किडनी खराब होने के लक्षण

किडनी खराब होने के लक्षण

Renal Sciences |by Dr. Pankaj Kumar Gupta| Published on 12/03/2025

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किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में एक अहम भूमिका निभाता है। किडनी का मुख्य कार्य रक्त को फिल्टर करना है और अपशिष्ट उत्पादों को रक्त से हटाकर इलेक्ट्रोलाइट्स और ब्लड प्रेशर जैसे आवश्यक कारकों को नियंत्रित करना है। किडनी खराब होने की समस्या समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होती है। यही कारण है कि अक्सर शुरुआती चरणों में किडनी खराब होने के लक्षण उत्पन्न ही नहीं होते हैं। 

जैसे-जैसे किडनी के कार्य करने की क्षमता कम होती है, लक्षण अधिक स्पष्ट होने लगते हैं। जब तक लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तब तक किडनी को अपरिवर्तनीय नुकसान हो जाता है। इसलिए समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए किडनी की विफलता के शुरुआती लक्षणों को पहचानना आवश्यक हो जाता है और सही समय पर एक श्रेष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट (Nephrologists) से भी मिलने का सुझाव दिया जाता है।

किडनी फेलियर के लक्षण - Symptoms of Kidney Failure

किडनी दो तरीकों से खराब होती है - धीरे-धीरे और अचानक से। धीरे-धीरे किडनी की खराब होने की स्थिति को क्रोनिक किडनी फेलियर कहा जाता है और अचानक होने वाले किडनी फेल्योर को एक्यूट किडनी फेलियर कहा जाता है। किडनी खराब होने के सबसे आम लक्षण इस प्रकार हैं - 

  • बार-बार पेशाब आना (खासकर रात में)
  • मूत्र उत्पादन में कमी
  • मूत्र में खून (मेडिकल नेम - हेमाट्यूरिया)
  • मूत्र में झाग (मेडिकल नेम - प्रोटीनुरिया(Proteinuria))
  • पैरों, टखनों और चेहरे पर सूजन
  • थकान और कमजोरी
  • उच्च रक्तचाप
  • पीठ दर्द या साइड दर्द
  • भूख न लगना और मुंह में धातु जैसा स्वाद
  • मतली और उल्टी
  • सूखी, खुजली वाली त्वचा
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और याददाश्त संबंधी समस्याएं

यह कुछ आम लक्षण है, जो मुख्य रूप से किडनी के खराब होने की स्थिति में उत्पन्न हो सकते हैं। हालांकि किडनी फेल्योर या किडनी रोग के शुरुआती लक्षण को समझ कर आप तुरंत डॉक्टर से परामर्श और इलाज ले सकते हैं।

किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण

किडनी रोग एक व्यक्ति को कई चरणों में प्रभावित करता है, इसलिए समय रहते इलाज इस स्थिति की जटिलताओं को काफी हद तक रोक सकता है। किडनी फेलियर के शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं - 

  • पेशाब में बदलाव: पेशाब में कई बदलाव आते हैं जैसे कि - पेशाब में वृद्धि या कमी, पेशाब में झाग, पेशाब के रंग में बदलाव या पेशाब में खून आना।
  • सूजन: किडनी जब सही से कार्य नहीं कर पाता है, तो शरीर में हानिकारक पदार्थों का जमाव बढ़ जाता है, जिसके कारण पैरों, और चेहरे पर सूजन हो जाता है।
  • थकान और कमजोरी: जब शरीर में हानिकारक पदार्थ जमा होने लगते हैं, तो इसके कारण थकान और कमजोरी आ जाती है। 
  • भूख न लगना और वजन कम होना: शरीर में हानिकारक पदार्थों के जमा होने से पाचन क्रिया को अच्छा खासा नुकसान हो सकता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर: किडनी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब किडनी की कार्यक्षमता को नुकसान होता है, तो ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है और किडनी डैमेज होने की शुरुआत हो जाती है। 

यह लक्षण किडनी फेल्योर के अलग-अलग चरणों में अलग-अलग हो सकते हैं। चलिए उन लक्षणों को जानते हैं जो एक किडनी के खराब होने पर उत्पन्न हो सकते हैं।

एक किडनी फेलियर के लक्षण

यदि केवल एक किडनी प्रभावित है, तो लक्षण हल्के हो सकते हैं, क्योंकि दूसरी किडनी बाकी का कार्य कर रही होगी। हालांकि, इस स्थिति में कुछ लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि - 

  • पीठ के निचले भाग या बगल में हल्का दर्द होना।
  • पेशाब के रंग में हल्का बदलाव होना।
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • थकान या चक्कर आना।

हालांकि किडनी अपना कार्य करती है, लेकिन फिर भी शरीर में कुछ हानिकारक पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ऊपर बताए गए लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

दोनों किडनी खराब होने के लक्षण

जब दोनों ही किडनी काम करना बंद कर देती है, तो यह एक जानलेवा स्थिति में परिवर्तित हो जाती है। इस स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • शरीर में अधिक सूजन का होना
  • अत्यधिक थकान और भ्रम की स्थिति उत्पन्न होना।
  • लगातार मतली या उल्टी आना।
  • फेफड़ों में तरल पदार्थ का जमा हो जाना, जिसके कारण सांस फूल जाए।
  • पीठ के निचले भाग में तेज दर्द होना।
  • उच्च रक्तचाप जिसे मैनेज करना मुश्किल हो जाए।
  • बिना कारण वजन कम होना।

डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

किडनी खराब होने का संकेत इसके लक्षणों से ही मिलता है और जब तक लक्षण दिखते हैं, तब तक किडनी की कार्यक्षमता को काफी हद तक नुकसान भी हो जाता है। निम्न स्थितियों में तुरंत डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है - 

  • लगातार लक्षणों का बने रहना: यदि लक्षण लगातार बने रहते हैं और स्थिति धीरे-धीरे खराब होती जा रही है, तो तुरंत एक अनुभवी डॉक्टर से मिलें और इलाज के विकल्पों पर विचार करें। त्वरित उपचार किडनी की कार्यक्षमता में सुधार ला सकता है।
  • हाई ब्लड प्रेशर: लगातार हाई ब्लड प्रेशर का बने रहना कई समस्याओं का संकेत देता है। यह किडनी की कार्यक्षमता को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है। 
  • फैमिली हिस्ट्री: आपके घर परिवार में किसी को भी किडनी की समस्या रही है, तो आपको भी यह समस्या परेशान कर सकती है।
  • मधुमेह या हाई ब्लड शुगर लेवल: डायबिटीज वाले व्यक्तियों को किडनी की बीमारी का खतरा अधिक होता है। यदि आपको भी डायबिटीज है, तो अपने शुगर लेवल का ध्यान रखें और उसका प्रबंधन करें। 

भले ही आपको किसी भी प्रकार के गंभीर लक्षण न दिखे, लेकिन संदेह होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और स्थिति का इलाज कराएं।

किडनी को स्वस्थ रखने के घरेलू उपाय

किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने और किडनी फेलियर के जोखिम को कम करने के लिए, निम्न उपायों का पालन करना बहुत ज़रूरी है - 

  • हाइड्रेटेड रहें: किडनी में मौजूद हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए आपको खूब सारा पानी पीना चाहिए। 
  • संतुलित आहार लें: बेरीज, हरे पत्तेदार साग और होल ग्रेन्स जैसे किडनी के लिए लाभकारी खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। 
  • नमक और चीनी का सेवन सीमित करें: अत्यधिक सोडियम और चीनी किडनी के कार्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • शुगर और ब्लड प्रेशर को मैनेज करें: यह दोनों ही हमारे किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए प्रयास करें कि आप इन स्थितियों को अपने आहार और जीवनशैली के माध्यम से मैनेज करने का प्रयास करें।
  • दर्द निवारक दवाओं के अत्यधिक उपयोग से बचें: कुछ प्रकार के दर्द निवारक दवाएं किडनी को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा सकते हैं। 
  • नियमित रूप से व्यायाम करें: स्वस्थ वजन बनाए रखें और रक्त संचार को निरंतर रखने के लिए आप व्यायाम को अपना सकते हैं।
  • शराब का सेवन सीमित करें और धूम्रपान छोड़ें: यह आदतें किडनी रोग के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं।

निष्कर्ष

किडनी डैमेज होना एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है, जो धीरे-धीरे विकसित होती है, और अक्सर शुरुआती चरणों में ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं होते हैं। समय पर निदान और प्रभावी उपचार के लिए किडनी की विफलता के शुरुआती लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है। शुरुआती सामान्य लक्षणों में पेशाब में बदलाव, पेशाब में खून, पेशाब में प्रोटीन, सूजन, थकान, हाई ब्लड प्रेशर, पीठ दर्द, भूख और स्वाद में बदलाव, शुष्क त्वचा और खुजली वाली त्वचा, मतली, उल्टी, अस्पष्टीकृत वजन कम होना और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई शामिल है। 

अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं या उच्च जोखिम वाली श्रेणियों में आते हैं, तो तुरंत कोलकाता में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श से मिलें या फिर हमसे परामर्श लें। शीघ्र हस्तक्षेप से किडनी की बीमारी का प्रबंधन आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त हाइड्रेटेड रहना, संतुलित आहार खाना और उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी स्थितियों का प्रबंधन करना आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है। याद रखें कि नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली किडनी की समस्याओं को रोकने और आपके किडनी को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

किडनी डैमेज होने पर क्या खाना चाहिए?

आहार में किसी भी प्रकार के सप्लीमेंट को जोड़ने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आप निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें -

  • जामुन
  • प्रोबायोटिक्स में उच्च खाद्य पदार्थ, जैसे अचार, सॉकरौट, सादी दही इत्यादि
  • उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ जैसे केले, बीन्स, दाल, बादाम, जई और अन्य होल ग्रेन 
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड

किडनी खराब होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

संक्रमण की स्थिति और भी बिगड़ सकती है, यदि स्थिति का निदान और इलाज समय पर नहीं होता है। कुछ खाद्य पदार्थ हैं जिनसे बचना चाहिए जैसे - 

  • मीठे खाद्य पदार्थ
  • मसालेदार भोजन
  • खट्टे फल
  • कैफीन युक्त पेय पदार्थ

किडनी की सूजन को कम कैसे करें?

किडनी में मूत्र जमा होने के कारण किडनी में होने वाली सूजन को हाइड्रोनफ्रोसिस (Hydronephrosis) कहा जाता है। हाइड्रोनफ्रोसिस के कारण की पुष्टि होने के बाद ही इस सूजन को कम किया जा सकता है। हालांकि कुछ घरेलु उपचार है, जिनका सुझाव भी हम अपने पेशेंट्स को दवाओं के साथ देते हैं। बच्चों में पायलोप्लास्टी (Pyeloplasty) की आवश्यकता हो सकती है, जिसकी जटिलता कम है और सफलता दर बहुत अधिक। 

किडनी इन्फेक्शन के लिए टेस्ट कौन से हैं?

किडनी इन्फेक्शन की समस्या का निदान करने के लिए, डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षणों का उपयोग कर सकते हैं - 

  • यूरीनालिसिस
  • यूरिन कल्चर
  • वॉयडिंग सिस्टोयूरेथ्रोग्राम (वीसीयूजी)
  • डिजिटल रेक्टल टेस्ट (डीआरई)
  • ब्लड कल्चर
  • मेडिकल हिस्ट्री
  • फुल बॉडी टेस्ट
  • सीटी स्कैन
  • किडनी का अल्ट्रासाउंड
  • डिमरकैप्टोसुकिनिक एसिड (डीएमएसए) सिंटिग्राफी

दोनों किडनी फेल होने पर क्या होता है?

जब एक व्यक्ति की दोनों किडनी फेल हो जाए, तब शरीर में अनावश्यक कचरा जमा होता है, जिसे सिर्फ एक स्वस्थ किडनी साफ कर पाती है। जब किडनी अपना कार्य नहीं कर पाती है, तो इसके कारण रक्त में क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा बढ़ जाती है। दोनों किडनी फेल होने की स्थिति में किडनी ट्रांसप्लांट या डायलिसिस का सहारा लेना पड़ता है। 

किडनी खराब होने पर कहां दर्द होता है?

किडनी खराब होने पर दर्द पीठ के निचले भाग, पसलियों के नीचे, रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर महसूस होता है। इस दर्द की तीव्रता धीरे-धीरे बढ़ती है। कभी-कभी यह दर्द रुक-रुक कर भी होता है। 

किडनी की समस्या का पहला लक्षण क्या है?

किडनी की समस्या का पहला लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होता है। हालांकि किडनी की समस्या के शुरुआती लक्षणों को हमने ऊपर इस ब्लॉग में बताया है।

किडनी क्यों खराब होती है?

किडनी खराब होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि - डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, संक्रमण, हानिकारक पदार्थों का जमा होना, डिहाइड्रेशन, दवाओं या जेनेटिक स्थितियों के कारण किडनी खराब हो सकती है, जिससे शरीर से हानिकारक पदार्थों का निकलना मुश्किल हो सकता है और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हमें घेर सकती हैं।

क्या खराब किडनी को ठीक किया जा सकता है?

किडनी को होने वाले नुकसान को कम नहीं किया जा सकता है, लेकिन डायलिसिस, दवा, जीवनशैली में बदलाव या किडनी ट्रांसप्लांट जैसे उपचार से स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है और इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होना निश्चित माना जाता है।

कौन सा फल किडनी की रक्षा करता है?

ब्लूबेरी, क्रैनबेरी, सेब और लाल अंगूर में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भरपूर होती है, जिसकी वजह से शरीर में सूजन भी कम होती है और किडनी अपना सामान्य काम आसानी से कर सकती है। इससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और विषाक्त पदार्थों से होने वाले नुकसान आसानी से कम हो सकता है।

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