मूत्राशय संक्रमण एक प्रकार का यूटीआई या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) है, जिसमें मूत्राशय के भीतर बैक्टीरिया प्रवेश करता है और उसे संक्रमित कर देता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर होती है, वह लोग इस स्थिति से अधिक प्रभावित होते हैं। वहीं जिन महिलाओं के शरीर की रोग प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर होती है, वह यीस्ट संक्रमण के जोखिम के दायरे में भी आ जाती हैं।
एक रिसर्च में पाया गया है कि लगभग 50-60% महिलाएं अपने जीवनकाल में कभी न कभी यूटीआई का सामना करती हैं। वहीं लगभग 20-30% महिलाएं बार-बार मूत्र मार्ग में संक्रमण का सामना करती हैं, जिसका इलाज करना बहुत आवश्यक है।
यदि आप किसी गंभीर समस्या या मुद्दे का सामना कर रहे हैं, तो कृपया बेहतर मार्गदर्शन और उपचार के लिए कोलकाता में एक मूत्र रोग विशेषज्ञ से मिलना सुनिश्चित करें।
ब्लैडर संक्रमण के कारण
आमतौर पर ब्लैडर संक्रमण के होने का कारण बैक्टीरिया होता है, जो मूत्रमार्ग से मूत्राशय में प्रवेश कर व्यक्ति को परेशान करता है। वहीं महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ब्लैडर संक्रमण अधिक आम है।
- ई. कोलाई (Escherichia coli) बैक्टीरिया: ई. कोलाई एक बैक्टीरिया है, जो आंत को प्रभावित करता है। यह बैक्टीरिया संक्रामक है और यौन संपर्क, दूषित भोजन या पानी के माध्यम से मूत्रमार्ग में प्रवेश करता है। सभी ब्लैडर संक्रमण के मामलों में से 90% से ज्यादा मामलों बैक्टीरिया के मामले होते हैं।
- योनि में बैक्टीरिया: कुछ प्रकार के बैक्टीरिया योनि के माध्यम से मूत्रमार्ग में प्रवेश करते हैं, जिससे मूत्राशय या ब्लैडर संक्रमित हो जाता है।
- मूत्रमार्ग में रुकावट: मूत्र पथ में पथरी, ट्यूमर या प्रेगनेंसी के कारण मूत्र मार्ग में रुकावट आती है, जिसके कारण बैक्टीरिया का जन्म होता है और संक्रमण परेशान करता है।
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण कई सारी समस्याएं परेशान करती हैं। मधुमेह, कैंसर या एचआईवी/एड्स जैसी स्वास्थ्य स्थितियां प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है, जिसकी वजह से संक्रमण का जोखिम कई गुणा बढ़ जाता है।
- मूत्र कैथेटर का उपयोग: कुछ मामलों में यूरिन कैथेटर का उपयोग करना पड़ता है, जिसकी मदद से पेशाब शरीर से बाहर निकल पाता है। यदि इसका उपयोग सही से नहीं होता है, तो वह व्यक्ति मूत्राशय संक्रमण के खतरे के दायरे में आ जाता है।
ब्लैडर संक्रमण के लक्षण
ब्लैडर संक्रमण की पुष्टि निम्न लक्षणों के आधार पर हो सकती है -
- बार-बार पेशाब करने की इच्छा: बार-बार पेशाब आना ब्लैडर संक्रमण का सामान्य लक्षण है। इस स्थिति में व्यक्ति को बार-बार पेशाब करने की सिर्फ इच्छा होती है, लेकिन वह कर नहीं पाता/पाती है।
- पेशाब करते समय जलन या दर्द: पेशाब के दौरान जलन, चुभन या दर्द महसूस होना संक्रमण का संकेत होता है। यह कई अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्या का संकेत देता है जैसे किडनी की समस्या, डायबिटीज इत्यादि। इसलिए इसे गंभीरता से लें।
- पेशाब में बदबू या झाग आना: पेशाब में मजबूत गंध या झाग आना दर्शाता है कि आप किसी मूत्र या फिर ब्लैडर संबंधित समस्या से पीड़ित हैं।
- पेशाब करने में कठिनाई: इन सभी लक्षणों के साथ पेशाब करने में समस्या या ब्लैडर को पूर्ण रूप से खाली करने में समस्या ब्लैडर के संक्रमण का संकेत देता है।
- पेट के निचले भाग में दर्द या दबाव: पेट के निचले भाग या श्रोणि में दर्द या दबाव महसूस होना इस स्थिति का एक गंभीर लक्षण है।
- पेशाब में रक्त: पेशाब में रक्त कई स्वास्थ्य समस्या का संकेत देता है। वहीं कुछ मामलों में यह स्थिति ब्लैडर में संक्रमण का संकेत देता है।
- बुखार या ठंड लगना: ब्लैडर संक्रमण के गंभीर मामलों में बुखार या ठंड लगने जैसे लक्षण दिखते हैं।
ऊपर बताए गए लक्षण दिखने पर तुरंत हमसे या फिर किसी अच्छे युरोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
ब्लैडर संक्रमण के जोखिम
ब्लैडर संक्रमण के कई जोखिम कारक हैं, जो इस रोग के जोखिम को बढ़ाता है जैसे -
- महिलाओं में पुरुषों की तुलना यह समस्या अधिक प्रभावी है।
- यौन क्रिया के दौरान यह संक्रमण मूत्रमार्ग में प्रवेश करता है।
- डायबिटीज वाले लोगों में ब्लैडर संक्रमण का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
- प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसके कारण मूत्रमार्ग में संक्रमण हो सकता है।
- कमजोर इम्यून सिस्टम भी इसका एक मुख्य कारण है।
- एंटीबायोटिक्स और जन्म नियंत्रण की गोलियां इस रोग का एक जोखिम कारक है।
ब्लैडर संक्रमण vs यूटीआई
अक्सर, यूटीआई और ब्लैडर संक्रमण को एक दूसरे के स्थान पर लोग उपयोग करते हैं। लेकिन दोनों के बीच एक महीन सा अंतर है। सरल भाषा में कहा जाए तो ब्लैडर संक्रमण एक प्रकार का यूटीआई है, लेकिन सभी यूटीआई ब्लैडर इंफेक्शन नहीं होते हैं। यूटीआई एक ऐसी समस्या है, जिसमें संक्रमण मूत्र मार्ग के अलग-अलग भाग को प्रभावित करता है जैसे -
- मूत्राशय
- गुर्दे
- मूत्रवाहिनी
- मूत्रमार्ग
वहीं ब्लैडर संक्रमण सिर्फ ब्लैडर को संक्रमित करता है। इसलिए दोनों शब्दों से कन्फयूज न हों और इस अंतर को समझें।
महिलाओं और पुरुषों में ब्लैडर संक्रमण
महिलाओं का मूत्रमार्ग पुरुषों की तुलना में छोटा होता है, जिसके कारण वह ब्लैडर संक्रमण से अधिक प्रभावित होती हैं। यौन संबंध, सार्वजनिक शौचालय का प्रयोग, टैंपोन का प्रयोग और जन्म नियंत्रण गोलियों का अधिक सेवन महिलाओं में ब्लैडर संक्रमण के कुछ मुख्य कारण है।
वहीं प्रेगनेंसी के दौरान भी बच्चे के कारण ब्लैडर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिसके कारण वह पूर्ण रूप से ब्लैडर को खाली नहीं कर पाती है, जो अंततः ब्लैडर संक्रमण का मुख्य कारण साबित होता है। वहीं कुछ महिलाओं में मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन नामक हार्मोन कम हो जाते हैं, जिसके कारण मूत्रमार्ग की परत पतली हो जाती है और वह महिला संक्रमित हो जाती हैं।
वहीं दूसरी तरफ पुरुषों में यह समस्या प्रोस्टेट संक्रमण के कारण अधिक प्रभावित करती है। बढ़े हुए प्रोस्टेट के साथ किडनी की पथरी भी इस स्वास्थ्य स्थिति का मुख्य कारण है।
ब्लैडर संक्रमण का निदान और उपचार
आमतौर पर निम्नलिखित तरीकों से ब्लैडर संक्रमण का निदान होता है -
- सबसे पहले हम रोगी से उनके द्वारा उत्पन्न हो रहे लक्षणों की जानकारी प्राप्त करते हैं, जैसे पेशाब में रक्त है या नहीं या पेशाब करने के दौरान समस्या उत्पन्न हो रही है या नहीं।
- इसके बाद रोगी के पेट के निचले भाग की जांच की जाती है और देखा जाता है कि रोगी को दर्द कहां हो रहा है।
- मूत्र परीक्षण में मूत्र का सैंपल लिया जाता है और फिर उसमें बैक्टीरिया या अन्य कारकों की जांच की जाती है।
- कुछ मामलों में यूरिन कल्चर टेस्ट की भी आवश्यकता पड़ती है।
निदान के परिणाम के आधार पर इलाज की योजना बनाई जाती है। इलाज के लिए निम्न विकल्पों का पालन किया जाता है -
- आमतौर पर ब्लैडर संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है। किस दवा का प्रयोग होगा और कब तक उन दवाओं का उपयोग होगा, इसका निर्णय जांच के परिणाम के आधार पर ही लिया जाता है।
- गंभीर मामलों में रोगी को अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ सकता है, जहां उसका इलाज स्थिति के आधार पर होता है। मुख्य रूप से अस्पताल में इंजेक्शन और कैथेटर के द्वारा एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
यदि दवा से संक्रमण की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं होता है, तो कुछ अन्य परीक्षण की आवश्यकता पड़ सकती है जैसे -
- ब्लैडर का अल्ट्रासाउंड
- कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन
- सिस्टोस्कोपी
ब्लैडर संक्रमण से बचाव
ब्लैडर संक्रमण से बचाव के लिए सभी रोगियों को निम्नलिखित उपायों का पालन करना चाहिए -
- अपने तरल पदार्थ के सेवन को बढ़ाएं। इसकी मदद से शरीर में मौजूद सभी विषाक्त पदार्थ पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाएंगे और संक्रमण परेशान नहीं करेगा।
- क्रेनबेरी का जूस आपके लिए लाभकारी होगा।
- प्रयास करें कि आप बार-बार आप पेशाब करने जाएं और पेशाब करने की इच्छा को न रोकें। इसकी वजह से मूत्र मार्ग में बैक्टीरिया नहीं रुकता है।
- यौन संचारित संक्रमणों से बचने के लिए सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।
- कुछ दवाओं से दूरी बनाएं और बिना प्रिस्क्रिप्शन कोई भी दवा न लें।
इन सबके अतिरिक्त कुछ अन्य बचाव के उपाय भी हैं, जिनका पालन आप कर सकते हैं -
- गर्म पानी से स्नान करें, जिससे कुछ हद तक आराम मिल सकता है।
- ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं लें। इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन जैसी दवाएं लाभकारी साबित हो सकती है।
- रिसर्च में पता चला है कि क्रैनबेरी सप्लीमेंट यूटीआई को रोकने में मदद कर सकता है।
ब्लैडर संक्रमण से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
ब्लैडर के संक्रमण के संबंध में डॉक्टर से कब मिलें?
यदि ब्लैडर के संक्रमण या मूत्र पथ के संक्रमण के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत इलाज की योजना पर बात करें और डॉक्टर के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें।
क्या क्रैनबेरी जूस मूत्र पथ के संक्रमण को रोकता है?
यदि आप प्रोसेस्ड क्रैनबेरी जूस लेते हैं, तो यूटीआई इससे नहीं रुकेगा। हालांकि ताजा क्रैनबेरी जूस इस स्थिति में लाभकारी साबित हो सकता है।
क्या यूटीआई अपने आप ठीक हो सकता है?
मूत्र पथ के हल्के संक्रमण अपने आप ठीक हो सकते हैं। लेकिन अधिकांश मामलों में कम से कम एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता होती है।