डायलिसिस एक मेडिकल प्रोसीजर है, जिसमें रक्त से मौजूद हानिकारक एवं अतिरिक्त तरल पदार्थ को एक मशीन के द्वारा छाना जाता है। इस प्रक्रिया में रक्त को शरीर से बाहर साफ किया जाता है और फिर उसे शरीर में प्रवेश कराया जाता है।
डायलिसिस का उपयोग करके कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं {क्रोनिक किडनी रोग (CKD) या किडनी की बीमारी के अंतिम चरण (ESRD)} का इलाज एवं प्रबंधन किया जाता है। चलिए इस ब्लॉग की मदद से डायलिसिस के संबंध में वह सारी जानकारी प्राप्त करते हैं जो आपको जाननी चाहिए। लेकिन आपको यह समझना होगा कि किडनी के संबंध में कोई भी लापरवाही बहुत ज्यादा हानिकारक हो सकती है, इसलिए इलाज के लिए तुरंत एक सर्वश्रेष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलें एवं इलाज लें।
डायलिसिस एक मेडिकल प्रोसीजर है, जिसका उपयोग तब किया जाता है, जब किडनी अपना सामान्य काम करने में असमर्थ होती है। इस प्रक्रिया में शरीर के अंदर से रक्त को निकालकर डायलिसिस मशीन में डाला जाता है और रक्त को फिर साफ किया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि शरीर में मौजूद इलेक्ट्रोलाइट का स्तर संतुलित रहे और शरीर में हानिकारक पदार्थ न जमने लगे। यह पूरी प्रक्रिया मुख्य रूप से दो प्रकार से की जाती है -
किडनी रोग के सभी रोगियों को डायलिसिस की आवश्यकता नहीं होती है। डायलिसिस तब ज्यादा जरूरी हो जाता है, जब किडनी अपना सामान्य काम करने में बिल्कुल असमर्थ हो जाती है और रक्त में मौजूद अतिरिक्त तरल पदार्थ और हानिकारक पदार्थों को निकालने में भी असमर्थ रहते हैं। मुख्य रूप से किडनी रोग के अंतिम चरण और किडनी ट्रांस्पलांट के अस्थाई इलाज के विकल्प में रूप में डायलिसिस को किया जाता है।
यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसका सुझाव डॉक्टर कुछ ही मामलों में देते हैं। किडनी फेलियर वाले लोगों में बहुत सारी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे जीवन को बहुत खतरा भी उत्पन्न होता है। ऐसे मामलों में किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है, लेकिन जब तक सर्जरी नहीं होती है, तब तक डायलिसिस एक अस्थायी उपचार के रूप में कार्य करता है।
डायलिसिस एक आधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें एक व्यक्ति को निम्न लाभ मिल सकते हैं -
डायलिसिस किडनी रोग के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो किडनी के कार्य को करने में बहुत मदद करते हैं।डायलिसिस करने के फायदे यह हैं कि यह किडनी की खराबी के बाद शरीर से अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त तरल को हटाने में मदद करता है, जिससे मरीज की सेहत में सुधार होता है। हेमोडायलिसिस या पेरिटोनियल डायलिसिस के माध्यम से यह उपचार रोगियों को उनकी स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और लंबे समय तक अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने की अनुमति देता है।
इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता है, लेकिन हेमोडायलिसिस के लिए सुई लगाने या पेरिटोनियल डायलिसिस में थोड़ी असहजता महसूस हो सकती है।
कुछ रोगियों को डायलिसिस सत्रों के बीच शरीर में भारीपन या वजन बढ़ने जैसी समस्या का अनुभव हुआ है। इसे कम करने के लिए तरल पदार्थ के सेवन को नियंत्रित करें।
डायलिसिस के बाद थकान होना एक आम बात है, क्योंकि इस प्रक्रिया से न केवल हानिकारक पदार्थ बल्कि कुछ आवश्यक पोषक तत्व और तरल पदार्थ भी निकल जाते हैं, जिससे अस्थायी थकावट भी हो सकती है। इसलिए अपने आहार पर ध्यान दें।
डायलिसिस पर जीवन प्रत्याशा आमतौर पर व्यक्ति की समग्र स्वास्थ्य स्थिति और उपचार के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है। डायलिसिस किडनी फेलियर वाले रोगियों के लिए एक दीर्घकालिक उपचार है, जो आमतौर पर जीवन भर जारी रहता है। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं किडनी रोग में कितने सत्र की आवश्यकता है, इसका निर्णय डॉक्टर ही करते हैं।
यह किडनी ट्रांसप्लांट किए जाने तक एक अस्थायी विकल्प है। डायलिसिस उन रोगियों को अपनी किडनी की बीमारी का प्रबंधन करने और जीवन की उचित गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करता है, जिनकी किडनी सही से कार्य नहीं कर पा रही है।
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