदि आप हियरिंग एड्स का प्रयोग करते हैं, तो निर्देशों का पालन सही से करें और उन्हें नियमित रूप से साफ करें। 

इन सबके अतिरिक्त पेशेंट को अपने शरीर के कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की सलाह दी जाती है। संतुलित आहार, पर्याप्त नहीं और तनाव आपकी इसमें मदद कर सकते हैं। 

निष्कर्ष

माना कि कान में फंगल इन्फेक्शन एक आम समस्या है, लेकिन इस स्थिति का समय पर इलाज बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। इस ब्लॉग की मदद से आपको कई चीजों को समझने में मदद मिली होगी। यदि आपको भी फंगल संक्रमण और कान से संबंधित अन्य समस्या के लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत कोलकाता में ओटोलरींगोलॉजिस्ट से परामर्श करें। 

कान में फंगल इन्फेक्शन से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

कान में फंगल इन्फेक्शन होने पर क्या होता है?

कान में फंगल इन्फेक्शन होने से कान में समस्या से संबंधित कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं जैसे - खुजली, कान में दर्द, सूजन, कान लाल होना इत्यादि। कुछ मामलों में कान की सुनने की क्षमता कम होने लगती है। 

बार-बार होने वाले कान में फंगल इन्फेक्शन का क्या कारण है?

इसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन कान में फंगल इन्फेक्शन का मुख्य कारण खराब स्वच्छता, नमी और गर्म जलवायु है। 

कान में इन्फेक्शन की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

कान में इन्फेक्शन के लिए कई दवाओं का सुझाव दिया जाता है जैसे ओवर-द-काउंटर एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल, अन्य) या इबुप्रोफेन (एडविल, आईबी, अन्य)। दवा के लिए परामर्श ज़रूर लें और प्रिस्क्रिप्शन के बाद ही दवा खाएं। 

कान का फंगल इन्फेक्शन कितने दिन में ठीक होता है?

कान के फंगल इन्फेक्शन को ठीक होने में 4 घंटे से लेकर कुछ दिन लग सकते हैं। एंटीबायोटिक खाने से आराम तो जल्दी मिल जाता है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

Written and Verified by:

Dr. Dhiraj Ranjan Sarkar

Dr. Dhiraj Ranjan Sarkar

Consultant - ENT Surgeon Exp: 18 Yr

ENT- Otolaryngology

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