स्पाइनल टीबी एक गंभीर संक्रमण है, जो रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण यह समस्या होती है। समय पर इलाज न होने पर हड्डी विकृत हो सकती है या तंत्रिका समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सही समय पर इलाज, दवाइयाँ और कीमोथेरेपी से टीबी को हराया जा सकता है।
स्पाइनल टीबी (Spinal TB), जिसे ट्यूबरक्यूलस स्पॉन्डिलाइटिस या पोट्स डिजीज (Pott's Disease) के नाम से जाता है। स्पाइनल टीबी एक दुर्लभ लेकिन गंभीर समस्या है, जो मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। चलिए इस ब्लॉग से समझते हैं कि स्पाइनल टीबी क्या है और यह किस कारण से हमें परेशान करता है। टीबी के लक्षण दिखने के बाद आपको तुरंत एक अनुभवी विशेषज्ञ से परामर्श लने और इलाज लेने की सलाह दी जाती है।
स्पाइनल टीबी को हम एक इन्फेक्शन के तौर पर देखते हैं, जो मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण उत्पन्न होती है। इसके कारण हमारे रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है। इस संक्रमण के कारण हमारी हड्डियों को गंभीर रूप से नुकसान होता है। कई बार यह समस्या पल्मोनरी टीबी (टीबी) के कारण भी उत्पन्न हो सकती है, लेकिन यह भी कम मामलों में देखने को मिलती है। यदि समय पर इस स्थिति का इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण रीढ़ की हड्डी के आकार में समस्या, नर्वस सिस्टम में समस्या और यहां तक की लकवा की समस्या भी हो सकती है।
यह संक्रमण मुख्य रूप से रीढ़ की छाती और कमर के भाग को प्रभावित करती है, लेकिन यह रीढ़ के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकता है। इसके कारण पेशेंट को किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।
स्पाइनल टीबी कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है। इस समस्या की शुरुआत फेफड़ों से शुरू होती है और रक्त प्रवाह या लिम्फ प्रणाली के माध्यम से अन्य अंगों में फैल सकती है। इस स्थिति के कुछ अन्य प्रमुख कारण हैं जैसे कि -
स्पाइनल टीबी की स्थिति में कुछ शुरुआती लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जिसकी पहचान कर तुरंत इलाज करने से आपको जल्दी आराम मिल सकता है। इस स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं -
स्पाइनल टीबी की जांच के संबंध में सबसे पहले मेडिकल हिस्ट्री के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके बाद शारीरिक परीक्षण, इमेजिंग टेस्ट और बैक्टीरिया टेस्ट होता है। हालांकि इलाज के लिए निम्न जांच कराने का सुझाव दिया जाता है -
यदि स्पाइनल टीबी जैसी गंभीर समस्या का इलाज समय पर नहीं होता है, तो इसके कारण कई सारी गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि -
स्पाइनल टीबी के इलाज के लिए दवाएं और कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है। इलाज के लिए मुख्य रूप से इलाज के निम्न विकल्पों का उपयोग किया जाता है -
दवाएँ (एंटी-टीबी दवाएं): स्पाइनल टीबी के इलाज के तौर पर सबसे पहले एंटी-ट्यूबरकुलोसिस दवाएं दी जाती है। इन दवाओं का एक कोर्स होता है, जिसे पूरा करना होता है। इसमें मुख्य रूप से चार दवाएं दी जाती हैं - रिफैम्पिसिन, आइसोनियाजिड, पिराजीनामइड, और एथमबुटोल। यह दवाएं डॉक्टर 6 से 12 महीने के लिए प्रिसक्राइब करते हैं।
सर्जिकल उपचार: स्पाइन संक्रमण के कारण यदि रीढ़ की हड्डी पर गंभीर दबाव पड़ता है, तो इसके कारण हड्डी में समस्या आ सकती है और सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। इस स्थिति में निम्न विकल्पों का उपयोग किया जा सकता है -
कीमोथेरेपी: टीबी के इलाज के लिए मुख्य रूप से एंटी-ट्यूबरकुलर थेरेपी (एटीटी) का उपयोग होता है। सही समय पर इस स्थिति की पुष्टि हो जाने के बाद दवा और कीमोथेरेपी का उपयोग कर इस स्थिति का इलाज आसानी से किया जा सकता है।
दर्द का प्रबंधन: इलाज के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि पेशेंट को होने वाला दर्द कम से कम हो। इसके लिए नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं (NSAIDs), ओपिओइड्स या लोकल एनेस्थेटिक का उपयोग किया जा सकता है।
रिकवरी: स्पाइनल टीबी से बचने के लिए डॉक्टर हर कुछ समय में निगरानी करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो पाता है कि दवा और इलाज अपना काम सही से कर रही है।
CMRI कोलकाता में हमारे पास एक 25 वर्षीय गर्भवती महिला कमर के निचले भाग में लगातार सुन्न और दर्द की शिकायत के साथ आई। वह इस समस्या के कारण मल त्याग को कंट्रोल करने और अपने सामान्य मूवमेंट को कंट्रोल करने की क्षमता को खो बैठी थी। MRI से स्पाइनल टीबी का पता चला, जिसमें पांचवीं और छठवीं डोर्सल वर्टेब्रा का प्रभावित होना और रीढ़ की हड्डी पर दबाव का संकेत मिला।
डॉ. रथिजीत मित्रा की अगुवाई में, न्यूरो सर्जरी की विशेष टीम ने एक जटिल सर्जरी की और सर्जरी बाद पेशेंट के शरीर में कई सकारात्मक बदलाव भी देखे गए। उनका ब्लैडर, बाउल कंट्रोल और पैरों की मूवमेंट में सुधार भी देखा गया।
हां, यदि सही समय पर इस स्थिति का पता चल जाए या इसका इलाज हो जाए, तो स्पाइनल टीबी से पूरी तरह से राहत मिल सकता है। हालांकि, गंभीर मामलों में तंत्रिका क्षति हो सकती है और इलाज में समय भी लग सकता है।
नहीं, स्पाइनल टीबी खुद संक्रामक नहीं है। हालांकि, मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया जो स्पाइनल टीबी का कारण बनते हैं, वह वायु मार्ग से फैल सकते हैं, जो मुख्य रूप से पल्मोनरी टीबी के साथ देखा जाता है।
स्पाइनल टीबी रीढ़ को प्रभावित करता है, जबकि पल्मोनरी टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। दोनों मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से होते हैं, लेकिन उनके शरीर में प्रभाव अलग होते हैं।
स्पाइनल टीबी के मरीजों को भारी सामान उठाने और गतिविधियों से बचना चाहिए जो रीढ़ पर दबाव डाले। इसके अलावा, उन व्यक्तियों से बचना चाहिए जिनमें सक्रिय टीबी हो।
हां, यदि उपचार योजना का सही तरीके से पालन नहीं किया जाए या संक्रमण पूरी तरह से खत्म न हो, तो यह समस्या फिर से उत्पन्न हो सकती है।
स्पाइनल टीबी रीढ़ की हड्डियों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और वह ढह सकती हैं, जिससे विकृतियाँ और तंत्रिका दबाव भी संभव है।
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