गर्भावस्था के दौरान योग और व्यायाम के लाभ
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गर्भावस्था के दौरान योग और व्यायाम के लाभ

Summary

प्रेगनेंसी में योग और व्यायाम करने से न केवल शरीर में ताकत और लचीलापन तो बढ़ता है, बल्कि इसके साथ-साथ मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन भी देखने को मिलता है। 

गर्भावस्था या प्रेगनेंसी एक महिला के जीवन का बेहद महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है। इस दौरान योग और व्यायाम का सही तरीके से पालन करना मां और बच्चे दोनों के लिए लाभकारी हो सकता है। प्रेगनेंसी में योग और व्यायाम करने से न केवल शरीर में ताकत और लचीलापन तो बढ़ता है, बल्कि इसके साथ-साथ मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन भी देखने को मिलता है। आइए जानें प्रेगनेंसी के दौरान योग और व्यायाम के कुछ महत्वपूर्ण लाभ और कैसे आप इन्हें अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकती हैं। यदि आपको गर्भावस्था से संबंधित कोई समस्या है, तो कृपया सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें । 

प्रेगनेंसी में योग और व्यायाम के लाभ

सामान्य तौर पर योग स्वयं ही बहुत लाभकारी होता है। वहीं प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर भी योग का सुझाव देते हैं। ऐसे में यह जानना बहुत आवश्यक है कि योग से आपको क्या लाभ मिलता है। चलिए प्रेगनेंसी में योग के लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं - 

  • तनाव और चिंता में कमी - प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में हार्मोनल बदलाव आते हैं, जिससे मानसिक तनाव और चिंता का बढ़ना तय माना जाता है। ऐसे में प्रेगनेंसी में योग करने से यह तनाव और चिंता में कमी देखी जाती है। विशेष रूप से ध्यान (मेडिटेशन) और प्राणायाम (अनुलोम-विलोम) मानसिक शांति प्रदान करती हैं।
  • शारीरिक लचीलापन और ताकत में सुधार - गर्भावस्था के दौरान शारीरिक लचीलापन और मांसपेशियों की ताकत बनाए रखना महत्वपूर्ण है। योगासन जैसे वृक्षासन, बद्ध कोणासन और बालासन शरीर को लचीला और मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। इससे प्रसव के दौरान शारीरिक कष्ट भी कम होता है।
  • रक्त संचार में सुधार - प्रेगनेंसी में योग करने से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व बेहतर ढंग से पहुंच पाते हैं। इससे गर्भ में शिशु का विकास भी बेहतर होता है।
  • पीठ दर्द में राहत - गर्भावस्था के दौरान बढ़ते वजन और शारीरिक बदलावों के कारण पीठ दर्द होना एक आम समस्या है। योगासन जैसे मार्जरीआसन (कैट पोज) और भुजंगासन (कोबरा पोज) पीठ दर्द में राहत प्रदान कर सकते हैं।
  • निद्रा में सुधार - प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अक्सर नींद की समस्या होती है। योग के नियमित अभ्यास से नींद की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलता है, जिससे आप अधिक आरामदायक महसूस करती हैं।
  • ऊर्जा स्तर में वृद्धि - गर्भावस्था के दौरान ऊर्जा की कमी आम बात है। नियमित व्यायाम से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता रहता है, जिससे आप दिनभर सक्रिय और ताजा महसूस करती हैं।
  • मूड में सुधार - व्यायाम से एंडोर्फिन हार्मोन का निर्माण होता है, जो मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है। इससे गर्भवती महिला का मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
  • वजन नियंत्रण - गर्भावस्था के दौरान वजन का नियंत्रण करना महत्वपूर्ण होता है। नियमित व्यायाम से वजन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और इससे गर्भावस्था से जुड़ी कई समस्याएं जैसे गेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम भी कम होता है।
  • प्रसव के लिए तैयारी - व्यायाम से मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और सहनशक्ति में सुधार भी देखने को मिलता है, जिससे प्रसव के समय शरीर अधिक तैयार रहता है।

प्रेगनेंसी में कौन सा योग करना चाहिए?

प्रेगनेंसी एक संवेदनशील समय होता है। इस दौरान महिलाओं को दो जान का ख्याल रखना होता है। गर्भावस्था के दौरान कुछ विशेष योगासन करना अधिक सुरक्षित और लाभकारी माना जाता है। निम्नलिखित योगासन आप गर्भावस्था के दौरान कर सकती हैं - 

  • वृक्षासन (ट्री पोज़): यह आसन संतुलन और स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
  • बद्ध कोणासन (बाउंड एंगल पोज़): यह आसन कूल्हों और कमर के लिए फायदेमंद होता है।
  • बालासन (चाइल्ड पोज़): यह आसन पीठ और कूल्हों को आराम देता है।
  • विपरीत करनी (लेग्स अप द वॉल पोज़): यह आसन पैरों की थकान को कम करने और रक्त संचार को बेहतर करने में मदद करता है।

प्रयास करें किसी भी योग या व्यायाम करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें। इस स्थिति में वह आपकी बेहतर मदद कर सकते हैं। 

गर्भावस्था में किन व्यायामों से बचना चाहिए?

गर्भावस्था में निम्न व्यायामों से बचने की सलाह दी जाती है - 

  • लंबे समय तक अपनी पीठ के बल न लेटें, खास तौर पर 16 सप्ताह के बाद ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि आपके पेट का वजन मुख्य रक्त वाहिका पर दबाव डालता है। 
  • ऐसे खेल और व्यायाम से दूर रहे हैं जिसमें चोट लगने की संभावना अधिक होती है, जैसे कि किक बॉक्सिंग, जूडो या स्क्वैश।
  • स्कूबा डाइविंग न करें, क्योंकि इससे शिशु को नुकसान हो सकता है। 
  • तेज भागने वाले व्यायामों से दूरी बनाएं और डेली वॉक को अपने रूटीन में लाएं। 

निष्कर्ष

प्रेगनेंसी के दौरान योग और व्यायाम का नियमित अभ्यास करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है। यह न केवल प्रसव के समय सहायक होता है, बल्कि प्रसव के बाद भी महिला को तेजी से स्वस्थ होने में भी मदद करता है। इसलिए, प्रेगनेंसी में योग और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और इस महत्वपूर्ण समय को स्वस्थ और सुखद बनाएं।

प्रेगनेंसी में योग से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न


प्रेगनेंसी में योग कैसे करें?

प्रेगनेंसी में योग करते समय डॉक्टर से सलाह लें, सुरक्षित और मॉडिफाइड योगासन चुनें, सांस पर ध्यान दें और नियमित रूप से मेडिटेशन और प्राणायाम भी करें।

क्या प्रेगनेंसी में योग करना सुरक्षित है?

हां, योग प्रेगनेंसी में बहुत फायदेमंद साबित होता है। इसकी मदद से मां और बच्चे दोनों को ही स्वास्थ्य लाभ देखने को मिलता है। योग विशेषज्ञ के निर्देशन में व्यायाम को करने से बहुत लाभ मिल सकता है। 

कब योग नहीं करना चाहिए?

यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, जैसे कि ब्लीडिंग, प्लेसेंटा की समस्या या डॉक्टर द्वारा कोई अन्य प्रतिबंध, तो योग करने की सलाह नहीं दी जाती है। 

Written and Verified by:

Dr. Namrata Gupta

Dr. Namrata Gupta

Senior Consultant Exp: 17 Yr

Obstetrics & Gynaecology

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MS in Obstetrics & Gynecology, Dr. Namrata Gupta has a decade long exhaustive clinical experience in the subject. She is a dedicated specialist proficient in managing high risk obstetrics, medical disorders in pregnancy, conducting operative as well painless deliveries. Her areas of interest include advanced laparoscopic gynaecological surgeries, preconceptional counseling, management of recurrent pregnancy loss and guidance to adolescent and post-menopausal women regarding health issues. She has been awarded prestigious fellow of Association of Minimal Access Surgeon of India FMAS and has taken special training in Critical Care in obstetrics from Safdarjung Hospital Delhi. She has presented several papers in national and international conferences and is member of prestigious medical associations. She has part in FOGSI National Guidelines for labour Induction and Management. Her objective as medical professional is delivering latest technology, highest skill and humble services to obstetric and gynaecology patients. 

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