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महिलाओं में थायराइड के लक्षण (Mahilao me thyroid ke lakshan)

Diabetes and Endocrine Sciences | Posted on 02/06/2023 by RBH


जब थायराइड हार्मोन यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन या थायरॉक्सिन में असंतुलन या उतार-चढ़ाव होता है तो उस स्थिति को मेडिकल भाषा में थायराइड रोग कहते हैं। थायराइड रोग पुरुष और महिला दोनों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं में अधिक देखा जाता है।

थायराइड क्या है? (Thyroid kya hai?)

थायराइड गर्दन के निचले हिस्से में स्थित तितली के जैसी ग्रंथि को मेडिकल भाषा में थायराइड कहते हैं। इसका काम शरीर की ढेरों आवश्यक गतिविधियों को कंट्रोल करना है जैसे कि भोजन को ऊर्जा में बदलना आदि।

थायराइड ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरॉक्सिन (टी4) हार्मोन का निर्माण करती है। इन दोनों हार्मोन को आम बोलचाल की भाषा में थायराइड हार्मोन कहा जाता है। टी3 और टी4 हार्मोन्स का काम शरीर की अनेक गतिविधियों को कंट्रोल करना है।

ये हार्मोन कैलोरी खपत को कंट्रोल करके वजन को घटने या बढ़ने में मदद करते हैं। दिल की धड़कन को तेज या धीमा करके उनकी गति को कंट्रोल करते हैं और शरीर का तापमान कम या अधिक करके उसके तापमान को नियंत्रित रखते हैं तथा मांसपेशियों के सिकुड़ने की गतिविधि को भी नियंत्रित करते हैं।

थायराइड से जुड़ी समस्याएं

जब थायराइड ग्रंथि ज़रूरत से कम या अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लगता है तो थायराइड से जुड़ी समस्याएं पैदा होती हैं। ऐसा होने पर शरीर के काम करने का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके अलावा, थायराइड ग्रंथि में कैंसर वाली कोशिकाएं बनने या सूजन होने के कारण हार्मोन्स में असंतुलन हो जाता है।

जिसके कारण हाइपरथायराइडिज्म, हाइपोथायराइडिज्म और थाइराइड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हाइपरथायराइडिज्म की स्थिति में थायराइड ग्रंथि अधिक सक्रिय हो जाता है जिसके कारण अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होने लगता है। हालाँकि, हाइपोथायराइडिज्म की स्थिति में थायराइड ग्रंथि से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होता है।

थायराइड कैंसर एंडोक्राइन कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है। उत्तक के आधार पर थायराइड कैंसर को दो भागों में बांटा जा सकता है। इसमें डिफ्रेंशियल थायराइड कैंसर और एनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर शामिल हैं।

महिलाओं में थायराइड के लक्षण (Thyroid ke lakshan)

थायराइड रोग से जूझ रही महिला खुद में अनेक लक्षणों को अनुभव करती है जिसकी मदद से उसे या डॉक्टर को इस बात का अंदाजा हो सकता है कि वह थायराइड रोग है। चूँकि थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन का निर्माण आवश्यकता से अधिक बढ़ या घट जाता है, ऐसे में इसके लक्षण अलग-लग हो सकते हैं।

हाइपोथायराइडिज्म से पीड़ित महिलाओं में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

  • वजन बढ़ना यानी मोटापा होना
  • आवाज भारी होना
  • त्वचा का सुखना
  • बालों का मोटा होना
  • कब्ज की शिकायत होना
  • हेवी मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग होना
  • दिल की धड़कन धीमी होना
  • रक्त कोलेस्टेरोल का स्तर बढ़ना
  • कमजोरी और थकान महसूस करना
  • ठंड को सहन करने की क्षमता कम होना
  • कुछ मामलों में डिप्रेशन यानी अवसाद होना
  • याददाश्त कमजोर होना यानी चीजें याद नहीं रहना
  • मांसपेशियों का कोमल या कठोर होना और उसमें दर्द होना

हाइपोथायराइडिज्म की तरह ही हाइपरथायराइडिज्म के भी कुछ महत्वपूर्ण लक्षण हो सकते हैं जैसे कि:

  • वजन कम होना
  • तनाव महसूस करना
  • थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ना
  • घबराहट और चिड़चिड़ापन होना
  • मासिक धर्म अनियमित होना या बंद हो जाना
  • आँखों में जलन और दृष्टि संबंधित प्रॉब्लम होना
  • नींद सोने में परेशानी होना या पूर्ण रूप से नींद नहीं आना

ध्यान रखने वाली बात यह है कि कुछ मामलों में ऊपर दिए गए लक्षण अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के कारण भी हो सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि यदि आप खुद में इन लक्षणों को अनुभव करती हैं तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें। 

जांच की मदद से डॉक्टर आपके लक्षणों के सटीक कारण की पुष्टि करके उचित उपचार की मदद से उसे दूर कर सकते हैं। साथ ही, उसके कारण उत्पन्न होने वाली अन्य समस्याओं का खतरा कम कर सकते हैं।

महिलाओं में थायराइड कैसे होता है?

महिलाओं में थायराइड के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे वायरल संक्रमण की चपेट में आना, लंबे समय तक तनाव यानी स्ट्रेस में रहना, डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव आना, शरीर में आयोडीन की कमी होना, और खासकर महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होना आदि।

महिलाओं में थायराइड के दुष्प्रभाव

थायराइड रोग से जूझ रही महिला की समग्र स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। थायराइड रोग के कारण महिला का यौवन या मासिक धर्म समय से जल्दी या बहुत देरी से आ सकता है। हाइपरथायराइडिज्म या हाइपोथायराइडिज्म ओवुलेशन को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ मामलों में ये ओवुलेशन को पूर्ण रूप से बंद भी कर सकते हैं। 

अंडाशय से अंडा रिलीज होकर फैलोपियन ट्यूब में जाने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते हैं। थायराइड रोग के कारण ओवरी यानी अंडाशय में सिस्ट बन सकते हैं, गर्भवस्था के दौरान भ्रूण को नुकसान पहुँच सकता है। थायराइड हार्मोन की कमी के कारण गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी, स्टिलबर्थ यानी डिलीवरी से पहले शिशु की मृत्यु होना, पोस्टपार्टम हेमरेज आदि का खतरा भी बढ़ जाता है।

विशेषज्ञ का यह भी मानना है कि थायराइड रोग के कारण 40 वर्ष से पहले मेनोपॉज आ सकता है। इतना ही नहीं, थायराइड हार्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण हल्का या हेवी मासिक धर्म, अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म नहीं आना (एमेनोरिया) आदि की समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महिलाओं में थायराइड बढ़ने से क्या होता है?

महिलाओं में थायराइड बढ़ने के कारण उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ना, वजन कम होना, घबराहट और चिड़चिड़ापन होना, तनाव महसूस करना, नींद सोने में दिक्कतें आना और आँखों में जलन होना आदि।

थायराइड ठीक होने में कितना समय लगता है?

इसका सटीक जवाब देना मुश्किल है, क्योंकि यह पूरी तरह से थायराइड रोग के प्रकार, गंभीरता, महिला की उम्र और समग्र स्वास्थ्य, उपचार के प्रकार आदि पर निर्भर करता है।