किडनी की समस्या तब होती है, जब किडनी या इसका कोई भाग क्षतिग्रस्त हो जाता है। किडनी का मुख्य कार्य रक्त को ठीक से फ़िल्टर करना है, जिससे पूरे शरीर में साफ और स्वस्थ रक्त का प्रवाह हो। किडनी रोग में यह कार्य नहीं होता है, जिसके कारण शरीर में धीरे-धीरे तरल पदार्थ और हानिकारक पदार्थ जमा हो जाते हैं। इसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती है।
किडनी की समस्या तब होती है, जब किडनी या इसका कोई भाग क्षतिग्रस्त हो जाता है। किडनी का मुख्य कार्य रक्त को ठीक से फ़िल्टर करना है, जिससे पूरे शरीर में साफ और स्वस्थ रक्त का प्रवाह हो। किडनी रोग में यह कार्य नहीं होता है, जिसके कारण शरीर में धीरे-धीरे तरल पदार्थ और हानिकारक पदार्थ जमा हो जाते हैं। इसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती है।
शुरुआती चरण में किडनी रोग के लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन यदि इस स्थिति का प्रारंभिक निदान या उपचार नहीं होता है, तो स्थिति धीरे-धीरे खराब होने लग जाती है। इस ब्लॉग में हम गुर्दे की बीमारी का प्रारंभिक संकेत और बाद में दिखने वाले लक्षणों के बारे में बात करने वाले हैं। इनकी पुष्टि होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए कोलकाता में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श लें।
किडनी की समस्या के शुरुआत में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखते हैं। वहीं अधिकतर मामलों में रोगियों को तब तक पता नहीं चलता है कि वह किडनी की समस्या से परेशान है, जब तक स्थिति गंभीर न हो जाए। हालांकि जैसे-जैसे किडनी की समस्या धीरे-धीरे आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे गुर्दा रोग के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं -
गुर्दे की बीमारी में जब स्थिति अगले चरण में चले जाए, तो रोगी को निम्न लक्षणों का अनुभव हो सकता है -
क्रोनिक किडनी डिजीज वाले लोगों में खून की कमी, हड्डी रोग और कुपोषण जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं विकसित हो सकती हैं।
लगातार लक्षणों का बना रहना स्थिति की गंभीरता की तरफ संकेत करता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने की सलाह दी जाती है। हालांकि निम्न स्थितियों में तुरंत डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है -
इनमें से किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर तुरंत में नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है। प्रारंभिक चरणों में किडनी रोग के लक्षण की पहचान और उपचार किडनी रोग की प्रगति को धीमा कर सकता है और व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
किडनी खराब होने के लक्षणों के बारे में ऊपर बताया गया है। लक्षणों की पुष्टि के बाद स्थिति के इलाज की योजना पर कार्य होता है। इलाज के लिए दवाएं और कुछ उपायों का सहारा लिया जाता है। किडनी को अधिक क्षतिग्रस्त होने से रोकने के लिए निम्न उपायों का पालन किया जा सकता है -
इसके अतिरिक्त किडनी रोग के जोखिम कारकों (हाई ब्लड प्रेशर,कोलेस्ट्रॉल, और डायबिटीज) को भी नियंत्रित करने की योजना बनाई जाती है।
यदि इन उपायों और दवाओं से स्थिति में आराम नहीं मिलता है और किडनी की समस्या गंभीर हो जाती है, तो डायलिसिस और किडनी फेल्योर में किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया जा सकता है। इसलिए समय पर जांच और इलाज बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।
किडनी खराब होने पर पेशेंट को कुछ स्थान पर दर्द हो सकता है जैसे -
इस दर्द की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है।
किडनी की बीमारी के कई कारण होते हैं जैसे - हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, धूम्रपान और कुछ दवाओं का सेवन। इसके अतिरिक्त आपकी निष्क्रिय जीवन शैली, किडनी का संक्रमण, मूत्र में पथरी और आपके जीन्स भी किडनी रोग के कारण बन सकते हैं।
किडनी खराब होने के कई लक्षण होते हैं। उन्हीं को पहचान कर इस बात की पुष्टि हो सकती है कि आपकी किडनी में कोई समस्या है या नहीं। पीठ दर्द, पेशाब में समस्या, थकान, त्वचा में खुजली, सांस लेने में तकलीफ और सूजन किडनी रोग के लक्षण है। इसकी पुष्टि होने के बाद मूत्र और रक्त परीक्षण के साथ इमेजिंग टेस्ट करा सकते हैं।
Written and Verified by:
Dr. Bibhas Ranjan Kundu is a consultant Urologist associated with The Calcutta Medical Research Institute (CMRI), Kolkata. Dr. Kundu set up the LASER unit in CMRI in 2007 and is the current HOD of the department.
He has successfully conducted more than 6000 LASER procedures for Prostate and Urinary Stones.The unit currently has state of the art Lasers and Video Flexi URS equipment for all kinds of urinary stones
Apart from these minimally invasive procedures, Dr Kundu has a special interest in reconstructive Urologicsl Surgery like Urethra and Bladder reconstruction Patients with Prostatic enlargement, Cancer of Kidneys Bladder & Prostate, Urinary stones, Bleeding from the Urethra (Hematuria), Urethral narrowing (Strictures) will greatly benefit from his experienced handling.
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