अल्ज़ाइमर क्या है? जानिए इसके लक्षण और रोकथाम के उपाय
Home >Blogs >अल्ज़ाइमर क्या है? जानिए इसके लक्षण और रोकथाम के उपाय

अल्ज़ाइमर क्या है? जानिए इसके लक्षण और रोकथाम के उपाय

Summary

अल्जाइमर रोग एक प्रकार का डिमेंशिया है, जो याददाश्त, सोचने और व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसके लक्षण धीरे-धीरे बढ़कर इतने गंभीर हो जाते हैं कि वह रोजमर्रा के कामों में बाधा डाल सकते हैं।

जब अचानक आपको अपनों के नाम या बातें, रोजमर्रा के छोटे काम या अपना पता याद न रहे, तो सोचिए आपके परिवार को कैसा महसूस होगा। यही है अल्जाइमर रोग का डरावना पहलू, जहां आपकी पहचान, रिश्तों और आत्मनिर्भरता से धीरे-धीरे आपको दूर कर देता है।

भारत में न जाने हर साल लाखों बुजुर्ग याददाश्त जाने, व्यवहार में बदलाव या आत्मनिर्भरता खत्म होने जैसे लक्षण लेकर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकांश को पता ही नहीं कि यह सब "अल्जाइमर" के कारण हो रहा है और कितने समय से वह इन सबका सामना कर रहे हैं।

यदि आपके परिवार में कोई लगातार चीज़ें भूल रहा है, बातों को बार-बार दोहरा रहा है या व्यवहार में अचानक बदलाव आ रहा है, तो इसे उम्र का साधारण असर समझकर न टालें। सही समय पर पहचान और इलाज से इस बीमारी का असर काफी हद तक कम किया जा सकता है और एक अच्छा जीवन व्यतीत किया जा सकता है। यदि आपके परिवार में कोई भी इस समस्या का सामना कर रहा है, तो बिना देर किए एक अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें और इलाज लें।

अल्जाइमर क्या होता है? (What is Alzheimer’s Disease?)

अल्जाइमर रोग दिमाग की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी है, जिसे सबसे आम "डिमेंशिया" (संज्ञानात्मक कमी/भुलक्कड़पन) का कारण माना जाता है। यह बदलाव आमतौर पर 65 वर्ष के बाद ज्यादा देखने को मिलता है, लेकिन कुछ में कम उम्र में भी दिख सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के 2024 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लगभग 5.5 करोड़ से अधिक लोग डिमेंशिया या भूलने वाली बीमारी से ग्रसित हैं, जिनमें 60–70% अल्जाइमर के मामले हैं। वहीं दूसरी तरफ भारत में 40 लाख से ज्यादा लोग अल्जाइमर से प्रभावित हैं और यह संख्या हर दशक दोगुनी हो रही है।

अल्जाइमर में मस्तिष्क में दो विशेष प्रोटीन ("एमाइलॉइड प्लाक्स" और "टाउ टैंगल्स") अनियमित तरीके से जमने लगते हैं, जिससे तंत्रिका कोशिकाओं के बीच का संपर्क और उनका कामकाज प्रभावित होता है। इसके कारण धीरे-धीरे दिमाग का आकार भी सिकुड़ जाता है, जिससे लोगों को याद रखने की क्षमता भी काफी हद तक प्रभावित होती है। 

अल्जाइमर के प्रमुख कारण - Main Causes of Alzheimer’s Disease

आज तक अल्जाइमर का सटीक कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ प्रमुख कारण है, जिससे यह समस्या उत्पन्न हो सकती है - 

  • आनुवंशिकता (Genetics): परिवार में यदि किसी को अल्जाइमर या डिमेंशिया (विशेष रूप से APOE-e4 जीन) हो या फिर परिवार की मेडिकल हिस्ट्री में यह समस्या रही हो, तो उस व्यक्ति के जीवन में भी अल्जाइमर का खतरा लगातार बना रहता है।
  • उम्र (Age): जिनकी उम्र 65 वर्ष के अधिक हो जाती है, उनमें डिमेंशिया का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
  • दिमागी चोट (Head Injury): सिर में गंभीर चोट अल्जाइमर का कारण बन सकता है, इसलिए अक्सर सिर में चोट लगने के बाद डॉक्टर इसकी संभावना को सबसे पहले नकारते हैं।
  • स्ट्रोक, हृदय रोग: उच्च रक्तचापडायबिटीजहृदय रोग जैसी स्थितियां भी इस रोग का मुख्य कारण बन सकती हैं। 
  • अन्य कारक: अधिक शराब का सेवन, धूम्रपान, नींद की समस्या, और प्रदूषण भी इस रोग का एक मुख्य जोखिम कारक है।

समय के साथ याददाश्त का कमजोर होना साधारण बात है, लेकिन यदि यह दिक्कत आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है, तो विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण - Early Symptoms of Alzheimer’s

अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लक्षण स्पष्ट रूप से नजर आ जाते हैं। चलिए उन लक्षणों को जानते हैं, जो बताते हैं कि अल्जाइमर की शुरुआत हो गई है -

  • बार–बार एक ही सवाल पूछना, अपॉइंटमेंट, नाम, तारीख भूलना और कभी-कभी हाल में हुई चीजों को भी भूलना।
  • चीजें गलत स्थान पर रखना जैसे कि चाबियां कहीं पर भी रख कर भूल जाना या कपड़े अलमारी की जगह किसी दूसरे कमरे में रख देना।
  • सामान्य कामों को करने में परेशानी होना जैसे कि खाना बनाना या बैंक का काम करना भूल जाना।
  • भाषा में परेशानी एक मुख्य लक्षण है। बात के बीच महत्वपूर्ण शब्द भूल जाना या गलत शब्दों का प्रयोग करना भी अल्जाइमर का एक मुख्य लक्षण है।
  • निर्णय लेने में समस्या भी एक ऐसा लक्षण है, जो एक सामान्य स्थिति है। लेकिन इस लक्षण का बाकि के लक्षणों के साथ उत्पन्न होना बताता है कि आप अल्जाइमर का शिकार होने वाले हैं। 
  • मूड व व्यवहार में बदलाव जैसे कि चिड़चिड़ापन, झुंझलाहट, और किसी भी बात पर विश्वास नहीं करना। लोगों से दूरी बनाना भी इसका एक मुख्य लक्षण है। 
  • रास्ता भूल जाना और परिचित जगहों में भी खो जाना।

जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, रोजमर्रा के कपड़े पहनना, नहाना, शौचालय उपयोग जैसी सामान्य चीजें भी मुश्किल लगने लगती हैं।

अल्जाइमर से जुड़े जोखिम कारक - Risk Factors for Alzheimer’s Disease

अल्जाइमर एक ऐसी समस्या है, जिसके बहुत सारे जोखिम कारक हो सकते हैं जैसे कि - 

  • उम्र: 65 के बाद हर 5 साल में खतरे की संभावना बढ़ती है।
  • फैमिली मेडिकल हिस्ट्री: यह अल्जाइमर का कारण और जोखिम कारक दोनों है। माता–पिता, भाई–बहन को यह समस्या हो तो आप भी इसके जोखिम के दायरे में आते हैं।
  • लिंग: महिलाएं पुरुषों की तुलना में इस रोग से ज्यादा प्रभावित होती हैं।
  • जीवन शैली: शारीरिक निष्क्रियता, अनहेल्दी डाइट, धूम्रपान, शराब का सेवन अल्जाइमर का एक मुख्य जोखिम कारक है।
  • मोटापा, उच्च BP, डायबिटीज: यदि आपका वजन ज्यादा है या फिर आप हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का सामना कर रहे हैं, तो आप भी इस रोग के जोखिम के दायरे में आते हैं।
  • स्लीप एपनिया: यह नींद में बाधा की स्थिति है। यदि आपकी नींद में रोज समस्या होती है, तो आप भी स्लीप एपनिया जैसी स्थिति का सामना करते हैं। 

यह सारे जोखिम कारक सामान्य जोखिम कारक हैं और इनसे कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, इसलिए समय-समय पर डॉक्टरी सलाह बहुत ज्यादा अनिवार्य है।

अल्जाइमर की पहचान और जांच कैसे होती है? - Diagnosis & Tests

कई बार परिवार वाले ही शुरुआती बदलाव पहचानते हैं। यदि इन लक्षणों में से कुछ लंबे समय से दिखें, तो डॉक्टर से परामर्श जरूरी है। डॉक्टर कुछ जांच का सुझाव देते हैं या स्वयं जांच करते हैं जैसे कि - 

  • मेडिकल हिस्ट्री व फैमिली मेडिकल हिस्ट्री की पुष्टि सबसे पहले की जाती है।
  • इसके आधार पर संज्ञानात्मक परीक्षण (memory, reasoning, language skills) होता है।
  • शारीरिक व न्यूरोलॉजिकल जांच (balance, reflex, coordination)।
  • ब्लड टेस्ट, दिमाग का MRI (Brain MRI) या CT Scan, PET Scan (एमाइलॉइड/टाउ प्रोटीन पता करने के लिए)।
  • मूड व व्यवहार अस्सेसमेंट।

शुरुआती पहचान से शारीरिक, भावनात्मक एवं आर्थिक बोझ कम हो सकता है और मरीज तथा उसके परिवार की तैयारी समय पर हो जाती है।

अल्जाइमर से बचाव और रोकथाम के उपाय (Prevention & Care)

हालांकि अल्जाइमर का पूरी तरह इलाज (Alzheimer ka ilaaj) या रोकथाम आज भी संभव नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव और हेल्थ मैनेजमेंट की मदद से इस रोग की शुरुआत को टाला या इसके असर को कम किया जा सकता है - 

  • स्वस्थ खान पान: फ्रूट्स, हरी सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड, होल ग्रेन्स, कम फैट वाला आहार आपके लिए सबसे ज्यादा लाभकारी साबित हो सकता है। 
  • नियमित एक्सरसाइज: रोजाना 30–45 मिनट की मध्यम शारीरिक सक्रियता (वॉकिंग, योग, साइकिल चलाना, डांस) आपके लिए फायदेमंद होंगे।
  • मानसिक सक्रियता: खेल, म्यूजिक, किताबें, नई चीजें सीखना, सोशल होना और लोगों से बात करना आपको इस समस्या से बचा सकता है। जब आप लोगों के बीच होते हैं, तो आप उनसे बहुत सारी चीजें सीखते हैं।
  • नींद का ध्यान रखें: गहरी और पर्याप्त नींद लेना आपके लिए जरूरी है। 24 घंटे में से कम से कम 7-8 घंटे की नींद स्वस्थ शरीर के लिए बहुत आवश्यक है।
  • बीपी, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करें:इन तीनों को यदि आप अपनी जीवनशैली या फिर डॉक्टरी सलाह से मैनेज कर लेते हैं, तो इससे आपको अंत में बहुत लाभ मिलेगा।
  • धूम्रपान और शराब: इनसे दूरी आपके और आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी हो सकता है।
  • नियमित हेल्थ चेकअप और डॉक्टरी सलाह: यह एक ऐसा कदम है, जिसकी मदद से आप कई बीमारियों से कोसो दूर रह सकते हैं। हर साल कम से कम एक बार हेल्थ चेकअप करवा लेना चाहिए। 

निष्कर्ष

याददाश्त केवल जीवन की कहानी नहीं, जीवन की आत्मा है। अल्जाइमर का समय रहते पता चलना व जागरूकता ही सबसे बड़ा इलाज है। परिवार व समाज में सहारा, डॉक्टर की सलाह, और सही इलाज से इस बीमारी के असर को कई गुना कम किया जा सकता है।

अगर आप अपने आप में या घर में ऐसे लक्षण देखें, तो बिना हिचक डॉक्टर से संपर्क करें। यह एक नया, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का पहला कदम हो सकता है।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या अल्जाइमर की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है?

नहीं, अल्जाइमर अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। लेकिन शुरुआत में दवाओं और लाइफस्टाइल बदलावों से लक्षणों को कंट्रोल और इस रोग की प्रगति को धीमा किया जा सकता है।

अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या अंतर है?

डिमेंशिया एक सिंड्रोम है जिसमें सोच, याददाश्त या व्यवहार बिगड़ता है, और अल्जाइमर इसका सबसे आम कारण है। हर अल्जाइमर के मरीज को डिमेंशिया होता है, लेकिन हर डिमेंशिया अल्जाइमर नहीं।

अल्जाइमर कितनी उम्र में होता है और किसे ज्यादा खतरा है?

अल्जाइमर अधिकतम 65 के बाद दिखता है, पर कुछ मामलों में 40–50 की उम्र में भी हो सकता है। परिवार में मेडिकल हिस्ट्री, ज़्यादा उम्र, और महिलाओं में जोखिम ज्यादा है।

क्या योग और ध्यान से अल्जाइमर को रोका जा सकता है?

योग, ध्यान, मानसिक सक्रियता और जीवनशैली में सुधार से अल्जाइमर का जोखिम काफी हद तक कम किया जा सकता है।

अल्जाइमर की शुरुआती पहचान कैसे करें?

अगर कोई बार-बार भूलने लगे, रोजमर्रा के फैसलों में दिक्कत हो, या व्यवहार में बदलाव हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।

Written and Verified by:

Dr. Arabinda Mukherjee

Dr. Arabinda Mukherjee

Consultant - Neurologist Exp: 35 Yr

Neuro Sciences

Book an Appointment

Related Diseases & Treatments

Treatments in Kolkata

Neuro Sciences Doctors in Kolkata

NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now