अभी हमने आपको बताया है कि सूखा रोग या रिकेट्स रोग हड्डी का रोग है, जिसमें शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत कम हो जाती है। पहले के समय में इस रोग को लोग गरीबी और कुपोषण से जोड़ कर देखते हैं। लेकिन वर्तमान में अब मेडिकल साइंस बहुत ज्यादा बदल चुका है।
विटामिन डी हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यदि विटामिन डी की मात्रा हमारे शरीर में कम हो जाती है, तो इसके कारण शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती है। विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्हीं में से एक है रिकेट्स या सूखा रोग।
रिकेट्स हड्डियों की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में विटामिन डी की कमी होती है। यह रोग कोई आम रोग नहीं है और यही कारण है कि लोगों को इस रोग के बारे में जानकारी नहीं होती है। इस ब्लॉग के जरिए हम सूखे रोग के बारे में विस्तार से जानेंगे। ब्लॉग में हम रिकेट्स के कारण, रिकेट्स के लक्षण और इसका इलाज जानेंगे। यदि आपको हड्डियों से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या है तो हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे सूखा रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज प्राप्त करें।
अभी हमने आपको बताया है कि सूखा रोग या रिकेट्स रोग हड्डी का रोग है, जिसमें शरीर में विटामिन डी की मात्रा बहुत कम हो जाती है। पहले के समय में इस रोग को लोग गरीबी और कुपोषण से जोड़ कर देखते हैं। लेकिन वर्तमान में अब मेडिकल साइंस बहुत ज्यादा बदल चुका है। कई चिकित्सा संस्थानों ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले कुछ समय में इस रोग का प्रसार कई प्रतिशत बढ़ चुका है।
यह रोग बच्चों को प्रभावित करता है, जिसमें उन बच्चों के शरीर में विटामिन डी, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों की कमी भी होती है। इस रोग के कारण शरीर की हड्डियों में दर्द होता है और वह कमजोर होने लगती है। कई बार इस रोग के कारण हड्डी अपना प्राकृतिक रूप भी छोड़ देती है। सूखा रोग के कारण बच्चों में बो लेग डिफॉर्मिटी और नोक नी डिफॉर्मिटी की समस्या देखी गई है। इस स्थिति के कई कारण हैं, जिनके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
आमतौर पर रिकेट्स के होने के पीछे का कारण पोषण की कमी और जेनेटिक्स है। चलिए दोनों पहलुओं को समझते हैं -
पोषण संबंधी रिकेट्स: जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिल पाता है, तो शरीर को कैल्शियम अच्छे से एब्सोर्ब करने में समस्या आती है, जिसके कारण यह रोग व्यक्ति को परेशान करता है। निम्न कारणों से शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है -
जेनेटिक रिकेट्स: बहुत सारे ऐसे रोग हैं, जिनके पीछे का कारण जेनेटिक है। इन बीमारियों के कारण बच्चों का शरीर विटामिन डी को अवशोषित नहीं कर पाता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती है। इस प्रकार के विकार बहुत ज्यादा दुर्लभ है, जिसके इलाज के लिए तुरंत एक उत्तम हड्डी रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
चलिए अब रिकेट्स के लक्षण पर बात करते हैं। सूखा रोग के कारण रोगी को निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जिसकी मदद से इस रोग की पहचान संभव है -
रिकेट्स रोग में एक और चीज होती है और वह है बच्चे की सिर की हड्डियां या ग्रोथ प्लेट्स के ऊतक का नरम होना, जिससे सिर की हड्डी से संबंधित विकृति हो जाती है।
यदि बच्चों में सूखा रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि जल्द से जल्द एक अनुभवी और श्रेष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ या फिर सूखा रोग के विशेषज्ञ से संपर्क करें। इसके कारण बच्चों की शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है।
कुछ लोगों में इस रोग का जोखिम बहुत ज्यादा ज्यादा होता है जैसे -
यदि समय पर इस स्थिति का निदान हो जाए तो रिकेट्स का इलाज संभव है। अधिकतर मामलों में आहार में बदलाव, अतिरिक्त विटामिन की खुराक और अधिक धूप का संपर्क इस रोग के इलाज में बहुत मदद कर सकता है। डॉक्टर से बात करें और निदान एवं इलाज कराएं जिससे इस इस रोग छुटकारा मिल सके। हालांकि निम्नलिखित तरीकों का पालन इस रोग का इलाज संभव है -
कुछ मामलों में सूखा रोग का कारण जेनेटिक्स होता है। इस मामले में इलाज आनुवंशिक विकार के आधार पर निर्भर करता है। बाल रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज की योजना पर विचार करें।
कुछ निर्देशों का पालन करके सूखा रोग से बचने में मदद मिल सकती है जैसे -
विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन:
स्वस्थ आहार लें:
धूप में समय बिताएं:
विटामिन डी सप्लीमेंट:
बच्चों को स्तनपान:
बच्चों को नियमित रूप से डॉक्टर के पास ले जाएं:
सूखा रोग मुख्य रूप से विटामिन डी की कमी से होता है।
सूखा रोग का इलाज विटामिन डी और कैल्शियम की कमी को पूरा करके किया जाता है।
सूखा रोग मुख्य रूप से विटामिन डी की कमी के कारण होता है। इसके अलावा, निम्नलिखित कारणों से भी यह रोग हो सकता है -
रिकेट्स रोग तब होता है जब हड्डियां विकसित नहीं हो पाती हैं और नरम होती हैं। यह विटामिन डी, कैल्शियम, या फास्फोरस की कमी के कारण होता है।
Written and Verified by:
Dr. Rakesh Rajput has been associated with reputed organizations like Frenchay Hospital-Bristol, Weston General Hospital- UK, Musgrove Park Hospital – UK, Bristol Royal Infirmary – UK, Southmead Hospital – UK, Yeovil Hospital – UK, Whipps Cross Hospital – UK, Perth Royal Hospital – Australia, Inverclyde Royal- UK, Cork University Hospital – Ireland, St. Nessan’s Regional, James Connolly Memorial Hospital – Germany, Benenden Hospital – UK.
He is the Ex- Secretary of WBAS, Joint Secretary of Indian Arthroplasty Association, President Elect of Pelvic & Acetabular Surgeons of India, Board Member of Indian Medical Association, Board Member of Indian Orthopedic Association. He is also associated with Tripura Medical College.
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