किडनी डिजीज की शुरूआत में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन वह आपके जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों की स्थिति में किडनी की समस्या अधिक गंभीर होती है, इसलिए शरीर में सूजन, पेशाब में समस्या या फिर पेट के आस-पास दर्द जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत परामर्श लें और किडनी की समस्या का इलाज कराएं।
बच्चे जब रोते हैं, तो किसी भी मा-बाप का दिल पसीज जाएगा। बच्चों के रोने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि उनको भूख लगना, दर्द होना, नींद आना या बीमार होना। अक्सर बच्चे बार-बार बीमार होते हैं, जिसके भी कई कारण हो सकते हैं जैसे कि कमजोरी, सूजन, बुखार या पेशाब की समस्या।
यह सारी समस्याएं कोई सामान्य समस्या नहीं है, यह एक गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती है। यदि वक्त रहते इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती है।
किडनी हमारे शरीर का एक ऐसा भाग है, जो पूरे शरीर की सफाई करने के लिए जाना जाता है। यह शरीर से विषैले पदार्थ (toxins) को बाहर निकालता है और इसके साथ-साथ हमारी किडनी ब्लड प्रेशर, रेड ब्लड सेल्स और हड्डियों को भी स्वस्थ रखने का कार्य करता है।
बच्चों में किडनी (पीडियाट्रिक किडनी रोग) की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब उनकी किडनी की कार्यक्षमता में अच्छी खासी कमी आती है। दो प्रकार की किडनी की समस्या आपको परेशान कर सकती है - अस्थायी (Acute) या स्थायी (Chronic) किडनी रोग। इन दोनों के बारे में हम इस ब्लॉग में आगे पढ़ने वाले हैं। भारत में बच्चों में किडनी की समस्या एक आम समस्या है, क्योंकि WHO के अनुसार, भारत में लगभग 1.5 से 3% तक के बच्चों में किडनी संबंधित समस्याएं पाई जाती हैं। यदि आप किडनी की किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत परामर्श लें और किडनी की समस्या का इलाज लें।
मुख्य रूप से किडनी डिजीज दो प्रकार के होते हैं -
इंडियन जर्नल ऑफ नेफ्रोलॉजी के सबसे लेटेस्ट डाटा बताता है कि पूरे विश्व में हर 25 में से 1 बच्चा किडनी की समस्या से परेशान है, इसलिए हम भी चाहते हैं कि किडनी की समस्या का इलाज जड़ से हो सके और हर बच्चे के चेहरे पर स्माइल वापस ला सके।
अक्सर देखा जाता है कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है, जिसके कारण किडनी रोग के शुरुआती लक्षण तो उत्पन्न ही नहीं होते हैं। बच्चों में किडनी डिजीज के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और पेरेंट्स को अंदाजा ही नहीं लग पाता है कि मामला सामान्य बुखार या वायरस से अधिक गंभीर हो सकती हैं। चलिए उन सभी लक्षणों के बारे में जानते हैं, जो दर्शाते हैं कि आपका बच्चा किडनी की समस्या से परेशान है -
यह सारे लक्षण किडनी इन्फेक्शन के लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको अपने बच्चे में यह लक्षण दिखते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।
बच्चों में किडनी रोग की समस्या होना कोई आम स्थिति नहीं है, लेकिन यह कई कारणों से आपके बच्चों को परेशान कर सकता है जैसे कि -
बच्चों में किडनी रोग की जांच के लिए आपको सबसे पहले एक पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलना होगा। वह आपके लक्षणों की पहचान करके कुछ आवश्यक जांच का सुझाव दे सकते हैं जैसे कि -
बच्चों में किडनी रोग के इलाज के लिए निम्न विकल्पों का सुझाव दिया जा सकता है -
आधुनिक अस्पतालों में अब प्रेगनेंसी के दौरान शुरू होने वाली देखभाल भी उपलब्ध है। इसे मेडिकल टर्म में फेटल नेफ्रोलॉजी कहा जाता है।
यहां सवाल उठता है कि लक्षण दिखने पर घर पर पेरेंट्स क्या करें? इस स्थिति में हम आपको सलाह देंगे कि आप निम्न बातों का पालन करें -
अब सवाल उठता है कि डॉक्टर से कब मिलें। निम्न लक्षण यदि बच्चों में दिखते हैं या फिर उन्हें महसूस होते हैं, तो तुरंत बिना किसी देरी के डॉक्टर से मिलें और इलाज लें -
हमेशा आपको एक बात समझनी पड़ेगी कि छोटी लापरवाही, बड़े खतरे का संकेत दे सकती है। किडनी डिजीज कोई छिपी हुई समस्या नहीं है, यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है। समझदारी इसी में है कि जैसे ही बच्चे में बार-बार पेशाब संबंधी लक्षण दिखाई दे या उसका व्यवहार असामान्य लगे, तुरंत पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलें। एक सही कदम, आपके बच्चे की पूरी जिंदगी को सुरक्षित बना सकता है।
बच्चों में किडनी फेल होने के लक्षण निम्नलिखित होते हैं -
बच्चों में पेशाब में प्रोटीन कई कारणों से आ सकता है, लेकिन नेफ्रोटिक सिंड्रोम जैसे रोगों में प्रोटीन यूरिन में निकलने लगता है, जो किडनी डैमेज का संकेत है।
यदि यूरिन इन्फेक्शन (UTI) बार-बार हो, तो किडनी में संक्रमण पहुंच सकता है, जिससे जीवन भर की जटिलताएं हो सकती हैं।
पेशाब में खून आने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यह संक्रमण या गंभीर किडनी रोग का लक्षण हो सकता है।
यदि बच्चा क्रोनिक किडनी डिजीज 4 या 5 में पहुंचता है, तो डायलिसिस जरूरी हो सकता है।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम वह स्थिति है जिसमें पेशाब में अत्यधिक प्रोटीन निकलता है। इसके साथ अन्य लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि शरीर में सूजन और खून में प्रोटीन की कमी होना।
साफ-सफाई, सही खानपान और पेशाब की किसी दिक्कत पर नजर रखने से आप इसके लक्षणों पर नजर रख सकते हैं, जिससे आप अपने बच्चे को किडनी रोग से भी बचा सकते हैं।
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