रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज एक प्राकृतिक चरण है, जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के पीरियड्स साइकिल और प्रजनन क्षमता का अंत हो जाता है, जिसके कारण महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर भी महसूस करती है।
आमतौर पर रजोनिवृत्ति की स्थिति महिलाओं में 50 की उम्र के आस-पास ही होती है, जिसके बाद महिलाओं के जीवन में कई बदलाव आने लगते हैं। यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिसके बारे में हम इस ब्लॉग में बात भी करेंगे। रजोनिवृत्ति की स्थिति में एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं।
हड्डियां हमारे शरीर का ऐसा भाग है, जो हमें हमारे जीवन के सारे काम को करने में मदद करते हैं। यह न केवल हमारे शारीरिक बनावट में मदद करते हैं, बल्कि यह हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों को सुरक्षित रखने का कार्य भी करते हैं। हड्डियों को मजबूत करने के लिए कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है। हालांकि उम्र बढ़ने और कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के कारण महिलाओं के शरीर में कुछ बदलाव आते हैं, जिससे हड्डियां भी कमजोर हो जाती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस एक स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे फ्रैक्चर होने की संभावना भी प्रबल होती है। कई ऑर्थोपेडिक डॉक्टर इसे साइलेंट डिजीज के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि आपको पता भी नहीं चलता और हड्डियां अपना घनत्व खो देते हैं, जिससे वह टूटने की कगार पर आ सकती हैं।
विशेष रूप से ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की समस्या वृद्ध महिलाओं को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है। मुख्य रूप से यह समस्या मेनोपॉज के बाद महिलाओं को प्रभावित करती है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्य पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है, जिसके पीछे का कारण हड्डियों का कम घनत्व और हार्मोनल परिवर्तन हो सकता है।
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन (महिला हार्मोन) कम हो जाता है, जिसका कार्य शरीर में हड्डियों को मजबूत करना होता है। इसकी वजह से हड्डियों में काफी नुकसान भी हो सकता है। आप यह कह सकते हैं कि मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस एक मुख्य स्वास्थ्य समस्या बन गई है, जिसकी जानकारी महिलाओं को अवश्य होनी चाहिए।
मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन का उत्पादन कम हो जाता है, जिसका कार्य हड्डियों को मजबूत करना और शारीरिक संतुलन बनाए रखना है। एस्ट्रोजन की मात्रा कम होने से हड्डियों को वह पोषण नहीं मिल पाता है, जिससे वह दुरुस्त रह सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है। यदि यह स्थिति अनुपचारित रह जाए, तो इसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
आमतौर पर मेनोपॉज के बीतने के कुछ वर्षों के बाद महिलाओं की हड्डियों को बहुत तेज नुकसान होता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर की हड्डियों का घनत्व लगभग 20% तक कम हो जाता है। यही कारण है कि 50 से अधिक उम्र की महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम के दायरे में आती हैं।
यह बात पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि मेनोपॉज के बाद हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कुछ स्वास्थ्य स्थितियां है, जो दर्शाती हैं कि मेनोपॉज के बाद हड्डियों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है जैसे कि -
इसके अतिरिक्त ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित महिलाओं को क्रोनिक पेन का अनुभव हो सकता है, जिससे उनका जीवन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस एक गंभीर एवं चिंता का विषय है, जिससे महिलाओं का जीवन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। हालांकि ऐसी बहुत सारे टिप्स है, जिसकी मदद से महिलाएं अपने शरीर का ख्याल अच्छे से रख सकती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर समस्या को भी मैनेज कर सकती हैं। इस स्थिति को मैनेज करने के लिए आवश्यक टिप्स इस प्रकार हैं -
मेनोपॉज और हड्डियों का स्वास्थ्य, दोनों एक दूसरे से संबंधित है। मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन के स्तर में भारी गिरावट आती है, जिसकी मदद से महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। हालांकि, स्वस्थ आहार और नियमित जीवनशैली आपकी हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं और एक स्वस्थ जीवन पाएं। मेनोपॉज के दौरान नियमित जांच कराते रहें और डॉक्टर के सुझावों का कड़ाई से पालन करें।
मेनोपॉज के बाद शरीर की सारी हड्डियों के होने वाले नुकसान को धीमा किया जा सकता है। हड्डियों के घनत्व फिर से प्राप्त करना संभव नहीं है, लेकिन कुछ हड्डियों में यह संभव है। इसके लिए इस ब्लॉग में मौजूद स्वस्थ आदतों को अपनाएं और शरीर के कुछ हड्डियों के घनत्व को बचाएं।
हां, एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट के कारण मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ जाता है, जो सीधे हड्डियों के घनत्व को प्रभावित करता है।
नहीं, ऑस्टियोपोरोसिस वृद्ध महिलाओं में अधिक आम है, लेकिन यह किसी भी महिला या पुरुष को किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए अनुभवी डॉक्टरों को सिर्फ एक्स-रे की आवश्यकता होती है, लेकिन स्पष्ट परिणाम आपको DEXA (डुअल-एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्पियोमेट्री) स्कैन से मिल सकते हैं, जो बोन मिनरल डेंसिटी (BMD) को मापता है।
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