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पॉलीसिस्टिक किडनी रोग को समझना

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पॉलीसिस्टिक किडनी रोग को समझना

Renal Sciences | by Dr. Bibhas Ranjan Kundu | Published on 28/07/2024



पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (PKD) एक जेनेटिक रोग है, जिसके कारण किडनी में कई सारी सिस्ट या छालों का निर्माण हो जाता है। इसके कारण गुर्दे के आकार भी बढ़ जाता है, जिससे इसकी कार्यक्षमता को भी अच्छा खासा नुकसान होता है। 

चलिए इस ब्लॉग की मदद से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के लक्षणों समेत कई चीजों के बारे में जानते हैं, जो कि हर महिला को पता होनी चाहिए। 

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग क्या है?

जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (Polycystic kidney disease) एक जेनेटिक डिजीज है, जिसका सीधा संबंध मरीज के जीन से है। इस रोग में शरीर की वह टिश्यू प्रभावित होती हैं, जो किडनी का निर्माण करती है। इसमें किडनी की सतह पर छाले बन जाते हैं, जिसके कारण किडनी का वजन और आकार बढ़ जाता है। 

सामान्य तौर पर पीकेडी पुरुष और महिलाओं को एक समान ही प्रभावित करता है और कई मामलों में यह किडनी फेलियर का मुख्य कारण भी साबित हुआ है। यदि किडनी की विफलता की स्थिति उत्पन्न होती है, तो इलाज के लिए किडनी का ट्रांसप्लांट या डायलिसिस की जरूरत पड़ सकती है। आंकड़ों की माने तो किडनी ट्रांसप्लांट और डायलिसिस के सभी मरीजों में लगभग 5 प्रतिशत मरीज पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (Polycystic kidney disease) वाले होते हैं।

पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज के लक्षण

क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण की तरह ही पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज के भी कुछ लक्षण होते हैं, जिसका अनुभव रोगी को बहुत लंबे समय से होता आया है। पॉलिसिस्टिक किडनी रोग की स्थिति में निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

यह सारे लक्षण किसी भी उम्र के व्यक्ति में दिख सकते हैं। यहां तक की बच्चों को भी यह समस्या परेशान कर सकती है। आमतौर पर पॉलिसिस्टिक किडनी रोग का शिकार 50-60 वर्ष या कभी-कभी वृद्ध लोग भी हो सकते हैं। जैसे-जैसे सिस्ट का आकार बढ़ता है, लक्षण दिखने शुरु हो जाते हैं। 

पॉलिसिस्टिक किडनी रोग का कारण

पॉलिसिस्टिक किडनी रोग के पीछे का मुख्य कारक फैमिली हिस्ट्री है। अधिकतर मामलों में फैमिली हिस्ट्री इस रोग का जोखिम कारक साबित होता है। जैसे एक बच्चे को शारीरिक एवं मानसिक विशेषता उनके माता-पिता के द्वारा मिलती है, उसी प्रकार कुछ रोग भी जीन के द्वारा बच्चों तक पहुंचते हैं। 

यदि माता-पिता में से किसी एक को भी पॉलिसिस्टिक किडनी रोग है, तो बच्चे को इस रोग के होने की संभावना दर लगभग 50% है। वहीं यदि दोनों ही माता-पिता से बच्चों को असामान्य जीन मिलते हैं, तो प्रत्येक बच्चे को बीमारी होने की संभावना लगभग 25% होती है। 

कुछ मामलों में दोनों में से किसी को भी यह रोग नहीं होता है, फिर भी बच्चे को यह समस्या हो जाती है। इस मामले में जेनेटिक म्यूटेशन होता है। 

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के प्रकार

मुख्य रूप से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग तीन प्रकार के होते हैं - 

  • ऑटोसोमल डोमिनेंट पीकेडी (एडीपीकेडी): सभी मामलों में से लगभग 80-90% मामले इस प्रकार के पिकेडी के होते हैं। 30 से 40 वर्ष के आयु वाले लोग इस रोग से अधिक प्रभावित होते हैं। लेकिन कुछ मामलों में यह रोग छोटी उम्र के बच्चों को भी प्रभावित करता है। लेकिन इस रोग के लक्षण धीरे-धीरे कई वर्षों के बाद ही दिखाई पड़ते हैं। 
  • ऑटोसोमल रिसेसिव पीकेडी (एआरपीकेडी): यह एडीपीकेडी की तुलना में बहुत कम लोगों को प्रभावित करता है। इसे आप एक गंभीर समस्या भी मान सकते हैं, जिसमें लक्षण बच्चपन में ही या जन्म के समय ही दिखाई देने लगते हैं। मुख्य रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों में यह समस्या आम है। 
  • एक्वायर्ड सिस्टिक किडनी डिजीज: यह जेनेटिक रोग नहीं है। यह समस्या के साथ ही विकसित होती है। जिन लोगों में किडनी का रोग पहले से ही मौजूद होता है, वह इस समस्या से परेशान होते हैं। किडनी फेलियर वाले रोगियों में यह अधिक आम है। 

पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग उपचार के विकल्प

मुख्य रूप से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का इलाज स्थिति और जटिलताओं का प्रबंधन है। हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के इलाज का सबसे महत्वपूर्ण पहलू होता है। पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग उपचार के विकल्प इस प्रकार हैं - 

  • दर्द की दवाएं दी जा सकती है, लेकिन इबुप्रोफेन (एडविल) का सुझाव नहीं दिया जाता है। इससे किडनी की स्थिति और भी ज्यादा खराब हो सकती है। 
  • ब्लड प्रेशर की दवा, क्योंकि ब्लड प्रेशर इस स्थिति का मुख्य कारक है। 
  • यू.टी.आई. के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवा।
  • ऐसे आहार का सेवन करें, जिसमें सोडियम की मात्रा कम हो।
  • शरीर में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने के लिए दवाएं।
  • सिस्ट को निकालने के लिए सर्जरी। 
  • 2018 से टोलवैप्टन नाम की दवा का भी सुझाव दिया जा रहा है, जिसकी मदद से किडनी को होने वाले नुकसान की प्रगति को धीमा किया जा सकता है।

हालांकि टोलवैप्टन दवा के कारण लीवर को नुकसान हो सकता है, जो इसका एक मुख्य साइड इफेक्ट भी है। वहीं जब किडनी की कार्यक्षमता को लगभग 90% का नुकसान हो जाए या किडनी फेलियर की स्थिति उत्पन्न हो तो डॉक्टर डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव देते हैं। ऐसे में डॉक्टर एक या फिर दोनों ही किडनी को निकालने का सुझाव देते हैं। 

पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग आहार

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में आहार एक मुख्य भूमिका निभाता है। इस संबंध में आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है जैसे - 

  • रक्तचाप कम करने के लिए सोडियम (नमक) का सेवन कम करें और तली भुनी चीजों से दूरी बनाएं।
  • पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीएं और स्वयं को हाइड्रेटेड रखें।
  • किडनी की कार्यक्षमता को सुधारने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन को अपने आहार में जोड़ें। 
  • किडनी की क्षति कम करने के लिए फास्फोरस वाले खाद्य पदार्थ को कम करें। इसके अतिरिक्त पोटेशियम कम वाले खाद्य पदार्थ को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त किडनी से संबंधित समस्या के इलाज और निदान के लिए गुर्दे के विशेषज्ञ से तुरंत मिलने की सलाह दी जाती है। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

पॉलीसिस्टिक क्या है?

पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (पीकेडी) एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें किडनी में तरल पदार्थ से भरे थैली या सिस्ट बन जाते हैं। यह सिस्ट किडनी के सामान्य कार्यक्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं और समय के साथ किडनी फेलियर का कारण भी बन सकते हैं।

पीकेडी के लक्षण क्या है?

पीकेडी के शुरुआती चरणों में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लक्षणों में पेट में दर्द, बार-बार पेशाब आना, रक्त में प्रोटीन, उच्च रक्तचाप और थकान शामिल हो जाते हैं।

क्या पीकेडी ठीक हो सकता है?

वर्तमान में पीकेडी का कोई स्थाई इलाज नहीं है। हालांकि, जीवनशैली में बदलाव, दवाएं और अन्य उपचारों से बीमारी की प्रगति को धीमा किया जा सकता है और जटिलताओं को कम किया जा सकता है।