शिशुओं में साँस लेने की समस्या: कारण, लक्षण और उपचार
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शिशुओं में साँस लेने की समस्या: कारण, लक्षण और उपचार

Summary

 सांस लेने में समस्याओं के संभावित कारणों और लक्षणों को समझकर माता-पिता कई जटिलताओं से अपने बच्चे को बचा सकते हैं। सही कारण और लक्षण को जानकर सही उपचार के साथ आपके शिशु को खुशियों की सौगात दी जा सकती है।

शिशु का हर एक पल माता-पिता के लिए खुशियों और चिंताओं के साथ आता है। लेकिन जब बात उनके बच्चे के स्वास्थ्य की हो, तो सांस लेने में समस्या किसी भी माता-पिता को बहुत बेचैन कर सकती है। नवजात शिशुओं के लिए सांस लेना एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है, लेकिन कभी-कभी इस सरल क्रिया में समस्याएं आ सकती हैं। इसके कारण बच्चों को बहुत समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 

क्या यह सामान्य है? क्या इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए? या फिर शिशुओं में सांस लेने की समस्या कोई गंभीर समस्या का संकेत है? चलिए इस स्थिति के कारण, लक्षण और उपचार के संबंध में विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं। यदि आपके बच्चे सांस संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप तुरंत एक अनुभवी बाल हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।

शिशुओं में सांस लेने की समस्याओं के मुख्य कारण

नवजात शिशुओं में सांस लेने की समस्याएं कई कारणों से उत्पन्न हो सकती हैं। यह समस्याएं कई प्रकार की होती हैं, जो अलग-अलग तरह से एक व्यक्ति को प्रभावित करती हैं। यहां कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं - 

  • श्वसन संक्रमण (Respiratory Infections): नवजात शिशु और छोटे बच्चे विशेष रूप से निमोनिया या सामान्य सर्दी जैसी संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जो सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकते हैं। यह संक्रमण वायुमार्गों या फेफड़ों में सूजन का कारण भी बन सकता है, जिससे शिशु के लिए सामान्य तरीके से सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
  • वायुमार्ग में ब्लॉकेज (Airway Obstruction): किसी दूसरे कारक या फिर जन्मजात समस्याओं के कारण वायु मार्ग में ब्लॉकेज हो सकती है। इसके कारण वायु मार्ग संकरी या फिर पतली हो जाती है। इसके कारण वायु मार्ग में ब्लॉकेज आती है और बच्चों को सांस लेने में कठिनाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
  • जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Defects): हृदय में संरचनात्मक समस्याएं, जैसे कि हृदय में छेद या असामान्य वाल्व, फेफड़ों में अत्यधिक रक्त प्रवाह का कारण बन सकते हैं, जिससे फेफड़ों में तरल पदार्थ का संचय होता है और सांस लेने में कठिनाई होती है।
  • मेटाबोलिक और न्यूरोलॉजिकल विकार (Metabolic and Neurological Disorders): कुछ स्थितियां है, जो शरीर के मेटाबोलिज्म या तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, शरीर की ऑक्सीजन की आवश्यकता को बढ़ा सकती हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई बढ़ सकती है।
  • समय से पहले जन्म (Prematurity): जन्म से पहले जन्मे बच्चों के फेफड़े अच्छे से मैच्योर नहीं होते हैं, जिसके कारण उन्हें बिना सहायता के सामान्य रूप से सांस लेने में कठिन हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर बच्चों को अक्सर ऑबसर्वेशन में रखा जाता है।

शिशुओं में सांस लेने की समस्याओं के लक्षणों की पहचान कैसे करें?

नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में सांस लेने की समस्याएं हमेशा स्पष्ट नहीं होती है, और इस संबंध में माता-पिता को सतर्क भी रहना चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण लक्षण है, जो ध्यान में रखना चाहिए, जैसे कि -

  • तेज सांस लेना (Rapid Breathing): यदि आपका शिशु बहुत तेज-तेज सांस ले रहा है, तो आपको अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है। 
  • सांस लेने में प्रयास (Effortful Breathing): यदि आपका बच्चा बार-बार सांस लेने का प्रयास कर रहा है और बार-बार इसमें विफल रहता है, तो भी यह एक गंभीर समस्या की तरफ इशारा कर रहा है। शिशु को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, जिसके कारण वह गर्राना, कांपना या हर सांस में परेशानी जैसी समस्या का अनुभव कर सकते हैं।
  • शोर करते हुए सांस लेना (Noisy Breathing): यदि शिशु की सांस सामान्य से अलग लगती है, जैसे कि खर्राटे आना या फिर सांस लेते हुए शोर करना, तो इसका अर्थ यह है कि आपके बच्चे के वायु मार्ग में समस्या है। 
  • त्वचा का रंग बदलना (Skin Color Changes): होंठों या चेहरे के आस-पास नीला या पीला रंग आना यह संकेत हो सकता है कि शिशु को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है।
  • अत्यधिक रोना या चिड़चिड़ापन (Increased Crying or Irritability): यदि आपका शिशु असामान्य रूप से चिड़चिड़ा है, खाना नहीं खा रहा है, या असहज महसूस कर रहा है, तो यह सांस लेने की परेशानी के संकेत हो सकते हैं।

डॉक्टर से कब संपर्क करना आवश्यक है?

यदि आप अपने शिशु में निम्नलिखित लक्षणों को देखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सहायता लेने की सलाह हम भी अपने पेशेंट्स को देते हैं -

  • शिशु की सांस लेने की दर असामान्य रूप से अधिक या कम होना।
  • घुटन या सांस लेने में कठिनाई जैसा महसूस होना।
  • शिशु का चेहरा या होंठ विशेष रूप से नीला या पीला पड़ना।
  • शिशु का अत्यधिक सोना या सुस्त होना।
  • शिशु का खाना न खाना या फिर लगातार रोना।

शिशु यदि लगातार रो रहा है, तो यह कई स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है, इसलिए इस स्थिति में तुरंत एक अच्छे शिशु रोग विशेषज्ञ से मिलें और इस स्थिति का कारण जानें। 

शिशुओं में सांस की समस्या के उपचार और प्रबंधन के प्रभावी तरीके

शिशुओं में सांस लेने की समस्याओं का उपचार मुख्य रूप से समस्या के कारण पर निर्भर करता है। कुछ प्रभावी उपचार विधियां इस प्रकार हैं - 

  • दवाइयां: संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक या एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं। अस्थमा जैसे लक्षणों या वायु मार्गों में सूजन के लिए इनहेलर या स्टेरॉयड दिए जा सकते हैं।
  • ऑक्सीजन चिकित्सा/थेरेपी: यदि शिशु का ऑक्सीजन स्तर कम है, तो उचित ऑक्सीजन के लिए सहायक ऑक्सीजन दिया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर बच्चे को अपने क्लीनिक या अस्पताल में भर्ती भी कर सकते हैं।
  • सहायक देखभाल: हल्के श्वसन संक्रमण या नाक जमने के मामलों में नाक से देने वाली सलाइन ड्रॉप दी जाती है और सक्शनिंग की जाती है, जिससे नाक में हाईड्रेशन बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • सर्जिकल हस्तक्षेप: जन्मजात हृदय दोषों या वायुमार्ग विकृतियों जैसी गंभीर स्थितियों के लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं की आवश्यकता पड़ती है।
  • निगरानी: प्रीमैच्योर बच्चे या जो बच्चे किसी दूसरे स्वास्थ्य समस्या के साथ जन्म लेते हैं, उन्हें जन्म के बाद कुछ समय के लिए ऑबसर्वेशन में रखा जाता है। इस दौरान शिशु वेंटिलेटर पर होते हैं। 

अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

एक नवजात शिशु एक मिनट में कितनी बार सांस लेता है?

नवजात शिशु आम तौर पर एक मिनट में 30 से 60 बार सांस लेते हैं। यदि शिशु की सांस लेने की दर बहुत अधिक या कम हो, तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है।

क्या यह सामान्य है कि एक नवजात शिशु तेजी से सांस लेता है?

नवजात शिशुओं का सांस लेना वयस्कों से तेज होता है, लेकिन यदि सांस बहुत तेज है, तो यह सांस संबंधित किसी समस्या की तरफ संकेत कर सकता है। विशेष रूप से यह स्थिति अधिक गंभीर होती है, जब इसमें अन्य लक्षण जैसे कि सांस लेने में दिक्कत या फिर सांस लेते समय आवाज आना शामिल होते हैं। 

क्या प्रीमैच्योर बच्चों को अधिक श्वसन समस्याएं होती हैं?

हां, प्रीमैच्योर बच्चों को अपरिपक्व फेफड़ों के कारण अधिक श्वसन समस्याएं होती हैं। इससे रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम जैसी स्थितियां है, जिसके लिए चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

क्या सर्दी और फ्लू से शिशु में सांस लेने की समस्या हो सकती है?

हां, सर्दी या फ्लू जैसे श्वसन संक्रमण शिशुओं में कंजेशन, खांसी और चिड़चिड़ेपन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

क्या शिशु का अधिक रोना सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकता है?

शिशुओं का रोना सीधा श्वसन समस्याओं का कारण नहीं होता है। हालांकि यदि बच्चे अधिक रो रहे हैं और इसके साथ-साथ उनके सांस लेने के दौरान आपको कोई आवाज सुनाई दे, तो तुरंत एक अनुभवी शिशु रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।

Written and Verified by:

Dr. Subhendu Mandal

Dr. Subhendu Mandal

Senior Consultant (Paediatric) Exp: 16 Yr

Pediatric Cardiology

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