बच्चों में किडनी डिजीज: क्या हैं संकेत और इलाज के विकल्प
Home >Blogs >बच्चों में किडनी डिजीज: क्या हैं संकेत और इलाज के विकल्प

बच्चों में किडनी डिजीज: क्या हैं संकेत और इलाज के विकल्प

Table of Contents
  1. बच्चों में किडनी डिजीज क्या होती है और कितनी आम है?
  2. किडनी डिजीज के प्रकार 
  3. बच्चों में किडनी रोग के शुरुआती संकेत और लक्षण
  4. पीडियाट्रिक किडनी रोग के कारण
  5. बच्चों में किडनी रोग की जांच कैसे होती है?
  6. पीडियाट्रिक किडनी रोग के इलाज के विकल्प
  7. घर पर देखभाल और डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
    1. डॉक्टर से कब मिलना चाहिए
  8. निष्कर्ष
  9. अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
    1. बच्चों में किडनी फेल होने के क्या संकेत होते हैं?
    2. बच्चों में पेशाब में प्रोटीन क्यों आता है?
    3. बार-बार यूरिन इंफेक्शन कितना खतरनाक है?
    4. पेशाब में खून आने पर क्या करें?
    5. क्या बच्चों को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है?
    6. नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है?
    7. बच्चों में किडनी रोग से कैसे बचा जा सकता है?

Summary

किडनी डिजीज की शुरूआत में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन वह आपके जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों की स्थिति में किडनी की समस्या अधिक गंभीर होती है, इसलिए शरीर में सूजन, पेशाब में समस्या या फिर पेट के आस-पास दर्द जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत परामर्श लें और किडनी की समस्या का इलाज कराएं।

बच्चे जब रोते हैं, तो किसी भी मा-बाप का दिल पसीज जाएगा। बच्चों के रोने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि उनको भूख लगना, दर्द होना, नींद आना या बीमार होना। अक्सर बच्चे बार-बार बीमार होते हैं, जिसके भी कई कारण हो सकते हैं जैसे कि कमजोरी, सूजन, बुखार या पेशाब की समस्या।

यह सारी समस्याएं कोई सामान्य समस्या नहीं है, यह एक गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती है। यदि वक्त रहते इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण डायलिसिस या फिर किडनी ट्रांसप्लांट जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती है।

बच्चों में किडनी डिजीज क्या होती है और कितनी आम है?

किडनी हमारे शरीर का एक ऐसा भाग है, जो पूरे शरीर की सफाई करने के लिए जाना जाता है। यह शरीर से विषैले पदार्थ (toxins) को बाहर निकालता है और इसके साथ-साथ हमारी किडनी ब्लड प्रेशर, रेड ब्लड सेल्स और हड्डियों को भी स्वस्थ रखने का कार्य करता है। 

बच्चों में किडनी (पीडियाट्रिक किडनी रोग) की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब उनकी किडनी की कार्यक्षमता में अच्छी खासी कमी आती है। दो प्रकार की किडनी की समस्या आपको परेशान कर सकती है - अस्थायी (Acute) या स्थायी (Chronic) किडनी रोग। इन दोनों के बारे में हम इस ब्लॉग में आगे पढ़ने वाले हैं। भारत में बच्चों में किडनी की समस्या एक आम समस्या है, क्योंकि WHO के अनुसार, भारत में लगभग 1.5 से 3% तक के बच्चों में किडनी संबंधित समस्याएं पाई जाती हैं। यदि आप किडनी की किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत परामर्श लें और किडनी की समस्या का इलाज लें।

किडनी डिजीज के प्रकार 

मुख्य रूप से किडनी डिजीज दो प्रकार के होते हैं - 

  • एक्यूट किडनी डिजीज (Acute kidney disease): इस प्रकार की किडनी की समस्या में इसकी कार्यक्षमता अचानक से किसी और रोग के कारण प्रभावित होती है। यदि इस स्थिति का इलाज समय पर हो जाता है, तो यह स्थिति ठीक हो सकती है।
  • क्रोनिक किडनी रोग (Chronic Kidney Disease): इस प्रकार की किडनी की समस्या में किडनी धीरे-धीरे प्रभावित होती है और यदि स्थिति अनुपचारित रह जाती है, तो यह किडनी फेलियर तक जा सकती है।

इंडियन जर्नल ऑफ नेफ्रोलॉजी के सबसे लेटेस्ट डाटा बताता है कि पूरे विश्व में हर 25 में से 1 बच्चा किडनी की समस्या से परेशान है, इसलिए हम भी चाहते हैं कि किडनी की समस्या का इलाज जड़ से हो सके और हर बच्चे के चेहरे पर स्माइल वापस ला सके।

बच्चों में किडनी रोग के शुरुआती संकेत और लक्षण

अक्सर देखा जाता है कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है, जिसके कारण किडनी रोग के शुरुआती लक्षण तो उत्पन्न ही नहीं होते हैं। बच्चों में किडनी डिजीज के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और पेरेंट्स को अंदाजा ही नहीं लग पाता है कि मामला सामान्य बुखार या वायरस से अधिक गंभीर हो सकती हैं। चलिए उन सभी लक्षणों के बारे में जानते हैं, जो दर्शाते हैं कि आपका बच्चा किडनी की समस्या से परेशान है - 

  • बार-बार पेशाब में जलन, दर्द या अत्यधिक बार पेशाब जाना
  • पेशाब में खून या प्रोटीन आना जिससे पेशाब के रंग में बदलाव होना
  • आंखों, चेहरे, टांगों या पेट में सूजन
  • भूख न लगना, बार-बार उल्टी या पेट दर्द होना
  • बच्चे का बहुत जल्दी थक जाना 
  • उदास या चिड़चिड़ा हो जाना
  • सामान्य से कम विकास दर या हाइट में रुकावट
  • पेशाब से तेज बदबू या रात में बिस्तर गीला करना (खासकर जो बच्चा पहले ठीक था)
  • बच्चों का दूध न पीना, उल्टी, खिंचाव, बहुत नींद या बिल्कुल नहीं सोना 

यह सारे लक्षण किडनी इन्फेक्शन के लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको अपने बच्चे में यह लक्षण दिखते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें और इलाज लें।

पीडियाट्रिक किडनी रोग के कारण

बच्चों में किडनी रोग की समस्या होना कोई आम स्थिति नहीं है, लेकिन यह कई कारणों से आपके बच्चों को परेशान कर सकता है जैसे कि - 

  • जन्मजात दोष (Congenital Issues): कुछ बच्चे जन्म के साथ किसी प्रकार की समस्या के साथ जन्म लेते हैं, जैसे कि छोटे आकार की किडनी, एक किडनी, या मूत्र मार्ग में रुकावट। इसका पता प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड से भी चल सकता है। जन्म के कुछ समय के बाद ही इलाज के विकल्पों पर डॉक्टर अक्सर माता-पिता से बात करते हैं।
  • जेनेटिक रोग (Genetic Disorders):पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) जैसे कुछ जेनेटिक रोग बच्चों में किडनी रोग के कारण हो सकते हैं। इस समस्या हमारी किडनी पर छोटे-छोटे आकार के पानी से भरी हुई थैली बन जाते हैं, जिससे किडनी प्रभावित हो सकते हैं।
  • आलपोर्ट सिंड्रोम (Alport Syndrome): यह सुनने, देखने और पेशाब में प्रोटीन के साथ किडनी की कार्यक्षमता को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाता है। 
  • बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI): अनजाने में बढ़ता संक्रमण किडनी तक पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचा सकता है। वेसिकोरेट्रल रिफ्लक्स {Vesicoureteral Reflux (VUR)} जैसे मामलों में पेशाब उल्टी दिशा में किडनी तक पहुंचता है।
  • नेफ्रोटिक सिंड्रोम (Nephrotic Syndrome): इस स्थिति में प्रोटीन पेशाब में निकलता है, शरीर में सूजन हो जाती है, खून में प्रोटीन कम हो जाता है। इससे भी किडनी की कार्यक्षमता को नुकसान पहुंच सकता है।
  • ब्लड लॉस, डायबिटीज, हाई BP या संक्रमण जैसे स्वास्थ्य समस्याएं भी किडनी रोग का मुख्य कारण साबित हो सकते हैं।

बच्चों में किडनी रोग की जांच कैसे होती है?

बच्चों में किडनी रोग की जांच के लिए आपको सबसे पहले एक पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलना होगा। वह आपके लक्षणों की पहचान करके कुछ आवश्यक जांच का सुझाव दे सकते हैं जैसे कि - 

  • ब्लड टेस्ट (Blood Test): किडनी की फंक्शनिंग, यूरिया, इलेक्ट्रोलाइट्स की स्थिति को समझने के लिए इस टेस्ट का सुझाव दिया जाता है।
  • यूरिन टेस्ट (Urine Test): प्रोटीन, ब्लड या बैक्टीरियल इन्फेक्शन की जांच के लिए मूत्र की जांच होती है।
  • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound and Imaging Scan): किडनी में किसी भी प्रकार के गांठ, सिस्ट ब्लॉकेज या किडनी के आकार में बदलाव की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड या फिर अन्य इमेजिंग परीक्षण की आवश्यकता पड़ती है।
  • बायोप्सी (Biopsy): किडनी रोग के गंभीर मामले की जांच के लिए किडनी के टिशू को सर्जरी के दौरान निकाला जाता है और उसकी जांच लैब में होती है।

पीडियाट्रिक किडनी रोग के इलाज के विकल्प

बच्चों में किडनी रोग के इलाज के लिए निम्न विकल्पों का सुझाव दिया जा सकता है - 

  • दवाएं (Medications): किडनी के संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक का सुझाव देते हैं। इसके अतिरिक्त ब्लड प्रेशर नियंत्रण हेतु हाई बीपी को मैनेज करने वाली दवा दी जाती है। इसके अतिरिक्त सिस्ट के ग्रोथ बढ़ाने के लिए हार्मोन थेरेपी या सप्लीमेंट और एनीमिया के लिए एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन का सुझाव दिया जा सकता है।
  • डाइट व पोषण सलाह (Diet & Nutrition): कम सोडियम, सीमित पोटेशियम, प्रोटीन और फ़ॉस्फोरस जैसी बैलेंस डाइट की आवश्यकता आपको पड़ सकती है। विशेष डाइट प्लान पीडियाट्रिक डाइटिशियन द्वारा डिज़ाइन किया जाता है, इसलिए आप उनसे ज़रूर मिलें।
  • डायलिसिस की जरूरत (Pediatric Dialysis): गंभीर स्थिति में जब किडनी पूरी तरह काम बंद कर दे, तब डायलिसिस की आवश्यकता पड़ सकती है। दो प्रकार के डायलिसिस होते हैं - पेरिटोनियल डायलिसिस और हेमोडायलिसिस। 
  • किडनी ट्रांसप्लांट: किडनी फेलियर के बाद ट्रांसप्लांट के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। इस स्थिति में कोई दवा अक्सर कारगर नहीं होती है।

आधुनिक अस्पतालों में अब प्रेगनेंसी के दौरान शुरू होने वाली देखभाल भी उपलब्ध है। इसे मेडिकल टर्म में फेटल नेफ्रोलॉजी कहा जाता है।

घर पर देखभाल और डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

यहां सवाल उठता है कि लक्षण दिखने पर घर पर पेरेंट्स क्या करें? इस स्थिति में हम आपको सलाह देंगे कि आप निम्न बातों का पालन करें - 

  • बच्चे को भरपूर पानी पिलाएं
  • डॉक्टर के बताए गए डाइट का पालन करें
  • साफ-सफाई खासकर पेशाब के बाद जननांगों की सफाई अवश्य करें। इससे संक्रमण से बचा जा सकता है। 
  • समय पर दवा लें।

डॉक्टर से कब मिलना चाहिए

अब सवाल उठता है कि डॉक्टर से कब मिलें। निम्न लक्षण यदि बच्चों में दिखते हैं या फिर उन्हें महसूस होते हैं, तो तुरंत बिना किसी देरी के डॉक्टर से मिलें और इलाज लें - 

  • बार-बार पेशाब में जलन या खून
  • बच्चा हर बार बीमार हो और बुखार के साथ पेशाब में दिक्कत हो
  • आंखों या चेहरे में सूजन या रात में बिस्तर गीला करना

निष्कर्ष

हमेशा आपको एक बात समझनी पड़ेगी कि छोटी लापरवाही, बड़े खतरे का संकेत दे सकती है। किडनी डिजीज कोई छिपी हुई समस्या नहीं है, यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है। समझदारी इसी में है कि जैसे ही बच्चे में बार-बार पेशाब संबंधी लक्षण दिखाई दे या उसका व्यवहार असामान्य लगे, तुरंत पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलें। एक सही कदम, आपके बच्चे की पूरी जिंदगी को सुरक्षित बना सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

बच्चों में किडनी फेल होने के क्या संकेत होते हैं?

बच्चों में किडनी फेल होने के लक्षण निम्नलिखित होते हैं - 

  • शुष्क त्वचा
  • थकान
  • मुंह से बदबू
  • भूख न लगना 
  • पेशाब बंद हो जाना

बच्चों में पेशाब में प्रोटीन क्यों आता है?

बच्चों में पेशाब में प्रोटीन कई कारणों से आ सकता है, लेकिन नेफ्रोटिक सिंड्रोम जैसे रोगों में प्रोटीन यूरिन में निकलने लगता है, जो किडनी डैमेज का संकेत है।

बार-बार यूरिन इंफेक्शन कितना खतरनाक है?

यदि यूरिन इन्फेक्शन (UTI) बार-बार हो, तो किडनी में संक्रमण पहुंच सकता है, जिससे जीवन भर की जटिलताएं हो सकती हैं।

पेशाब में खून आने पर क्या करें?

पेशाब में खून आने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यह संक्रमण या गंभीर किडनी रोग का लक्षण हो सकता है।

क्या बच्चों को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है?

यदि बच्चा क्रोनिक किडनी डिजीज 4 या 5 में पहुंचता है, तो डायलिसिस जरूरी हो सकता है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है?

नेफ्रोटिक सिंड्रोम वह स्थिति है जिसमें पेशाब में अत्यधिक प्रोटीन निकलता है। इसके साथ अन्य लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि शरीर में सूजन और खून में प्रोटीन की कमी होना।

बच्चों में किडनी रोग से कैसे बचा जा सकता है?

साफ-सफाई, सही खानपान और पेशाब की किसी दिक्कत पर नजर रखने से आप इसके लक्षणों पर नजर रख सकते हैं, जिससे आप अपने बच्चे को किडनी रोग से भी बचा सकते हैं।

Written and Verified by:

Dr. Rajiv Sinha

Dr. Rajiv Sinha

Consultant - Paediatric Nephrologist Exp: 30 Yr

Renal Sciences

Book an Appointment

Similar Blogs

Diagnosis and treatment of prostate problems

Diagnosis and treatment of prostate problems

read more
किडनी स्टोन से बचाव: जानें असरदार घरेलू उपाय और हेल्थ टिप्स

किडनी स्टोन से बचाव: जानें असरदार घरेलू उपाय और हेल्थ टिप्स

read more
किडनी ट्रांसप्लांट: प्रक्रिया, सफलता दर और देखभाल

किडनी ट्रांसप्लांट: प्रक्रिया, सफलता दर और देखभाल

read more
किडनी खराब होने के लक्षण

किडनी खराब होने के लक्षण

read more

View more

Book Your Appointment TODAY

Related Diseases & Treatments

Treatments in Kolkata

Renal Sciences Doctors in Kolkata

NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now