Diabetes and Endocrine Sciences | Posted on 08/29/2024 by Dr. Naincy Purwar
डायबिटीज, जिसे मधुमेह भी कहा जाता है, एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिसे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में नहीं चाहता। इस स्थिति में शरीर में ग्लूकोज का स्तर अनियंत्रित हो जाता है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इनमें से किडनी रोग एक प्रमुख समस्या है।
किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, जिसका कार्य अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना है। डायबिटीज के कारण किडनी की कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे किडनी से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यही वजह है कि डायबिटीज का उचित प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। डायबिटीज की पुष्टि होते ही एंडोक्रिनोलोजी विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है। इस ब्लॉग में हम डायबिटीज और किडनी रोग के संबंध को विस्तार से समझेंगे।
डायाबिटिक किडनी डिजीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसे चिकित्सा भाषा में डायबिटिक नेफ्रोपैथी (Diabetic Nephropathy) कहा जाता है। यह स्थिति डायबिटीज के कारण किडनी की छोटी कोशिकाओं और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
किडनी की इस क्षति के कारण यह अंग अपने सामान्य कार्य नहीं कर पाता और स्थिति धीरे-धीरे किडनी फेल्योर की ओर बढ़ सकती है। शुरुआत में इसके लक्षण प्रकट नहीं होते, जिससे इसका निदान और उपचार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
डायबिटीज और किडनी रोग के बीच एक गहरा संबंध है। डायबिटीज के कारण शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जो छोटी रक्त वाहिकाओं पर दबाव डालता है। यह दबाव समय के साथ इन वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे किडनी के कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है। इस कमजोर क्षमता के कारण हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, किडनी डिजीज, और किडनी फेल्योर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
डायबिटीज के कारण किडनी को नुकसान होने पर कई लक्षण सामने आ सकते हैं -
मूत्र में प्रोटीन की बढ़ती मात्रा, जिससे मूत्र में झाग बनने लगता है।
पैरों, टखनों, हाथों और चेहरे पर सूजन आना।
किडनी के खराब होने से शरीर में हानिकारक पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे व्यक्ति को थकान का अनुभव होता है।
किडनी की समस्या के कारण मस्तिष्क में टॉक्सिन्स का स्तर बढ़ जाता है, जिससे सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
किडनी रोग के कारण ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो सकता है।
डायबिटिक किडनी रोग का निदान और उपचार शुरुआती चरण में करना आवश्यक होता है, ताकि किडनी को अधिक नुकसान से बचाया जा सके। किडनी रोग की जांच के लिए हम निम्नलिखित परीक्षणों की सलाह देते हैं -
मूत्र में प्रोटीन की जांच के लिए मूत्र परीक्षण।
रक्त में क्रिएटिनिन और यूरिया के स्तर की जांच के लिए रक्त परीक्षण।
किडनी की संरचना और आकार की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन।
उपचार में जीवनशैली में बदलाव, दवाओं का सेवन, और नियमित जांच शामिल होती है। हाई ब्लड प्रेशर और ब्लड ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसके अतिरिक्त, डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना जरूरी है। इससे किडनी की क्षति को रोका जा सकता है। गंभीर मामलों में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।
डायबिटीज के कारण किडनी को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
नियमित स्वास्थ्य जांच: ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की नियमित जांच जरूरी है, ताकि किडनी से संबंधित किसी भी समस्या का समय पर पता चल सके।
स्वस्थ आहार: संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं दूर हो सकती हैं। नमक और चीनी का सेवन कम करें और ताजे फल, सब्जियां, और होल ग्रेन्स का सेवन बढ़ाएं।
व्यायाम: रोजाना शारीरिक व्यायाम, सक्रिय जीवनशैली, और वजन को नियंत्रित करने से लाभ होता है। हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट व्यायाम करने का लक्ष्य रखें।
धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान और शराब का सेवन किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए इनसे दूर रहें।
दवाओं का समय पर सेवन: डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं को समय पर लेना जरूरी है। इन्हें बिना डॉक्टरी सलाह के बंद न करें।
स्ट्रेस मैनेजमेंट: मानसिक तनाव का प्रभाव पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए योग, ध्यान, और अन्य स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीकों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
इस ब्लॉग से हमने समझा कि डायबिटीज और किडनी रोग का संबंध जटिल है। सही प्रबंधन और समय पर जांच से किडनी को होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली का पालन करके आप डायबिटिक किडनी डिजीज से बच सकते हैं। नियमित रूप से चिकित्सकीय परामर्श लें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किडनी की समस्या के लिए अनुभवी नेफ्रोलॉजिस्ट और डायबिटीज की समस्या के लिए अनुभवी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
डायबिटीज की स्थिति में शरीर में शुगर का स्तर बढ़ने से किडनी की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है। इससे किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर पाती और हानिकारक पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं।
शुरुआत में इस रोग के कोई लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, सूजन, थकान, मूत्र में झाग, और खून आने जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इन लक्षणों के दिखते ही डॉक्टर से परामर्श लें।
डायबिटिक किडनी रोग को रोकने के लिए निम्न उपायों का पालन करें -