इस, HMPV वायरस शब्द को पहली बार 2001 में सुना गया था। हम यह कह सकते हैं कि दशकों से यह वायरस लोगों में फैल रहा है। यह वायरस इन्फ्लूएंजा वायरस की फैमिली से संबंधित है। यह दोनों वायरस इतने मिलते जुलते हैं कि दोनों की संरचना और उत्पन्न होने वाले लक्षण एक जैसे ही होते हैं।
यह वायरस मुख्य रूप से व्यक्ति के सांस लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। वैसे तो यह वायरस हर व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है।
एक डॉक्टर के तौर पर, मैंने कई संक्रामक रोगों का प्रभाव देखा है और उनका इलाज भी किया है। ऐसा ही एक सांस संबंधित वायरस भारत आ गया है, जिस पर आपका ध्यान ज़रूर जाना चाहिए और वह है ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV)। हालांकि यह इन्फ्लूएंजा या RSV (रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस) जितना खतरनाक नहीं है, लेकिन यह एक वर्ग के लोगों को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकता है।
चलिए HMPV के बारे वह सब समझने या जानने का प्रयास करते हैं, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए जैसे कि लक्षण, रोकथाम और संभावित इलाज के विकल्प। इस ब्लॉग में मैं आपको वही तथ्य बताउंगा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा प्रमाणित है। यदि आपको सांस संबंधित समस्या किसी भी लक्षण का अनुभव होता है, तो बिना झिझक के आप पल्मोनोलॉजिस्ट से संपर्क कर इलाज प्राप्त कर सकते हैं।
इस, HMPV वायरस शब्द को पहली बार 2001 में सुना गया था। हम यह कह सकते हैं कि दशकों से यह वायरस लोगों में फैल रहा है। यह वायरस इन्फ्लूएंजा वायरस की फैमिली से संबंधित है। यह दोनों वायरस इतने मिलते जुलते हैं कि दोनों की संरचना और उत्पन्न होने वाले लक्षण एक जैसे ही होते हैं।
यह वायरस मुख्य रूप से व्यक्ति के सांस लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। वैसे तो यह वायरस हर व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है।
एचएमपीवी (HMPV) के लक्षण, हल्के से गंभीर हो सकते हैं और कई बार इसके लक्षण अन्य सांस संबंधित संक्रमण जैसे ही होते हैं, जिसकी वजह से इसे पहचानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। एचएमपीवी में उत्पन्न होने वाले सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं -
जिन लोगों का शरीर पहले से ही कमजोर है, वह कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से अधिक परेशान हो सकते हैं जैसे कि - एचएमपीवी ब्रोंकोलाइटिस, निमोनिया या अस्थमा या सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज)।
इस वायरस के फैलने का कारण है संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर यह वायरस सांस की बूंदों के माध्यम से फैलता है। इसके साथ-साथ यह वायरस संक्रमित सतह को छूने और फिर इसके साथ-साथ नाक, मुंह या आंखों को छूने से भी फैल सकता है।
यह वायरस बहुत ज्यादा संक्रामक है और हम इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यह अलग-अलग सतह पर कई घंटों तक जीवित रहता है। यही कारण है कि इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उचित स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
HMPV की समस्या होने के पीछे का कारण मानव मेटान्यूमोवायरस है। हालांकि कुछ लोग इस रोग के जोखिम के दायरे में आते हैं जैसे कि -
एचएमपीवी वायरस की जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ बिंदुओं पर खास ध्यान रखने की सलाह दी है। चलिए समझते हैं कि एचएमपीवी की जांच कैसे की जाती है -
हम और हमारे सभी हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे आपके स्वास्थ्य को अच्छा खासा नुकसान पहुंच सकता है। लक्षण दिखने पर तुरंत एक अनुभवी डॉक्टर से मिलें।
वर्तमान में एचएमपीवी के इलाज के लिए विशिष्ट एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि आप इस स्थिति का प्रबंधन करने से लक्षणों से राहत मिल सकती है। एचएमपीवी संभावित उपचार इस प्रकार हैं -
एचएमपीवी को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आवश्यक कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसको हम भी प्रमाणित करते हैं। निम्नलिखित उपायों से एचएमपीवी की रोकथाम संभव है -
इस वायरस के लिए कोई विशेष टीका उपलब्ध नहीं है, जिसके ऊपर रिसर्च अभी भी चल रही है। यदि आपके बच्चों में लक्षण गंभीर हो रहे हैं, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से मिलें और इलाज लें। इसके अतिरिक्त बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के मामले में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
HMPV के संबंध में पूर्ण जानकारी और जागरूकता बहुत ज़रूरी है। इस जानकारी की मदद से ही आप अपना और अपने परिवार का ख्याल अच्छे से रख पाएंगे। इसके अतिरिक्त यदि आप ऊपर बताए गए लक्षणों का सामना कर रहे हैं, तो बिना देर किए हमसे मिलें और इलाज लें। त्वरित इलाज आपका या आपके परिवार के स्वास्थ्य रख सकता है।
छोटे बच्चे, बुजुर्ग वयस्क और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या अन्य स्वास्थ्य समस्या वाले व्यक्ति HMPV के गंभीर संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।
HMPV की जांच के लिए पीसीआर (पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन) या वायरल कल्चर जैसे लैब टेस्ट किए जाते हैं। यह टेस्ट भी कोविड की जांच जैसे ही होता है।
आम तौर पर HMPV सर्दियों या वसंत के शुरुआती मौसम में परेशान करता है। इस दौरान अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।
हां, HMPV से फिर से संक्रमण संभव है, क्योंकि इसके कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। यदि प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत नहीं किया जाता है, तो जो लोग जोखिम के दायरे में आते हैं, उन्हें अधिक सक्रिय रहने की आवश्यकता होती है।
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Dr. Raja Dhar has joined as Director & HOD, Department of Pulmonology at The Calcutta Medical Research Institute. Dr Dhar brings with himself more than 27 years of experience in Pulmonology, Critical Medical Management and Interventional Pulmonology. Dr. Dhar is proficient in all disciplines of Respiratory Medicine including airways disease, pulmonary fibrosis, pulmonary hypertension, transplant, lung cancer, sleep medicine, lung infections including TB, and respiratory emergencies. His special interest lies in Interventional Pulmonology including electrocautery, APC, cryotherapy, stent placements and Medical Thoracoscopy. He is passionate about teaching and is an avid researcher and academician.
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