सर्वाइकल कैंसर: कारण, लक्षण और उपचार

सर्वाइकल कैंसर: कारण, लक्षण और उपचार

Obstetrics and Gynaecology |by Dr. C. P. Dadhich| Published on 02/05/2024

सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मृत्यु की संख्या भारत में काफी अधिक है। भारत की महिलाओं में होने वाले कैंसरों में चौथा सबसे आम कैंसर है, सर्वाइकल कैंसर। एनसीबीआई के अनुसार महिलाओं में होने वाले सभी कैंसर में सर्वाइकल कैंसर का योगदान लगभग 6-29% है। चलिए सबसे पहले जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर क्या है? 

सर्वाइकल कैंसर, या गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा {बच्चेदानी के मुख (Cervix)} की सतह पर शुरू होता है। यह तब होता है, जब गर्भाशय ग्रीवा की सेल्स (कोशिकाएं) असाधारण सेल्स में बदलने लगती हैं। इस स्थिति का सबसे उत्तम इलाज है, उन प्रभावित सेल्स को ढूंढना और उनके बदलने से पहले प्रभावित सेल्स का इलाज करना। इलाज के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ या कैंसर रोग से मिलने की सलाह दी जाती है।

सर्वाइकल कैंसर के कारण - 

अधिकांश सर्वाइकल कैंसर एचपीवी वायरस (HPV virus) के कारण होते हैं, जो एक यौन संचारित संक्रमण है। यह वायरस यौन संपर्क में आने से फैलते हैं और कभी-कभी कैंसर का कारण बन सकते हैं। अधिकांश महिलाओं को पता ही नहीं चलता है कि वह एचपीवी के संक्रमण से संक्रमित हो गई हैं, क्योंकि उनका शरीर इस संक्रमण से लड़ने में सक्षम होता है। कुछ मामलों में ऐसा भी होता है कि उनका शरीर संक्रमण से नहीं लड़ पाता है, जिसके कारण सर्वाइकल कैंसर की समस्या हो जाती है।

एचपीवी 100 से अधिक प्रकार के होते हैं। उन्हीं में से लगभग एक दर्जन को कैंसर का कारण माना गया है। यदि समय पर कैंसर वाले वायरस का पता न चले, तो यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। इससे बचने के लिए एक अनुभवी और श्रेष्ठ कैंसर रोग की आवश्यकता होती है। 

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण - 

शुरुआती चरणों में सर्वाइकल कैंसर की पहचान करना थोड़ा मुश्किल है। हालांकि जांच के दौरान असामान्य सेल्स का पता लगाना सर्वाइकल कैंसर से बचने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। हालांकि स्टेज 1 सर्वाइकल में कुछ लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे -

  • वेजाइना से रक्त या फिर तरल पदार्थ का निकलना, जिससे दुर्गंध आए। 
  • यौन संबंध स्थापित करने के बाद पीरियड्स के बीच या मेनोपॉज के बाद योनि से रक्त हानि होना।
  • पीरियड्स के दौरान असामान्य रक्त हानि।

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं, जो तब उत्पन्न होते हैं, जब यह कैंसर अन्य अंगों तक फैल जाता है जैसे -

  • पेशाब करने में कठिनाई या दर्द
  • पेशाब में खून आना (बहुत कम मामलों में)
  • दस्त, या मल त्यागते समय मलाशय (Rectum) में दर्द या रक्त हानि
  • थकान, और भूख न लगना
  • सेहत ठीक न लगना
  • पैरों और पीठ में हल्का दर्द या सूजन
  • पेल्विक या पेट दर्द

यदि असामान्य रक्त हानि, योनि से तरल पदार्थ या किसी अन्य अस्पष्ट लक्षण का अनुभव हो तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ या फिर कर्क रोग विशेषज्ञ से मिलें। 

सर्वाइकल कैंसर के स्टेज -

सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए चरण का पता लगाना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इससे उपचार का सबसे प्रभावी विकल्प चुनने में मदद मिलती है। कैंसर के स्टेज का पता लगाने के पीछे एक और उद्देश्य होता है और वह है पता लगाना कि कैंसर कितनी दूर तक फैला है और क्या इससे बच्चेदानी के मुख के आस-पास के अंग प्रभावित हुए है या नहीं।

सर्वाइकल कैंसर को 4 स्टेज में बांटा गया है। 

  • स्टेज 0: असामान्य सेल्स का मौजूद होना।
  • स्टेज 1: इस स्टेज में कैंसर की सेल्स गर्भाशय ग्रीवा के सतह पर होती हैं।
  • स्टेज 2: इस स्टेज में कैंसर गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय से आगे बढ़ जाता है।
  • स्टेज 3: कैंसर सेल्स योनि के निचले भाग या श्रोणि की दीवारों में मौजूद होते हैं।
  • स्टेज 4: इस चरण में कैंसर मूत्राशय या मलाशय को प्रभावित करता है और कुछ मामलों में यह श्रोणि से बाहर भी आ सकता है।

सर्वाइकल कैंसर का इलाज -

सर्वाइकल कैंसर के स्टेज के आधार पर इलाज निम्न विकल्पों में से किसी एक या फिर इनके कॉम्बिनेशन का प्रयोग होता है। 

  • सर्जरी: सर्जरी का सुझाव तभी दिया जाता है, जब इस बात की पुष्टि हो जाए कि कैंसर के प्रसार को रोकने के लिए सर्जरी सबसे बेहतर विकल्प है। सर्जरी में बच्चेदानी के मुख के उस क्षेत्र को हटा दिया जाता है, जिसमें कैंसर के सेल्स होते हैं। यदि स्थिति अधिक गंभीर है, तो सर्जरी में गर्भाशय ग्रीवा और अन्य अंगों को भी निकाला जाता है।
  • रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy): रेडियो फ्रीक्वेंसी का प्रयोग करके शरीर में मौजूद कैंसर के सेल्स को खत्म किया जाता है। इस थेरेपी का प्रयोग सर्जरी से पहले और बाद में किया जाता है।
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy): कीमोथेरेपी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पूरे शरीर के कैंसर के सेल्स को मारने के लिए दवा का प्रयोग होता है। सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामलों में इस प्रक्रिया का सुझाव देते हैं। सर्जरी के बाद भी कीमो का सुझाव दिया जाता है। इस प्रक्रिया से पुष्टि की जाती है कि कैंसर सेल्स पूर्ण रूप से खत्म हो जाए।

सर्वाइकल कैंसर से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण और उपचार क्या है?

लक्षण

  • योनि से रक्त हानि
  • असामान्य तरल पदार्थ का निकलना
  • पीठ के निचले भाग में दर्द
  • बार-बार पेशाब आना
  • पेशाब करते समय दर्द या जलन

उपचार

  • सर्जरी
  • रेडिएशन थेरेपी
  • कीमोथेरेपी

सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक क्या है?

सर्वाइकल कैंसर के निम्नलिखित जोखिम कारक होते हैं - 

  • ह्यूमन पेपिलोमावायरस संक्रमण
  • कम उम्र में यौन संबंध
  • कई यौन साथी
  • गर्भावस्था
  • धूम्रपान

सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचाव करें?

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं - 

  • एचपीवी टीकाकरण
  • नियमित पैप स्मियर और एचपीवी परीक्षण
  • असुरक्षित यौन संबंध से बचें
  • धूम्रपान से दूरी बनाएं

क्या सर्वाइकल कैंसर का कोई इलाज नहीं है?

सर्वाइकल कैंसर के लिए कोई प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं हैं। उपचार के परिणाम कैंसर के चरण और अन्य कारकों पर निर्भर करते हैं। हमारे डॉक्टरों का मानना है कि सर्वाइकल कैंसर का इलाज शुरुआती चरणों में संभव है। यदि कैंसर बढ़ जाता है, तो इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है, जो कि एक जानलेवा स्थिति साबित हो सकती है। 

सर्वाइकल कैंसर क्यों होता है?

इस प्रकार के कैंसर के होने के पीछे निम्न कारण हो सकते हैं - 

  • ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV)
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली/कमजोर इम्यून सिस्टम
  • धूम्रपान
  • महिलाओं में कुछ स्वास्थ्य स्थितियां

सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन क्या है?

यह HPV संक्रमण से बचाता है, जो सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण है। यह वैक्सीन 9-26 वर्ष की आयु वाली लड़कियों और महिलाओं को लगवाई जाती है। यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है। यह सर्वाइकल कैंसर, और अन्य HPV-संबंधित कैंसर से बचाता है।

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