स्लिप डिस्क: लक्षण, कारण और उपचार के विकल्प
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स्लिप डिस्क: लक्षण, कारण और उपचार के विकल्प

Summary

हमारे रीढ़ की हड्डी में एक कुशन जैसी हड्डी होती है, जिसे स्पाइनल डिस्क कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य हमारे रीढ़ की हड्डी को सहारा देना है। यह हड्डी रीढ़ की हड्डी को झटकों और चोट से बचाता है, जिसके साथ इस रीढ़ की हड्डी में लचीलापन को बढ़ाता है। 

यदि किसी भी कारणवश इस कुशन जैसी हड्डी में खराबी आए, तो इसके कारण स्लिप डिस्क की समस्या उत्पन्न हो सकती हैं।

अचानक उठने वाला पीठ दर्द कई स्थितियों का संकेत देता है। यह कई गंभीर समस्याओं की तरफ संकेत करता है, जिसमें से एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है स्लिप डिस्क। यह एक खतरनाक बीमारी है, जिससे दुनिया भर में हर साल 1000 वयस्कों में से 5-20 को स्लिप डिस्क की समस्या होती है। यह 30-50 वर्ष की आयु के लोगों में अधिक आम है और इस समस्या से पुरुष महिलाओं की तुलना में थोड़े अधिक प्रभावित होते हैं।

जिसका समय पर स्लिप डिस्क का उत्तम इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर पैरालिसिस जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके लक्षणों, कारणों और उपचार के विकल्पों को समझने से आप इस रोग का बेहतर इलाज कर सकते हैं और इसका प्रबंधन भी आसानी से कर सकते हैं। हड्डी रोग विशेषज्ञ से परामर्श आपको इलाज की सही दिशा को तलाशने में मदद कर सकता है।

स्लिप डिस्क क्या है?

हमारे रीढ़ की हड्डी में एक कुशन जैसी हड्डी होती है, जिसे स्पाइनल डिस्क कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य हमारे रीढ़ की हड्डी को सहारा देना है। यह हड्डी रीढ़ की हड्डी को झटकों और चोट से बचाता है, जिसके साथ इस रीढ़ की हड्डी में लचीलापन को बढ़ाता है। 

यदि किसी भी कारणवश इस कुशन जैसी हड्डी में खराबी आए, तो इसके कारण स्लिप डिस्क की समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। आमतौर पर यह समस्या चोट या सूजन की कारण उत्पन्न होती है। इस समस्या के कारण डिस्क अपनी सामान्य स्थिति से आगे नहीं बढ़ पाता है, जिसकी वजह से डिस्क के बाहरी भाग में दरार या छेद आने लग जाते हैं। 

इस दरार के कारण न्यूक्लियस पल्पोसस (Nucleus Pulposus) का रिसाव होने लगता है, जिसका प्रभाव रीढ़ की हड्डी और उसके आसपास मौजूद नसों पर पड़ने लगता है। 

स्लिप डिस्क के लक्षण

स्लिप डिस्क की स्थिति में कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जो मुख्य रूप से इसके स्थान और गंभीरता पर निर्भर करते हैं जैसे कि - 

  • दर्द: स्लिप डिस्क के कारण शरीर के पीछे पीठ के निचले भाग या गर्दन में लगातार दर्द बना रह सकता है।
  • रेडिएटिंग दर्द: हाथ या पैर में तेज दर्द होना जो ऐसा प्रतीत हो कि तंत्रिका मार्ग को प्रभावित कर रहा हो। 
  • सुन्न और झुनझुनी होना: इस समस्या के कारण हमारी तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होती है। आपको इस दौरान ऐसा लग सकता है कि आपको सुइयां चुभाई जा रही हो। 
  • मांसपेशियों में कमजोरी: हो सकता है कि आप बांह, पैरों या हाथों में कमजोरी का सामना करें। इसे नजरअंदाज न करें और स्वयं कैल्शियम की गोलियों पर निर्भरता न दिखाएं। 
  • कार्य करने प्रतिबंधित: कुछ कार्यों को करने में समस्या हो सकती है जैसे कि झुकना, चलना या एक पोस्चर को बनाए रखने में कठिनाई होना।

स्लिप डिस्क का क्या कारण है?

स्लिप डिस्क की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जिनको जानना बहुत आवश्यक है। इसकी मदद से इलाज की योजना बनाई जा सकती है। निम्न कारणों से यह समस्या उत्पन्न हो सकती है - 

  • उम्र बढ़ना: बढ़ती उम्र स्लिप डिस्क की समस्या एक मुख्य कारण है। समय के साथ डिस्क स्वाभाविक रूप से पानी की मात्रा और लचीलापन खो देती है, जिससे यह स्थिति फिर से उत्पन्न हो सकती है। 
  • चोट: किसी भी एक्सीडेंट या चोट के कारण डिस्क फट सकती है। एक्सीडेंट से होने वाले स्लिप डिस्क के मामले अच्छे खासे हैं। 
  • बार-बार तनाव: खराब मुद्रा में बैठना, भारी वजन उठाना या बार-बार कोई ऐसी चीज करना जिससे रीढ़ की हड्डी पर जोर जाए, उन कार्यों से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। 
  • स्पोर्ट्स इंजरी: इसके बारे में कोई भी बात नहीं करना चाहता है। हालांकि बहुत कम मामले इस कारण उत्पन्न होते हैं, लेकिन यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। 
  • मोटापा: शरीर का अधिक वजन होना भी हमारे रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव बनाता है।
  • जेनेटिक: हर्नियेटेड डिस्क की फैमिली हिस्ट्री भी इस रोग का एक मुख्य जोखिम कारक है। 

स्लिप डिस्क का उपचार

हम स्लिप डिस्क के इलाज के लिए कई विकल्पों का उपयोग करते हैं। ऐसा नहीं होता है कि कोई एक विकल्प इसमें से बेहतर है। स्लिप डिस्क के उपचार में निम्न विकल्प शामिल हो सकते हैं - 

गैर-सर्जिकल उपचार 

  • आराम और जीवनशैली में बदलाव: प्रयास करें कि इस स्थिति से निपटने के लिए जितना आराम आपको करना चाहिए उतना करें। इसके अतिरिक्त रोजाना सुबह वॉक पर जाएं और स्वस्थ आहार खाएं।
  • अधिक जोर लगाने वाले कार्यों से बचें: भारी सामान न उठाएं और जब तक आप रिकवरी मोड पर हैं, तब तक अपने खान-पान का खास ख्याल रखें। 
  • दर्द से प्रबंधन: ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक और सूजन-रोधी दवाएं आपकी मदद कर सकते हैं।
  • फिजिकल थेरेपी: पीठ की रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करने के लिए इस थेरेपी का उपयोग होता है। इससे पाश्चर में सुधार और शरीर में अधिक लचीलापन आ जाता है। 
  • गर्म और ठंड की थेरेपी: इसकी मदद से दर्द और सूजन को कम करने के लिए कोल्ड पैक या हॉट वाटर बोतल का उपयोग आप कर सकते हैं। 

स्लिप डिस्क के लिए व्यायाम

रिकवरी के दौरान आपको व्यायाम पर अधिक ध्यान देना होता है। कुछ प्रभावी व्यायाम है, जिससे आपको बहुत लाभ मिल सकता है जैसे कि - 

  • पेल्विक टिल्ट्स: यह एक ऐसा व्यायाम है, जिसमें कोर की मांसपेशियों को मजबूती और स्थिरता प्रदान होती है। 
  • ब्रिजिंग: इस व्यायाम की मदद से पीठ के निचले भाग की ताकत में वृद्धि होती है। 
  • कैट-काउ स्ट्रेच: इस व्यायाम को कोई भी कर सकता है। इसकी मदद से शरीर में अधिक लचीलापन और अकड़न देखने को मिलती है। 

आधुनिक उपचार

  • एपिड्यूरल इंजेक्शन: स्लिप डिस्क की समस्या के इलाज के लिए स्टेरॉयड इंजेक्शन प्रभावित तंत्रिका के आसपास की सूजन को कम करने का कार्य करता है। हम इस इंजेक्शन का सुझाव तब तक नहीं देते हैं, जब तक स्थिति के इलाज में बाकी विकल्प विफल नहीं होते हैं। 

सर्जिकल हस्तक्षेप:

  • माइक्रोडिसेक्टोमी: इस सर्जरी में डिस्क के हर्नियेटेड भाग को सर्जरी से हटा दिया जाता है। यह एक मिनिमल इन्वेसिव तकनीक है, जिसके बाद भी आपको यह समस्या फिर से उत्पन्न हो सकती है। 
  • लैमिनेक्टॉमी: तंत्रिका तंत्र पर लगातार बन रहे दबाव को कम करने के लिए रीढ़ की हड्डी के कुछ भाग को ही हटा दिया जाता है।

स्लिप डिस्क में सावधानियां

स्लिप डिस्क में कुछ सावधानियां होती हैं, जिनका विशेष ध्यान रखना होता है। स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए आप निम्न बातों का पालन कर सकते हैं -

  • भारी उठाने से बचें: ऐसे सामान उठाने से बचें, जिसको उठाने के लिए आपकी कोर की ताकत जाए। कोर हमारे पेट, पीठ और पीठ के निचले भाग को मिलाकर बनता है।
  • पोस्चरल अवेयरनेस: प्रयास करें कि आप अपने बैठने और चलने की मुद्रा का खास ख्याल रखें। 
  • वजन का प्रबंधन: यदि आप स्वस्थ वजन बनाए रखते हैं और अपने शरीर में मौजूद अतिरिक्त वजन को कम कर देते हैं, तो इससे स्लिप डिस्क के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य समस्या में भी आराम देखने को मिल सकता है। 
  • नियमित व्यायाम: स्विमिंग या योग जैसे कम प्रभाव वाले व्यायाम आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकते हैं। 

बॉटम लाइन

स्लिप डिस्क एक ऐसी स्थिति है, जो आपको लाचार और बहुत ही कमजोर बना सकती है। लेकिन सही समय पर उत्तम इलाज के साथ जीवनशैली में बदलाव आपको इस स्थिति से बचने में मदद कर सकता है। हड्डी रोग विशेषज्ञ से परामर्श आपको इलाज की सही दिशा को तलाशने में मदद कर सकता है। हालांकि, गंभीर मामलों में, माइक्रोडिसेक्टोमी या एपिड्यूरल इंजेक्शन जैसे आधुनिक या एडवांस इलाज की आवश्यकता पड़ सकती है। 

व्यक्तिगत उपचार योजना के लिए हमसे परामर्श लें, क्योंकि हमारे पास अनुभवी और सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों की विशेष टीम है, जो आपको फिर से दुरुस्त करने में मदद कर सकता है। 

स्लिप डिस्क से संबंधित सामान्य प्रश्न


स्लिप डिस्क के साथ कैसे सोए?

रीढ़ की हड्डी के तनाव को कम करने के लिए अपने घुटनों के नीचे तकिया रखकर अपनी पीठ के बल सोएं। इससे आपको बहुत आराम मिलेगा। अधिक सहायता के लिए मध्यम-सख्त गद्दे का चुनाव करें।

क्या स्लिप डिस्क के लिए एक्यूप्रेशर बिंदु हैं?

दर्द को कम करने और रक्त संचार को बेहतर बनाने के लिए एक्यूप्रेशर में कुछ बिंदु हैं। हालांकि, वैकल्पिक उपचार अपनाने से पहले किसी पेशेवर से सलाह ज़रूर लें।

क्या स्लिप डिस्क अपने आप ठीक हो सकती है?

कई मामलों में, स्लिप डिस्क के लक्षण आराम, व्यायाम और गैर-सर्जिकल उपचार से कुछ ही हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। गंभीर मामलों में चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ सकती है।

Written and Verified by:

Dr. Rakesh Rajput

Dr. Rakesh Rajput

HOD & Director - Orthopaedics Exp: 25 Yr

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Dr. Rakesh Rajput has been associated with reputed organizations like Frenchay Hospital-Bristol, Weston General Hospital- UK, Musgrove Park Hospital – UK, Bristol Royal Infirmary – UK, Southmead Hospital – UK, Yeovil Hospital – UK,   Whipps Cross Hospital –  UK,  Perth Royal Hospital – Australia, Inverclyde Royal- UK, Cork University Hospital – Ireland, St. Nessan’s Regional, James Connolly Memorial Hospital – Germany, Benenden Hospital – UK.

He is the Ex- Secretary of WBAS, Joint Secretary of Indian Arthroplasty Association, President Elect of Pelvic & Acetabular Surgeons of India, Board Member of Indian Medical Association, Board Member of Indian Orthopedic Association. He is also associated with Tripura Medical College.

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