मनुष्य के शरीर में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाओं (White blood cells/वाइट ब्लड सेल्स) को इओसिनोफिल्स (eosinophils) कहा जाता है। जब शरीर में इओसिनोफिल्स नामक कोशिकाओं की संख्या अधिक हो जाती है, तो उस स्थिति को इओसिनोफिलिया कहा जाता है। रक्त में वाइट ब्लड सेल्स की संख्या एक माइक्रोलिटर में 500 से अधिक होने पर इओसिनोफिलिया की समस्या होती है।
मनुष्य के शरीर में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाओं (White blood cells/वाइट ब्लड सेल्स) को इओसिनोफिल्स (eosinophils) कहा जाता है। जब शरीर में इओसिनोफिल्स नामक कोशिकाओं की संख्या अधिक हो जाती है, तो उस स्थिति को इओसिनोफिलिया कहा जाता है। रक्त में वाइट ब्लड सेल्स की संख्या एक माइक्रोलिटर में 500 से अधिक होने पर इओसिनोफिलिया की समस्या होती है।
चलिए इस ब्लॉग की मदद से इओसिनोफिलिया के संबंध में वह सारी जानकारी प्राप्त करते हैं, जिससे आपको इस रोग को अच्छे से समझने में मदद मिलेगी।
हमारे शरीर में इओसिनोफिल कोशिका का निर्माण बोन मेरो में होता है और इस निर्माण के लिए 8 दिन का समय लगता है। इओसिनोफिलिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें खून में इओसिनोफिल नामक कोशिकाओं की संख्या बहुत अधिक हो जाती है। इसके कारण एलर्जी या संक्रमण की समस्या होती है। कई मामलों में इओसिनोफिलिया की समस्या किसी दवाओं या अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकती है।
इओसिनोफिलिया के मरीजों में फेफड़ों, दिल, रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels), साइनस, गुर्दे और मस्तिष्क का भाग प्रभावित होता है। यही कारण है कि इस स्थिति का इलाज बहुत ज्यादा अनिवार्य है।
रक्त में इओसिनोफिल्स की संख्या बढ़ने के कई कारण (eosinophilia causes) हो सकते हैं। निम्नलिखित कारणों की वजह से इओसिनोफिलिया की समस्या एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है -
इन सबके अतिरिक्त कुछ और भी कारण है जैसे हेलमाइंथिक पैरासाइट संक्रमण या किसी दूसरी दवा का साइड इफेक्ट।
कई मामलों में देखा गया है कि रोगी को कोई भी लक्षण नहीं दिखते हैं। यदि लक्षण दिखते भी हैं, तो वह भी कारणों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। अधिकतर मामले में इओसिनोफिलिया के लक्षण हल्के ही होते हैं और दिखते भी नहीं हैं। निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव रोगी कर सकते हैं -
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं, जो विभिन्न कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं -
लक्षण दिखने पर तुरंत ईएनटी विशेषज्ञ से मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर बात करें या हमसे संपर्क करें।
आमतौर पर इओसिनोफिलिया की जांच के लिए ब्लड टेस्ट का सुझाव दिया जाता है। हालांकि कुछ और टेस्ट है, जिससे स्थिति का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है जैसे -
इन टेस्ट के परिणाम के आधार पर ही इलाज की योजना बन पाती है। चलिए समझते हैं कि इओसिनोफिलिया का इलाज कैसे होता है।
इओसिनोफिलिया का इलाज कई तरह से किया जाता है। आमतौर पर इस स्थिति का इलाज कई कारणों पर निर्भर करता है। जैसे - दवा के कारण होने वाले इओसिनोफिलिया के इलाज के लिए उन दवाओं को बंद किया जा सकता है और जीवनशैली में कुछ आवश्यक बदलाव भी किए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरे मामलों में कुछ दवाओं को प्रिस्क्राइब किया जाता है। इन दवाओं की मदद से कई समस्याओं से राहत मिल जाती है।
इलाज में वही दवाएं दी जाती हैं, जिन्हें फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) प्रमाणित करता है। लेकिन हर व्यक्ति को सलाह दी जाती है कि वह बिना प्रिस्क्रिप्शन के इन दवाओं का सेवन न करें।
इओसिनोफिलिया की स्थिति में बचाव एक ऐसा शस्त्र है, जिसकी मदद से इस समस्या को कोसों दूर किया जा सकता है। निम्नलिखित निर्देशों के पालन से इओसिनोफिलिया से बचाव संभव है -
सामान्यतः श्वेत रक्त कोशिकाओं का काम शरीर की रक्षा करना है, लेकिन जब उनकी मात्रा बढ़ जाती है, तो बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याएं एक व्यक्ति को परेशान करती हैं और इओसिनोफिलिया की समस्या हो जाती है। यदि आप स्वयं में इओसिनोफिलिया के लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत हमसे परामर्श लें और इलाज कराएं।
इओसिनोफिलिया की स्थिति में आप निम्न खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं -
इओसिनोफिलिया की स्थिति में निम्न खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं -
इओसिनोफिलिया की स्थिति में आहार विशेषज्ञ से डाइट चार्ट लें और उसे फॉलो करें।
इओसिनोफिलिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रक्त में इओसिनोफिल नामक श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या शरीर में अपने सामान्य स्तर से अधिक हो जाती है। इसके कारण रोगी को बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
वयस्कों और बच्चों में इओसिनोफिलिया काउंट अलग-अलग होता है।
इओसिनोफिलिया निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
Written and Verified by:
Consultant - Otologist, ENT and Cochlear Implant Surgeon Exp: 25 Yr
ENT
Dr. Mohan has over 25 years of experience in ENT practice. Previously he worked as an assistant professor ENT at Kamineni Institute of Medical Sciences of Narketpally & SVS Medical College, Mahboob Nagar. Dr. Mohan has worked in Tertiary Referral Hospital in UK for 4 years
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