जैसे-जैसे लोगों की जीवनशैली में बदलाव आ रहा है, वैसे-वैसे कई ऐसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं, जिनके बारे में लोगों को सबसे कम पता होता है। ऐसी ही एक बीमारी है ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर।
जैसे-जैसे लोगों की जीवनशैली में बदलाव आ रहा है, वैसे-वैसे कई ऐसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं, जिनके बारे में लोगों को सबसे कम पता होता है। ऐसी ही एक बीमारी है ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum disorder)। पिछले कुछ समय में ऑटिज्म की समस्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है। यह समस्या बच्चों को सबसे ज्यादा ट्रिगर करती है, जिसके कारण इस स्थिति के बारे में सही जानकारी होनी बहुत आवश्यक है। यही कारण है कि हम इस ब्लॉग की मदद से बच्चों में ऑटिज्म की समस्या पर मुख्य रूप से बात करने वाले हैं।
ऑटिज्म एक ऐसा रोग है, जो दिमाग को प्रभावित करता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आता है। सामान्य तौर पर यह रोग बच्चों को सबसे ज्यादा ट्रिगर करता है। ऑटिज्म की समस्या के कारण कुछ लक्षण दिखने लगते हैं, जिस स्थिति में कुछ इलाज की आवश्यकता हो सकती है। यदि समय रहते इस स्थिति का इलाज नहीं होती है, तो इसके कारण मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
दुनिया भर में हर 100 में 1 बच्चा ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित है। वहीं कई रिपोर्ट ऐसे भी हैं जिसमें यह पता चला है कि यह समस्या लड़कियों के मुताबिक लड़कों में अधिक आम है। वहीं पिछले कुछ समय में ऑटिज्म से पीड़ित लोगों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है, जो कि एक चिंता विषय है।
तीन अलग-अलग प्रकार के ऑटिज्म है, जो एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है। चलिए सभी प्रकारों को एक-एक करके समझते हैं -
ऑटिज्म की स्थिति में कुछ सामान्य लक्षणों का अनुभव एक व्यक्ति कर सकता है जैसे -
यह सारे लक्षण ऑटिज्म की तरफ संकेत करते हैं। यदि आपको या फिर आपके बच्चों में ऐसी समस्या दिखे, तो तुरंत कोलकाता के बेस्ट न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। हम आपकी मदद जरूर करेंगे।
वर्तमान में ऑटिज्म के सटीक कारण अभी भी अज्ञात है। हालांकि अलग-अलग रिसर्च में पता चला है कि यह समस्या कुछ जेनेटिक और पर्यावरणीय कारणों पर निर्भर करते हैं। इसके कारण गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास की प्रगति भी प्रभावित होती है। इसके तीन संभावित कारण होते हैं -
इस स्थिति के कारण कम हैं, लेकिन इसके कई जोखिम कारक है। नीचे उन बच्चों के बारे में बताया गया है जो ऑटिज्म के खतरे के दायरे में सबसे अधिक होते हैं -
ऑटिज्म की समस्या के निदान के कई पहलू हैं। चलिए सभी को एक-एक करके समझते हैं -
डॉक्टर द्वारा मूल्यांकन
यह जांच बच्चों और वयस्कों में एक प्रकार ही होते हैं। बस वयस्कों की स्थिति में माता-पिता के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों से भी बात की जाती है।
अतिरिक्त परीक्षण
इन सबके अतिरिक्त कुछ अन्य परीक्षण के सुझाव दिए जा सकते हैं जैसे -
चलिए अब जानते हैं कि ऑटिज्म का क्या इलाज है। सबसे पहले आपको यह समझना पड़ेगा कि ऑटिज्म का कोई स्पष्ट या निश्चित इलाज नहीं है। इस स्थिति के लक्षणों को ठीक करने के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना बहुत अनिवार्य है।
वर्तमान में, ऑटिज्म को रोकने का कोई ज्ञात तरीका नहीं है। हालांकि कुछ तरीकों के प्रयोग से स्थिति में सुधार संभव है। जैसे -
ऑटिज्म की स्थिति में किसी भी घरेलू उपायों की तरफ अग्रसर न होएं। प्रयास करें कि डॉक्टर से इस स्थिति पर बात करें और इलाज के सभी विकल्पों के बारे में जानें।
ऑटिज्म वाले बच्चों में निम्न समस्याएं देखने को मिलती है -
आपको यह समझना होगा कि इस स्थिति का कोई निश्चित इलाज नहीं है। हालांकि जीवनशैली में बदलाव, कुछ थेरेपी, और दवाओं की मदद से ऑटिज्म की समस्या में सुधार लाया जा सकता है।
ऑटिज्म का न ही कोई निश्चित इलाज है और ना ही इसकी कोई निश्चित दवा। हालांकि कुछ थेरेपी और दवाओं की मदद से इस स्थिति का इलाज संभव है।
ऑटिज्म की जांच फिजिकल एग्जामिनेशन से की जाती है। परामर्श के बाद जेनेटिक टेस्ट का सुझाव भी दिया जा सकता है।
Written and Verified by:
Dr. Ajay Aggarwal is a Consultant in Neurosurgery Dept. at CMRI Hospital, Kolkata. He specializes in brain and spine surgery, including tumors, strokes, congenital conditions, and degenerative disorders.
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