हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और उन्ही में से एक है विटामिन डी। विटामिन डी को हम एक हार्मोन भी कह सकते हैं, जिसका मुख्य कार्य मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक क्षमताओं में संतुलन बनाए रखना है। हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी एक आम समस्या है, जिसके कारण हड्डियों और मांसपेशियों में कई सारी समस्या उत्पन्न होती हैं। ज्यादातर बुजुर्ग लोगों में विटामिन डी की कमी देखी जाती है। ज्यादातर 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को यह स्थिति अधिक प्रभावित करती है। इस स्थिति को रोकना और इलाज करना संभव है।
हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए कई पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और उन्ही में से एक है विटामिन डी। विटामिन डी को हम एक हार्मोन भी कह सकते हैं, जिसका मुख्य कार्य मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक क्षमताओं में संतुलन बनाए रखना है। हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी एक आम समस्या है, जिसके कारण हड्डियों और मांसपेशियों में कई सारी समस्या उत्पन्न होती हैं। ज्यादातर बुजुर्ग लोगों में विटामिन डी की कमी देखी जाती है। ज्यादातर 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को यह स्थिति अधिक प्रभावित करती है। इस स्थिति को रोकना और इलाज करना संभव है।
जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, उनमें से ज्यादातर लोगों में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखते हैं। हालांकि कुछ लक्षणों के संयोजन जैसे थकान, हड्डियों और मांसपेशियों में समस्या के साथ मूड में बदलाव इस स्थिति का संकेत देते हैं। इसके अतिरिक्त भी कुछ अन्य लक्षण है, जो दर्शाते हैं कि आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है जैसे
यदि किसी को भी यह लक्षण दिखते हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि तुरंत परामर्श लें और अपनी वर्तमान स्थिति के बारे में सही से जानें। सबसे पहले आपके शरीर में विटामिन डी की सटीक मात्रा का आकलन करने के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है, जिसकी मदद से आपके शरीर में इस तत्व के सामान्य स्तर का आसानी से पता चल सकता है।
महिलाओं में विटामिन डी की कमी के कारण कई प्रकार के हार्मोनल असंतुलन आते हैं जैसे -
विटामिन डी की कमी से पीड़ित महिलाएं निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करती हैं -
यदि किसी भी कारणवश लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण निम्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं -
बच्चों में विटामिन डी की कमी के कारण कई समस्याएं उत्पन्न होने लगी है। हालांकि बहुत कम मामलों में यह समस्या बच्चों में होती है क्योंकि बच्चों का शरीर विटामिन डी को अच्छी तरह से अवशोषित कर पाता है। लेकिन फिर भी विटामिन डी की कमी हड्डियों के दर्द के साथ-साथ कई अन्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है जैसे आंत्र का कैंसर, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या इत्यादि। इसलिए इसे गंभीरता से लें।
विटामिन डी की कमी के कारण बच्चों की हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होता है। हालांकि यह लक्षण भी तभी दिखते हैं, जब बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया नाम की स्वास्थ्य समस्या परेशान करने लगती हैं। रिकेट्स वह स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें बच्चों की हड्डियों में विटामिन डी की कमी है, जिसके कारण हड्डियां नरम होने लगती है।
शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है, जिसके कारण अक्सर बच्चों को मांसपेशियों में ऐंठन का सामना करना पड़ता है। शरीर में कैल्शियम की कम मात्रा के कारण बच्चों को दौरा भी पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त कोई अन्य लक्षण देखने को नहीं मिलता है।
सामान्य तौर पर शरीर में विटामिन डी की कमी दो मुख्य कारण हैं -
इसके अतिरिक्त शरीर में विटामिन डी कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान कर सकता है जैसे -
इसके अतिरिक्त कई अलग-अलग जैविक और पर्यावरणीय कारक भी हैं, जो शरीर में विटामिन डी की मात्रा को कम कर सकते हैं। अधिक उम्र और त्वचा में मेलेनिन की कम मात्रा इसके कुछ संभावित कारण है। इन सभी के अतिरिक्त कुछ अन्य स्वास्थ्य स्थिति भी हैं, जो विटामिन डी की कमी का कारण बनते हैं जैसे -
विटामिन डी की पूर्ति के लिए बहुत आसान उपाय उपलब्ध है। विटामिन डी के लिए आप तीन चीजों का ध्यान रखें -
भोजन से विटामिन डी प्राप्त करें
कुछ खाद्य पदार्थों में विटामिन डी की मात्रा भरपूर होती है। निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें -
हालांकि प्राकृतिक रूप से विटामिन डी की आवश्यकता को पूर्ण कर पाना संभव नहीं है, इसलिए इन खाद्य पदार्थों को अपने आहार में अवश्य शामिल करें। हमेशा किसी भी पैक्ड प्रोडक्ट को खरीदने से पहले लेवल को ज़रूर पढ़ें। इससे आप कई सारी समस्याओं से बच सकते हैं।
सूर्य की किरणों की सहायता से शरीर को अच्छी मात्रा में विटामिन डी मिलता है। रोजाना धूप में बाहर निकलें, लेकिन तेज गर्मी और लू से बचकर रहें। कम से कम कुछ मिनट के लिए ही सही सुबह जब धूप निकले, उस दौरान थोड़ा टहलें।
विटामिन डी सप्लीमेंट लें
वर्तमान में कई रिसर्च हुई हैं, जिसमें यह परिणाम आया है कि बहुत सारे लोगों को लगता है विटामिन डी सप्लीमेंट से उन्हें बहुत लाभ होता है। मुख्य रूप से D2 और D3 नामक दो सप्लीमेंट मार्केट में है। दोनों में से विटामिन डी 3 अधिक प्रभावी है, इसलिए कई एंडोक्राइनॉलोजी डॉक्टर इसी का सुझाव देते हैं। लेकिन बिना प्रिस्क्रिप्शन के इस दवा का सेवन न करें। यदि आप बिना सलाह के इन दवाओं का सेवन शुरु करते हैं तो शुरुआत में आपको कुछ पता नहीं चलेगा, लेकिन भविष्य में इसके कारण आपको बहुत सारी समस्याएं हो सकती है। इन सबसे बेहतर यह होगा कि आप हमसे मिलें और इलाज के सभी विकल्पों पर हमसे बात करें।
विटामिन डी की कमी से रिकेट्स (बच्चों में) और ऑस्टियोमलेशिया (वयस्कों में) जैसी हड्डियों की समस्याएं होती हैं। इसके कारण मांसपेशियां कमजोर होने लगती है, थकान होती है और हड्डियों में भी काफी दर्द होता है।
विटामिन डी की मदद से शरीर कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित कर पाता है। इस प्रक्रिया की मदद से हड्डियां स्वस्थ हो जाती हैं और बार-बार फ्रैक्चर होने का खतरा भी कम हो जाता है। विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियां तो कमजोर हो ही जाती हैं, लेकिन इसके साथ-साथ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो जाती है।
विटामिन डी की कमी में फोलाइट और ऑक्सालेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि इसके कारण शरीर विटामिन डी का अच्छ से प्रयोग नहीं कर पाता है।
विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें। सन-ड्राई मशरूम, फैटी मछली (सैल्मन, टूना, मैकेरल), एग योक और गाय का दूध आपके लिए लाभकारी होंगे।
Written and Verified by:
Consultant - Diabetes & Endocrinology Exp: 28 Yr
Endocrinology
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