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इओसिनोफिलिया क्या है? – कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

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इओसिनोफिलिया क्या है? – कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

ENT- Otolaryngology | by Dr. N V K Mohan | Published on 08/06/2024



मनुष्य के शरीर में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाओं (White blood cells/वाइट ब्लड सेल्स) को इओसिनोफिल्स (eosinophils) कहा जाता है। जब शरीर में इओसिनोफिल्स नामक कोशिकाओं की संख्या अधिक हो जाती है, तो उस स्थिति को इओसिनोफिलिया कहा जाता है। रक्त में वाइट ब्लड सेल्स की संख्या एक माइक्रोलिटर में 500 से अधिक होने पर इओसिनोफिलिया की समस्या होती है। 

चलिए इस ब्लॉग की मदद से इओसिनोफिलिया के संबंध में वह सारी जानकारी प्राप्त करते हैं, जिससे आपको इस रोग को अच्छे से समझने में मदद मिलेगी। 

इओसिनोफिलिया क्या है?

हमारे शरीर में इओसिनोफिल कोशिका का निर्माण बोन मेरो में होता है और इस निर्माण के लिए 8 दिन का समय लगता है। इओसिनोफिलिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें खून में इओसिनोफिल नामक कोशिकाओं की संख्या बहुत अधिक हो जाती है। इसके कारण एलर्जी या संक्रमण की समस्या होती है। कई मामलों में इओसिनोफिलिया की समस्या किसी दवाओं या अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकती है।

इओसिनोफिलिया के मरीजों में फेफड़ों, दिल, रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels), साइनस, गुर्दे और मस्तिष्क का भाग प्रभावित होता है। यही कारण है कि इस स्थिति का इलाज बहुत ज्यादा अनिवार्य है। 

इओसिनोफिलिया के कारण

रक्त में इओसिनोफिल्स की संख्या बढ़ने के कई कारण (eosinophilia causes) हो सकते हैं। निम्नलिखित कारणों की वजह से इओसिनोफिलिया की समस्या एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है - 

  • एलर्जी: कुछ प्रकार के एलर्जी के कारण अस्थमा, हे फीवर (एलर्जिक राइनाइटिस), एक्जिमा रक्त में इओसिनोफिल बढ़ा सकते हैं।
  • संक्रमण: बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण शरीर में इओसिनोफिल को सक्रिय कर देते हैं और रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाएं बढ़ जाती है।
  • कैंसर: कुछ प्रकार के कैंसर जैसे ल्यूकेमिया, लिम्फोमा, मेलानिया भी रक्त में इओसिनोफिल की मात्रा बढ़ा सकते हैं।
  • दमा: दमा की शिकायत वाले लोगों में इओसिनोफिलिया की समस्या अधिक देखी जाती है। 
  • त्वचा रोग: एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा की समस्याएं भी इओसिनोफिलिया का मुख्य कारण साबित हो सकती हैं। 
  • ऑटोइम्यून डिजीज: रूमेटॉयड अर्थराइटिस और ल्यूपस जैसी स्वास्थ्य समस्या रक्त में इओसिनोफिल बढ़ा सकते हैं।
  • बोन मैरो का रोग: इससे संबंधित कुछ रोग हैं जैसे मयेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम और ल्यूकेमिया जिसके कारण असामान्य रूप से इओसिनोफिल की मात्रा में वृद्धि होती है। 

इन सबके अतिरिक्त कुछ और भी कारण है जैसे हेलमाइंथिक पैरासाइट संक्रमण या किसी दूसरी दवा का साइड इफेक्ट। 

इओसिनोफिलिया के लक्षण

 कई मामलों में देखा गया है कि रोगी को कोई भी लक्षण नहीं दिखते हैं। यदि लक्षण दिखते भी हैं, तो वह भी कारणों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। अधिकतर मामले में इओसिनोफिलिया के लक्षण हल्के ही होते हैं और दिखते भी नहीं हैं। निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव रोगी कर सकते हैं - 

  • त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते और सूजन 
  • सांस लेने में तकलीफ, घबराहट या दमा
  • पेट दर्द, दस्त और मतली
  • अचानक वजन कम होना, रात को पसीना आना, थकान, लिम्फ नोड्स में सूजन और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं।

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं, जो विभिन्न कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं - 

  • दवा से एलर्जी
  • संक्रमण के कारण पेट दर्द, दस्त और बुखार

लक्षण दिखने पर तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ से मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर बात करें या हमसे संपर्क करें।

इओसिनोफिलिया का निदान और इलाज

आमतौर पर इओसिनोफिलिया की जांच के लिए ब्लड टेस्ट का सुझाव दिया जाता है। हालांकि कुछ और टेस्ट है, जिससे स्थिति का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है जैसे - 

  • एलर्जी टेस्ट
  • छाती का एक्स-रे (फेफड़ों की जांच)
  • ऊतक का बायोप्सी
  • स्टूल टेस्ट

इन टेस्ट के परिणाम के आधार पर ही इलाज की योजना बन पाती है। चलिए समझते हैं कि इओसिनोफिलिया का इलाज कैसे होता है। 

इओसिनोफिलिया का इलाज कई तरह से किया जाता है। आमतौर पर इस स्थिति का इलाज कई कारणों पर निर्भर करता है। जैसे - दवा के कारण होने वाले इओसिनोफिलिया के इलाज के लिए उन दवाओं को बंद किया जा सकता है और जीवनशैली में कुछ आवश्यक बदलाव भी किए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरे मामलों में कुछ दवाओं को प्रिस्क्राइब किया जाता है। इन दवाओं की मदद से कई समस्याओं से राहत मिल जाती है। 

इलाज में वही दवाएं दी जाती हैं, जिन्हें फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) प्रमाणित करता है। लेकिन हर व्यक्ति को सलाह दी जाती है कि वह बिना प्रिस्क्रिप्शन के इन दवाओं का सेवन न करें। 

इओसिनोफिलिया से बचाव

इओसिनोफिलिया की स्थिति में बचाव एक ऐसा शस्त्र है, जिसकी मदद से इस समस्या को कोसों दूर किया जा सकता है। निम्नलिखित निर्देशों के पालन से इओसिनोफिलिया से बचाव संभव है -

  • एलर्जी वाले पदार्थों से दूरी बनाएं।
  • समय-समय पर हाथ पैर धोते रहें।
  • अपने आस-पास साफ सफाई का खास ख्याल रखें।
  • बदलते मौसम में खानपान का ख्याल रखें।
  • फल और सब्जियों को अच्छे से धो लें।

निष्कर्ष

सामान्यतः श्वेत रक्त कोशिकाओं का काम शरीर की रक्षा करना है, लेकिन जब उनकी मात्रा बढ़ जाती है, तो बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याएं एक व्यक्ति को परेशान करती हैं और इओसिनोफिलिया की समस्या हो जाती है। यदि आप स्वयं में इओसिनोफिलिया के लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत हमसे परामर्श लें और इलाज कराएं। 

इओसिनोफिलिया से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


इओसिनोफिलिया में आप क्या खा सकते हैं?

इओसिनोफिलिया की स्थिति में आप निम्न खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं - 

  • फल और सब्जियां
  • ओमेगा -3 फैटी एसिड
  • हल्दी
  • अदरक
  • पानी

आपको क्या नहीं खाना चाहिए?

इओसिनोफिलिया की स्थिति में निम्न खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं - 

  • प्रोसेस्ड या डिब्बाबंद फूड
  • रेड मीट
  • तला हुआ भोजन
  • शर्करा युक्त पेय पदार्थ

इओसिनोफिलिया की स्थिति में आहार विशेषज्ञ से डाइट चार्ट लें और उसे फॉलो करें। 

इओसिनोफिलिया क्या है?

इओसिनोफिलिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रक्त में इओसिनोफिल नामक श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या शरीर में अपने सामान्य स्तर से अधिक हो जाती है। इसके कारण रोगी को बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

इओसिनोफिलिया का सामान्य काउंट कितना होता है?

वयस्कों और बच्चों में इओसिनोफिलिया काउंट अलग-अलग होता है। 

  • वयस्कों में प्रति माइक्रोलिटर (एमसीएल) 150-500 कोशिकाएं सामान्य होती हैं। 
  • बच्चों के लिए में प्रति माइक्रोलिटर (एमसीएल) 150-700 कोशिकाएं सामान्य होती हैं। 

इओसिनोफिलिया कितने प्रकार के होते हैं?

इओसिनोफिलिया निम्नलिखित प्रकार के होते हैं - 

  • एलर्जिक इओसिनोफिलिया: यह सबसे आम प्रकार का इओसिनोफिलिया है, जिसका मुख्य कारण एलर्जी, अस्थमा और एक्जिमा होते हैं। 
  • पैरासिटिक इओसिनोफिलिया: इस प्रकार के इओसिनोफिलिया के पीछे का कारण बैक्टीरियल संक्रमण है। 
  • इडियोपैथिक इओसिनोफिलिया: यह अज्ञात कारणों से एक व्यक्ति को परेशान करता है। 
  • सेकेंडरी इओसिनोफिलिया: इस प्रकार के इओसिनोफिलिया के पीछे का कारण दवाएं, संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्या है।