आर्थराइटिस के प्रकार और घरेलू उपचार
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आर्थराइटिस के प्रकार और घरेलू उपचार

Summary

आर्थराइटिस (गठिया) एक ऐसी समस्या है, जो जोड़ों की सूजन को संदर्भित करता है, जिसके कारण व्यक्ति को दर्द, सूजन और सीमित गतिशीलता की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह समस्या एक या कई जोड़ों को प्रभावित कर सकता है और आमतौर पर जोड़ों के टीबी या प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं से संबंध रखता है। अर्थराइटिस वृद्ध वयस्कों में अधिक आम है, लेकिन यह युवा व्यक्तियों में ज्यादा देखा जाता है। 

अर्थराइटिस (गठिया), एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन की समस्या होती है। दुनिया भर में लाखों लोग इस स्थिति से प्रभावित होते है, जिसके कारण उनके जीवन की गुणवत्ता और गतिशीलता को भारी नुकसान होता है। 

कई कारणों से यह समस्या एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है, जिनको समझना बहुत ज्यादा ज़रूरी है। इस ब्लॉग में, हम अर्थराइटिस के पांच प्रमुख प्रकारों, उनके लक्षणों और असुविधा को कम करने के लिए कुछ प्रभावी घरेलू उपचारों के बारे में जानेंगे। गठिया के इलाज के लिए जल्द से जल्द एक अच्छे एवं अनुभवी गठिया रोग विशेषज्ञ से मिलें और उनसे इलाज लें।

अर्थराइटिस क्या है?

आर्थराइटिस (गठिया) एक ऐसी समस्या है, जो जोड़ों की सूजन को संदर्भित करता है, जिसके कारण व्यक्ति को दर्द, सूजन और सीमित गतिशीलता की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह समस्या एक या कई जोड़ों को प्रभावित कर सकता है और आमतौर पर जोड़ों के टीबी या प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं से संबंध रखता है। अर्थराइटिस वृद्ध वयस्कों में अधिक आम है, लेकिन यह युवा व्यक्तियों में ज्यादा देखा जाता है। 

अर्थराइटिस क्यों होता है? 

अर्थराइटिस की शुरुआत कई कारकों से हो सकती है, जिसमें जेनेटिक कारण, चोट, जीवनशैली की आदतें और ऑटोइम्यून विकार शामिल है। अर्थराइटिस के होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे कि - 

  • बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में घिसाव 
  • आनुवंशिकता (Genetics)
  • ऑटोइम्यून विकार
  • जोड़ों की चोट
  • मोटापा
  • संक्रमण
  • अनियमित आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, और पोषण की कमी 
  • हार्मोनल असंतुलन

इनके अतिरिक्त भी कुछ कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में विस्तार से बात करने की आवश्यकता है।

अर्थराइटिस के 5 मुख्य प्रकार

अर्थराइटिस लगभग 100 बीमारियों का संग्रह है, लेकिन अर्थराइटिस 5 मुख्य प्रकार के होते हैं - 

  1. ऑस्टियोअर्थराइटिस (ओए): यह अर्थराइटिस का सबसे प्रचलित प्रकार है, जिसमें हड्डियों को सहारा देने वाली कार्टिलेज धीरे-धीरे खराब होने लग जाती है। 
  2. रूमेटाइड अर्थराइटिस (आरए): यह ऑटोइम्यून रोग है, जिसका संबंध प्रतिरक्षा प्रणाली से है। इसमें व्यक्ति को लंबे समय तक सूजन का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उपास्थि और हड्डियों को नुकसान पहुंचता है। 
  3. सोरियाटिक अर्थराइटिस (PsA): सोरियाटिक अर्थराइटिस एक तरह का अर्थराइटिस है, जिसमें त्वचा पर चकत्ते होते हैं और जोड़ों में सूजन, दर्द, और अकड़न का अनुभव होता है। यह आमतौर पर उन लोगों को होता है, जिनको सोरायसिस है या जिनकी फैमिली मेडिकल हिस्ट्री में सोरायसिस है।
  4. गाउट: इसे आप सूजन संबंधी अर्थराइटिस भी कह सकते हैं। गाउट जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल के निर्माण के कारण होता है। इसमें पेशेंट को अचानक, तीव्र दर्द होता है, जो आम तौर पर पैर के अंगूठे से शुरू होता है।
  5. एंकाइलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस: इस प्रकार का अर्थराइटिस मुख्य रूप से रीढ़ को प्रभावित करता है, जिसमें एक व्यक्ति को लंबे समय तक दर्द का अनुभव होता है। 

अर्थराइटिस के लक्षण

हालांकि अर्थराइटिस के लक्षण प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं, जिनके बारे में आपको जानकारी अवश्य होनी चाहिए -

  • जोड़ों में लगातार दर्द होना।
  • जोड़ों में सूजन और लालिमा।
  • विशेष रूप से जागने या निष्क्रियता की अवधि के बाद कठोरता।
  • गति का सीमित होना।
  • जोड़ों में कोमलता
  • थकान और सामान्य अस्वस्थता (विशेष रूप से आरए में)।

यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो सटीक निदान और उचित उपचार के लिए अर्थराइटिस विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। वह एक्स-रे, एमआरआई और ब्लड टेस्ट जैसे जांच की मदद से गठिया के प्रकार की पुष्टि कर इलाज करा सकते हैं। 

अर्थराइटिस के लिए घरेलू उपचार

अर्थराइटिस के इलाज में दवाएं और अन्य एलोपैथिक इलाज के विकल्प बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। हालांकि कुछ प्राकृतिक उपचारों की मदद से इस स्थिति का इलाज प्रभावी ढंग से और तेजी से हो सकता है जैसे कि - 

  • गर्म और ठंडी थेरेपी: प्रभावित क्षेत्र पर हीट या कॉल्ड पैक लगाने से दर्द और कठोरता में काफी कमी आ सकती है। इससे रक्त प्रवाह फिर से बहाल होता है और दर्द एवं सुन्नता से आराम मिलता है। 
  • व्यायाम और योग: तैरना, पैदल चलना और योग जैसे नियमित कम प्रभाव वाले व्यायाम जोड़ों में ताकत को फिर से वापस ला सकते हैं और इसके आस-पास की मांसपेशियों को भी मजबूत कर सकते हैं। 
  • आहार में बदलाव: ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली, नट्स, बीज और हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे सूजन को कम करने वाले खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। स्वस्थ एवं संतुलित आहार ही स्वस्थ जीवन की पूंजी है।
  • हर्बल उपचार: हल्दी और अदरक जैसी प्राकृतिक जड़ी-बूटियां अपने सूजन को कम करने वाले गुणों के लिए जानी जाती हैं। उन्हें अपने आहार में ज़रूरी शामिल करें।
  • मालिश: नियमित रूप से हल्की मालिश करने से रक्त संचार में सुधार होता है और तनाव से राहत भी मिलती है। यह एक सरल और प्रभावी घरेलू उपाय है।

गठिया की पहचान करना आसान है और जैसे ही आपको पहचान हो जाए तो आप सबसे पहले अर्थराइटिस रोग स्पेशलिस्ट डॉक्टर से मिलें। जब तक आप उनसे नहीं मिलते हैं, तब तक आप इस ब्लॉग में मौजूद घरेलू उपायों का पालन कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

अर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने का सबसे तेज़ तरीका क्या है? 

अर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए सबसे तेज़ तरीका गर्म और ठंड की सेक लगाना, ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं खाना और व्यायाम एवं स्वस्थ जीवन शैली का संयोजन है। 

क्या कुछ प्रकार के मौसम अर्थराइटिस को बदतर बनाते हैं?

हां, ठंड और नमी वाले मौसम अर्थराइटिस के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं, क्योंकि कम तापमान जोड़ों की कठोरता और परेशानी को बढ़ाते हैं। इसी मौसम में अधिक रोगी आते हैं।

क्या योग अर्थराइटिस में मदद कर सकता है?

जी हां, योग जोड़ों के लचीलेपन में सुधार करता है, कठोरता को कम करता है और जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद करता है, जो अर्थराइटिस के लक्षणों को कम कर सकते हैं।

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Rajput

Dr. Rakesh Rajput

HOD & Director - Orthopaedics Exp: 25 Yr

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Dr. Rakesh Rajput has been associated with reputed organizations like Frenchay Hospital-Bristol, Weston General Hospital- UK, Musgrove Park Hospital – UK, Bristol Royal Infirmary – UK, Southmead Hospital – UK, Yeovil Hospital – UK,   Whipps Cross Hospital –  UK,  Perth Royal Hospital – Australia, Inverclyde Royal- UK, Cork University Hospital – Ireland, St. Nessan’s Regional, James Connolly Memorial Hospital – Germany, Benenden Hospital – UK.

He is the Ex- Secretary of WBAS, Joint Secretary of Indian Arthroplasty Association, President Elect of Pelvic & Acetabular Surgeons of India, Board Member of Indian Medical Association, Board Member of Indian Orthopedic Association. He is also associated with Tripura Medical College.

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