महिलाओं में थायराइड के लक्षण
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महिलाओं में थायराइड के लक्षण

Table of Contents
  1. थायराइड क्या होता है?
  2. महिलाओं में थायराइड क्यों होता है?
  3. थायराइड रोग के प्रकार
    1. हाइपरथायरायडिज्म
    2. हाइपोथायरायडिज्म
  4. महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण
  5. महिलाओं में थायराइड कितना होना चाहिए
  6. महिलाओं में थायराइड के साइड-इफेक्ट
  7. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
    1. महिलाओं में थायराइड बढ़ने से क्या होता है?
    2. थायराइड ठीक होने में कितना समय लगता है?
    3. थायराइड में वजन कैसे बढ़ाएं?
    4. थायराइड टेस्ट कैसे होता है?
    5. थायराइड टेस्ट कब कराना चाहिए?
    6. थायराइड जल्दी ठीक कैसे करें?
    7. थायराइड किसके कारण होता है?
    8. कौन सा थायराइड खतरनाक है?
    9. क्या थायराइड होने पर गर्म पानी पीना चाहिए?
    10. महिलाओं में थायराइड का स्तर कितना होना चाहिए?
    11. थायराइड से पीड़ित मरीजों के लिए डाइट प्लान क्या है?

Summary

थायराइड के लक्षण को समझने से पहले हम यह समझते हैं कि थायराइड क्या है? गर्दन के निचले भाग में स्थित तितली के जैसे ग्लैंड को मेडिकल भाषा में थायराइड कहा जाता है। इसका काम शरीर की कई आवश्यक गतिविधियों को कंट्रोल करना है जैसे कि भोजन को ऊर्जा में बदलना, शरीर के लगभग सभी अंग को प्रभावित करना, शरीर के तापमान, मूड और व्यवहार को मैनेज करना इत्यादि।

जब थायराइड हार्मोन यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन या थायरॉक्सिन में असंतुलन या उतार-चढ़ाव होता है, तो उस स्थिति को मेडिकल भाषा में थायराइड बीमारी या रोग कहा जाता है। वर्तमान में यह समस्या तेजी से फैल रही है, जो मुख्य रूप से महिलाओं को अपना शिकार बना रही है।

इस ब्लॉग से हम महिलाओं में थायराइड के लक्षणों के बारे में जानेंगे, जिससे आप इसका त्वरित इलाज प्राप्त कर पाएंगे। यहां आपको एक बात का खास ख्याल रखना होगा कि इस ब्लॉग में लिखी गई सारी जानकारी एक सामान्य जानकारी है, इसलिए इस स्वास्थ्य समस्या के इलाज के लिए आप हमारे अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या फिर थायराइड विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें।

थायराइड क्या होता है?

थायराइड के लक्षण को समझने से पहले हम यह समझते हैं कि थायराइड क्या है? गर्दन के निचले भाग में स्थित तितली के जैसे ग्लैंड को मेडिकल भाषा में थायराइड कहा जाता है। इसका काम शरीर की कई आवश्यक गतिविधियों को कंट्रोल करना है जैसे कि भोजन को ऊर्जा में बदलना, शरीर के लगभग सभी अंग को प्रभावित करना, शरीर के तापमान, मूड और व्यवहार को मैनेज करना इत्यादि।

थायराइड ग्लैंड ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी 3) और थायरोक्सिन (टी4) हार्मोन का निर्माण करती है। इन दोनों हार्मोन को आम बोलचाल की भाषा में थायराइड हार्मोन कहा जाता है। टी3 और टी4 हार्मोन का काम शरीर की अनेक गतिविधियों को कंट्रोल करना है।

यह हार्मोन कैलोरी खपत को कंट्रोल करके वजन को घटने या बढ़ने में मदद करते हैं। दिल की धड़कन को तेज या धीमा करके उनकी गति को कंट्रोल करते हैं और शरीर का तापमान कम या अधिक करके उसके तापमान को नियंत्रण में रखते हैं, तथा मांसपेशियों के सिकुड़ने की गतिविधि को भी नियंत्रित करते हैं।

महिलाओं में थायराइड क्यों होता है?

चलिए सबसे पहले समझते हैं कि महिलाओं में थायराइड क्यों होता है? महिलाओं में थायराइड के अनेक कारण हैं जैसे कि वायरल संक्रमण की चपेट में आना, लंबे समय तक तनाव यानी स्ट्रेस में रहना, डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव आना, शरीर में आयोडीन की कमी होना, और महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होना आदि। यह कारणों के साथ-साथ जोखिम कारक भी है। महिलाओं में थायराइड बढ़ने से गर्दन में सूजन, दर्द, और सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके साथ-साथ कई बार महिलाओं का प्रजनन चक्र भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है।

थायराइड रोग के प्रकार

थायरॉयड ग्लैंड मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा उत्पादन और समग्र हार्मोनल संतुलन को बैलेंस करने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। मुख्य रूप से थायराइड रोग दो प्रकार के होते हैं हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म हैं।

हाइपरथायरायडिज्म

हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड ग्लैंड थायराइड हार्मोन का अधिक उत्पादन करती है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है। इस स्थिति में अन्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि - 

  • बिना कारण वजन घटना: यदि बिना कारण अधिक वजन कम होता है, तो इसके कारण बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। 
  • तेज या अनियमित दिल की धड़कन (टैचीकार्डिया): लगातार तेज हृदय गति, अक्सर 100 बीट प्रति मिनट से अधिक, या अनियमित हृदय ताल इस स्थिति का एक मुख्य लक्षण है। 
  • घबराहट और चिड़चिड़ापन: बिना किसी स्पष्ट कारण के चिंता, बेचैनी और मूड स्विंग की भावना होना भी हाइपरथायरायडिज्म का एक मुख्य लक्षण है।
  • कंपकंपी: हाथ, उंगलियां और पूरे शरीर में कंपन महसूस होना भी इस रोग का मुख्य लक्षण है। 
  • गर्मी सहन न होना और अत्यधिक पसीना आना: ठंडे वातावरण में भी गर्मी और अत्यधिक पसीना आना भी इस स्थिति का एक मुख्य लक्षण है।
  • नींद में समस्या: सोने में कठिनाई होना या बार-बार नींद से जाग जाना, इस स्थिति का एक ऐसा लक्षण है, जिसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 
  • मांसपेशियों में कमजोरी: विशेष रूप से ऊपरी भुजाओं और जांघों में, जिससे नियमित गतिविधियों में समस्या हो, वहां कमजोरी बहुत आती है। 
  • बार-बार मल त्याग या दस्त: मल त्याग में वृद्धि, और कभी-कभी दस्त की समस्या होना भी एक मुख्य लक्षण है, लेकिन यह दूसरे स्वास्थ्य समस्या की तरफ भी संकेत करता है।
  • मासिक धर्म की अनियमितताएं: महिलाओं में पीरियड्स का हल्का होना, कम आना या पूरी तरह से बंद हो जाना दर्शाता है कि शरीर में हार्मोनल बदलाव हुए हैं। 

इन लक्षणों के महसूस होते ही बिना देर किए डॉक्टर से मिलें और इलाज लें। समय पर इलाज होने से हृदय संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। 

हाइपोथायरायडिज्म

हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में शरीर में थायराइड हार्मोन का उत्पादन बहुत कम होता है, जिसके कारण मेटाबॉलिज्म भी धीमा हो जाता है। इस स्थिति में जो भी लक्षण उत्पन्न होते हैं, वह भी धीरे-धीरे ही उत्पन्न होते हैं - 

  • थकान: आराम करने के बाद भी लगातार थकान महसूस होना दर्शाता है कि आप भी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या का सामना कर रहे हैं। 
  • वजन बढ़ना: यदि बिना कारण आपके वजन में बदलाव आए जैसे कि इसमें बढ़ोतरी हो, तो यह हाइपोथायरायडिज्म का संकेत दे सकता है। 
  • ठंड असहिष्णुता: यदि आपको सबसे ज्यादा ठंड लगे, तो भी यह एक खतरे का संकेत हो सकता है। 
  • शुष्क त्वचा और बाल: यह लक्षण सबसे ज्यादा दिखते हैं, जिससे त्वचा शुष्क और पीली हो सकती है; बाल रूखे, और झड़ने लगते हैं।
  • कब्ज: कब्ज की समस्या कई स्वास्थ्य समस्याओं को संकेत करती है। 
  • धीमी हृदय गति (ब्रैडीकार्डिया): सामान्य सीमा से धीमी हृदय गति होना, दर्शाता है कि आप किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं। 
  • अवसाद: डिप्रेशन, उदासी और अस्वस्थ होने की भावना एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत देती है। 
  • स्मृति संबंधी समस्याएं: ध्यान केंद्रित करने या चीजों को याद रखने में कठिनाई का आपको सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि दोनों ही स्थिति में कुछ लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, इसलिए किसी भी प्रकार के लक्षण को नजरअंदाज किए बिना डॉक्टर से मिलें और इलाज लें। आपके शरीर को आपसे अधिक बेहतर तरीके से कोई नहीं जानता होगा। यदि आपको लक्षण दिखे, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।

महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण

बहुत ही कम मामलों में थायराइड की समस्या कैंसर का रूप लेती है। ऐसा अक्सर तब होता है, जब डीएनए में कुछ बदलाव आ जाए। हालांकि इस स्थिति के बारे में भी लोगों को पता होना चाहिए। महिलाओं में थायराइड कैंसर के निम्नलिखित लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • गर्दन पर गांठ महसूस होना
  • आवाज में बदलाव
  • खाना निगलने में परेशानी होना
  • गर्दन और गले में दर्द
  • गर्दन में लिम्फ नोड्स में सूजन 
  • खांसी

इन लक्षणों के महसूस होने पर तुरंत एक अनुभवी डॉक्टर से परामर्श लें।

महिलाओं में थायराइड कितना होना चाहिए

थायराइड की नार्मल रेंज महिलाओं और पुरुषों में एक समान ही होती है। दोनों में ही नार्मल रेंज 0.4 mU/L से 4.0 mU/L के बीच होती है। नॉर्मल रेंज में फर्क सिर्फ उम्र का होता है। 18 से 50 साल के लोगों में थायराइड का स्तर करीब 0.5 – 4.1 mU/L के बीच होना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ 51-70 साल के लोगों में में यह स्तर 0.5 से 4.5 mU/L के करीब होना चाहिए।

थायराइड से जुड़ी समस्याएं

जब थायराइड ग्लैंड ज़रूरत से कम या अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लगता है, तो थायराइड से जुड़ी समस्याएं पैदा होती हैं। ऐसा होने पर शरीर के काम करने का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके अलावा, थायराइड ग्लैंड में कैंसर वाली कोशिकाएं बनने या सूजन होने के कारण हार्मोन में असंतुलन हो जाता है।

जिसके कारण हाइपरथायराइडिज्म, हाइपोथायराइडिज्म और थाइराइड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड ग्लैंड अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जिसके कारण अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होने लगता है। हालांकि, हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड ग्लैंड से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होता है।

थायराइड कैंसर एंडोक्राइन कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है। उत्तक के आधार पर थायराइड कैंसर को दो भागों में बांटा जा सकता है। इसमें डिफ्रेंशियल थायराइड कैंसर और एनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर शामिल हैं।

महिलाओं में थायराइड के साइड-इफेक्ट

थायराइड रोग से जूझ रही महिला की समग्र स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। थायराइड रोग के कारण महिला का यौवन या मासिक धर्म समय से जल्दी या बहुत देरी से आ सकता है। हाइपरथायराइडिज्म या हाइपोथायराइडिज्म ओवुलेशन को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ मामलों में यह ओवुलेशन को पूर्ण रूप से बंद भी कर सकते हैं। 

अंडाशय से अंडा रिलीज होकर फैलोपियन ट्यूब में जाने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते हैं। थायराइड रोग के कारण ओवरी यानी अंडाशय में सिस्ट बन सकते हैं, गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। थायराइड हार्मोन की कमी के कारण गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी, स्टिलबर्थ यानी डिलीवरी से पहले शिशु की मृत्यु होना, पोस्टपार्टम हेमरेज आदि का खतरा भी बढ़ जाता है।

विशेषज्ञ का यह भी मानना है कि थायराइड रोग के कारण 40 वर्ष से पहले मेनोपॉज आ सकता है। इतना ही नहीं, थायराइड हार्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण हल्का या हेवी पीरियड्स, अनियमित पीरियड्स साइकिल, पीरियड्स का न आना (एमेनोरिया) आदि की समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।

थायराइड कैसे ठीक होता है?

थायराइड रोग के इलाज के लिए डॉक्टर सबसे पहले उसके स्तर को सामान्य करने का सुझाव देते हैं। ऐसा करने के विभिन्न कारण है। थायराइड को ठीक करने के लिए निम्नलिखित इलाज के विकल्पों पर विचार किया जा सकता है - 

  • एंटी-थायराइड दवाएं जैसे मेथिमाज़ोल और प्रोपाइलथियोरासिल
  • रेडियोधर्मी आयोडीन 
  • बीटा ब्लॉकर्स थायराइड के स्तर को कम करने के साथ साथ लक्षणों से भी आराम दिलाने में मदद करता है। 
  • थायराइड के लिए घरेलू उपचार, जिसमें स्वस्थ आहार और खुद को हाइड्रेट रखना शामिल है। 
  • सर्जरी

निदान के परिणाम के आधार पर ही डॉक्टर इलाज के विकल्प का सुझाव देते हैं। इसलिए लक्षणों के अनुभव होते ही डॉक्टर से परामर्श लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

महिलाओं में थायराइड बढ़ने से क्या होता है?

महिलाओं में थायराइड बढ़ने के कारण उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि थायराइड ग्लैंड का आकार बढ़ना, वजन कम होना, घबराहट और चिड़चिड़ापन होना, तनाव महसूस करना, नींद सोने में दिक्कतें आना और आंखों में जलन होना आदि।

थायराइड ठीक होने में कितना समय लगता है?

इसका सटीक जवाब देना मुश्किल है, क्योंकि यह पूरी तरह से थायराइड रोग के प्रकार, गंभीरता, महिला की उम्र और समग्र स्वास्थ्य, उपचार के प्रकार आदि पर निर्भर करता है।

थायराइड में वजन कैसे बढ़ाएं?

थायराइड में वजन बढ़ाने के लिए मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त करना होगा। इसके लिए, नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें। व्यायाम से शरीर में कैलोरी बर्न होगी जिससे वजन कम होने वह जाएगा। अपने आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा की संतुलित मात्रा अवश्य रखें।

थायराइड टेस्ट कैसे होता है?

थायराइड टेस्ट में रक्त परीक्षण होता है, जो थायराइड ग्लैंड के द्वारा उत्पादित हार्मोन के स्तर को रक्त में मापता है। इस टेस्ट के लिए, आपको डॉक्टर के कार्यालय में अपना ब्लड सैंपल देना होगा। 

थायराइड टेस्ट कब कराना चाहिए?

थायराइड टेस्ट तब कराना चाहिए जब आप थायराइड से संबंधित लक्षणों का सामना करें, जैसे अचानक वजन बढ़ना या घटना, थकान, बालों का झड़ना, ठंड लगना, या कब्ज। थायराइड टेस्ट गर्भावस्था, प्रसव के बाद, या किसी अन्य हार्मोनल परिवर्तन के दौरान भी किया जा सकता है।

थायराइड जल्दी ठीक कैसे करें?

थायराइड जल्द-जल्द ठीक हो सकता है। इसके लिए आपको एक विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए और उनके निर्देशों का पालन कड़ाई से करना चाहिए। हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड हार्मोन की दवा दी जाती है। वहीं हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने वाली दवा दी जाती है।

थायराइड किसके कारण होता है?

हाइपोथायरायडिज्म की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब थायराइड ग्लैंड पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। वहीं दूसरी तरफ हाइपरथायरायडिज्म की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब थायराइड ग्लैंड बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है।

कौन सा थायराइड खतरनाक है?

सामान्यतः थायराइड के सभी प्रकार रोगी के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। लेकिन हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति थोड़ी अधिक खतरनाक होती है, क्योंकि इसमें हृदय की समस्याएं, स्ट्रोक, और हड्डी का द्रव्यमान कम हो सकती है। 

क्या थायराइड होने पर गर्म पानी पीना चाहिए?

गर्म पानी पीने से थायराइड फंक्शन पर सीधा असर नहीं पड़ता है, लेकिन यह पाचन और पूर्ण हाइड्रेशन में सहायता कर सकता है। हालांकि उचित हाइड्रेशन मेटाबॉलिज्म को सपोर्ट करता है, जो थायराइड हार्मोन से प्रभावित होता है। 

महिलाओं में थायराइड का स्तर कितना होना चाहिए?

वयस्क महिलाओं के लिए, सामान्य थायराइड स्तर में TSH: 0.4–4.0 mIU/L, T4: 0.8–1.8 ng/dL, और T3: 2.3–4.2 pg/mL होता है। उम्र और स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर यह स्तर बदल सकता है। नियमित जांच आपकी मदद कर सकता है।

थायराइड से पीड़ित मरीजों के लिए डाइट प्लान क्या है?

थायराइड की स्थिति में एक प्रकार के डाइट प्लान को फॉलो करने की सलाह दी जाती है जैसे कि - 

  • फल और सब्जियों का सेवन करें।
  • आहार में आयोडीन की मात्रा अधिक हो।
  • प्रोटीन, फाइबर और विटामिन से भरपूर होल ग्रेन्स का सेवन करें।
  • कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • दूध और दही के सेवन को बढ़ाएं। 
  • कैल्शियम और विटामिन-डी वाले खाद्य पदार्थों के सेवन को बढ़ाएं। 

Written and Verified by:

Dr. Ankur Gahlot

Dr. Ankur Gahlot

Additional Director Exp: 16 Yr

Diabetes & Endocrinology

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