स्ट्रोक की रोकथाम और शल्य चिकित्सा हस्तक्षेप
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स्ट्रोक की रोकथाम और शल्य चिकित्सा हस्तक्षेप

Summary

स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें पेशेंट को तुरंत चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है। यदि यह अनुपचारित रह जाए, तो इसके कारण मस्तिष्क को क्षति और स्ट्रोक की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यही कारण है कि इस स्थिति की रोकथाम और इलाज के बारे में जानना बहुत आवश्यक है।

स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें पेशेंट को तुरंत चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है। यदि यह अनुपचारित रह जाए, तो इसके कारण मस्तिष्क को क्षति और स्ट्रोक की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यही कारण है कि इस स्थिति की रोकथाम और इलाज के बारे में जानना बहुत आवश्यक है। 

स्ट्रोक के लक्षण

स्ट्रोक की रोकथाम और इलाज से पहले लक्षणों की पहचान आवश्यक है। जैसे-जैसे लक्षण दिखते हैं, वैसे-वैसे हम एक अनुभवी विशेषज्ञ से मिलने की सलाह देते हैं। निम्न लक्षणों के अनुभव होते ही, स्ट्रोक के संबंध में कोलकाता में न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श लें - 

  • चेहरे, हाथ या पैरों का सुन्न होना या कमजोरी आना। यह समस्या अक्सर शरीर के एक तरफ देखने को मिलती है। 
  • बोलने या समझने में कठिनाई होना। 
  • एक या दोनों आंखों में धुंधलापन या दृष्टि हानि।
  • चलने में कठिनाई या कॉर्डिनेशन बैठने में दिक्कत होना। 
  • तेज सिरदर्द 
  • चक्कर आना, मतली या उल्टी होना। 

इनमें से कुछ लक्षण अन्य रोग की तरफ संकेत करते हैं। इसलिए इन लक्षणों के अनुभव होते ही हम आपको तुरंत एक अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह देंगे। 

स्ट्रोक के प्रकार

स्ट्रोक की रोकथाम और शल्य चिकित्सा इसके प्रकारों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। मुख्य रूप से स्ट्रोक तीन प्रकार के होते हैं - 

  • इस्केमिक स्ट्रोक: यह सबसे आम प्रकार का स्ट्रोक है, जिसमें दिमाग में रक्त का प्रवाह रुक जाता है। 
  • हेमरेजिक स्ट्रोक: इसमें दिमाग तक रक्त के प्रवाह को बनाने वाली रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं, जिसके कारण रक्त हानि होती है। इसमें दिमाग के कुछ टिश्यू भी फट जाते हैं। 
  • ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए): इसे "मिनी-स्ट्रोक" के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब दिमाग में रक्त प्रवाह अस्थायी रूप से बाधित हो जाता है। टीआईए के लक्षण आमतौर पर कुछ मिनटों या घंटों के भीतर गायब हो जाते हैं, लेकिन यह भविष्य में स्ट्रोक के खतरे का संकेत हो सकता है। इसलिए इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। 

स्ट्रोक के कारण

स्ट्रोक की समस्या कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है जैसे - 

  • हाई ब्लड प्रेशर के कारण स्ट्रोक की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह स्ट्रोक का एक जोखिम कारक भी है। 
  • धूम्रपान स्ट्रोक के खतरे को कई गुना बढ़ा सकता है। 
  • हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में भी स्ट्रोक का खतरा लगातार बना रहता है। इसमें हृदय के पास की रक्त वाहिकाएं कठोर हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। 
  • डायबिटीज के कारण नसों को नुकसान होता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। 
  • एट्रियल फ़िब्रिलेशन, रक्त के थक्के जमने और अन्य हृदय रोग स्ट्रोक का कारण है। 
  • मोटापा भी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है। 
  • अत्यधिक शराब का सेवन स्ट्रोक का एक जोखिम कारक है। 
  • स्ट्रोक का खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है।

स्ट्रोक की रोकथाम और इलाज

स्ट्रोक का इलाज समय पर और प्रभावी ढंग से किया जाना बहुत ज्यादा आवश्यक है। स्ट्रोक के प्रकार और गंभीरता के आधार पर, इलाज के लिए दवाएं, थ्रोम्बोलिसिस (रक्त के थक्के का इलाज), या सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है, लेकिन इसका रोकथाम संभव है। स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने से इस रोग के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है जैसे कि - 

  • ब्लड प्रेशर का नियंत्रण:हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक का एक प्रमुख जोखिम कारक है। यदि समय पर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जाता है, तो इसके कारण स्ट्रोक की स्थिति से आसानी से बचा जा सकता है। 
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें: जितना वजन आपका होगा, स्ट्रोक का जोखिम भी उतना ही ज्यादा होगा। संतुलित आहार के साथ नियमित व्यायाम आपको एक स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद कर सकता है। 
  • डायबिटीज का प्रबंधन: समय पर डायबिटीज की पुष्टि और इलाज पूरे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी तो होता ही है, लेकिन इसके साथ-साथ यह शरीर में ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में भी मदद करता है। इसके लिए नियमित रूप से चेकअप कराएं और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
  • धूम्रपान और शराब छोड़ें: धूम्रपान और शराब स्ट्रोक के मुख्य जोखिम कारक हैं। यदि आप एक स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं, तो धूम्रपान को पूर्ण रूप से त्यागें और शराब के सेवन को भी सीमित करें। 
  • नियमित व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि हृदय स्वास्थ्य के लिए बेहतर है, जिससे स्ट्रोक का खतरा कई गुना कम हो जाता है। 
  • स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद वर्तमान में आपके लिए लाभकारी होंगे। 
  • तनाव का प्रबंधन: तनाव को जितना कम आप कर पाएंगे, इससे उतना लाभ आपको मिलेगा। तनाव को मैनेज करने के लिए सारे प्रयोग करें। 

स्ट्रोक के लिए शल्य चिकित्सा हस्तक्षेप:

कुछ मामलों में, स्ट्रोक के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। कौन सी सर्जरी होगी, इसका निर्णय स्ट्रोक के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। मुख्य रूप से तीन प्रकार की सर्जरी की आवश्यकती होती है - 

  • कैरोटिड एंडेक्टेरोक्टोमी: इस सर्जरी में गर्दन की रक्त वाहिकाओं में जमा प्लाक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है, जिसके कारण स्ट्रोक की समस्या उत्पन्न होती है। 
  • एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग: इस प्रक्रिया में एक पतली ट्यूब (कैथेटर) को रक्त वाहिका में डाला जाता है, जिससे पतली नसें फिर से मोटी हो जाती हैं और नसों में रक्त प्रवाह फिर से बहाल हो जाता है। 
  • क्रेनियोटोमी: इस प्रक्रिया में सिर में एक चीरा लगाकर रक्त के थक्के को हटाया जाता है। इससे इंटरनल ब्लीडिंग की समस्या का भी इलाज आसानी से संभव हो पाता है। 

निष्कर्ष:

स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है, लेकिन इसे रोका जा सकता है और प्रभावी ढंग से इसका इलाज भी संभव है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं और किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करने से स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न:

ब्रेन स्ट्रोक कैसे ठीक होता है?

ब्रेन स्ट्रोक को ठीक करने के लिए दवाएं, सर्जरी, रिहैबिलेशन, जीवनशैली में बदलाव, एक्सपेरिमेंटल ट्रीटमेंट, और कॉग्नेटिव थेरेपी की आवश्यकता पड़ सकती है। 

स्ट्रोक कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्य रूप से स्ट्रोक तीन प्रकार के होते हैं जैसे - 

  • इस्केमिक स्ट्रोक
  • हेमरेजिक स्ट्रोक
  • ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए)

Written and Verified by:

Dr. Ajay Aggarwal

Dr. Ajay Aggarwal

Consultant - Neurosurgery Exp: 25 Yr

Neurosurgery

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Dr. Ajay Agarwal is a Brain and Spine Surgeon. He combines his Neurosurgical training at the All India Institute of Medical Sciences, New Delhi with an experience of over 25 years in dealing with Neurosurgical cases. He deals with a wide variety of Neurosurgical cases like Tumors, Stroke, Congenital ailments, and Degenerative conditions afflicting the Brain and Spine. He is adept at Micro-neurosurgical Procedures which are often required when dealing with complex conditions.
He has multiple Papers and Presentations in his field. As a Member of various bodies like the Neurological Society of India, Association of Neuroscientists of Eastern India, Asian Congress of Neurological Surgeons and World Federation of Neurosurgical Societies, he finds a place both nationally and internationally.
 

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