ब्रोंकाइटिस: कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

ब्रोंकाइटिस: कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

Pulmonology |by Dr. Raja Dhar| Published on 10/01/2025

ब्रोंकाइटिस एक सामान्य सांस संबंधित समस्या है, जिसमें ब्रोन्कियल नलियों में सूजन आ जाती है, जो फेफड़ों से हवा को अंदर और बाहर करने में मदद करता है। इसके कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि खांसी, बलगम बनना और सांस लेने में कठिनाई होना। हालांकि इसके कारण और लक्षण की पहचान कर घरेलू उपचार की मदद से भी इस स्थिति का इलाज प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए तुरंत एक अच्छे एवं अनुभवी पल्मोनोलॉजिस्ट से मिल कर इलाज के सभी विकल्पों पर बात करें। 

ब्रोंकाइटिस क्या है?

जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि ब्रोंकाइटिस एक सांस संबंधित समस्या है, जिसमें ब्रोन्कियल नलियों में सूजन की शिकायत होती है। दो प्रकार के ब्रोंकाइटिस एक व्यक्ति को परेशान कर सकते हैं जैसे कि - 

  • तीव्र या एक्यूट ब्रोंकाइटिस: इस प्रकार के ब्रोंकाइटिस वायरल संक्रमण के कारण होता है जो थोड़े समय के लिए ही होती है, जिसमें इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • क्रोनिक ब्रोंकाइटिस: यह एक लंबे समय से परेशान करने वाली स्थिति है। धूम्रपान या जलन पैदा करने वाले पदार्थ इस स्थिति को ट्रिगर कर सकते हैं। ब्रोंकाइटिस एलर्जी के रूप में भी प्रकट हो सकता है, जहां धूल, पराग या प्रदूषण जैसे एलर्जी से सूजन की समस्या हो सकती है। 

ब्रोंकाइटिस के लक्षण

ब्रोंकाइटिस की स्थिति में कुछ लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। हालांकि एक्यूट और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस में अलग-अलग लक्षण उत्पन्न होते हैं। चलिए दोनों के लक्षणों को समझते हैं।

क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के लक्षण

क्रोनिक ब्रोंकाइटिस की स्थिति में लक्षण बार-बार उत्पन्न होते हैं और यह लंबे समय तक व्यक्ति को परेशान कर सकते हैं। निम्न लक्षण क्रोनिक ब्रोंकाइटिस की स्थिति की तरफ संकेत देते हैं - 

  • तीन महीने से अधिक समय तक बलगम का बनना।
  • गंभीर खांसी जो सुबह के समय अधिक परेशान करे।
  • बार-बार सांस का संक्रमण होना।

एलर्जिक ब्रोंकाइटिस के लक्षण

एलर्जिक ब्रोंकाइटिस या एक्यूट ब्रोंकाइटिस की स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • छींकना
  • नाक बहना या बंद होना
  • आंख में खुजली
  • ट्रिगर के संपर्क में आने से खांसी का बिगड़ना

किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर या उन लक्षणों के गंभीर होने पर हम आपको सलाह देंगे कि बिना देर किए डॉक्टर से मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर विचार करें। 

ब्रोंकाइटिस के कारण

ब्रोंकाइटिस की स्थिति निम्न कारणों से उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • संक्रमण: एक्यूट ब्रोंकाइटिस के अधिकतर मामलों में संक्रमण ही इसका कारण होता है। सर्दी और फ्लू के लिए ज़िम्मेदार वायरस मुख्य रूप से इस स्थिति के कारण होते हैं। 
  • धूम्रपान: धूम्रपान भी क्रोनिक ब्रोंकाइटिस का एक प्रमुख कारण, जिसमें समय के साथ वायुमार्ग संकुचित हो जाता है। 
  • प्रदूषण और जलन पैदा करने वाले तत्व: धूल, धुएं या वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी ब्रोंकाइटिस रोग की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 
  • एलर्जी: ब्रोंकाइटिस एलर्जी के मामलों में पराग, धूल या पालतू जानवरों की रूसी भी सूजन का कारण बनती है।

इन कारणों की पुष्टि भी इस स्थिति के इलाज में एक मुख्य भूमिका निभाते हैं। 

ब्रोंकाइटिस के लिए घरेलू उपचार

सबसे पहले आप यह समझें कि ब्रोंकाइटिस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन घरेलू उपचार से लक्षणों को कम किया जा सकता है जैसे कि - 

  • हाइड्रेटेड रहें: अच्छी मात्रा में तरल पदार्थ को पीने से शरीर में मौजूद हानिकारक पदार्थ को निकालने में मदद मिलती है। प्रयास करें कि कैफीन के स्थान पर पानी, या फिर ओआरएस पिएं। विशेष रूप से गर्म चाय (बिना दूध की), शोरबा और शहद के साथ पानी पीना आपके लिए लाभकारी होगा।
  • भाप लें:रोजाना भाप लेने से ब्रोन्कियल नलियों में सूजन कम होती है और इससे फेफड़े भी स्वस्थ होते हैं। वहीं इसके साथ-साथ ह्यूमिडिफायर का उपयोग भी आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है।
  • शहद और अदरक का सेवन: शहद अपने जीवाणुरोधी और अदरक सूजन-रोधी गुणों के लिए जाना जाता है। राहत के लिए एक चम्मच शहद को कद्दूकस करके अदरक और गर्म पानी में मिलाएं। 
  • नमक के पानी से गरारे करें: ऐसा करने से गले की खराश के साथ-साथ सूजन भी कम हो सकती है, जिससे लक्षणों में कमी देखने को मिल सकती है।
  • हल्दी वाला दूध पिएं: हल्दी, एक प्राकृतिक एवं सूजन-रोधी तत्व वाली आर्युवेदिक दवा है, जिसका उपयोग आप कई तरह से कर सकते हैं। आप इसे गर्म दूध में मिला कर भी पी सकते हैं। इससे आपको आराम तो मिलेगा ही, इसके साथ-साथ रिकवरी भी तेज होगी।
  • हर्बल उपचार: नीलगिरी और थाइम जैसी जड़ी-बूटियां सांस संबंधित किसी भी संक्रमण के इलाज में मदद कर सकता है। नीलगिरी के तेल से बंद वायुमार्ग भी आसानी से खुल जाते हैं। 

इसके अतिरिक्त आपको अपने आहार में कुछ चीजों को जोड़ने से भी बहुत लाभ मिल सकता है जैसे कि - 

  • हल्दी, अदरक और हरी पत्तेदार सब्जियां।
  • विटामिन सी से भरपूर फल
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे कि मछली, अलसी और अखरोट।

क्रोनिक ब्रोंकाइटिस का उपचार

क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के उपचार के लिए लक्षणों को ही मैनेज किया जाता है। ऐसा करने के लिए निम्न विकल्पों का सुझाव एक अनुभवी डॉक्टर देते हैं - 

  • वायु मार्ग खोलने के लिए ब्रोन्कोडायलेटर और इनहेलर
  • फेफड़ों के कार्य को बेहतर बनाने के लिए पलमोनरी रिहैबिलेशन
  • धूम्रपान छोड़ने और उत्तेजक पदार्थों के संपर्क में आने से बचने जैसे जीवनशैली में बदलाव

सही देखभाल और उत्तम इलाज के साथ ब्रोंकाइटिस का इलाज एवं प्रबंधन अच्छे से संभव है और देखभाल और इलाज के लिए लक्षणों को समय पर पहचानना बहुत ज्यादा आवश्यक है। घरेलू उपचार पर आप बिल्कुल भी निर्भर न रहें और इसके साथ-साथ एक अनुभवी विशेषज्ञ से भी परामर्श करें। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या ब्रोंकाइटिस संक्रामक है?

वायरल संक्रमण के कारण होने वाला एक्यूट ब्रोंकाइटिस एक संक्रामक रोग है, जो खांसी के बूंदों के माध्यम से फैलता है। इसके कारण कोई भी लंबे समय तक परेशान करने वाली समस्या उत्पन्न नहीं होती है, लेकिन फिर भी इस स्थिति का खास ख्याल रखने की सलाह हम आपको देंगे।

क्या मुझे ब्रोंकाइटिस के लिए एंटीबायोटिक लेनी चाहिए?

आमतौर पर तीव्र ब्रोंकाइटिस के लिए एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि अधिकांश मामले वायरल होते हैं। सटीक विश्लेषण के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।

क्या ब्रोंकाइटिस अपने आप ठीक हो सकता है?

हां, एक्यूट ब्रोंकाइटिस अक्सर सहायक देखभाल के साथ कुछ हफ्तों के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के प्रबंधन के लिए चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ती है।

ब्रोंकाइटिस और ब्रोंकोलाइटिस में क्या अंतर है?

जबकि ब्रोंकाइटिस बड़ी ब्रोन्कियल नलियों को प्रभावित करता है, ब्रोंकोलाइटिस में छोटे वायुमार्ग (ब्रोंकायोल्स) में सूजन होती है और यह बच्चों में अधिक आम है।

एलर्जिक ब्रोंकाइटिस क्या है?

एलर्जिक ब्रोंकाइटिस वायुमार्ग की सूजन है जो पराग, पालतू जानवरों की रूसी या मोल्ड जैसे एलर्जी के संपर्क में आने से होती है। इस स्थिति के प्रबंधन में ट्रिगर से बचना और एंटीहिस्टामाइन या इनहेलर जैसी दवाओं का उपयोग करना शामिल है।

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