थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर की हीमोग्लोबिन बनाने की क्षमता कम हो जाती है। हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में मौजूद वह प्रोटीन है, जो लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद होता है। इस प्रोटीन का कार्य शरीर के अलग-अलग अंग तक ऑक्सीजन पहुंचाना है।
जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिससे पूरे विश्व में लगभग 300 मिलियन से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। थैलेसीमिया एक गंभीर बीमारी है, जिसके लिए निरंतर देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है क्योंकि इसके कारण एनीमिया, और अन्य रक्त संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस ब्लॉग की मदद से आपको थैलेसीमिया के प्रकार के साथ-साथ लक्षण, कारण, निदान और उपचार के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। हालांकि यह सारी जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यदि आप इस स्थिति से पीड़ित हैं और चिकित्सा आवश्यकता चाहिए, तो आप हमारे हेमेटोलॉजिस्ट से भी संपर्क कर सकते हैं।
थैलेसीमिया के अंतर्गत कई प्रकार होते हैं। यह विभिन्न प्रकार शरीर में बनने वाले असामान्य हीमोग्लोबिन के प्रकार और मात्रा पर निर्भर करते हैं। मुख्य रूप से थैलेसीमिया को तीन मुख्य प्रकारों में बांटा गया है -
यह थैलेसीमिया का सबसे आम प्रकार है, जिसमें शरीर बीटा ग्लोबिन नामक हीमोग्लोबिन का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाता है। बीटा थैलेसीमिया को भी दो प्रकार में बांटा गया है -
यह भी थैलेसीमिया का एक कम आम प्रकार है, जिसमें शरीर अल्फा ग्लोबिन नामक हीमोग्लोबिन का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पाता है। अल्फा थैलेसीमिया को भी दो प्रकार में बांटा गया है -
यह थैलेसीमिया का सबसे कम गंभीर रूप माना जाता है। इसमें प्रभावित जीन माता-पिता के द्वारा उनके बच्चे में जाते हैं, जिसके कारण हल्के या कभी-कभी एक लक्षण भी नहीं दिखते हैं।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि थैलेसीमिया के प्रत्येक प्रकार की गंभीरता और लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। थैलेसीमिया का संदेह होने पर परामर्श लेना और उचित जांच कराना आवश्यक है।
थैलेसीमिया के मामले में लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं, और यह बीमारी के प्रकार और रोगी की उम्र पर भी निर्भर करते हैं। हालांकि कुछ सामान्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे -
यह एक जेनेटिक रोग है, जिसका अर्थ है कि यह रोग माता-पिता से बच्चों में जीन के माध्यम से फैलता है। थैलेसीमिया के कारण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं, जिसका जिक्र हम उपर कर चुके हैं। इन सबके अतिरिक्त कुछ अन्य संभावित कारक भी होते हैं, जो इस रोग को और भी ज्यादा गंभीर बना सकते हैं, जैसे -
थैलेसीमिया का इलाज रोग की गंभीरता, रोगी की स्वास्थ्य समस्याओं और अन्य लक्षणों पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त रोगी के वर्तमान स्वास्थ्य पर भी डॉक्टर की नजर रहती है। हालांकि मुख्य रूप से इलाज के लिए निम्नलिखित विकल्पों पर विचार किया जाता है -
यहां आपको एक बात का खास ख्याल रखना होगा कि थैलेसीमिया का कोई निश्चित इलाज नहीं है। हालांकि इससे बचाव संभव है, जिसके बारे में हम आपको बताने वाले हैं।
थैलेसीमिया रोग लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं। थैलेसीमिया से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं जैसे -
जैसा कि हमने अभी जाना कि थैलेसीमिया एक गंभीर रक्त विकार है, लेकिन समय पर निदान और उपचार से इस स्थिति से बचा जा सकता है। थैलेसीमिया या इसके संबंध में किसी भी प्रकार की समस्या दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।
थैलेसीमिया एक जेनेटिक रोग है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करती है। इसके प्रकार और लक्षण के आधार पर ही इलाज के विकल्प का चुनाव होता है।
थैलेसीमिया में कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह अवश्य दी जाती है जैसे -
थैलेसीमिया के इलाज से पहले निदान बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। इलाज से पहले निम्नलिखित टेस्ट करने पड़ते हैं -
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