अस्थमा एक सांस संबंधी समस्या है, जिसकी वजह से अन्य सांस से संबंधित समस्याएं एक व्यक्ति को घेर लेती है। भारत में लगभग 30-34 मिलियन लोग अस्थमा की शिकायत का सामना कर रहे हैं, जो पूरे विश्व के सभी मामलों का लगभग 13% है।
अस्थमा एक सांस संबंधी समस्या है, जिसकी वजह से अन्य सांस से संबंधित समस्याएं एक व्यक्ति को घेर लेती है। भारत में लगभग 30-34 मिलियन लोग अस्थमा की शिकायत का सामना कर रहे हैं, जो पूरे विश्व के सभी मामलों का लगभग 13% है। अस्थमा के लगभग 80% मामले कभी पकड़ में ही नहीं आते हैं, जिसके कारण संभावित जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। वहीं अस्थमा से मरने वाले लोगों की दर लगभग 42% है, जो कि एक विशाल संख्या है।
हालांकि, सही जानकारी और कुछ निर्देशों का पालन कर कोई भी व्यक्ति अस्थमा के जोखिम को कम कर सकता है और एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है। इस ब्लॉग में मुख्य रूप से हम यह जानेंगे कि अस्थमा अटैक से बचाव कैसे संभव है और यदि आप इसका सामना कर रहे हैं तो क्या करें और क्या न करें।
अस्थमा अटैक के कारण वायु मार्ग प्रभावित होता है, जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ के साथ-साथ सीने में जकड़न, खांसी के साथ तेज सांस लेने जैसी समस्या परेशान करती है। इस स्थिति में अस्थमा कुछ कारकों के कारण ट्रिगर करता है जैसे -
यदि आपको अस्थमा का दौरा पड़ता है और आप इनहेलर का प्रयोग करते हैं, तो तुरंत पंप का प्रयोग करें। यदि आपने कभी इनहेलर का प्रयोग नहीं किया है और स्थिति नियंत्रित नहीं होती है, तो हम आपकी मदद कर सकते हैं। तुरंत हमारे डॉक्टरों से बात करें।
अस्थमा अटैक के दौरान निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव व्यक्ति कर सकते हैं -
यह सारे मुख्य लक्षण थे। इसके अतिरिक्त व्यक्ति कुछ अन्य लक्षणों का भी सामना करते हैं जैसे -
कुछ लोगों में यह लक्षण हल्के होते हैं, जबकि कुछ में स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि उसे तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।
अस्थमा अटैक कितना गंभीर हो सकता है, इसकी जानकारी हमने आपको ही दे दी है। इसलिए इससे बचाव बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। अस्थमा अटैक से बचाव के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। चलिए बात करते हैं कि अस्थमा अटैक में क्या करें और क्या न करें -
क्या करें |
क्या न करें |
अपनी दवाओं के डोज को समय पर लें। |
बिना डॉक्टर से सलाह लिए दवा न बदलें। |
बाहर धूल या धूप में निकलते समय मुंह और नाक को अच्छे से ढकें। |
धूम्रपान न करें और ट्रिगर करने वाले कारकों से दूर रहें। |
नियमित व्यायाम, स्वस्थ भोजन, और पर्याप्त नींद लें। |
ठंडी हवा में व्यायाम न करें और न ही तनाव लें। |
आवश्यकता पड़ने पर इनहेलर पंप का प्रयोग करें। |
इस बीमारी को डॉक्टर से न छिपाएं। |
अपने घर परिवार में लोगों को अस्थमा के बारे में जागरूक करें। |
समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना न भूलें। |
इस टेबल की मदद से आपको यह समझ आ गया होगा कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। लेकिन स्वस्थ जीवनशैली एक ऐसा कारक है, जिसके बारे में विस्तार से बात होनी चाहिए। निम्नलिखित स्वस्थ आदतों को अपने जीवन में लाएं और अस्थमा अटैक की संभावनाओं को टालें -
इन सबके अतिरिक्त पल्मोनोलॉजी डॉक्टर से नियमित जांच से बहुत मदद मिलेगी।
अचानक अस्थमा आने पर आपको निम्न निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है -
तुरंत आराम के लिए इनहेलर और नेबुलाइजर मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त रोजाना 15-20 मिनट का व्यायाम करें, बीटा-एगोनिस्ट ब्रोन्कोडायलेटर (अस्थमा के लक्षण के लिए दवा) खाएं, और तनाव को कम करें। इससे धीरे-धीरे स्थिति नियंत्रित होनी शुरु हो जाएगी।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार बच्चों की तुलना में वयस्कों में अस्थमा के कारण होने वाली मृत्यु लगभग पांच गुना है। वहीं 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में भी अस्थमा मृत्यु का कारण बन सकता है।
अस्थमा का कोई पक्का इलाज नहीं है। हालांकि त्वरित चिकित्सा देखभाल और कुछ उपायों से इस स्थिति को रोका जा सकता है। सही डोज और समय पर इलाज की मदद से अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
Written and Verified by:
Dr. Rakesh Godara is Additional Director of Pulmonology Dept. at CK Birla Hospital, Jaipur with over 18 years of experience. He specializes in ARDS, bronchoscopic management of hemoptysis, central airway obstruction, endobronchial ultrasound, and medical thoracoscopy/pleuroscopy.
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