हिस्टेरेक्टॉमी - बच्चेदानी निकालने का ऑपरेशन
Home >Blogs >हिस्टेरेक्टॉमी - बच्चेदानी निकालने का ऑपरेशन

हिस्टेरेक्टॉमी - बच्चेदानी निकालने का ऑपरेशन

Summary

हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी गर्भाशय ग्रीवा, यूट्रस या बच्चेदानी को निकालने का ऑपरेशन है। ऑपरेशन में किस भाग को निकाला जाता है, इसका निर्णय रोगी के वर्तमान स्वास्थ्य पर लिया जाता है।

वर्तमान में हिस्टेरेक्टॉमी के केस लगातार बढ़ने लगे हैं। हिस्टेरेक्टॉमी को बच्चेदानी में ऑपरेशन के नाम से भी जाना जाता है। इस सर्जरी के बाद महिलाएं गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं और न ही उन्हें पीरियड्स आते हैं। इस सर्जरी को करने के पीछे कई कारण है जैसे असामान्य रक्त हानि, यूट्रस प्रोलेप्स, फाइब्रॉएड और बच्चेदानी का कैंसर है। यदि डॉक्टर ने हिस्टेरेक्टॉमी का सुझाव दिया है तो इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित हो सकती है।

लेकिन यहां आपको एक बात का खास ख्याल रखना होगा कि इस ब्लॉग में मौजूद जानकारी एक सामान्य जानकारी है, जिससे आपको मदद तो मिलेगी लेकिन बिना स्त्री रोग विशेषज्ञ के अनुमति के किसी भी घरेलू उपाय या फिर दवा का उपयोग आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। चलिए समझते हैं कि हिस्टेरेक्टॉमी क्या है और किन-किन स्वास्थ्य स्थितियों में इस ऑपरेशन की आवश्यकता होती है।

हिस्टेरेक्टॉमी क्या है?

हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी गर्भाशय ग्रीवा, यूट्रस या बच्चेदानी को निकालने का ऑपरेशन है। ऑपरेशन में किस भाग को निकाला जाता है, इसका निर्णय रोगी के वर्तमान स्वास्थ्य पर लिया जाता है। यदि स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर है, तो सर्जन अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब की संरचनाओं को भी निकाल सकते हैं।

यहां एक सवाल उठता है कि हिस्टेरेक्टॉमी क्यों की जाती है? हिस्टेरेक्टॉमी करने के कई कारण होते हैं। चलिए सभी को एक-एक करके समझते हैं -

  • बच्चेदानी की रसौली (यूटेराइन फाइब्रॉएड): यह एक गैर-कैंसर की स्थिति है, जिसमें बच्चेदानी में रसौली या असामान्य संरचनाएं उत्पन्न होने लगती है। इसके कारण पीरियड्स के दौरान बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं जैसे पेल्विक पेन, असामान्य रक्त हानि और अतिरिक्त असुविधा। जब रसौली का आकार बढ़ जाता है, तो अतिरिक्त लक्षण उत्पन्न होते हैं, जिसके कारण सर्जन हिस्टेरेक्टॉमी का सुझाव देते हैं।
  • एंडोमेट्रियोसिस: एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें यूट्रस के अंदर पाए जाने वाले टिश्यू एंडोमेट्रियम टिश्यू बच्चेदानी के बाहर बढ़ने लगते हैं। इसके कारण दर्द, सूजन और कुछ घाव बन सकते हैं। इस स्थिति से राहत के लिए हिस्टेरेक्टॉमी का सुझाव डॉक्टर देते हैं। 
  • बच्चेदानी में कैंसर: यह एक गंभीर स्थिति है, जिसमें बच्चेदानी के कैंसर की कोशिकाओं के पहले निदान होता है, जिससे ऑपरेशन के द्वारा उस प्रभावित भाग को निकाला जा सके। कैंसर के प्रसार को रोकने के लिए बच्चेदानी को हटाने का ऑपरेशन किया जाता है। 
  • क्रोनिक पेल्विक पेन: श्रोणि में गंभीर दर्द के मामले में पौराणिक उपचार प्रभावी नहीं होते हैं। इस संबंध में डॉक्टर बच्चेदानी को निकालने के ऑपरेशन का सुझाव दे सकते हैं। 
  • यूट्रस प्रोलेप्स: यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब बच्चेदानी को सहारा देने वाली मांसपेशियां और ऊतक कमजोर हो जाती है। इसके कारण बच्चेदानी अपने स्थान से खिसक जाती है। यदि दूसरे विकल्प इस स्थिति के इलाज में प्रभावी नहीं होते हैं, तो हिस्टेरेक्टॉमी का सुझाव डॉक्टर दे सकते हैं। 
  • असामान्य रक्त हानि: यदि कोई महिला लंबे समय तक, भारी या अनियमित रक्त हानि का अनुभव करती हैं और दूसरे इलाज के विकल्प अप्रभावी होते हैं, तो हिस्टेरेक्टॉमी एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

सामान्यतः सभी कारण एक महिला के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं, लेकिन कैंसर के संबंध में महिला को अधिक सचेत रहने की आवश्यकता होती है। हालांकि हिस्टेरेक्टॉमी के भी अलग-अलग प्रकार होते हैं, जिसका निर्णय डॉक्टर स्थिति के कारण के आधार पर लेते हैं।

हिस्टेरेक्टॉमी के प्रकार

हिस्टेरेक्टॉमी से संबंधित कई प्रकार की सर्जरी होती हैं। स्थिति की गंभीरता यह निर्धारित करेगी कि फैलोपियन ट्यूब या अंडाशय को हटाया जाएगा या नहीं।

  • टोटल हिस्टेरेक्टॉमी: इस प्रकार की सर्जरी में बच्चेदानी के संपूर्ण भाग को ही निकाल लिया जाता है। इसमें सर्विक्स से लेकर बच्चेदानी तक सभी भाग को निकाल लिया जाता है। 
  • सुप्रासर्विकल हिस्टेरेक्टॉमी या ऑओफोरेक्टॉमी: इस सर्जरी में बच्चेदानी के ऊपरी भाग को ही हटाया जाता है। ऑओफोरेक्टॉमी में गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स को छेड़ा नहीं जाता है। इस प्रक्रिया का सुझाव डॉक्टर दो स्थिति में देते हैं - ग्रीवा के कारण कोई समस्या न हो या फिर ग्रीवा को निकालने से जटिलताएं उत्पन्न हो। 
  • रैडिकल हिस्टेरेक्टॉमी: रैडिकल हिस्टेरेक्टॉमी भी टोटल हिस्टेरेक्टॉमी की तरह ही एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें बच्चेदानी के साथ उसके चारों ओर पैरामीट्रियम नामक ऊतकों को निकाल लिया जाता है। कैंसर के संबंध में सर्जन इस प्रकार की सर्जरी का सुझाव देते हैं।

हिस्टेरेक्टॉमी करने की तकनीक

हिस्टेरेक्टॉमी तीन तरीकों से की जा सकती है - 

  • लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी
  • वेजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी
  • एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी

 

  • लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी: यह एक आधुनिक सर्जरी है, जिसमें आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसे की-होल सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बच्चेदानी के आस-पास के क्षेत्र में एक छोटा का छेद किया जाता है और दूरबीन की सहायता से बच्चेदानी को निकाल लिया जाता है। इस सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है। 
  • वेजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी: इस प्रक्रिया में योनि के आसपास चीरा लगाया जाता है और चीरे के माध्यम से बच्चेदानी और गर्भाशय ग्रीवा को निकाल लिया जाता है। एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टॉमी में लगने वाला समय वेजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी की तुलना में अधिक होता है और डॉक्टर वेजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी को प्राथमिकता देते हैं। 
  • एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टॉमी: इस सर्जरी में पेट के आस-पास चीरा लगाया जाता है। सर्जन पेट के निचले भाग में चीरा लगाकर बच्चेदानी को निकाल लेते हैं। इस प्रक्रिया का सुझाव डॉक्टर तब देते हैं, जब बच्चेदानी का आकार बढ़ने लग जाता है। बच्चेदानी में रसौली और ट्यूमर के संबंध में डॉक्टर इस प्रक्रिया का सुझाव देते हैं।

हिस्टेरेक्टॉमी से पहले होने वाली जांच

आमतौर पर डॉक्टर अन्य स्वास्थ्य स्थिति की पहचान के लिए कुछ जांच करवाते हैं। उस जांच के परिणाम ऑपरेशन के बाद या फिर दौरान उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। ऑपरेशन से पहले डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण का सुझाव दे सकते हैं - 

  • मूत्र परीक्षण
  • किडनी और पेट का एक्स-रे
  • रक्त परीक्षण
  • एमआरआई
  • एंडोमेट्रियल बायोप्सी
  • पेल्विक अल्ट्रासाउंड

हिस्टेरेक्टॉमी की जटिलताएं क्या हैं?

हिस्टेरेक्टॉमी ऑपरेशन के बाद अधिकांश महिलाएं किसी भी प्रकार की जटिलताएं महसूस नहीं करती हैं। लेकिन यह एक बड़ी सर्जरी है और रिकवरी के दौरान कुछ जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे - 

  • मूत्र असंयम
  • वैजाइनल प्रोलैप्स (यौनि का भाग शरीर से बाहर आना)
  • यौनि फिस्टुला
  • क्रोनिक पेन

हिस्टेरेक्टॉमी के कुछ और जोखिम होते हैं जैसे - घाव में संक्रमण, रक्त के थक्के जमना, रक्त हानि, एनेस्थीसिया से एलर्जी और आसपास के अंगों पर चोट। हालांकि यह सामान्य स्थिति है, जिसके लिए आपको डरने की आवश्यकता नहीं है।

हिस्टेरेक्टॉमी के बाद रिकवरी

हिस्टेरेक्टॉमी के बाद रोगी को थका हुआ महसूस हो सकता है। इस प्रकार की सर्जरी के बाद ऐसा महसूस होना एक सामान्य स्थिति है। हालांकि दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दर्द निवारक दवाएं दे सकते हैं। 

आमतौर पर हिस्टेरेक्टॉमी के बाद रिकवरी में लगभग छह से आठ हफ्तों का समय लगता है। हालांकि की-होल सर्जरी के बाद रिकवरी में समय थोड़ा कम लगता है। रोगी को रिकवरी के दौरान जितना संभव हो उतना आराम करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ होने में मदद मिलती है। रिकवरी के लिए आप निम्नलिखित निर्देशों का पालन कर सकते हैं - 

  • आहार में परिवर्तन: प्रोटीन, फल और सब्जियों को अपने आहार में जोड़ें। प्रयास करें कि आप संतुलित आहार लें और खुद को हाइड्रेट रखें। इस संबंध में आप किसी डाइटिशियन से भी मदद ले सकते हैं।
  • शारीरिक गतिविधियां: सर्जरी के बाद आपको धीरे-धीरे चलने और अपने रोजाना के कार्य करने की सलाह दी जाती है। इससे आपको बहुत मदद मिलेगी। यदि किसी भी रोजाना के कार्य करने में तकलीफ हो या फिर आप दैनिक कार्य करते समय थक जाएं तो आराम करें और फिर कार्य करें। अधिक समस्या दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
  • यौन गतिविधि: आमतौर पर सर्जन सर्जरी के बाद आठ सप्ताह तक योनि में टैम्पोन या अन्य कोई भी भेदक पदार्थ डालने को मना करते हैं। इसके साथ-साथ इन आठ सप्ताह में यौन गतिविधि से भी बचने की सलाह दी जाती है। 
  • चीरे की देखभाल/स्वच्छता: सर्जरी के दौरान सर्जन कुछ कट लगाते हैं, जिसका ख्याल रखना बहुत ज्यादा आवश्यक है। हर रोज कट को साफ करें और ड्रेसिंग बदलें। लालिमा, सूजन, तरल पदार्थ के निकलने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
  • दवाएं: डॉक्टर कुछ दवाओं का सुझाव देते हैं कि जब भी आवश्यकता हो रोगी उन दवाओं का सेवन कर सकते हैं जैसे दैनिक कार्य करने के दौरान दर्द हो तो आराम के साथ दर्द की दवा लें। वहीं कुछ मामलों में कब्ज की शिकायत होती है, जिसके लिए लैक्सेटिव दी जाती हैं।
  • बोवेल मूवमेंट: मल त्यागने में कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। आमतौर पर सर्जरी के बाद पहली बार मल त्यागने में 4-5 दिन लग जाते हैं। इसके कारण गैस की समस्या भी होती है। इससे बचने के लिए डॉक्टर डॉक्यूसेट का सुझाव देते हैं।
  • शारीरिक परिवर्तन: कई बार महिलाएं योनि से अधिक रक्त हानि का अनुभव करती हैं। सर्जरी के बाद रक्त हानि एक सामान्य स्थिति है। यदि स्थिति ज्यों की त्यों रहती है, तो तुरंत एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए और सहायता लेनी चाहिए।

हिस्टेरेक्टॉमी से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी रिकवरी के बाद क्या खाना चाहिए?

इलाज को बढ़ावा देने और जोखिम और जटिलताओं को कम करने के लिए हिस्टेरेक्टॉमी के बाद कुछ चीजों को आपको अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए। निम्नलिखित चीजों को अपने आहार में अवश्य शामिल करें - 

  • साबुत अनाज और फलों को अपने आहार में जोड़ें
  • लीन प्रोटीन और वसायुक्त मछली
  • पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम लें

क्या हिस्टेरेक्टॉमी (बच्चेदानी को निकालने की सर्जरी) सुरक्षित है?

आमतौर पर हिस्टेरेक्टॉमी (बच्चेदानी को निकालने की सर्जरी) को एक सुरक्षित सर्जरी के रूप में जाना जाता है। किसी भी बड़ी सर्जरी के साथ जटिलताओं का खतरा भी होता है। इसी प्रकार इस सर्जरी के भी कुछ जटिलताएं होती है, जिसका इलाज दवाएं से भी संभव है। 

क्या हिस्टेरेक्टॉमी यौन क्षमता को प्रभावित करती है?

हिस्टेरेक्टॉमी (बच्चेदानी को हटाने की सर्जरी) में महिला के शरीर से प्रजनन अंगों को निकाल लिया जाता है। अधिक्तर हिस्टेरेक्टॉमी के मामलों में महिला की योन क्षमता प्रभावित नहीं होती है। हालांकि कुछ जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिसके लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

Written and Verified by:

Dr. C. P. Dadhich

Dr. C. P. Dadhich

Director Exp: 25 Yr

Obstetrics and Gynaecology

Book an Appointment

Dr. C. P. Dadhich is the best Gynecologist in Jaipur, who has played a vital role in developing of Gynecology Laproscopic Surgery in Rajasthan. He is recognised trainer from FOGSI (Federation of Obstetric & Gynaecological Society of India) & Operative Laparoscopic faculty at National and International level.

Related Diseases & Treatments

Treatments in Jaipur

Obstetrics and Gynaecology Doctors in Jaipur

NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now