दिवाली में सांस की सुरक्षा: अस्थमा और COPD मरीजों के लिए टिप्स
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दिवाली में सांस की सुरक्षा: अस्थमा और COPD मरीजों के लिए टिप्स

Pulmonology | by Dr. Raja Dhar on 13/10/2025

Summary

दिवाली पर अस्थमा और COPD मरीजों के लिए वायु प्रदूषण, पटाखों के धुएं और एलर्जी के खतरे से बचना जरूरी है। सही दवाएं, मास्क, खानपान व इमरजेंसी तैयारी अपनाकर सुरक्षित त्योहार मनाया जा सकता है।

क्या आप इस दिवाली पर सांस फूलने, COPD या अस्थमा जैसी बीमारियों को लेकर चिंतित है? त्योहार की चमक के बीच अपनी और अपने परिवार की सेहत को प्राथमिकता देना सबसे समझदारी का कदम है। समय पर सावधानी बरतकर आप गंभीर जोखिम घटा सकते हैं। अपने दवाइयों का सही समय पर सेवन रखें, प्रदूषण और पटाखों से होने वाले धुएं से बचने के लिए इनडोर सुरक्षित स्थान बनाएं, और डॉक्टर से सलाह लेकर आपातकालीन प्लान तैयार रखें। 

इस ब्लॉग में दिए व्यावहारिक और सरल उपाय अपनाकर आप गंभीर स्थितियों को टाल सकते हैं और बिना अतिरिक्त धन खर्चे और आसान एवं प्रभावी उपायों का पालन कर एक निस्वार्थ, खुशहाल और सुरक्षित दिवाली मना सकते हैं। इसके अतिरिक्त सांस की समस्या अधिक महसूस होने पर कोई भी घरेलू उपाय काम नहीं आते हैं, जिस स्थिति में आपको हमारे अनुभवी विशेषज्ञों से भी मिलकर इलाज ले सकते हैं।

अस्थमा और COPD क्या है?

अस्थमा (Asthma) और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD/सीओपीडी) दोनों ही सांस लेने में समस्या पैदा करने वाली बीमारियां हैं, जिनका संबंध सीधे फेफड़ों और श्वास नली से है।

अस्थमा

  • यह साँस की बीमारी है, जिसमें फेफड़ों की वायु मार्ग में सूजन, संकुचन और एलर्जी के कारण बार-बार सांस लेने में कठिनाई होती है।
  • खांसी, घरघराहट, छाती में जकड़न और सांस फूलना अस्थमा एलर्जी के मुख्य लक्षण है।

सीओपीडी (COPD)

यह एक गंभीर समस्या है और ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरी दुनिया में अस्थमा के 30 करोड़ से ज्यादा मरीज हैं और भारत में अनुमानित 7.9% आबादी किसी न किसी रूप में सांस की समस्या से जूझ रही है। COPD भारत में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।

यह एक फेफड़ों की क्रोनिक बीमारी है, जिसमें वायु मार्ग अवरुद्ध हो जाता है, जिससे सांस फूलने की बीमारी का खतरा रहता है, जो कुछ मामलों में मृत्यु का भी कारण बनती है। लगातार खांसी, बलगम, सांस लेने में दिक्कत और थकावट सीओपीडी के मुख्य लक्षण है।

दिवाली के समय प्रदूषण और फायरवर्क का असर

त्योहारों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में अचानक बढ़ोतरी देखी जाती है। पटाखों और आतिशबाजी से निकलने वाला धुआं और सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण में भारी इजाफा करते हैं। दिवाली की रात के समय कई क्षेत्रों में एक्यूआई रीडिंग लगभग 200 ("खराब") से 300 ("बहुत खराब") के ऊपर तक पहुंच सकती हैं। उदाहरण के लिए, दिवाली की रात बालीगंज में औसत एक्यूआई 500 ("गंभीर") के शिखर होता है, बिधाननगर में 309 ("बहुत खराब"), रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में 333 ("बहुत खराब") और जादवपुर में मध्यरात्रि के आसपास 262 ("खराब") दर्ज किया जाता है। यदि आपने सही कदम नहीं उठाए, तो आप अस्थमा और COPD के एक कदम नजदीक चले जाएंगे।

प्रदूषण जानलेवा कब बनता है?

प्रदूषण निम्न परिस्थितियों में बहुत ज्यादा जानलेवा हो जाती है - 

  • PM2.5 और PM10 कण, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और कार्बन मोनोऑक्साइड फेफड़ों के लिए हानिकारक है।
  • फायरवर्क के जलने से एलर्जन, धूल, रसायन और जहरीले गैस वातावरण में तैरने लगते हैं, तो यह प्रदूषण जानलेवा साबित हो सकते हैं।
  • सीओपीडी और अस्थमा के मरीजों में वायु प्रदूषण लक्षणों को अचानक ट्रिगर कर सकता है। सांस फूलना, खांसी, घरघराहट, सीने में कसाव इस स्थिति के मुख्य लक्षण है।

दिवाली के आसपास की हवा बहुत जहरीली हो जाती है। ऐसे में जिनको अस्थमा और सांस की दिक्कत है वह अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें, मास्क पहनें और इनहेलर पास रखें।

सांस की सुरक्षा के लिए जरूरी उपाय

सांस की सुरक्षा के लिए आप निम्न प्रभावी एवं सरल उपायों का पालन कर सकते हैं - 

  • बाहर जाने से बचें – त्योहार के दौरान घर के अंदर ही रहें। धुएं और प्रदूषण के संपर्क में आने से बचने के लिए जितना हो सके घर के अंदर रहें। जरूरी काम हो तभी मास्क पहनकर जाएं, खासकर शाम के वक्त जब आग और पटाखे अधिक जलाए जाते हैं।
  • सही मास्क का इस्तेमाल: बाहर जाते समय N95 या N99 मास्क पहनना आपके फेफड़ों को PM2.5 जैसे खतरनाक कणों से बचाता है। अगर सांस लेने में मास्क से दिक्कत होती है तो एक्सहेलेशन वाल्व वाले मास्क ऑप्शन चुन सकते हैं।
  • घर के अंदर की हवा का ख्याल रखें: खिड़की-दरवाजे बंद रखें जब बाहर ज्यादा प्रदूषण हो। घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें, खासकर ऐसे कमरे में जहां COPD या अस्थमा मरीज रहते हैं। सफाई के समय धूल से बचें। जरूरत हो तो दूसरों से मदद लें या मास्क और ग्लव्स पहने।
  • इनहेलर, दवाएं और जरूरी तैयारी: दवाइयों का नियमित सेवन जारी रखें और कभी भी दवा का डोज मिस न करें! इनहेलर और रेस्क्यू मेडिसिन हमेशा अपने साथ रखें। आपातकालीन कॉन्टैक्ट नंबर और अस्पताल की जानकारी तैयार रखें।
  • खानपान और जीवनशैली: हाइड्रेटेड रहें और खूब पानी पिएं, खासकर त्योहारों पर नमकीन, तली हुई चीजों और मिठाइयों से बचें। ताजे फल, हरी सब्जियां, एंटीऑक्सीडेंट आहार लें क्योंकि यह फेफड़ों के लिए एक रक्षा कवच की तरह साबित होती हैं। चाय, हर्बल ड्रिंक्स या अदरक-हल्दी वाले पेय भी रेस्पिरेटरी हेल्थ को बेहतर बनाते हैं।
  • ब्रीदिंग एक्सरसाइज, योग और मेडिटेशन: पर्स्ड-लिप ब्रीदिंग और डायाफ्रामिक एक्सरसाइज से लक्षण नियंत्रण में मदद मिलती है। हल्का योग, अनुलोम-विलोम और मेडिटेशन का सहारा लें, क्योंकि इससे तनाव कम होगा और सांस लेने के पैटर्न में सुधार आएगा।

इमरजेंसी स्थिति में कब डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए?

यदि आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को निम्न लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें - 

  • अचानक सांस फूलना या लगातार सांस की समस्या होना
  • इनहेलर और दवाओं के बाद भी आराम न मिलना
  • होंठ, चेहरा या हाथ-पैर नीले पड़ना या छाती में लगातार दर्द होना
  • बोलने या चलने में अचानक कठिनाई, ब्लड प्रेशर गिरना या चेतना कम होना

घर पर ही रुकने की भूल न करें। जल्द से जल्द विशेषज्ञ से परामर्श लें।

दिवाली के लिए सुरक्षित व्यवहार और जीवनशैली टिप्स

दिवाली पर खुद को सुरक्षित रखने के लिए आप निम्न सुरक्षित व्यवहार और जीवनशैली टिप्स का पालन कर सकते हैं - 

  • घर के अंदर सफाई करते समय एलर्जी वाले डस्ट क्लीनर का इस्तेमाल करें और एयर प्यूरिफायर चलाएं।
  • पटाखों से दूरी बनाएं, उन्हें देखने की बजाय लडियां और दीयों या संगीत से त्योहार सेलिब्रेट करें।
  • रिश्तेदारों और पड़ोसियों को अपनी हेल्थ कंडीशन के बारे में जरूर बताएं, ताकि आपातकाल में सटीक सहायता मिल सके।
  • घर की सजावट में फ्लावर या नेचुरल सामग्री का प्रयोग करें, तेज खुशबू वाली अगरबत्ती, धूप या केमिकल डेकोर से परहेज करें।
  • तनाव को कम करने के लिए त्योहार को परिवार और प्रियजनों के साथ शांति से मनाएं।

निष्कर्ष

भारत में हर साल लगभग 15 लाख COPD से संबंधित मौतें दर्ज की जाती हैं, इसलिए हमें इस समस्या के बारे में अधिक से अधिक जानकारी होनी चाहिए। यदि आप इस स्थिति को लेकर जानकार हैं और किसी को भी अस्थमा या फिर COPD के लक्षण अनुभव होते हैं, तो आप उन लोगों की जान भी बता सकते हैं। यदि आपको लक्षण दिखते हैं तो बिना देर किए हमारे अनुभवी विशेषज्ञों से मिलें और इलाज लें। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

अस्थमा मरीज दिवाली में फायरवर्क का आनंद कैसे लें?

फायरवर्क देखने का आनंद घर के अंदर से, Windows या TV पर लें। बाहर जाने से बचें और मास्क जरूर पहनें। लड़ी या डिजिटल फायरवर्क्स जैसे विकल्प अपनाएं।

COPD के मरीजों के लिए धूल और धुएं से बचने के उपाय क्या है?

घर के अंदर एयर प्यूरिफायर चलाएं, जोन क्लीन रखें, मास्क पहनें, खिड़की-दरवाजे बंद रखें और पर्सनल दवाएं साथ रखें।

अस्थमा और COPD मरीजों को किस तरह की इमरजेंसी तैयारी रखनी चाहिए?

रेस्क्यू इनहेलर, दवाओं का पूरा सेट, हर जरूरी कॉन्टैक्ट नंबर, नजदीकी अस्पताल की जानकारी, मास्क, ग्लव्स, पानी की बोतल, और डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पास रखें।

क्या मास्क पहनने से सांस की बीमारी के मरीज सुरक्षित रह सकते हैं?

N95 और N99 मास्क, यदि सही से पहना जाए, तो एयरबोर्न कणों से बचाते हैं और सांस की सुरक्षा बढ़ाते हैं। सांस फूलने पर एग्जॉस्ट वाल्व मास्क विकल्प हो सकते हैं।

सांस की बीमारी के मरीज दिवाली पर कौन-से घरेलू उपाय अपना सकते हैं?

घर में प्यूरीफायर, भीगे कपड़े से सफाई, हर्बल ड्रिंक, अदरक-शहद का सेवन, गर्म पानी पीना, साबुत मसालों का सीमित उपयोग, तनाव प्रबंधन, और डॉक्टर की सलाह अनुसार मेडिसिन लेना सबसे सही है।

Written and Verified by:

Dr. Raja Dhar

Dr. Raja Dhar

Director & HOD of Pulmonology Department Exp: 31 Yr

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Dr. Raja Dhar is the Director & Head of Pulmonology Dept. at BM Birla Heart Hospital and CMRI Hospital, Kolkata, with over 27 years of experience. He specializes in interstitial lung disease, asthma & allergy, COPD, sleep medicine, advanced lung function services, interventional & diagnostic pulmonology, rare stroke & orphan lung diseases, and all disciplines of respiratory medicine.

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