Gastro Science | Posted on 04/20/2023 by Dr. Anil Kumar Jangid
हेपेटाइटिस बी एक गंभीर संक्रमण है, जो सीधा लीवर को प्रभावित करती है। यह वायरस रक्त, वीर्य, और योनि से डिस्चार्ज जैसे शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से फैलता है। यही कारण है कि हर व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी की सामान्य जानकारी होनी चाहिए, जिसे हम इस ब्लॉग के द्वारा समझाने वाले हैं।
हेपेटाइटिस बी एक बहुत ही आम पर गंभीर संक्रमण है, जो हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण होती है और लीवर पर हमला कर उसकी कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचाती है। अब तक लगभग दो अरब लोग यानी हर 3 में से 1 व्यक्ति इस रोग से संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 300 मिलियन लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण के साथ अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं। वहीं एक आंकड़ा कहता है कि हर साल लगभग 10 लाख लोग इस रोग के कारण अपनी जान गवांते हैं।
कई लोगों में हेपेटाइटिस बी की समस्या कुछ समय के लिए ही होती है। इसे एक्यूट हेपेटाइटिस भी कहा जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों की मानी जाए तो यह रोग कम से कम 6 महीने तक एक व्यक्ति के शरीर में रहता है। इस स्थिति को एक्यूट हेपेटाइटिस बी कहा जाता है। वहीं दूसरी तरफ यह रोग 6 महीने से ज्यादा शरीर में रहता है तो यह क्रॉनिक इंफेक्शन में परिवर्तित हो जाता है।
हेपेटाइटिस बी के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं, जो आमतौर पर व्यक्ति के संक्रमित होने के लगभग 1 से 4 महीने बाद तक दिखाई देते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में आप लक्षण संक्रमण के दो हफ्ते बाद ही देखे जा सकते हैं और ज्यादातर छोटे बच्चों में हेपेटाइटिस बी के कोई लक्षण नहीं नज़र आते हैं।
इसके अलावा, हेपेटाइटिस बी के लक्षणों में पेट दर्द, गहरा मूत्र, बुखार, जोड़ों में दर्द, भूख में कमी, उलटी, कमजोरी और थकान शमिल है।
यह संक्रमण, हेपेटाइटिस बी वायरल (एचबीवी) के कारण होता है, जो रक्त यानी खून, वीर्य या शरीर के दूसरे लिक्विड पदार्थों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। लेकिन एक बात का खास ख्याल रखना होगा कि यह बीमारी छींकने या किसी के सामने खांसने से नहीं फैलती है। हालांकि कुछ बातों का पालन करके इस वायरस को फैलने से रोका जा सकता है जैसे -
एक्यूट हेपेटाइटिस बी का कोई विशिष्ट या निश्चित इलाज नहीं है। यही वजह है कि इसकी देखभाल का उद्देश्य आराम और पर्याप्त पोषण संतुलन बनाए रखना है, जिसमें उल्टी और दस्त से कम या खत्म हुए लिक्विड पदार्थों का रिप्लेसमेंट भी शामिल है। वहीं कुछ अनावश्यक दवाओं से बचने की भी सलाह दी जाती है जैसे एसिटामिनोफेन, पेरासिटामोल और उल्टी की दवाएं।
क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण का इलाज दवाओं से संभव है, जिसमें ओरल एंटीवायरल एजेंट भी शामिल है। यह सिरोसिस की प्रोग्रेस को धीमा कर सकता है, लिवर कैंसर की घटनाओं को कम कर सकता है और साथ ही, लॉन्ग टर्म सर्वाइवल में सुधार भी कर सकता है।
साल 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने अनुमान लगाया था कि क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण वाले 12% से 25% लोगों को उम्र और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर इलाज की आवश्यकता पड़ती है। कई मामलों में देखा गया है कि डॉक्टर इलाज के लिए सिर्फ दवाएं ही देते हैं। यदि आप किसी भी समस्या का सामना कर रहे हैं तो आप जयपुर में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट से परामर्श ले सकते हैं।
यदि हेपेटाइटिस बी का इलाज सही समय पर नहीं होता है, तो यह स्थिति कैंसर में परिवर्तित हो सकती है। हेपेटाइटिस बी और सी दुनिया में क्रोनिक लीवर रोग और लीवर कैंसर के प्रमुख कारण हैं। यदि ऐसा होता है तो सर्जरी और कीमोथेरेपी की आवश्यकता पड़ती है।
हेपेटाइटिस एक ऐसी कंडीशन है, जो लिवर टिश्यू के इन्फ्लेमेशन की वजह बनती है। दूसरी तरफ पीलिया, लिवर में बिलीरुबिन पिगमेंट के उच्च स्तर की वजह से होता है, जिससे व्यक्ति के स्किन का कलर पीला हो जाता है।
हेपेटाइटिस बी के लिए कोई "सामान्य" रेंज नहीं है। हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) के लिए रक्त परीक्षण में यदि HBsAg (हेपेटाइटिस बी स्टेज एंटीजन) पॉजिटिव है, तो इसका मतलब है कि आप हेपेटाइटिस बी संक्रमण से संक्रमित है।
हेपेटाइटिस बी में आपको स्वस्थ और संतुलित आहार खाना चाहिए जैसे -
हेपेटाइटिस बी का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है, लेकिन इसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि सही समय पर उचित इलाज रोगी को मिल जाता है, तो वह लीवर की कार्यक्षमता को क्षतिग्रस्त होने से बचा सकता है।
हेपेटाइटिस बी मुख्य रूप से यकृत को संक्रमित करता है।
हेपेटाइटिस बी का मुख्य कारण संक्रमित रक्त या शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आना है। यह संक्रमण रक्त, वीर्य और शरीर के अन्य तरल पदार्थ से फैलता है।
यदि हेपेटाइटिस बी का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह लीवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और सिरोसिस और लीवर कैंसर का कारण बन सकता है।
यदि आप हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आपको उचित उपचार और देखभाल प्रदान करेंगे।