स्पाइनल टीबी: रीढ़ की हड्डी में टीबी के लक्षण और इलाज
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स्पाइनल टीबी: रीढ़ की हड्डी में टीबी के लक्षण और इलाज

Summary

स्पाइनल टीबी एक गंभीर संक्रमण है, जो रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण यह समस्या होती है। समय पर इलाज न होने पर हड्डी विकृत हो सकती है या तंत्रिका समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सही समय पर इलाज, दवाइयाँ और कीमोथेरेपी से टीबी को हराया जा सकता है।

स्पाइनल टीबी (Spinal TB), जिसे ट्यूबरक्यूलस स्पॉन्डिलाइटिस या पोट्स डिजीज (Pott's Disease) के नाम से जाता है। स्पाइनल टीबी एक दुर्लभ लेकिन गंभीर समस्या है, जो मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। चलिए इस ब्लॉग से समझते हैं कि स्पाइनल टीबी क्या है और यह किस कारण से हमें परेशान करता है। टीबी के लक्षण दिखने के बाद आपको तुरंत एक अनुभवी विशेषज्ञ से परामर्श लने और इलाज लेने की सलाह दी जाती है।

स्पाइनल टीबी क्या है?

स्पाइनल टीबी को हम एक इन्फेक्शन के तौर पर देखते हैं, जो मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण उत्पन्न होती है। इसके कारण हमारे रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है। इस संक्रमण के कारण हमारी हड्डियों को गंभीर रूप से नुकसान होता है। कई बार यह समस्या पल्मोनरी टीबी (टीबी) के कारण भी उत्पन्न हो सकती है, लेकिन यह भी कम मामलों में देखने को मिलती है। यदि समय पर इस स्थिति का इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण रीढ़ की हड्डी के आकार में समस्या, नर्वस सिस्टम में समस्या और यहां तक की लकवा की समस्या भी हो सकती है। 

यह संक्रमण मुख्य रूप से रीढ़ की छाती और कमर के भाग को प्रभावित करती है, लेकिन यह रीढ़ के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण पेशेंट को किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।

स्पाइनल टीबी के कारण

स्पाइनल टीबी कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है। इस समस्या की शुरुआत फेफड़ों से शुरू होती है और रक्त प्रवाह या लिम्फ प्रणाली के माध्यम से अन्य अंगों में फैल सकती है। इस स्थिति के कुछ अन्य प्रमुख कारण हैं जैसे कि - 

  • कमजोर इम्यून सिस्टम: इस बात को आपको समझनी पड़ेगी कि एचआईवी/एड्स,डायबिटीज़ और इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का लंबे समय तक उपयोग हमारे शरीर और इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। 
  • पिछला टीबी संक्रमण: यदि आपको पहले कभी टीबी हुआ है या इसकी कोई मेडिकल हिस्ट्री रही है, तो स्पाइनल टीबी होने का जोखिम सबसे अधिक होगा।
  • कुपोषण: यदि आपके आहार में समस्या है, तो इसके कारण भी आप स्पाइनल टीबी की चपेट में आ सकते हैं।
  • संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आना: यदि किसी व्यक्ति के साथ लंबे समय तक आप संपर्क में रहते हैं जो टीबी या फिर स्पाइनल टीबी का सामना कर रहे हैं, तो आप भी इस संक्रमण के चपेट में आ सकते हैं।

स्पाइनल टीबी के लक्षण

स्पाइनल टीबी की स्थिति में कुछ शुरुआती लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जिसकी पहचान कर तुरंत इलाज करने से आपको जल्दी आराम मिल सकता है। इस स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • कमर दर्द: यह स्पाइनल टीबी का एक प्रमुख लक्षण है, जो समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है। यह शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है। 
  • बुखार: हल्का बुखार होना किसी खास समस्या की तरफ संकेत नहीं करता है। लेकिन यदि दूसरे लक्षण के साथ बुखार हो, तो आपको तुरंत सचेत हो जाना चाहिए और डॉक्टर से मिलना चाहिए।
  • वजन कम होना: अचानक बिना कारण वजन घटना टीबी का एक प्रमुख कारण है। 
  • थकान: यदि शरीर में कमजोरी या थकान है और दूसरे लक्षण भी उत्पन्न हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और इलाज के विकल्पों पर बात करें।
  • मांसपेशी में कमजोरी: संक्रमण के कारण शरीर के नर्वस सिस्टम पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है। 
  • विकृति: यदि स्थिति गंभीर हो जाए, तो इसके कारण रीढ़ की हड्डी का आकार बदलने लगता है। 
  • तंत्रिका लक्षण: यह लक्षण गंभीर मामलों में ही देखने को मिलता है। इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है, जिससे संवेदनहीनता या मूत्राशय और आंतों की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं, जो कि एक मुख्य लक्षण भी है।

स्पाइनल टीबी का निदान कैसे होता है?

स्पाइनल टीबी की जांच के संबंध में सबसे पहले मेडिकल हिस्ट्री के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके बाद शारीरिक परीक्षण, इमेजिंग टेस्ट और बैक्टीरिया टेस्ट होता है। हालांकि इलाज के लिए निम्न जांच कराने का सुझाव दिया जाता है - 

  • शारीरिक परीक्षण से पता किया जाता है कि दर्द कहां हो रहा है।
  • एक्स-रे से रीढ़ की हड्डी में होने वाले नुकसान को पहचाना जाता है।
  • एमआरआई या सीटी स्कैन से रीढ़ की हड्डी को होने वाले नुकसान को अच्छे से समझा जा सकता है। 
  • बैक्टीरियल टेस्ट से टीबी के बैक्टीरिया के बारे में जानकारी मिल सकती है। इस तरह के जांच के लिए बायोप्सी की जा सकती है। 
  • ब्लड टेस्ट की मदद से संक्रमण की पहचान आसानी से हो सकती है।

स्पाइनल टीबी की संभावित जटिलताएं

यदि स्पाइनल टीबी जैसी गंभीर समस्या का इलाज समय पर नहीं होता है, तो इसके कारण कई सारी गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि - 

  • रीढ़ की हड्डी के आकार में बहुत ज्यादा बदलाव आ जाते हैं, जैसे कि एक तरफ झुकना। कई बार लोग ही झुक कर चलने लगते हैं, जिसे काइफोसिस कहा जाता है।
  • इस रोग के कारण हमारे नर्वस सिस्टम पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण संवेदनहीनता और बाथरूम की समस्याएं होने लगती है। 
  • इस स्थिति में बैक्टीरिया संक्रमण का कारण होता है, जिसका इलाज समय पर नहीं किया गया तो रीढ़ के आसपास घावों या फोड़े बन सकते हैं।
  • गंभीर मामलों में, संक्रमण रक्त प्रवाह में फैल सकता है, जिससे सेप्सिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जो कि जानलेवा भी साबित हो सकती है।

स्पाइनल टीबी का इलाज कैसे किया जाता है?

स्पाइनल टीबी के इलाज के लिए दवाएं और कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है। इलाज के लिए मुख्य रूप से इलाज के निम्न विकल्पों का उपयोग किया जाता है - 

दवाएँ (एंटी-टीबी दवाएं): स्पाइनल टीबी के इलाज के तौर पर सबसे पहले एंटी-ट्यूबरकुलोसिस दवाएं दी जाती है। इन दवाओं का एक कोर्स होता है, जिसे पूरा करना होता है। इसमें मुख्य रूप से चार दवाएं दी जाती हैं - रिफैम्पिसिन, आइसोनियाजिड, पिराजीनामइड, और एथमबुटोल। यह दवाएं डॉक्टर 6 से 12 महीने के लिए प्रिसक्राइब करते हैं।

सर्जिकल उपचार: स्पाइन संक्रमण के कारण यदि रीढ़ की हड्डी पर गंभीर दबाव पड़ता है, तो इसके कारण हड्डी में समस्या आ सकती है और सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। इस स्थिति में निम्न विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है - 

  • स्पाइनल डिब्रेडमेंट: इसमें रीढ़ से संक्रमित ऊतक या फोड़े को सर्जरी से हटाया जाता है।
  • स्पाइनल फ्यूजन: इसमें रीढ़ की हड्डी को स्थिर करने के लिए मेटल के इम्प्लांट्स से हड्डियों से जोडा जाता है।
  • वर्टेब्रल बॉडी रीकंस्ट्रक्शन: इसमें प्रभावित हड्डियों को रिपेयर और रिप्लेस किया जाता है।

कीमोथेरेपी: टीबी के इलाज के लिए मुख्य रूप से एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी (एटीटी) का उपयोग होता है। सही समय पर इस स्थिति की पुष्टि हो जाने के बाद दवा और कीमोथेरेपी का उपयोग कर इस स्थिति का इलाज आसानी से किया जा सकता है। 

दर्द का प्रबंधन: इलाज के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि पेशेंट को होने वाला दर्द कम से कम हो। इसके लिए नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं (NSAIDs), ओपिओइड्स या लोकल एनेस्थेटिक का उपयोग किया जा सकता है।

रिकवरी: स्पाइनल टीबी से बचने के लिए डॉक्टर हर कुछ समय में निगरानी करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो पाता है कि दवा और इलाज अपना काम सही से कर रही है। 

गर्भवती महिला की स्पाइनल टीबी सर्जरी – CMRI की विशेषज्ञता

CMRI कोलकाता में हमारे पास एक 25 वर्षीय गर्भवती महिला कमर के निचले भाग में लगातार सुन्न और दर्द की शिकायत के साथ आई। वह इस समस्या के कारण मल त्याग को कंट्रोल करने और अपने सामान्य मूवमेंट को कंट्रोल करने की क्षमता को खो बैठी थी। MRI से स्पाइनल टीबी का पता चला, जिसमें पांचवीं और छठवीं डोर्सल वर्टेब्रा का प्रभावित होना और रीढ़ की हड्डी पर दबाव का संकेत मिला।

डॉ. रथिजीत मित्रा की अगुवाई में, न्यूरो सर्जरी की विशेष टीम ने एक जटिल सर्जरी की और सर्जरी बाद पेशेंट के शरीर में कई सकारात्मक बदलाव भी देखे गए। उनका ब्लैडर, बाउल कंट्रोल और पैरों की मूवमेंट में सुधार भी देखा गया।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या स्पाइनल टीबी से पूरी तरह ठीक हुआ जा सकता है?

हां, यदि सही समय पर इस स्थिति का पता चल जाए या इसका इलाज हो जाए, तो स्पाइनल टीबी से पूरी तरह से राहत मिल सकता है। हालांकि, गंभीर मामलों में तंत्रिका क्षति हो सकती है और इलाज में समय भी लग सकता है।

क्या स्पाइनल टीबी संक्रामक है?

नहीं, स्पाइनल टीबी खुद संक्रामक नहीं है। हालांकि, मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया जो स्पाइनल टीबी का कारण बनते हैं, वह वायु मार्ग से फैल सकते हैं, जो मुख्य रूप से पल्मोनरी टीबी के साथ देखा जाता है।

स्पाइनल टीबी और पल्मोनरी टीबी में क्या अंतर है?

स्पाइनल टीबी रीढ़ को प्रभावित करता है, जबकि पल्मोनरी टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। दोनों मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से होते हैं, लेकिन उनके शरीर में प्रभाव अलग होते हैं।

स्पाइनल टीबी के मरीज को क्या नहीं करना चाहिए?

स्पाइनल टीबी के मरीजों को भारी सामान उठाने और गतिविधियों से बचना चाहिए जो रीढ़ पर दबाव डाले। इसके अलावा, उन व्यक्तियों से बचना चाहिए जिनमें सक्रिय टीबी हो।

क्या स्पाइनल टीबी का पुनरावृत्ति संभव है?

हां, यदि उपचार योजना का सही तरीके से पालन नहीं किया जाए या संक्रमण पूरी तरह से खत्म न हो, तो यह समस्या फिर से उत्पन्न हो सकती है।

स्पाइनल टीबी हड्डियों को कमजोर क्यों करता है?

स्पाइनल टीबी रीढ़ की हड्डियों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और वह ढह सकती हैं, जिससे विकृतियाँ और तंत्रिका दबाव भी संभव है।

Written and Verified by:

Dr. Amitabha Chanda

Dr. Amitabha Chanda

Director of NeuroSurgery Exp: 36 Yr

Neurosciences

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