विश्व हेपेटाइटिस दिवस का मुख्य उद्देश्य है, हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इससे बचने के उपायों को साझा करना, जो हम इस ब्लॉग से करने वाले हैं। जानकारी ही इलाज का पहला कदम है।
हर साल 28 जुलाई को हम विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाते हैं, और इस दिन का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। चलिए समझते हैं ऐसा क्यों है? आमतौर पर, जब लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित होते हैं, तो बहुत बार सही जानकारी की कमी के कारण वह कई गलतियां कर बैठते हैं।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस की शुरुआत डॉ. बारूक सैमुअल ब्लमबर्ग के जन्मदिन पर हुई थी, जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की और इसके लिए पहला टीका भी विकसित किया। इस दिन को याद करके हम हेपेटाइटिस मुक्त भारत की तरफ एक कदम और पास पहुंच सकते हैं।
यदि आप या आपके परिवार में से कोई भी इस बीमारी का शिकार है, तो यह समय है कि आप हमारे हेपेटाइटिस विशेषज्ञ से सलाह लें और इलाज शुरू करें। सही जानकारी और इलाज से आप न केवल अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि इस महामारी के खिलाफ संघर्ष में भी भाग ले सकते हैं।
हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि वायरल हेपेटाइटिस एक खतरनाक बीमारी है, जिसके कारण हमारा लीवर प्रभावित होता है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें लक्षण धीमी रफ्तार से उत्पन्न होते हैं, और कई मामलों में लोगों को पता ही नहीं होता है कि वह इस स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें लीवर में सूजन आ जाती है, जिससे लीवर की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
यदि समय पर वायरल हेपेटाइटिस इलाज नहीं किया जाता है, तो इसके कारण लीवर को कई गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ता है, जैसे कि सिरोसिस और लीवर कैंसर। यदि आप इससे बचना चाहते हैं, तो समय पर जांच और इलाज बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। यदि आप या फिर आपके परिवार में से कोई भी इसके लक्षणों को नजरअंदाज करता है या इसकी पुष्टि होने में देरी होती है, तो इसके कारण आपको कई सारी स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इससे न केवल स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि रोगी के परिवार और समाज पर भी इसका गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।
मुख्य रूप से वायरल हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं। प्रत्येक प्रकार के हेपेटाइटिस का प्रभाव अलग-अलग होता है। चलिए इन सभी वायरस के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं और समझते हैं कि उनसे बचने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं -
हेपेटाइटिस के वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से रक्त और शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से फैलता है। यह कुछ आदतों और परिस्थितियों में अधिक फैलता है जैसे कि -
वायरल हेपेटाइटिस के लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं होते हैं, खासकर हेपेटाइटिस B और C की स्थिति में लक्षण बहुत ज्यादा शांत होते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने शरीर पर ध्यान दें जैसे कि -
हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी और असरदार तरीका है, लेकिन इसके साथ-साथ कुछ सामान्य सावधानियां भी हैं, जो आपके लिए मददगार साबित हो सकती है -
इन निर्देशों के पालन से आप हेपेटाइटिस ले बच सकते हैं। इसके अतिरिक्त लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से मिलें और इलाज के विकल्पों को साझा करें।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस हमें यह याद दिलाता है कि वायरल हेपेटाइटिस से बचाव, जल्दी पहचान और इलाज से जीवन को बचाया जा सकता है। अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक परीक्षण कराएं। इसके अतिरिक्त आप हेपेटाइटिस के इलाज के लिए हमारे विशेषज्ञ डॉक्टरों से मिलें और इलाज लें।
हां, हेपेटाइटिस बी का इलाज संभव है, और समय रहते इलाज से आप इस संक्रमण को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर की सलाह महत्वपूर्ण है, इसलिए आप इसके लिए डॉक्टर से मिलें और सलाह लें।
हां, आप हेपेटाइटिस बी की स्थिति में शादी कर सकते हैं, लेकिन आपको कुछ सावधानियां बरतनी होगी, जैसे कि सुरक्षित यौन संबंध और उचित चिकित्सा उपचार के लिए डॉक्टर से मिलें।
हेपेटाइटिस बी की जांच के लिए रक्त परीक्षण काफी होता है। हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन (HBsAg) का स्तर 1 s/c से कम होने पर नकारात्मक माना जाता है, जबकि 5 s/c से अधिक के स्तर को सकारात्मक माना जाता है। इससे संक्रमण की गंभीरता का भी पता चल सकता है। डॉक्टर इसके आधार पर उपचार योजना तैयार करेंगे।
हेपेटाइटिस बी लिवर की बीमारी है, जबकि एड्स (HIV) इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने वाला रोग है। हालांकि, दोनों वायरस रक्त के माध्यम से फैलता है, उनका असर और इलाज अलग-अलग होता है। इसलिए किसी भी प्रकार के संदेह में स्वयं इलाज न करें, सीधा एक विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।
शराब और अस्वस्थ आहार से बचें, और डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का पालन करें। इसके अतिरिक्त आपको कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है।
Written and Verified by:
An expert in Therapeutic GI Endoscopic procedures, Dr. Sharma after completing his MBBS from JLN Medical College, Ajmer and MD from SMS, earned his DM in Gastroenterology from SGPGIMS, Lucknow in 2006. Post completing his MBBS from JLN Medical College, Ajmer in 1996 and MD from SMS Medical College, Jaipur in 1999, he pursued further specialisation in Gastroenterology i.e. DM (Doctorate of Medicine in Gastroenterology) from SGPGIMS, Lucknow in 2006.
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