क्या फेफड़े के प्रत्यारोपण से सीओपीडी ठीक हो सकता है?
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क्या फेफड़े के प्रत्यारोपण से सीओपीडी ठीक हो सकता है?

Summary

सीओपीडी, या क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों से हवा के प्रवाह को बाधित करने वाली बीमारी है, जिसमें क्रोनिक इंफ्लेमेटरी की समस्या होती है। सीओपीडी में क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फाइज़िमा जैसी स्थितियां शामिल है, जो मुख्य रूप से सिगरेट के धुएं, वायु प्रदूषण या कुछ व्यावसायिक कारखानों से निकली जहरीली गैस के संपर्क में ज्यादा रहने के कारण होती है।

हर रोज अपनी सांस से जंग लड़ना किसी के लिए भी आसान नहीं होता है। सांस लेने में दिक्कत क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का एक मुख्य लक्षण है, जिससे आपको रोजमर्रा का जीवन प्रभावित हो सकता है।

इसके उपर यदि यह स्थिति अनुपचारित रह जाए, तो यह बीमारी और भी ज्यादा बढ़ सकती है, जिसके कारण चलना या सीढ़ी चढ़ना जैसा सामान्य कार्य करना भी मुश्किल लग सकता है। हालांकि कुछ दवाओं और उपचार से कुछ राहत तो मिल सकती है। 

हालांकि कुछ लोगों की स्थिति में फेफड़े का ट्रांसप्लांट (Lung Transplant) एक उम्मीद की एक किरण है, जिससे वह जीवित रह सकते हैं। चलिए इस ब्लॉग की मदद से समझने का प्रयास करते हैं कि इससे सीओपीडी की समस्या से आराम होगा या नहीं। सीओपीडी के बेहतर इलाज के लिए एक अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट विशेषज्ञ से परामर्श करना बहुत आवश्यक है।

सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) क्या है?

सीओपीडी, या क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़ों से हवा के प्रवाह को बाधित करने वाली बीमारी है, जिसमें क्रोनिक इंफ्लेमेटरी की समस्या होती है। सीओपीडी में क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फाइज़िमा जैसी स्थितियां शामिल है, जो मुख्य रूप से सिगरेट के धुएं, वायु प्रदूषण या कुछ व्यावसायिक कारखानों से निकली जहरीली गैस के संपर्क में ज्यादा रहने के कारण होती है।

सीओपीडी के लक्षणों में लगातार खांसी आना, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट और बार-बार सांस का संक्रमण होना शामिल है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जैसे-जैसे बीमारी आगे बढ़ती है, यह लक्षण बिगड़ते जाते हैं, जिसके कारण रोगियों के लिए दैनिक गतिविधियां करना मुश्किल हो जाता है।

सीओपीडी के उपचार में फेफड़े के ट्रांसप्लांट की भूमिका

फेफड़े के ट्रांसप्लांट में एक या दोनों रोगग्रस्त फेफड़ों को स्वस्थ फेफड़ों से बदल दिया जाता है। इस सर्जरी का सुझाव उन्हीं मामलों में दिया जाता है, जो सीओपीडी के अंतिम चरण में होते हैं। इससे उन्हें राहत मिलती है, जिसके साथ उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार देखने को मिलता है। इसे आप जीवन विस्तार के एक विकल्प के रूप में देख सकते हैं, लेकिन यह सीओपीडी का बेस्ट इलाज नहीं है।

यह एक बड़ी सर्जरी है, जिसमें काफी जोखिम भी होता है, जिसके कारण इस सर्जरी को सीओपीडी के उपचार के तौर पर नहीं देखा जाता है। इस स्थिति की सबसे गंभीर जटिलता है, शरीर का दूसरे अंग को स्वीकार न करना। इसके अतिरिक्त ऐसा होने से रोकने के लिए कुछ दवाएं दी जा सकती हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

यही कारण है कि आपको सीओपीडी के इलाज के लिए फेफड़े के ट्रांसप्लांट का चुनाव नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त दूसरे इलाज के प्रभावी विकल्प मौजूद हैं, जिनके बारे में आपको एक अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ से बात करके ही पता चलेगा।

फेफड़े का ट्रांसप्लांट कब आवश्यक है?

फेफड़े का ट्रांसप्लांट कुछ ही मामलों में आवश्यक होता है। नीचे कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में बताया गया है, जिसमें फेफड़े का ट्रांसप्लांट का सुझाव डॉक्टर देते हैं - 

  • जब किसी भी व्यक्ति को आराम करने या किसी भी हल्के काम को भी करने में सांस लेने में तकलीफ हो।
  • जब सांस संबंधित समस्या के इलाज के तौर पर ऑक्सीजन थेरेपी और दवाओं से आराम न मिले।
  • लक्षण बार-बार उत्पन्न हो और अस्पताल में भर्ती होने तक की भी नौबत आ जाए। 
  • जब फेफड़ों की कार्यक्षमता में भारी गिरावट आए या वह अपना सामान्य काम करने में सक्षम न हो।

फेफड़े का ट्रांसप्लांट कौन करवा सकता है?

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि सीओपीडी से पीड़ित हर मरीज फेफड़ों के ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। निम्न रोगी फेफड़े के ट्रांसप्लांट के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माने जाते हैं - 

  • व्यक्ति की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • व्यक्ति को अन्य कोई गंभीर समस्या नहीं होनी चाहिए जैसे कि - किडनी, लीवर या दिल की विफलता
  • ऑक्सीजन थेरेपी, दवाओं या फेफड़ों की रिकवरी जैसे इलाज के विकल्प कारगर साबित न हो।
  • धूम्रपान न करने वाले या वह लोग जिन्होंने ट्रांसप्लांट से पहले काफी समय तक धूम्रपान छोड़ दिया हो।

आमतौर पर डॉक्टर ट्रांसप्लांट से पहले इन सभी कारकों अपना ध्यान केंद्रित ज़रूर करते हैं। इसके अतिरिक्त भी कुछ व्यक्तिगत कारक होते हैं, जो निदान के बाद ही स्पष्ट होते हैं।

फेफड़े के ट्रांसप्लांट के बाद सीओपीडी रोगी कितने समय तक जीवित रह सकते हैं?

किसी भी सर्जरी के बाद उसकी सफलता दर या जीवन प्रत्याशा दर देखभाल पर निर्भर करती है। ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों के फेफड़ों का ट्रांसप्लांट हुआ है, उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार भी हुआ है। चलिए समझते हैं कि फेफड़े के ट्रांसप्लांट के बाद सीओपीडी रोगी कितने समय तक जीवित रहते हैं - 

  • फेफड़े के ट्रांसप्लांट के 1 साल बाद – 90% मरीज जीवित रहते हैं।
  • फेफड़े के ट्रांसप्लांट के 3 साल बाद – 55-70% मरीज जीवित रहते हैं।
  • फेफड़े के ट्रांसप्लांट के 5+ साल बाद – 32-54% मरीज जीवित रहते हैं।

इस सर्जरी का सुझाव सभी पहलुओं को देखकर ही लिया जाना चाहिए, अन्यथा व्यक्ति को बहुत ज्यादा गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है, अंततः व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसमें हमारे विशेषज्ञ डॉक्टर आपकी मदद कर सकते हैं। तुरंत परामर्श लें और समझें कि आपके पास इलाज के कौन-कौन से विकल्प मौजूद है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 

क्या फेफड़े के ट्रांसप्लांट के बाद COPD वापस आ सकता है? 

ऐसे होने की संभावना बहुत कम है। लेकिन सीओपीडी के साथ-साथ उस मरीज को अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा लगातार बना रहता है। 

क्या ट्रांसप्लांट से पहले कोई विशेष आहार या फिटनेस योजना है? 

हां, ट्रांसप्लांट से पहले कुछ विशेष निर्देश की सलाह अक्सर दी जाती है, जैसे कि प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें और अपने पूरे शरीर को फिट बनाने का प्रयास लगातार करते रहें। 

COPD रोगियों के लिए फेफड़े का ट्रांसप्लांट कितना सुरक्षित है? 

फेफड़े का ट्रांसप्लांट एक बड़ी सर्जरी है, जिसमें अंग का स्वीकार न होना और संक्रमण सहित कई जोखिम होते हैं। ट्रांसप्लांट की सुरक्षा और सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें सर्जरी से पहले रोगी का स्वास्थ्य और पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल का पालन शामिल है। 

ट्रांसप्लांट के बाद दैनिक गतिविधियों में वापस आने में कितना समय लगता है? 

कंप्लीट रिकवरी का समय अलग-अलग कारकों पर निर्भर करता है। अधिकतर मामलों में 2-3 सप्ताह तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता पड़ती है। हालांकि कोई भी व्यक्ति 3-6 महीने में अपने सामान्य कामों को करना शुरू कर सकता है। सही देखभाल के साथ, वह जल्दी रिकवर भी हो सकता है।

Written and Verified by:

Dr. Harshil Alwani

Dr. Harshil Alwani

Consultant Exp: 7 Yr

Pulmonology

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Dr. Harshil Alwani is a young and dynamic pulmonologist working at RBH, CK Birla hospital, Jaipur. He has vast experience in handling respiratory disorders and respiratory critical care illnesses.

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