Pediatric Cardiology | by Dr. Subhendu Mandal | Published on 19/11/2024
जब आपके बच्चे का जन्म हो और आपको यह पता चले कि आपका बच्चा जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) का सामना कर रहा है, तो आपके ऊपर पूरा आसमान टूट कर गिर जाएगा। दुर्भाग्यवश हर 100 में से एक बच्चा इस स्वास्थ्य समस्या के साथ जन्म लेता है।
हालांकि प्रेगनेंसी के दौरान सीएचडी (कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज) के बारे में पता लगाया जा सकता है। फीटल इको (Fetal Echo test) ऐसा ही एक टेस्ट है, जिसमें फीटस (भ्रूण) में मौजूद असामान्यताओं का पता लगाया जाता है।
इस ब्लॉग की मदद से फीटल इको टेस्ट के संबंध में सारी जानकारी प्राप्त करते हैं जैसे कि यह क्या है और इसे कब और क्यों कराना चाहिए। हृदय संबंधी समस्या के इलाज में एक अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ और प्रेगनेंसी से संबंधित जानकारी के लिए एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं।
फीटल इको या फीटस इकोकार्डियोग्राम एक ऐसा टेस्ट है, जिसमें प्रेगनेंसी में भ्रूण के स्वास्थ्य की जांच होती है। इस टेस्ट में अल्ट्रासोनिक साउंड वेव का उपयोग किया जाता है और गर्भ में मौजूद भ्रूण या बच्चे की स्पष्ट छवि बनाई जाती है। टेस्ट में किसी भी प्रकार की असामान्यता दर्शाती है कि गर्भ में मौजूद बच्चे हार्ट संबंधित समस्या का सामना कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान कई सारे टेस्ट होते हैं, जिसकी मदद से अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है। जिन महिलाओं के बच्चों को जन्मजात हृदय रोग होने का खतरा होता है, उन्हें फीटल इकोकार्डियोग्राफी का सुझाव दिया जाता है।
फीटल इको टेस्ट कराने की सलाह अक्सर डॉक्टर दूसरी तिमाही के आसपास, लगभग 18 से 24 सप्ताह में देते हैं। इस दौरान फीटस इकोकार्डियोग्राफी को कभी भी कराया जा सकता है। इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर भ्रूण के ग्रोथ पर खास नजर रखते हैं। यदि उन्हें किसी भी प्रकार की असामान्यता की आशंका दिखती है, तो वह इसके लिए इलाज के अन्य विकल्प खोजते हैं।
इसके अतिरिक्त निम्न स्थितियों में डॉक्टर फीटल इकोकार्डियोग्राम के लिए कहते हैं -
फीटस इकोकार्डियोग्राफी एक आधुनिक और सरल तरीके से की जाने वाला टेस्ट है, जिसको करने के लिए ट्रांसड्यूसर नामक उपकरण की सहायता ली जाती है। हर कोई यह टेस्ट नहीं कर सकता है। अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफर के साथ मैटरनल फीटल मेडिसिन स्पेशलिस्ट या पेरिनेटोलॉजिस्ट भी यह टेस्ट सफलता से कर सकते हैं। सबसे पहले आपको यह समझना पड़ेगा कि इस टेस्ट के लिए आपको कुछ खास तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है। इस टेस्ट को पूरा होने में लगभग 2 घंटे लगते हैं, जिसके कारण आपको हल्का खाना या नाश्ता करने की सलाह दी जाती है।
टेस्ट के दौरान विशेषज्ञ अल्ट्रासोनिक ट्रांसड्यूसर प्रोब गर्भ के आस-पास घुमाते हैं, जिसकी मदद से फीटस के दिल के अलग अलग स्ट्रक्चर और लोकेशन के बारे में जानकारी मिलती है। इस टेस्ट को करने के लिए अलग-अलग तकनीक का उपयोग होता है जैसे कि -
इन दोनों के अतिरिक्त कुछ और प्रकार के टेस्ट होते हैं जैसे कि -
यह एक आधुनिक टेस्ट है, जिसकी मदद से जन्म से पहले ही बच्चे में मौजूद हृदय संबंधी असामान्यताओं का पता आसानी से चल सकता है। इस टेस्ट रिपोर्ट का आकलन एक अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ अच्छे से कर सकते हैं और उसी के अनुसार वह इलाज की सटीक और बेस्ट योजना बना सकते हैं।
हालांकि प्रेगनेंसी की स्थिति में समय-समय पर जांच और उचित इलाज बहुत ज्यादा आवश्यक है। यदि सभी निर्धारित जांच कराते हैं और डॉक्टर के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं, तो यह आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। इसके अतिरिक्त अधिक जानकारी के लिए आप हमारे विशेषज्ञ से भी मिल सकते हैं।
फीटल इकोकार्डियोग्राफी का करने का सुझाव प्रेगनेंसी के 18 से 24 सप्ताह के बीच ही किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि इस समय के दौरान भ्रूण के हृदय का विकास हो जाता है।
फीटल इको टेस्ट सभी प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए अनिवार्य नहीं है। हालांकि जिनके बच्चों को जन्मजात हृदय रोग का खतरा होता है, डॉक्टर उन्हें इस टेस्ट का सुझाव अक्सर देते हैं।
फीटल इकोकार्डियोग्राफी टेस्ट में बच्चे के फीटस या फिर भ्रूण की संरचना, हृदय गति या इसकी लय का आकलन किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से भ्रूण के हार्ट चैम्बर, वाल्व, रक्त वाहिकाएं और रक्त प्रवाह की जांच आसानी से हो सकती है।