किडनी खराब होने के कुछ लक्षण होते हैं, जिसका अनुभव रोगी को कुछ समय बीत जाने के बाद ही होता है। लेकिन यह लक्षण व्यक्ति को भ्रमित कर सकते हैं। नेशनल किडनी फाउंडेशन का मानना है कि सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को ही किडनी की बीमारी के संकेत का अनुभव होता है।
भारत में हर 10 में से एक व्यक्ति किडनी की बीमारी से पीड़ित है और अधिकांश को इसके बारे में पता ही नहीं चलता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इस स्थिति के कोई शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि किडनी खराब होने के कुछ लक्षण होते हैं, जिसका अनुभव रोगी को कुछ समय बीत जाने के बाद ही होता है। लेकिन यह लक्षण व्यक्ति को भ्रमित कर सकते हैं। नेशनल किडनी फाउंडेशन का मानना है कि सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को ही किडनी की बीमारी के संकेत का अनुभव होता है।
इसलिए हम सलाह देंगे कि आप लक्षण दिखने पर हमसे या फिर किसी भी अनुभवी गुर्दा रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
किडनी की बीमारी एक व्यक्ति को किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकती है। वहीं इस रोग के कई कारण होते हैं, जैसे महिलाओं का मूत्र मार्ग छोटा होना, अधिक सक्रिय यौन जीवन। हालांकि किडनी में संक्रमण पुरुष और महिलाओं दोनों को एक समान रूप से परेशान करता है, लेकिन यूटीआई महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है जो किडनी रोग का मुख्य कारण है। हालांकि बच्चों में किडनी की बीमारी भी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसके इलाज के लिए तुरंत एक अच्छे पीडिट्रेशियन से मिलना चाहिए।
नीचे कुछ कारण दिए हैं, जो दर्शाते हैं कि किडनी की बीमारी क्यों होती है -
नीचे किडनी की बीमारी के 10 मुख्य संकेत दिए हैं, जो दर्शाते हैं कि आप इस रोग से पीड़ित हैं और आपको इलाज की सख्त आवश्यकता है -
यदि समय पर किडनी रोग के बारे में पता चल जाए, तो उचित इलाज से इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है और किडनी को क्षतिग्रस्त होने से भी रोका जा सकता है। शुरुआती चरणों में इलाज के लिए आहार, जीवनशैली में बदलाव और दवा का उपयोग किया जाता है। कुछ उपायों को कर किडनी की बीमारी को रोका जा सकता है जैसे -
यदि किडनी की कार्यक्षमता सामान्य से 10 प्रतिशत से कम हो जाती है, तो इसके इलाज के लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव डॉक्टर देते हैं। डायलिसिस गुर्दे की विफलता का एक उपचार है, जिसमें शरीर से रक्त को निकाल कर शरीर से बाहर एक मशीन के द्वारा साफ किया जाता है और फिर से उस फिल्टर खून को शरीर में फिर से डाला जाता है। अलग-अलग प्रकार के डायलिसीस होते हैं और किस प्रकार के डायलिसिस का प्रयोग होगा इसका निर्णय डॉक्टर किडनी की स्थिति का आकलन करने के बाद लेते हैं।
किडनी की बीमारी की स्थिति में रोगी को कुछ चीजों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए जैसे - कम नमक वाले आहार, प्रोटीन, फल, सब्जियां, और ढेर सारा पानी। डाइट के संबंध में एक अनुभवी डाइटिशियन आपकी मदद कर सकते हैं।
किडनी की जांच में सीरम क्रिएटिन, यूरिन एनालिसिस, ब्लड टेस्ट, और इमेजिंग जैसे तकनीक का प्रयोग होता है। इन जांच के आधार पर डॉक्टर किडनी की क्षती के बारे में जान सकते हैं और इसके इलाज के विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।
किडनी रोगी को अधिक नमक, तेल, तला हुआ और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। धूम्रपान, कैफीन, और अल्कोहल का सेवन भी किडनी की स्थिति को और खराब कर सकता है।
किडनी की बीमारी के कारण कई बीमारी हो सकती है जैसे अवसाद, एलर्जी, खुजली या सूजन। किडनी अपना सामान्य काम नहीं कर पाती है, जिसके कारण शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं और त्वचा में सूजन और खुजली होने लग जाती है। इस स्थिति के इलाज के लिए तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
किडनी की बीमारी में रोगी को उल्टी, सिरदर्द, मूत्र में बदलाव, और थकान जैसे लक्षणों का अनुभव होता है। लक्षणों की गंभीरता के आधार पर ही डॉक्टर इलाज के विकल्पों का सुझाव देते हैं
किडनी रोग के इलाज के लिए डॉक्टर शुरुआत में दवाएं, जीवनशैल में बदलाव, और नियमित जांच का सुझाव देते हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाना सभी के लिए महत्वपूर्ण है।
किडनी में सामान्य रोगों में गुर्दे की पथरी, किडनी संक्रमण, गुर्दे की सिस्ट, और गुर्दे फेल्योर शामिल है। समय से समय पर जांच और नियमित चेकअप से इन्हें पहचाना जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर इलाज भी किया जा सकता है।
किडनी की बीमारी को सही उपचार और स्वस्थ जीवन शैली के साथ दुरुस्त किया जा सकता है। निदान के पश्चात त्वरित इलाज बहुत लाभकारी साबित हो सकती है।
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