किडनी ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसको तब किया जाता है, जब किडनी अपना सामान्य काम नहीं कर पाती है। इसमें प्रभावित किडनी को डोनर की स्वस्थ किडनी के साथ बदल दिया जाता है। बदलने से पहले कई प्रकार के टेस्ट कराए जाते हैं, जिससे यह पुष्टि हो पाती है कि मरीज का शरीर नई किडनी को अपना पाएगा कि नहीं।
किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता किडनी की समस्या के अंतिम चरण में होती है। इसे एंड स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) कहा जाता है, जिसमें किडनी अपनी सामान्य कार्यक्षमता को खो देती है। भारत में किडनी ट्रांसप्लांट के मामले बहुत ही खतरनाक रूप से बढ़ रहे हैं। हर साल लगभग 1 से 1.5 लाख लोग किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और यह संख्या बढ़ते ही जा रही है। लेकिन ऑर्गन डोनेशन की कमी के कारण बहुत कम लोग इस सर्जरी को सफलता से करवा पाते हैं। यह एक बहुत ही गंभीर स्थिति है, जिसे मैं इस ब्लॉग में अच्छे से समझाने का प्रयास करूंगा। यदि आपकी किडनी की कार्यक्षमता में किसी भी प्रकार की कमी आई है, तो आप हमारे किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ को संपर्क कर सकते हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसको तब किया जाता है, जब किडनी अपना सामान्य काम नहीं कर पाती है। इसमें प्रभावित किडनी को डोनर की स्वस्थ किडनी के साथ बदल दिया जाता है। बदलने से पहले कई प्रकार के टेस्ट कराए जाते हैं, जिससे यह पुष्टि हो पाती है कि मरीज का शरीर नई किडनी को अपना पाएगा कि नहीं।
किडनी को देने वाला डोनर जीवित या मृत हो सकता है, लेकिन इसके लिए भी एक प्रक्रिया होती है। जैसा कि हम जानते हैं कि यह सर्जरी अंतिम चरण की किडनी विफलता के लिए सबसे प्रभावी उपचार विकल्प है और इस सर्जरी के बाद व्यक्ति एक अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन व्यतीत कर पाते हैं। इससे डायलिसिस की लंबी और जटिल प्रक्रिया से भी आराम मिलता है।
किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता निम्न स्थिति में होती है -
आमतौर पर हम किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव तब देते हैं, जब डायलिसिस जैसे अन्य उपचार के विकल्प प्रभावी नहीं होते हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट की स्थिति में एक स्वस्थ किडनी की आवश्यकता होती है। यह किडनी किसी जीवित या फिर मृत डोनर की हो सकती है। जीवित डोनर आमतौर पर परिवार का सदस्य, दोस्त या यहां तक कि एक अजनबी इंसान भी हो सकता है। जो लोग अपने या फिर अपने परिजनों के अंगों को दान कर देते हैं, वह इससे कई लोगों की जान बचाते हैं। यही कारण है कि अक्सर कहा जाता है कि अंग दान है महा दान। उन्हीं मृत लोगों से किडनी ली जा सकती है, जिनका वह अंग स्वस्थ हो और जिनकी किडनी के मापदंड पेशेंट की किडनी के मापदंड से मेल खाते हो।
किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सर्जरी से पहले कई टेस्ट होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि शरीर दूसरे व्यक्ति की किडनी को रिजेक्ट न करे। हालांकि ऑग्रन रिजेक्शन होना इसका एक मुख्य जोखिम कारक है, लेकिन इसके लिए हम सर्जरी से पहले कुछ दूसरे टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं, जिसके बारे में हमने नीचे बताा भी है।
किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं -
सर्जरी के बाद रिकवरी में समय लगता है, लेकिन जल्द रिकवरी के लिए आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने डॉक्टरों से बात करते रहें और उनके निर्देशों का पालन करें।
सर्जरी की सफलता दर पेशेंट की उम्र, उनका वर्तमान स्वास्थ्य और डोनेट की हुई किडनी की गुणवत्ता पर आधारित होता है। हालांकि कुछ रिसर्च में यह सामने आया है कि किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता दर अधिक है।
सरल भाषा में कहा जाए तो इस सर्जरी की सफलता दर लगभग 80% है, जो कि कई कारकों के आधार पर निर्भर करती है। हालांकि यदि स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाता है, तो इससे सफलता दर में उछाल देखा जा सकता है।
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद, सर्जरी की उच्च सफलता दर को सुनिश्चित करने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में कुछ आवश्यक बदलाव करने होंगे जैसे कि -
कोलकाता के एक 2 साल के बच्चे को कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMRI) में एक गंभीर किडनी बीमारी की शिकायत के बाद लाया गया था। उसे एक आनुवंशिक विकार - HLA 1 बीटा 2 नामक समस्या थी। इसके कारण उस बच्चे को ऑटिज्म और किडनी की अंतिम स्टेज की बीमारी हो गई थी। 2 साल तक इलाज के दूसरे विकल्प का उपयोग किया गया और अंत में किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ी। इस बच्चे को अपनी मां से किडनी मिली।
इस सर्जरी को बिना किसी समस्या एवं जटिलता के सर्जन डॉ. प्रदीप चक्रवर्ती और उनकी टीम ने किया, जो उनकी विशेषज्ञता को दर्शाता है। इस सर्जरी की सबसे बड़ी मुश्किल किडनी का आकार था। माँ की किडनी का आकार बच्चे की किडनी से काफी बड़ा होता है, इसलिए ऑग्रन रिजेक्शन का खतरा अधिक रहता है।
सर्जरी के बाद, बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया था और हर प्रकार की दवाएं और इलेक्ट्रोलाइट्स उस बच्चे को दिए गए, जिससे वह 12वें दिन चलने लगा और 20वें दिन अपनी मुस्कान से हमारे सर्जन की विशेषज्ञता का प्रमाण दे रहा था।
किडनी ट्रांसप्लांट में लगने वाला खर्च कई कारकों के आधार पर निर्भर करता है, जैसे कि सर्जरी का प्रकार, अस्पताल, सर्जन की फीस इत्यादि। सर्जरी का मूल खर्च लगभग ₹5 से ₹8 लाख तक आता है, लेकिन सही खर्च की जानकारी आपको हमारे अस्पताल से मिल जाएगी।
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद, मरीजों को किडनी के कामकाज और समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करने के लिए स्वस्थ आहार का पालन करना चाहिए। सोडियम, पोटेशियम और फास्फोरस से दूरी बनाएं और प्रोटीन, फल, सब्जियां और कम वसा वाला भोजन चुनें।
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद आपको निम्न आहार का विकल्प चुनना चाहिए -
किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी में आमतौर पर 3 से 6 घंटे लगते हैं। हालांकि, प्रीऑपरेटिव असेसमेंट और पोस्ट-ऑपरेटिव रिकवरी का समय अलग-अलग लोगों में अलग-अलग हो सकता है।
किडनी ट्रांसप्लांट उन लोगों के लिए एक आजीवन समाधान के रूप में कार्य करता है, जो अभी वर्तमान में डायलिसिस पर हैं। किडनी फेल्योर की स्थिति में ट्रांसप्लांट उस व्यक्ति के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण साल जोड़ सकता है।
Written and Verified by:
HOD Renal Sciences, Senior Consultant Transplant Surgeon Exp: 40 Yr
Renal Sciences
© 2024 CMRI Kolkata. All Rights Reserved.