थैलेसीमिया: लक्षण, कारण, निदान और उपचार
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थैलेसीमिया: लक्षण, कारण, निदान और उपचार

Table of Contents
  1. थैलेसीमिया क्या है?
  2. थैलेसीमिया के प्रकार
    1. 1. बीटा थैलेसीमिया
    2. 2. अल्फा थैलेसीमिया
    3. 3. थैलेसीमिया माइनर
  3. थैलेसीमिया के लक्षण
  4. थैलेसीमिया के कारण
  5. थैलेसीमिया का निदान कैसे किया जाता है?
  6. थैलेसीमिया का इलाज क्या है?
  7. थैलेसीमिया से बचने के उपाय
  8. थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों की देखभाल कैसे करें?
  9. निष्कर्ष
  10. थैलेसीमिया से जुड़े आम सवाल (FAQs)
    1. थैलेसीमिया रोग से कौन सा अंग प्रभावित होता है?
    2. थैलेसीमिया का मरीज कब तक जीवित रह सकता है?
    3. थैलेसीमिया का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
    4. थैलेसीमिया का दूसरा नाम क्या है?
    5. थैलेसीमिया के लिए मृत्यु दर क्या है?
    6. थैलेसीमिया किसकी कमी से होता है?
    7. थैलेसीमिया में क्या खाना चाहिए?
    8. थैलेसीमिया टेस्ट कैसे होते हैं?

Summary

थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन का सही उत्पादन नहीं होता है। इसके निदान के लिए रक्त परीक्षण, हेमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस और जेनेटिक टेस्ट किए जाते हैं, जबकि उपचार में रक्त चढ़ाना, आयरन कीमोथेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट शामिल हैं।

थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है, जिसका संबंध सीधा हमारे रक्त से होता है और इस बात में कोई संशय नहीं है कि यह समस्या बहुत से परिवारों के जीवन को प्रभावित करती है। यदि आप या आपके परिवार में कोई थैलेसीमिया माइनर या बीटा थैलेसीमिया के लक्षण महसूस करता है, तो समय पर सही जानकारी और इलाज बेहद जरूरी है। यदि आपको इस बीमारी से लड़ना चाहते हैं, तो थैलेसीमिया के कारण और लक्षण जानना आपका सबसे पहला कार्य होना चाहिए। इस ब्लॉग में हम आपको थैलेसीमिया रोग क्या है, इसके लक्षण, कारण, निदान और थैलेसीमिया माइनर ट्रीटमेंट समेत सभी आवश्यक जानकारी विस्तार से देंगे। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सबंधित समस्या का अनुभव होने पर तुरंत एक अनुभवी डॉक्टर से मिल कर इलाज लें। 

थैलेसीमिया क्या है?

थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद हीमोग्लोबिन का उत्पादन सही तरीके से नहीं होता है। हीमोग्लोबिन वह प्रोटीन है, जो शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। थैलेसीमिया एक गंभीर बीमारी है, जिसके लिए निरंतर देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसके कारण एनीमिया, और अन्य रक्त संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह बीमारी जन्म से ही होती है और इसके प्रकार और गंभीरता अलग-अलग हो सकते है। भारत में हर साल लाखों बच्चे थैलेसीमिया के साथ पैदा होते हैं, इसलिए इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। वहीं दूसरी तरफ पूरे विश्व में लगभग 300 मिलियन से ज्यादा लोग इस विकार से प्रभावित होते हैं।

इस ब्लॉग की मदद से आपको थैलेसीमिया के प्रकार के साथ-साथ लक्षण, कारण, निदान और उपचार के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। हालांकि यह सारी जानकारी एक सामान्य जानकारी है। यदि आप इस स्थिति से पीड़ित हैं और चिकित्सा आवश्यकता चाहिए, तो आप हमारे थैलेसीमिया के विशेषज्ञ (हेमेटोलॉजिस्ट) से भी संपर्क कर सकते हैं।

थैलेसीमिया के प्रकार

थैलेसीमिया के कई प्रकार होते हैं, लेकिन मुख्य रूप से ये तीन वर्गों में बांटा जाता है:

1. बीटा थैलेसीमिया

बीटा थैलेसीमिया सबसे आम प्रकार है, जिसमें शरीर बीटा ग्लोबिन नामक प्रोटीन का पर्याप्त उत्पादन नहीं करता है। इसके भी दो प्रकार हैं - 

  • बीटा थैलेसीमिया मेजर: यह सबसे गंभीर रूप है, जिसमें मरीज को बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
  • बीटा थैलेसीमिया इंटरमीडिया: यह मध्यम गंभीरता वाला रूप है, जिसमें लक्षण थोड़े कम होते हैं।

2. अल्फा थैलेसीमिया

यह अल्फा ग्लोबिन प्रोटीन की कमी के कारण होता है। इसमें भी दो प्रमुख प्रकार होते हैं - 

  • हीमोग्लोबिन एच रोग: यह हल्का रूप होता है, जिसमें लक्षण सामान्यतः कम होते हैं।
  • हाइड्रोप्स फीटेलिस विद हीमोग्लोबिन पार्ट्स: यह गंभीर और दुर्लभ प्रकार है, जिसमें शिशु जन्म से पहले ही मृत्यु के कगार पर पहुंच सकता है।

3. थैलेसीमिया माइनर

यह सबसे कम गंभीर प्रकार है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति में हल्के या कभी-कभी कोई लक्षण भी नहीं होते हैं। लेकिन यह जीन पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ सकती है। यही कारण है कि इस स्थिति का पता लगाना बहुत ज्यादा जरूरी है, खासकर शादी या गर्भधारण से पहले इसकी पुष्टि ज़रूर कराएं।

थैलेसीमिया के लक्षण

थैलेसीमिया के लक्षण व्यक्ति के प्रकार और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। सामान्य लक्षणों में शामिल है - 

  • कमजोरी और थकान महसूस होना
  • चेहरे और त्वचा का पीलापन
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • बार-बार बुखार आना
  • सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द होना
  • भूख कम लगना और वजन घटाना
  • पेट में सूजन होना
  • कब्ज या दस्त

बीटा थैलेसीमिया लक्षण ज्यादा स्पष्ट और गंभीर होते हैं, जबकि थैलेसीमिया माइनर लक्षण हल्के या लगभग नहीं होते हैं।

थैलेसीमिया के कारण

थैलेसीमिया एक जेनेटिक या आनुवंशिक बीमारी है। इसका मतलब यह है कि यह माता-पिता से बच्चों में जीन के जरिए फैलता है। यदि दोनों माता-पिता थैलेसीमिया माइनर कैरियर हैं, तो उनके बच्चे को थैलेसीमिया माइनर या मेजर हो सकता है। यह कोई संक्रामक रोग नहीं है और किसी के संपर्क या वातावरण से फैलता नहीं है। यह बीमारी ब्लड ग्रुप से भी संबंधित नहीं है, किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को यह समस्या प्रभावित कर सकती है।

इन सबके अतिरिक्त कुछ अन्य संभावित कारक होते हैं, जो इस रोग को और भी ज्यादा गंभीर बना सकते हैं, जैसे कि - 

  • थैलेसीमिया बुखार वाले क्षेत्र में जाना या काम करना: यदि कोई भी उन क्षेत्रों में रहता है या यात्रा करता है, जहां के लोग इस बीमारी से ज्यादा पीड़ित होते हैं, तो वह भी संक्रमित हो सकता है। 
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना: थैलेसीमिया बुखार से पीड़ित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने से भी यह रोग व्यक्ति में फैल सकता है। 
  • दूषित पानी पीना: दूषित पानी पीने से भी यह रक्त विकार फैल सकता है। यह रोग मुख्य रूप से उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है, जो उस दूषित पानी का सेवन करते हैं, जिसमें साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया (salmonella typhi bacteria) होता है।

थैलेसीमिया का निदान कैसे किया जाता है?

सही और समय पर निदान थैलेसीमिया के इलाज का पहला कदम है। निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं - 

  • रक्त परीक्षण: लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या, हीमोग्लोबिन स्तर और आकार की जांच।
  • हेमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस: यह टेस्ट हीमोग्लोबिन के प्रकार और असामान्यता को पता करता है।
  • जेनेटिक टेस्ट: यह जांचता है कि माता-पिता या रोगी में थैलेसीमिया से जुड़ा जीन है या नहीं।
  • प्रसवपूर्व निदान: गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की जांच, जिससे थैलेसीमिया का पता चल सकता है।

थैलेसीमिया का इलाज क्या है?

थैलेसीमिया का उपचार रोग की गंभीरता, उम्र, और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। इलाज के मुख्य विकल्प इस प्रकार हैं - 

  • रक्त चढ़ाना (Blood Transfusion): बीटा थैलेसीमिया मेजर वाले मरीजों को नियमित रक्त चढ़ाने की जरूरत होती है, ताकि उनके शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बना रहे। इससे एनीमिया की गंभीरता कम होती है और मरीज बेहतर महसूस करता है।
  • आयरन कीमोथेरेपी (Iron Chelation Therapy): बार-बार रक्त चढ़ाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे कई अंगों को नुकसान हो सकता है। इस अतिरिक्त आयरन को हटाने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant): यह सबसे प्रभावी इलाज माना जाता है, जिसमें मरीज के खराब बोन मैरो को स्वस्थ डोनर के बोन मैरो से बदल दिया जाता है। लेकिन यह प्रक्रिया जटिल और महंगी होती है और हर मरीज के लिए उपयुक्त नहीं होती।
  • पोषण और सप्लीमेंट्स: मरीज को पोषण युक्त आहार देना आवश्यक होता है। फोलिक एसिड जैसे सप्लीमेंट से शरीर में नई लाल रक्त कोशिकाएं बनने में मदद मिलती है।

थैलेसीमिया से बचने के उपाय

थैलेसीमिया रोग लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करती है। थैलेसीमिया से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं जैसे - 

  • फैमिली हिस्ट्री की जांच: यदि आपके घर परिवार में किसी को भी थैलेसीमिया की शिकायत रही है, तो शादी या गर्भधारण करने से पहले दोनों साथियों में इस स्थिति की जांच अवश्य करवाएं। 
  • प्रसवपूर्व निदान: यदि आप स्वयं थैलेसीमिया माइनर के कैरियर हैं, तो प्रसवपूर्व निदान आपके संतान को इस समस्या से बचा सकता है। इस परीक्षण के द्वारा बच्चे में थैलेसीमिया की उपस्थिति का पता आसानी से चल सकता है।
  • रक्त चढाना: थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को हमेशा प्रयास करना चाहिए कि वह नियमित रूप से रक्त चढ़ाएं। 
  • जागरूकता फैलाना: थैलेसीमिया के बारे में जागरूकता बहुत ज्यादा जरूरी है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां यह बीमारी कई लोगों को अपनी चपेट में लेती है, जिसके आसपास समुद्र हो। 

थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों की देखभाल कैसे करें?

थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों की देखभाल करने के लिए आपको कुछ अधिक करने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए आपको निम्न बातों का पालन करना होगा - 

  • मरीज को नियमित डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • पोषण युक्त और आयरन नियंत्रित आहार दें।
  • मानसिक और भावनात्मक सहारा दें।
  • संक्रमण से बचाव करें और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • रक्त चढ़ाने की प्रक्रिया का सही समय पर पालन करें।

निष्कर्ष

थैलेसीमिया एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जाने वाली बीमारी है। समय पर निदान, सही इलाज और नियमित देखभाल से मरीज सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। यदि आपके परिवार में थैलेसीमिया के लक्षण हैं या आपको इस बीमारी का संदेह है, तो जल्द से जल्द विशेषज्ञ से संपर्क करें और थैलेसीमिया माइनर ट्रीटमेंट लें।

थैलेसीमिया से जुड़े आम सवाल (FAQs)

थैलेसीमिया रोग से कौन सा अंग प्रभावित होता है?

लाल रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से प्रभावित होती हैं, जिससे शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन कम पहुंचता है। यह हृदय, लीवर, और प्लीहा को भी प्रभावित कर सकता है।

थैलेसीमिया का मरीज कब तक जीवित रह सकता है?

सही उपचार और नियमित देखभाल से मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। आधुनिक चिकित्सा के कारण अब मरीजों की जीवन प्रत्याशा में सुधार हुआ है।

थैलेसीमिया का सबसे अच्छा इलाज क्या है?

इस स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांट सबसे प्रभावी इलाज है, लेकिन हर मरीज के लिए यह संभव नहीं है। रक्त चढ़ाना और आयरन कीमोथेरेपी भी जरूरी है।

थैलेसीमिया का दूसरा नाम क्या है?

आमतौर पर थैलेसीमिया को “रक्त विषाक्तता” या “रक्त विकृति” कहा जाता है।

थैलेसीमिया के लिए मृत्यु दर क्या है?

उचित इलाज न मिलने पर मृत्यु दर अधिक हो सकती है, लेकिन बेहतर उपचार से मृत्यु दर कम हो गई है।

थैलेसीमिया किसकी कमी से होता है?

हीमोग्लोबिन के ग्लोबिन उपखंड (अल्फा या बीटा) की कमी से होता है।

थैलेसीमिया में क्या खाना चाहिए?

थैलेसीमिया में कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह अवश्य दी जाती है जैसे - 

  • पौष्टिक आहार: फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, और लीन प्रोटीन।
  • आयरन युक्त भोजन: हरी पत्तेदार सब्जियां, मछली, अंडे, और दाल।
  • फोलिक एसिड: फलियां, और नट्स।
  • पानी: पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। 

थैलेसीमिया टेस्ट कैसे होते हैं?

थैलेसीमिया के इलाज से पहले निदान बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। इलाज से पहले निम्नलिखित टेस्ट करने पड़ते हैं - 

  • रक्त परीक्षण: लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या और आकार की जांच।
  • जेनेटिक टेस्ट: इस टेस्ट की मदद से माता-पिता में थैलेसीमिया जीन की उपस्थिति का पता चल सकता है। 
  • प्रसवपूर्व निदान: गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में थैलेसीमिया का पता लगाया जा सकता है, जिसे प्रसवपूर्व निदान कहा जाता है।

Written and Verified by:

Dr. Subhendu Mandal

Dr. Subhendu Mandal

Senior Consultant (Paediatric) Exp: 16 Yr

Pediatric Cardiology

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