एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार) : कारण, लक्षण, निदान, उपचार
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एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार) : कारण, लक्षण, निदान, उपचार

Summary

एन्सेफलाइटिस (encephalitis) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिमाग में सूजन होती है। इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे वायरल संक्रमण, ऑटोइम्यून रोग, जीवाणु संक्रमण (Bacterial Infection) और कीड़े के काटना। एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार) की वजह से एक व्यक्ति को लंबे समय तक परेशानी का सामना करना पड़ता है और कुछ मामलों में लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। इस स्थिति के इलाज के लिए अलग-अलग विकल्प मौजूद हैं, लेकिन कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

एन्सेफलाइटिस (encephalitis) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिमाग में सूजन होती है। इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे वायरल संक्रमण, ऑटोइम्यून रोग, जीवाणु संक्रमण (Bacterial Infection) और कीड़े के काटना। एन्सेफलाइटिस (दिमागी बुखार) की वजह से एक व्यक्ति को लंबे समय तक परेशानी का सामना करना पड़ता है और कुछ मामलों में लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। इस स्थिति के इलाज के लिए अलग-अलग विकल्प मौजूद हैं, लेकिन कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। 

एन्सेफलाइटिस का कारण

एन्सेफलाइटिस की समस्या कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है। चलिए पहले उन वायरस के बारे में जानते हैं, जो इस स्थिति के लिए जिम्मेदार होते हैं। 

  • खसरा (Measles)
  • मम्पस (Mumps)
  • रूबेला/जर्मन मीजल्स (Rubella)
  • चिकन पॉक्स/वेरिसेला
  • साइटोमेगलोवायरस/सीएमवी (Cytomegalovirus)
  • एपस्टीन-बार वायरस (Epstein-Barr Virus)
  • एचआईवी (HIV Virus)
  • राब्व वायरस (Rabva Virus)

कीड़ों के द्वारा भी कुछ वायरस शरीर में प्रवेश करते हैं और उन्हीं में से एक है डेंगू वायरस। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले अन्य वायरल संक्रमण भी होते हैं, जो अक्सर हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV) से संबंध रखते हैं। हालांकि, इसके अतिरिक्त भी एन्सेफेलाइटिस कई रोग या अन्य वायरस के कारण विकसित हो सकता है।

एन्सेफलाइटिस का जोखिम क्यों बढ़ जाता है?

निम्न कारणों से इन्सेफेलाइटिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है जैसे - 

  • उम्र: कुछ आयु वर्ग के लोगों में इस समस्या का प्रसार अधिक देखा गया है। सामान्य तौर पर युवा और वृद्ध लोगों में कुछ प्रकार के वायरल इन्सेफेलाइटिस होने का अधिक जोखिम होता है। 
  • कमजोर इम्यून सिस्टम: कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में भी इस रोग का जोखिम अधिक देखा गया है। एचआईवी-एड्स या कोई अन्य रोग जो इम्यून सिस्टम को प्रभावित करते हैं, वह भी इस रोग का एक जोखिम कारक है। 
  • अधिक प्रभावित करने वाले क्षेत्र: ऐसे क्षेत्र में रहना जहां किसी विशिष्ट वायरस का प्रसार अधिक देखा जाता है।

एन्सेफलाइटिस के लक्षण

इस रोग का प्रमुख लक्षण तेज बुखार के साथ तेज सिरदर्द, कमजोरी, थकान और जी मचलना है। इस रोग की एक विशेषता यह है कि इस स्थिति में लक्षण अचानक दिखते हैं और रोगी का स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित होता है। इसके अतिरिक्त गंभीर मामलों में पेशेंट को कुछ लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है जैसे - 

  • ध्यान एकत्रित करने में समस्या।
  • मिर्गी 
  • शरीर के कुछ भाग का महसूस न होना। 
  • मांसपेशियों में कमजोरी।
  • बोलने व सुनने में परेशानी।
  • बेहोशी

हालांकि बच्चों में कुछ अन्य लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं जैसे - 

  • शिशु के सिर में ऊपर नरम जगह में उभार आना।
  • मतली और उल्टी।
  • शरीर में अकड़न।
  • अच्छे से खाने-पीने में समस्या होना।
  • चिड़चिड़ापन।

एन्सेफलाइटिस की जांच

एन्सेफलाइटिस की जांच के लिए मुख्य रूप से फिजिकल एग्जामिनेशन का सुझाव दिया जाता है। इसके साथ-साथ आपके लक्षणों के बारे में भी पूछा जाएगा, जिससे स्थिति अधिक साफ हो जाएगी। निम्नलिखित जांच से स्थिति साफ होगी और इलाज में भी मदद मिलेगी - 

  • कंपलीट ब्लड काउंट (CBC) 
  • इमेजिंग परीक्षण, जैसे कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) स्कैन, मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (MRI) स्कैन और मैग्नेटोएन्सेफलोग्राफी (MEG)।
  • लंबर पंक्चर टेस्ट।
  • नर्वस सिस्टम का परीक्षण।

एन्सेफलाइटिस का इलाज

अकसर एन्सेफलाइटिस के मुख्य कारणों और लक्षणों की खोज की जाती है और उसका समाधान किया जाता है। अधिकतर मामलों में एन्सेफलाइटिस से पीड़ित होने पर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ती है। यदि लक्षण इससे बदतर होते हैं, तो तुरंत इलाज के लिए न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से मिलें। इसके अतिरिक्त इलाज के निम्नलिखित विकल्पों की सहायता ली जा सकती है - 

  • दवाएं: ऑटोइम्यून रोग के कारण आने वाली इस समस्या के इलाज के लिए कुछ प्रकार की दवाएं दी जा सकती है। 
  • एंटीवायरल दवाएं: सामान्य तौर पर वायरल एन्सेफलाइटिस के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं। 
  • श्वास संबंधित समस्या का इलाज: गंभीर मामलों में अतिरिक्त ऑक्सीजन या मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत पड़ती है। 
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स: इस प्रकार की दवाएं वायरल और ऑटोइम्यून एन्सेफलाइटिस के द्वारा होने वाले दिमाग के सूजन और बुखार को कम करने में मदद मिलती है। इन दवाओं से स्थिति धीरे-धीरे ठीक होने लगती है। 
  • पोषण: प्रयास करें कि पेशेंट को पोषण सही मात्रा में मिले। यदि वह मुंह से खाना नहीं खा पाते हैं तो ट्यूब फीडिंग का उपयोग भी किया जा सकता है।
  • इम्यून ग्लोब्युलिन: ऑटोइम्यून एन्सेफलाइटिस के इलाज के लिए इस प्रक्रिया का चयन किया जा सकता है।
  • इंट्रावेनस (आईवी) लिक्विड: हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए इस प्रकार की प्रक्रिया की उपयोग किया जाता है।

FAQs 

 

एन्सेफलाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है?

एन्सेफलाइटिस का इलाज कई कारणों पर निर्भर करता है। वायरल संक्रमण के लिए एंटीवायरल दवाएं, ऑटोइम्यून रोगों के लिए स्टेरॉयड, और बैक्टीरियल संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं। गंभीर मामलों में, रोगी को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ सकती है और इसके अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता पड़ सकती है।

एन्सेफलाइटिस को कैसे रोका जा सकता है?

एन्सेफलाइटिस की रोकथाम के कुछ तरीके उपलब्ध हैं, जैसे - 

  • साफ-सफाई का खास ख्याल रखें।
  • टीकाकरण का विशेष ध्यान रखें। 
  • मच्छरदानी का प्रयोग करें।

एन्सेफलाइटिस का दीर्घकालिक प्रभाव क्या हो सकता है?

एन्सेफलाइटिस के दीर्घकालिक प्रभाव व्यक्ति हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ मामलों में तो कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन जब इसका प्रभाव पड़े बोलने, याद रखने में कठिनाई, मांसपेशियों की कमजोरी, या दौरे पड़ने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। 

एन्सेफलाइटिस से उबरने में कितना समय लगता है?

एन्सेफलाइटिस की समस्या से रिकवरी का समय भी हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकता है। हल्के मामलों में कुछ हफ्तों में ही व्यक्ति ठीक हो जाता है, जबकि गंभीर मामलों में महीनों या सालों तक का समय लग सकता है। रिकवरी में भी एक योजना की आवश्यकता होती है, जिसकी जानकारी आपको न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से ही मिलेगी।

Written and Verified by:

Dr. Arabinda Mukherjee

Dr. Arabinda Mukherjee

Consultant - Neurologist Exp: 35 Yr

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Dr. Arabinda Mukherjee is a senior consultant in Neurology practicing for more than 35 years. He has the experience of successfully treating complex neurological diseases. Trained in electrophysiology in UK. He has been examiner and thesis guide for National Board of examinations. Delivered invited lectures, talks and orations in national and international forum Published papers in prestigious journals, contributed book chapters and edited books on Neurology. 

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