बच्चों को कई समस्याएं परेशान करती हैं, जिसमें से टॉन्सिलाइटिस (Tonsillitis) एक आम समस्या है। बच्चों में टॉन्सिलाइटिस की स्थिति में टॉन्सिल में सूजन आ जाती है। गले के पीछे दो अंडाकार आकार के ऊतक होते हैं, जिसे टॉन्सिल कहा जाता है।
इस सूजन के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि - वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण। इस समस्या के कारण बच्चों को खाने और सोने में तो समस्या होती ही है, इसके साथ-साथ उनके समग्र स्वास्थ्य में भी बहुत सारी समस्याएं देखने को मिलती है। चलिए इस ब्लॉग की मदद से बच्चों में टॉन्सिलाइटिस के लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं, जिससे सभी माता-पिता अपने बच्चों का ख्याल अच्छे से रख पाएंगे। इसके अतिरिक्त इस संबंध में किसी भी प्रकार की समस्या के इलाज के लिए हम आपको सलाह देंगे कि आप अनुभवी टॉन्सिलेक्टॉमी विशेषज्ञों से सलाह ज़रूर लें।
टॉन्सिल हमारे सभी के लिए एक रक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। यह हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खासतौर पर बच्चों में संक्रमण बहुत ज्यादा और जल्दी फैलता है, इसलिए बच्चों में टॉन्सिल कीटाणुओं को शरीर तक जाने से रोकता है, जिससे वह पूरे शरीर तक नहीं फैल पाता है। हालांकि यह अंग स्वयं संक्रमित हो सकता है, जिसे टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है।
बच्चों में टॉन्सिलाइटिस होने के पीछे का मुख्य कारण वायरस या बैक्टीरिया है। अलग-अलग वायरस और संक्रमण इस रोग के मुख्य कारण है।
बच्चों में टॉन्सिलाइटिस के लक्षण अलग-अलग होते हैं। हालांकि बच्चों में कुछ लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि -
माता-पिता टॉन्सिल पर सफेद या पीले धब्बे भी देख सकते हैं, जो कभी-कभी माता-पिता को डरा भी सकते हैं।
क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस के मामलों में, बच्चों को बार-बार संक्रमण का अनुभव होता है, जो लगातार लक्षण पैदा कर सकता है, जिससे उनके समग्र स्वास्थ्य को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके कारण उनका दैनिक जीवन भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है।
टॉन्सिलाइटिस को अन्य गले के संक्रमणों से अलग करना महत्वपूर्ण के साथ-साथ मुश्किल भी हो सकता है। एक साधारण गले में खराश के विपरीत, टॉन्सिलाइटिस में टॉन्सिल में अधिक गंभीर दर्द होता है और अक्सर बुखार भी होता है। डॉक्टर से परामर्श करने से स्थिति का सही निदान करने में भी बहुत मदद मिलती है, जिसके बाद टॉन्सिल का सही इलाज मिल सकता है।
टॉन्सिलाइटिस का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है। जीवाणु संक्रमण के कारण होने वाले टॉन्सिल का इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है। वायरल टॉन्सिलाइटिस में एंटीबायोटिक दवाएं कारगर साबित नहीं होती है। इस स्थिति में आराम और कुछ टिप्स टॉन्सिलाइटिस की स्थिति में आपको आराम दिला सकते हैं जैसे कि -
इनके अलावा, माता-पिता टॉन्सिल में दर्द को नियंत्रित करने के लिए ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक (जैसे एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन) का भी उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा सबसे अच्छा होता है। ऐसा करने से माता-पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल कर पाएंगे।
टॉन्सिलाइटिस के संक्रमण के दौरान, टॉन्सिल्स का घरेलू इलाज आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। क्या खाएं और क्या न खाएं घरेलू उपाय का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। बच्चों को नरम, आसानी से निगलने वाले खाने का सेवन करना चाहिए।
टॉन्सिल में परहेज बहुत ज़रूरी है, इसलिए बच्चों को गर्म शोरबा, स्मूदी, मसले हुए फल और दही दें। इससे अतिरिक्त असुविधा पैदा किए बिना बच्चों को अच्छा पोषण मिलता है। प्रयास करें कि बच्चों को चिप्स, कुरकुरे और दूसरे मसालेदार एवं बाहर के भोजन से दूर रखें। इससे गले का टोन्सिल इन्फेक्शन और भी ज्यादा फैल सकता है।
टॉन्सिलाइटिस के हल्के मामलों में घरेलू उपचार और आराम से अक्सर राहत मिलती है, लेकिन अगर लक्षण बने रहते हैं, बिगड़ते हैं या बच्चे को सांस लेने या निगलने में कठिनाई होती है, तो डॉक्टर से मदद लेना बहुत जरूरी है। क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस के लिए भी डॉक्टर से मदद की जरूरत पड़ती है और गंभीर मामलों में, डॉक्टर टॉन्सिल्लेक्टोमी (टॉन्सिल को निकालने का ऑपरेशन) की सलाह भी दे सकते हैं। गंभीर मामलों में ही डॉक्टर टॉन्सिल्लेक्टोमी करते हैं।
संक्षेप में कहा जाए तो बच्चों में टॉन्सिलाइटिस आम है और आमतौर पर समय पर उपचार और देखभाल से इसका प्रबंधन किया जा सकता है। इसके लक्षणों, कारणों और प्रभावी घरेलू उपचारों को समझने से माता-पिता को आराम देने और अपने बच्चे के लिए जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
टॉन्सिलाइटिस के प्राथमिक कारण वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण है। सामान्य सर्दी के वायरस जैसे वायरस और स्ट्रेप्टोकोकस जैसे बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस का कारण बन सकते हैं, खासकर बच्चों में कीटाणुओं के संपर्क में आने के कारण।
टॉन्सिलाइटिस में अक्सर गले में खराश, सूजन और दर्दनाक टॉन्सिल, बुखार और कभी-कभी टॉन्सिल पर सफेद या पीले धब्बे होते हैं। गले के अन्य संक्रमणों के कारण टॉन्सिल में इतनी सूजन या धब्बे नहीं दिखते।
टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित बच्चों को सूप, मसले हुए आलू और दही जैसे नरम, सुखदायक खाद्य पदार्थों पर केंद्रित आहार लेना चाहिए। स्मूदी जैसी ठंडी चीजें भी गले की तकलीफ को कम करने में मदद कर सकती हैं।
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