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बच्चों में हृदय रोगों की पहचान कैसे करें

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बच्चों में हृदय रोगों की पहचान कैसे करें

Pediatric Cardiology | by Dr. Satarupa Mukherjee | Published on 13/09/2024


हृदय रोग वयस्कों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी यह एक चिंता का विषय है। पूरे विश्व में लगभग 100 नवजात शिशुओं में से 1 शिशु जन्मजात हृदय रोग (CHD) के साथ जन्म लेता है, जो कि एक हृदय रोग है। इस रोग के शुरुआती चरणों में ही निदान और प्रबंधन बहुत ज्यादा अनिवार्य होता है। 

इस ब्लॉग में हम जन्मजात हृदय रोग, इसके लक्षण, कारण, और निदान के बारे में जानेंगे, जिससे आपके बच्चों को समय पर इलाज मिले और वह बेहतर गुणवत्ता के साथ अपना जीवन व्यापन करें। यदि आपका बच्चा भी ऐसी किसी समस्या का सामना कर रहा है तो बीएम बिड़ला हार्ट हॉस्पिटल, कोलकाता में हमारे बाल हृदय रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

जन्मजात हृदय रोग क्या है?

जन्मजात हृदय रोग (Congenital Heart Disease) जन्म के समय से मौजूद हृदय संबंधी समस्या है। बच्चों में हृदय रोग की समस्या हृदय की संरचना को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि मांसपेशियां, वाल्व या धनिया। इस असामान्यता के कारण रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है। 

हमारे हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय पर इस स्थिति का इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है, और कुछ मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। एक रिसर्च में सामने आया है कि दुनिया भर में हर साल लगभग 1.35 मिलियन बच्चे क्रोनिक हार्ट डिजीज के साथ जन्म लेते हैं।

जन्मजात हृदय रोग के कारण

जन्मजात हृदय रोग कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान कर सकते हैं जैसे कि - 

  • हृदय रोग की फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों के लिए जन्मजात हृदय रोग का जोखिम बहुत ज्यादा होता है। 
  • प्रेगनेंसी के दौरान कुछ प्रकार के संक्रमण और कुछ प्रकार की दवाओं एवं नशीले पदार्थों के सेवन से जन्मजात हृदय रोग का खतरा लगातार बना रहता है। 
  • कुछ अज्ञात कारणों से भी यह समस्या आपको परेशान कर सकती है। 

बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं के लक्षण

बच्चों में हृदय रोग की पहचान करना बहुत ज्यादा जरूरी होता है, जिससे बच्चों को समय पर इलाज मिल सके और वह अपना जीवन बिना किसी परेशानी के जी सके। यहां नौ प्रमुख लक्षण दिए गए हैं, जिसकी सहायता से बच्चों में हृदय रोग की पहचान आसानी से हो सकती है - 

  • सांस लेने में दिक्कत: सांस लेने या तेज सांस लेने में कठिनाई इस समस्या का प्रारंभिक संकेत है। लगभग सभी बच्चे हृदय रोग की स्थिति में सांस लेने में दिक्कत का सामना करते हैं। 
  • त्वचा या नाखूनों में समस्या: जब रक्त में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का प्रवाह नहीं होता है तो इसके कारण त्वचा या नाखूनों में समस्या हो जाती है, जो स्पष्ट दिखती है। 
  • खाना खाने में समस्या या धीरे-धीरे वजन बढ़ना: इस रोग के कारण बच्चे ठीक से खाना नहीं खा पाते हैं। कुछ मामलों में बड़े प्रयासों के बाद भी बच्चे का वजन नहीं बढ़ता है।
  • थकान और अत्यधिक पसीना आना: कुछ भी कार्य करते समय बहुत पसीना आना और थकावट बच्चों में हृदय रोग का लक्षण है। 
  • पैरों, पेट या आंखों के आस-पास सूजन: शरीर के विभिन्न अंग जैसे कि पैर, पेट और आंखों के आस-पास सूजन देखने को मिलती है। 
  • सीने में दर्द या बेचैनी: बहुत ही कम मामलों में बच्चों को यह लक्षण देखने को मिलते हैं। फिर भी सीने में दर्द या बेचैनी जैसे लक्षण को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
  • असामान्य हृदय गति: हृदय अतालता या असामान्य हृदय गति गंभीर हृदय संबंधित स्थितियों का संकेत देता है। 
  • दूध पिलाते समय सांस फूलना: यदि दूध पीते बच्चे की सांस फूलती है तो यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या की तरफ संकेत करता है। 
  • चक्कर आना या बेहोशी: यह अंतिम और महत्वपूर्ण लक्षण है, जिसमें मस्तिष्क तक ऑक्सीजन न पहुंचने पर बच्चे को चक्कर आने या बेहोशी जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। 

इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत हमारे विशेषज्ञों से मिलें या फिर किसी भी अच्छे अस्पताल के बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी विभाग में जा कर डॉक्टर से बात करें।

बच्चों में हृदय रोग का निदान कैसे होता है?

बच्चों में हृदय रोग की जांच के लिए शारीरिक परीक्षण और कुछ टेस्ट के संयोजन का उपयोग किया जाता है। मुख्य रूप से निम्नलिखित टेस्ट का सुझाव डॉक्टरों के द्वारा दिया जाता है जैसे कि - 

  • इकोकार्डियोग्राम जिससे हृदय की संरचना और कार्य करने की क्षमता का पता चलता है। 
  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या ईसीजी जिससे असामान्य हृदय गति की पुष्टि होती है। 
  • छाती के एक्स-रे से हृदय की संरचना के बारे में पता चल सकता है। 
  • पल्स ऑक्सीमीटर से रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को मापा जाता है। इससे सायनोसिस के लक्षणों की पहचान आसानी से हो सकती है। 
  • कार्डियक एमआरआई एक एडवांस टेस्ट का जिसका सुझाव अक्सर गंभीर मामलों में ही दिया जाता है। 

बच्चों के स्वास्थ्य के लिए माता-पिता की भूमिका

बच्चों के स्वास्थ्य के संबंध में माता-पिता एक अहम भूमिका निभाते हैं। वह सबसे पहले हृदय रोग के लक्षणों को महसूस कर सकते हैं और अपने बच्चे को स्वस्थ जीवन दे सकते हैं। वह निम्नलिखित कार्यों से अपनी भूमिका सिद्ध कर सकते हैं - 

  • बच्चों की नियमित जांच कराएं। 
  • लक्षणों पर नजर रखें।
  • संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली की आदतें बनाए रखें। 
  • बच्चों के सामने धूम्रपान न करें। 
  • यदि इलाज चल रहा है, तो डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें। 

निष्कर्ष

हृदय रोग के लक्षण (विशेष रूप से जन्मजात दोष) के लिए शीघ्र ही प्रबंधन की आवश्यकता होती है। इसके लक्षणों को पहचानें और तुरंत हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें। वह इलाज के सभी विकल्पों के बारे में आपको बताएंगे, जिससे आपके बच्चे एक स्वस्थ और अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते हैं। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न


क्या दिल में छेद होने पर हमेशा सर्जरी की जरूरत होती है?

यह सत्य है कि दिल में छेद के इलाज से लिए सर्जरी की ज़रूरत होती है, लेकिन छोटे छेद अपने आप समय के साथ भर सकते हैं। इसमें दवाएं और कुछ जीवनशैली कारक आपकी मदद कर सकते हैं। डॉक्टर से सलाह लें। 

शिशु का हृदय 1 मिनट में कितनी बार धड़कता है?

नवजात शिशुओं में स्वस्थ हृदय उसका माना जाता है, जिसका हृदय एक मिनट में 70-190 बार धड़कता है। हम नवजात शिशुओं की उम्र 0-1 महीना ले रहे हैं।बच्चों की हृदय गति उनकी आयु, शारीरिक गतिविधि और स्वास्थ्य के अनुसार बदलती रहती है, जो उनके संपूर्ण स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेत होती है। 

क्या जन्मजात हृदय रोग को रोका जा सकता है?

जन्मजात हृदय रोग को पूर्ण रूप से रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान कुछ सावधानियों का पालन कर इस रोग की स्थिति का प्रबंधन किया जा सकता या इस रोग के जोखिम से बचा भी जा सकता है।