किडनी ट्रांसप्लांट: प्रक्रिया, सफलता दर और देखभाल
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किडनी ट्रांसप्लांट: प्रक्रिया, सफलता दर और देखभाल

Table of Contents
  1. किडनी ट्रांसप्लांट क्या है?
  2. किन परिस्थितियों में किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है?
  3. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कौन डोनर बन सकता है?
  4. किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया कैसे की जाती है?
  5. किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता दर क्या है?
  6. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जीवन शैली में क्या बदलाव किए जाने चाहिए?
  7. 2 साल के बच्चे का सफल किडनी ट्रांसप्लांट
  8. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
    1. किडनी ट्रांसप्लांट में कितना खर्च आता है?
    2. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद क्या खाना चाहिए?
    3. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद किस तरह का आहार अपनाना चाहिए?
    4. किडनी ट्रांसप्लांट में कितना समय लगता है?
    5. क्या किडनी ट्रांसप्लांट आजीवन समाधान है?

Summary

किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता तब पडती है जब किडनी अपनी कार्यक्षमता खो देती है। स्वस्थ किडनी डोनर से पेशेंट में इंप्लांट की जाती है, और सफलता दर 80% से 95% तक है। ट्रांसप्लांट के बाद सही आहार, दवाएं और नियमित देखभाल जरूरी है।

किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता किडनी की समस्या के अंतिम चरण में होती है। इसे एंड स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) कहा जाता है, जिसमें किडनी अपनी सामान्य कार्यक्षमता को खो देती है। भारत में किडनी ट्रांसप्लांट के मामले बहुत ही खतरनाक रूप से बढ़ रहे हैं। हर साल लगभग 1 से 1.5 लाख लोग किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और यह संख्या बढ़ते ही जा रही है। लेकिन ऑर्गन डोनेशन की कमी के कारण बहुत कम लोग इस सर्जरी को सफलता से करवा पाते हैं। यह एक बहुत ही गंभीर स्थिति है, जिसे मैं इस ब्लॉग में अच्छे से समझाने का प्रयास करूंगा। यदि आपकी किडनी की कार्यक्षमता में किसी भी प्रकार की कमी आई है, तो आप हमारे किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ को संपर्क कर सकते हैं। 

किडनी ट्रांसप्लांट क्या है?

किडनी ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसको तब किया जाता है, जब किडनी अपना सामान्य काम नहीं कर पाती है। इसमें प्रभावित किडनी को डोनर की स्वस्थ किडनी के साथ बदल दिया जाता है। बदलने से पहले कई प्रकार के टेस्ट कराए जाते हैं, जिससे यह पुष्टि हो पाती है कि मरीज का शरीर नई किडनी को अपना पाएगा कि नहीं। 

किडनी को देने वाला डोनर जीवित या मृत हो सकता है, लेकिन इसके लिए भी एक प्रक्रिया होती है। जैसा कि हम जानते हैं कि यह सर्जरी अंतिम चरण की किडनी विफलता के लिए सबसे प्रभावी उपचार विकल्प है और इस सर्जरी के बाद व्यक्ति एक अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन व्यतीत कर पाते हैं। इससे डायलिसिस की लंबी और जटिल प्रक्रिया से भी आराम मिलता है।

किन परिस्थितियों में किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है?

किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता निम्न स्थिति में होती है - 

  • क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD): क्रोनिक किडनी डिजीज किडनी की कार्यक्षमता के नुकसान का सबसे बड़ा कारण है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप या पॉलीसिस्टिक किडनी रोग जैसी स्थितियां इस रोग के मुख्य कारण है। 
  • अंतिम चरण की रीनल डिजीज (ESRD): इसे आप क्रोनिक किडनी डिजीज का अंतिम चरण मान सकते हैं। इस स्थिति में किडनी की सामान्य कार्यक्षमता 10 से 15 प्रतिशत तक आ जाती है। 
  • एक्यूट किडनी फेलियर: इस स्थिति में अचानक ही किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। एसीडी (ACD) में किडनी ट्रांसप्लांट ही एक बेहतर इलाज का विकल्प साबित हो सकता है। 

आमतौर पर हम किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव तब देते हैं, जब डायलिसिस जैसे अन्य उपचार के विकल्प प्रभावी नहीं होते हैं। 

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कौन डोनर बन सकता है?

किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति में एक स्वस्थ किडनी की आवश्यकता होती है। यह किडनी किसी जीवित या फिर मृत डोनर की हो सकती है। जीवित डोनर आमतौर पर परिवार का सदस्य, दोस्त या यहां तक कि एक अजनबी इंसान भी हो सकता है। जो लोग अपने या फिर अपने परिजनों के अंगों को दान कर देते हैं, वह इससे कई लोगों की जान बचाते हैं। यही कारण है कि अक्सर कहा जाता है कि अंग दान है महा दान। उन्हीं मृत लोगों से किडनी ली जा सकती है, जिनका वह अंग स्वस्थ हो और जिनकी किडनी के मापदंड पेशेंट की किडनी के मापदंड से मेल खाते हो। 

किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सर्जरी से पहले कई टेस्ट होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि शरीर दूसरे व्यक्ति की किडनी को रिजेक्ट न करे। हालांकि ऑग्रन रिजेक्शन होना इसका एक मुख्य जोखिम कारक है, लेकिन इसके लिए हम सर्जरी से पहले कुछ दूसरे टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं, जिसके बारे में हमने नीचे बताा भी है।

किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया कैसे की जाती है?

किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं - 

  • प्रीऑपरेटिव असेसमेंट: किडनी ट्रांसप्लांट से पहले पेशेंट और डोनर दोनों के सेहत की जांच की जाती है। जांच के द्वारा पुष्टि की जाती है कि उनका शरीर सर्जरी के लिए तैयार है या नहीं। सर्जरी से पहले कुछ टेस्ट किए जाते हैं जैसे कि - ब्लड टेस्ट, इमेजिंग और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन।
  • सर्जिकल प्रक्रिया: किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी में लगभग 3 से 6 घंटे का समय लगता है। सर्जन सर्जरी के दौरान किडनी के क्षतिग्रस्त भाग को हटा देते हैं। पेशेंट को डोनेट की हुई किडनी लगा दी जाती है। 
  • पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल: सर्जरी के बाद, अस्पताल में पेशेंट को अंडर ऑब्जर्वेशन रखा जाता है। इस दौरान पेशेंट का शरीर किडनी को रिजेक्ट कर सकता है, इसलिए इस दौरान इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं भी दी जाती है। 

सर्जरी के बाद रिकवरी में समय लगता है, लेकिन जल्द रिकवरी के लिए आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने डॉक्टरों से बात करते रहें और उनके निर्देशों का पालन करें।

किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता दर क्या है?

सर्जरी की सफलता दर पेशेंट की उम्र, उनका वर्तमान स्वास्थ्य और डोनेट की हुई किडनी की गुणवत्ता पर आधारित होता है। हालांकि कुछ रिसर्च में यह सामने आया है कि किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता दर अधिक है। 

  • 90% से 95% मामलों में किडनी ट्रांसप्लांट वाले लोग एक साल से अधिक समय तक जीवित रहते हैं। 
  • वहीं, 80-85% मामलों में पेशेंट 5 साल तक या उससे अधिक समय तक आसानी से जीवित रह सकते हैं। 

सरल भाषा में कहा जाए तो इस सर्जरी की सफलता दर लगभग 80% है, जो कि कई कारकों के आधार पर निर्भर करती है। हालांकि यदि स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाता है, तो इससे सफलता दर में उछाल देखा जा सकता है।

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जीवन शैली में क्या बदलाव किए जाने चाहिए?

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद, सर्जरी की उच्च सफलता दर को सुनिश्चित करने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में कुछ आवश्यक बदलाव करने होंगे जैसे कि - 

  • इम्यूनोसप्रेसेंट दवाएं: यह दवाएं अक्सर डॉक्टर किडनी ट्रांसप्लांट वाले पेशेंट को देते हैं। यह दवाएं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देते हैं, जिससे किडनी रिजेक्शन के मामले कम उत्पन्न होते हैं। हालांकि इसके कारण रोगी संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। 
  • आहार में बदलाव: सर्जरी के बाद पेशेंट का शरीर बहुत कमजोर हो जाता है, जिसके बाद हर प्रकार का भोजन उसका शरीर पचा नहीं पाता है। इस दौरान कम सोडियम और कम पोटेशियम वाला आहार पेशेंट के लिए संजीवनी बूटी की तरह कार्य करता है। 
  • नियमित व्यायाम: हल्की से मध्यम शारीरिक गतिविधि आपके किडनी की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने का कार्य कर सकते हैं। 
  • किडनी के कार्य की निगरानी: ट्रांसप्लांट वाली किडनी के कार्य की जांच के लिए डॉक्टर से नियमित फॉलो-अप, ब्लड टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट आवश्यक होते हैं।

2 साल के बच्चे का सफल किडनी ट्रांसप्लांट

कोलकाता के एक 2 साल के बच्चे को कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMRI) में एक गंभीर किडनी बीमारी की शिकायत के बाद लाया गया था। उसे एक आनुवंशिक विकार - HLA 1 बीटा 2 नामक समस्या थी। इसके कारण उस बच्चे को ऑटिज्म और किडनी की अंतिम स्टेज की बीमारी हो गई थी। 2 साल तक इलाज के दूसरे विकल्प का उपयोग किया गया और अंत में किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ी। इस बच्चे को अपनी मां से किडनी मिली। 

इस सर्जरी को बिना किसी समस्या एवं जटिलता के सर्जन डॉ. प्रदीप चक्रवर्ती और उनकी टीम ने किया, जो उनकी विशेषज्ञता को दर्शाता है। इस सर्जरी की सबसे बड़ी मुश्किल किडनी का आकार था। माँ की किडनी का आकार बच्चे की किडनी से काफी बड़ा होता है, इसलिए ऑग्रन रिजेक्शन का खतरा अधिक रहता है।

सर्जरी के बाद, बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया था और हर प्रकार की दवाएं और इलेक्ट्रोलाइट्स उस बच्चे को दिए गए, जिससे वह 12वें दिन चलने लगा और 20वें दिन अपनी मुस्कान से हमारे सर्जन की विशेषज्ञता का प्रमाण दे रहा था।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

किडनी ट्रांसप्लांट में कितना खर्च आता है?

किडनी ट्रांसप्लांट में लगने वाला खर्च कई कारकों के आधार पर निर्भर करता है, जैसे कि सर्जरी का प्रकार, अस्पताल, सर्जन की फीस इत्यादि। सर्जरी का मूल खर्च लगभग ₹5 से ₹8 लाख तक आता है, लेकिन सही खर्च की जानकारी आपको हमारे अस्पताल से मिल जाएगी।

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद क्या खाना चाहिए?

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद, मरीजों को किडनी के कामकाज और समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए स्वस्थ आहार का पालन करना चाहिए। सोडियम, पोटेशियम और फास्फोरस से दूरी बनाएं और प्रोटीन, फल, सब्जियां और कम वसा वाला भोजन चुनें।

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद किस तरह का आहार अपनाना चाहिए?

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद आपको निम्न आहार का विकल्प चुनना चाहिए - 

  • हाई ब्लड प्रेशर को रोकने के लिए कम सोडियम वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें।
  • सेब, अंगूर और चावल जैसे कम पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ खाएं।
  • हीलिंग और ऊतक की रिपेयरिंग के लिए पर्याप्त प्रोटीन का सेवन करें।

किडनी ट्रांसप्लांट में कितना समय लगता है?

किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी में आमतौर पर 3 से 6 घंटे लगते हैं। हालांकि, प्रीऑपरेटिव असेसमेंट और पोस्ट-ऑपरेटिव रिकवरी का समय अलग-अलग लोगों में अलग-अलग हो सकता है। 

क्या किडनी ट्रांसप्लांट आजीवन समाधान है?

किडनी ट्रांसप्लांट उन लोगों के लिए एक आजीवन समाधान के रूप में कार्य करता है, जो अभी वर्तमान में डायलिसिस पर हैं। किडनी फेल्योर की स्थिति में ट्रांसप्लांट उस व्यक्ति के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण साल जोड़ सकता है।

Written and Verified by:

Dr. Pradip Chakrabarti

Dr. Pradip Chakrabarti

HOD Renal Sciences, Senior Consultant Transplant Surgeon Exp: 40 Yr

Renal Sciences

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  • Consultant Transplant Surgeon and Visiting Surgeon at CK Birla Hospital, Desun Hospital, Woodland Hospital, Belle Vue Hospital, Calcutta (performed more than 500 Kidney Transplant in Calcutta)
  • Consultant Surgeon and Instructor of Surgery, University of Pittsburgh Medical Center, Pittsburgh, USA.
  • Chief of Transplant Services, Transplant Center of Lehigh Valley, Allentown, Pennsylvania, USA.
  • Chief of Pancreas Transplantation, Transplant Center of Lehigh Valley, Allentown, Pennsylvania, USA.
  • Clinical Assistant Professor of Surgery, Penn State University, Pennsylvania, USA.
  • Member, Board of Medical Directors, Gift of Life Donor Program, Philadelphia, PA, USA
  • Reviewer, Clinical / Scientific Manuscripts –
  1. a)    American Journal of Transplantation
  2. b)    Transplantation

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