रिकेट्स: लक्षण, कारण और उपचार
Home >Blogs >रिकेट्स: लक्षण, कारण और उपचार

रिकेट्स: लक्षण, कारण और उपचार

Summary

अभी हमने आपको बताया है कि सूखा रोग या रिकेट्स रोग हड्डी का रोग है, जिसमें शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत कम हो जाती है। पहले के समय में इस रोग को लोग गरीबी और कुपोषण से जोड़ कर देखते हैं। लेकिन वर्तमान में अब मेडिकल साइंस बहुत ज्यादा बदल चुका है।

विटामिन डी हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यदि विटामिन डी की मात्रा हमारे शरीर में कम हो जाती है, तो इसके कारण शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती है। विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्हीं में से एक है रिकेट्स या सूखा रोग।

रिकेट्स हड्डियों की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में विटामिन डी की कमी होती है। यह रोग कोई आम रोग नहीं है और यही कारण है कि लोगों को इस रोग के बारे में जानकारी नहीं होती है। इस ब्लॉग के जरिए हम सूखे रोग के बारे में विस्तार से जानेंगे। ब्लॉग में हम रिकेट्स के कारण, रिकेट्स के लक्षण और इसका इलाज जानेंगे। यदि आपको हड्डियों से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या है तो हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे सूखा रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज प्राप्त करें।

सूखा रोग क्या है?

अभी हमने आपको बताया है कि सूखा रोग या रिकेट्स रोग हड्डी का रोग है, जिसमें शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत कम हो जाती है। पहले के समय में इस रोग को लोग गरीबी और कुपोषण से जोड़ कर देखते हैं। लेकिन वर्तमान में अब मेडिकल साइंस बहुत ज्यादा बदल चुका है। कई चिकित्सा संस्थानों ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले कुछ समय में इस रोग का प्रसार कई प्रतिशत बढ़ चुका है।

यह रोग बच्चों को प्रभावित करता है, जिसमें उन बच्चों के शरीर में विटामिन डी, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों की कमी भी होती है। इस रोग के कारण शरीर की हड्डियों में दर्द होता है और वह कमजोर होने लगती है। कई बार इस रोग के कारण हड्डी अपना प्राकृतिक रूप भी छोड़ देती है। सूखा रोग के कारण बच्चों में बो लेग डिफॉर्मिटी और नोक नी डिफॉर्मिटी की समस्या देखी गई है। इस स्थिति के कई कारण हैं, जिनके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे।

रिकेट्स क्या होता है?

आमतौर पर रिकेट्स के होने के पीछे का कारण पोषण की कमी और जेनेटिक्स है। चलिए दोनों पहलुओं को समझते हैं - 

पोषण संबंधी रिकेट्स: जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिल पाता है, तो शरीर को कैल्शियम अच्छे से एब्सोर्ब करने में समस्या आती है, जिसके कारण यह रोग व्यक्ति को परेशान करता है। निम्न कारणों से शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है - 

  • बच्चों का घर से बाहर न निकलना, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में सूरज की रोशनी नहीं मिल पाती है। 
  • बच्चों के आहार में विटामिन डी की कमी भी इस समस्या का एक मुख्य स्त्रोत है। शाकाहारी आहार और लैक्टोज असहिष्णुता भी बच्चों को विटामिन डी से वंचित करता है। इसके कारण रोगी को क्रोहन रोग, सीलिएक रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस या अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। 
  • ऐसे आहार का सेवन करें, जिसमें कैल्शियम की मात्रा बहुत कम हो।

जेनेटिक रिकेट्स: बहुत सारे ऐसे रोग हैं, जिनके पीछे का कारण जेनेटिक है। इन बीमारियों के कारण बच्चों का शरीर विटामिन डी को अवशोषित नहीं कर पाता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती है। इस प्रकार के विकार बहुत ज्यादा दुर्लभ है, जिसके इलाज के लिए तुरंत एक उत्तम हड्डी रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

सूखा रोग के लक्षण

चलिए अब रिकेट्स के लक्षण पर बात करते हैं। सूखा रोग के कारण रोगी को निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जिसकी मदद से इस रोग की पहचान संभव है - 

  • शारीरिक विकास में देरी
  • सीखने और समझने की क्षमता में कमी
  • रीढ़, श्रोणि और पैरों में दर्द
  • मांसपेशियों में कमजोरी

रिकेट्स रोग में एक और चीज होती है और वह है बच्चे की सिर की हड्डियां या ग्रोथ प्लेट्स के ऊतक का नरम होना, जिससे सिर की हड्डी से संबंधित विकृति हो जाती है। 

  • बो लेग्स या नोक नी 
  • मोटी कलाइयां और टखने
  • बोन फ्रैक्चर
  • दांतों की संरचना में दोष
  • रीढ़ की हड्डियों में विकृति
  • श्रोणि में समस्या

यदि बच्चों में सूखा रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि जल्द से जल्द एक अनुभवी और श्रेष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ या फिर सूखा रोग के विशेषज्ञ से संपर्क करें। इसके कारण बच्चों की शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है।

रिकेट्स रोग के जोखिम कारक

कुछ लोगों में इस रोग का जोखिम बहुत ज्यादा ज्यादा होता है जैसे - 

  • नवजात शिशु में सूखा रोग होने का खतरा सबसे अधिक होता है। जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हो गया है वह भी इस रोग के जोखिम के दायरे में होते हैं। 
  • जिन बच्चों को बाहर पर्याप्त धूप नहीं मिलती है वह भी इस रोग से पीड़ित हो सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें धूप नहीं मिलती जिससे शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। 
  • जिनका बच्चों का रंग हल्का गहरा या सांवला रंग होता है। ऐसे लोगों का शरीर विटामिन डी को अच्छे से अवशोषित नहीं कर पाता है या इस प्रक्रिया में बहुत समय लगता है। 

सूखा रोग का इलाज

यदि समय पर इस स्थिति का निदान हो जाए तो रिकेट्स का इलाज संभव है। अधिकतर मामलों में आहार में बदलाव, अतिरिक्त विटामिन की खुराक और अधिक धूप का संपर्क इस रोग के इलाज में बहुत मदद कर सकता है। डॉक्टर से बात करें और निदान एवं इलाज कराएं जिससे इस इस रोग छुटकारा मिल सके। हालांकि निम्नलिखित तरीकों का पालन इस रोग का इलाज संभव है - 

  • आहार परिवर्तन: आहार में परिवर्तन कई समस्याओं में मदद कर सकता है। आमतौर पर आहार के साथ-साथ विटामिन डी और कुछ विटामिन के सप्लीमेंट भी दिए जा सकते हैं। कुछ महीनों तक इस आहार परिवर्तन और पूरक का पालन करने की सलाह दी जाती है। पूरक का सेवन भी अधिक नहीं करना चाहिए। 
  • सूरज की रोशनी: सूरज की रोशनी शरीर के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकती है। धूप की सहायता से शरीर में विटामिन डी का निर्माण होता है, जिससे इस रोग से बचने में मदद मिलती है। 
  • ऑपरेशन: आमतौर पर, इस रोग से पीड़ित बच्चों की हड्डियां अपने आप सीधी हो जाती है। हालांकि कुछ मामलों में स्थिति अपने आप ठीक नहीं होती है, जिसके कारण डॉक्टर उन हड्डियों को ठीक करने के लिए कुछ ऑपरेशन का सुझाव देते हैं।

कुछ मामलों में सूखा रोग का कारण जेनेटिक्स होता है। इस मामले में इलाज आनुवंशिक विकार के आधार पर निर्भर करता है। बाल रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज की योजना पर विचार करें। 

सूखा रोग रोकने के उपाय

कुछ निर्देशों का पालन करके सूखा रोग से बचने में मदद मिल सकती है जैसे - 

विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन:

  • सैल्मन, टूना, मैकेरल मछली का सेवन
  • अंडे के सेवन से लाभ मिलेगा
  • दूध और दूध उत्पाद खाएं
  • मशरूम को अपने आहार में शामिल करें
  • नारंगी रंग के फल खाने से लाभ होगा

स्वस्थ आहार लें:

  • कैल्शियम और फास्फोरस युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।
  • हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, दालें, और सूखे मेवे खाएं।

धूप में समय बिताएं:

  • सुबह कम से कम 15 से 20 मिनट सूरज की रोशनी में बैठें।
  • जितना ज्यादा आप धूप में समय बिताएंगे, उतना आपको लाभ मिलेगा लेकिन ध्यान रहे कि धूप ज्यादा तेज न हो। 

विटामिन डी सप्लीमेंट:

  • अपने आहार में विटामिन डी को बढ़ाने का प्रयास करें।
  • यदि आहार से विटामिन डी की खुराक पूरी नहीं हो पा रही है तो डॉक्टरों से सप्लीमेंट का सुझाव लें। 

बच्चों को स्तनपान:

  • स्तनपान बच्चों को विटामिन डी प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है। 
  • यदि महिलाएं स्तनपान कराने में असमर्थ हैं तो विटामिन डी युक्त दूध बच्चों को दें। 

बच्चों को नियमित रूप से डॉक्टर के पास ले जाएं:

  • बच्चों को नियमित रूप से डॉक्टर के पास ले जाने से और स्थिति की जांच कराने से बचाव संभव है। 
  • यदि डॉक्टर को सूखा रोग का संदेह होता है तो वह इलाज की योजना पर विचार कर सकते हैं।

रिकेट्स से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

सूखा रोग किस विटामिन की कमी से होता है?

सूखा रोग मुख्य रूप से विटामिन डी की कमी से होता है।

सूखा रोग कैसे ठीक करें?

सूखा रोग का इलाज विटामिन डी और कैल्शियम की कमी को पूरा करके किया जाता है।

  • विटामिन डी का सेवन बढ़ाएं
  • कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें
  • धूप में समय बिताना
  • नियमित रूप से डॉक्टर से मिलें

सूखा रोग किसके कारण होता है?

सूखा रोग मुख्य रूप से विटामिन डी की कमी के कारण होता है। इसके अलावा, निम्नलिखित कारणों से भी यह रोग हो सकता है - 

  • कैल्शियम या फास्फोरस की कमी
  • कुछ प्रकार की दवाओं का सेवन
  • आनुवंशिक कारण
  • जठरांत्र संबंधी विकार
  • त्वचा का रंग गहरा होना
  • धूप में कम समय बिताना

रिकेट्स रोग कैसे होता है?

रिकेट्स रोग तब होता है जब हड्डियां विकसित नहीं हो पाती हैं और नरम होती हैं। यह विटामिन डी, कैल्शियम, या फास्फोरस की कमी के कारण होता है।

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Rajput

Dr. Rakesh Rajput

HOD & Director - Orthopaedics Exp: 25 Yr

Orthopaedics

Book an Appointment

Dr. Rakesh Rajput has been associated with reputed organizations like Frenchay Hospital-Bristol, Weston General Hospital- UK, Musgrove Park Hospital – UK, Bristol Royal Infirmary – UK, Southmead Hospital – UK, Yeovil Hospital – UK,   Whipps Cross Hospital –  UK,  Perth Royal Hospital – Australia, Inverclyde Royal- UK, Cork University Hospital – Ireland, St. Nessan’s Regional, James Connolly Memorial Hospital – Germany, Benenden Hospital – UK.

He is the Ex- Secretary of WBAS, Joint Secretary of Indian Arthroplasty Association, President Elect of Pelvic & Acetabular Surgeons of India, Board Member of Indian Medical Association, Board Member of Indian Orthopedic Association. He is also associated with Tripura Medical College.

Related Diseases & Treatments

Treatments in Kolkata

Orthopedics & Joint Replacement Doctors in Kolkata

NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now