हाइपरपिग्मेंटेशन: त्वचा के काले धब्बों का इलाज

हाइपरपिग्मेंटेशन: त्वचा के काले धब्बों का इलाज

Dermatology |by Dr. Poonam Jalan| Published on 25/02/2025

लगभग सभी को पता है कि हाइपरपिग्मेंटेशन एक त्वचा संबंधी समस्या है, जिसमें त्वचा पर काले धब्बे दिखाई देते हैं। इस त्वचा के कालेपन का कारण मेलेनिन का अत्यधिक उत्पादन है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें हम इस ब्लॉग में कवर करने वाले हैं। 

आपको यह समझना होगा कि यह हानिकारक स्थिति नहीं है, लेकिन इसके कारण आपको बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे आत्मविश्वास को क्षति। त्वचा के काले धब्बों के प्रभावी इलाज के लिए इसके कारण, जांच की प्रक्रिया और इलाज के सभी विकल्पों को समझना बहुत ज्यादा जरूरी है। इसके अतिरिक्त एक अनुभवी डर्मेटोलॉजिस्ट(त्वचा रोग विशेषज्ञ) इस स्थिति में आपकी मदद कर सकते हैं। 

हाइपरपिग्मेंटेशन क्या है?

जब मेलेनिन का उत्पादन बढ़ जाता है, तो त्वचा पर काले रंग के धब्बे बन जाते हैं। आमतौर पर ऐसे धब्बे चेहरे, हाथों, या कंधों पर या फिर सूरज की रोशनी के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों पर देखने को मिलते हैं। हालांकि ये काले धब्बे हानिकारक नहीं होते, लेकिन अगर इसका उचित तरीके से इलाज न किया जाए तो, यह स्थायी नुकसान पहुंचा सकते हैं। हाइपरपिग्मेंटेशन कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि - 

  • मेलास्मा: इस प्रकार का हाइपरपिग्मेंटेशन अक्सर हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है और मुख्य रूप से प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रभावित करता है। 
  • पोस्ट-इन्फ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन (PIH): इस प्रकार के हाइपरपिग्मेंटेशन का कारण त्वचा की चोट, मुंहासे, जलन या चकत्ते होते हैं। 
  • सनस्पॉट (लेंटिगाइन्स): लंबे समय तक धूप में रहने के कारण, यह काले धब्बे के रूप में दिखाई दे सकते हैं, जो चेहरे और हाथों को प्रभावित करते हैं। 
  • झाइयां: यह हाइपरपिग्मेंटेशन का जेनेटिक रोग है, जिसमें त्वचा सूरज के संपर्क में आने से ही काली हो जाती है। 

हाइपरपिग्मेंटेशन का क्या कारण है?

हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है जैसे कि- 

  • सूरज के संपर्क में आने से मेलेनिन का उत्पादन अधिक होता है, जिसके कारण सनस्पॉट और समय से पहले बुढ़ापे जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। 
  • प्रेगनेंसी, मेनोपॉज, और हार्मोनल दवाएं त्वचा पर धब्बों का मुख्य कारण साबित हो सकती हैं। इससे खास तौर पर माथे पर धब्बे होते हैं।
  • मुंहासेएक्जिमा, सोरायसिस, जलन या कोई त्वचा संबंधित समस्याएं हाइपरपिग्मेंटेशन की स्थिति को ट्रिगर कर सकती हैं। इसे पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन (PIH) भी कहा जाता है।
  • कीमोथेरेपी, एंटी-सीज़र और कुछ एंटीबायोटिक दवाओं के साइड-इफेक्ट के तौर पर त्वचा का रंग काला हो सकता है।
  • लिवर रोग, एडिसन रोग और थायराइड डिसफंक्शन कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिसके कारण चेहरे के त्वचा पर कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है। 

हाइपरपिग्मेंटेशन का निदान कैसे किया जाता है?

हाइपरपिग्मेंटेशन की जांच के लिए स्किन स्पेशलिस्ट निम्न तरीकों में से किसी एक का प्रयोग कर सकते हैं - 

  • फिजिकल एग्जामिनेशन: डॉक्टर प्रत्यक्ष रूप से त्वचा को देख कर बता सकते हैं कि आप इस समस्या का सामना कर रहे हैं या नहीं। काले रंग के धब्बे दर्शाते हैं कि आप हाइपरपिग्मेंटेशन का सामना कर रहे हैं और वह इसके बाद अन्य जांच का सुझाव दे सकते हैं।
  • वुड्स लैंप टेस्ट: इस टेस्ट की मदद से हाइपरपिग्मेंटेशन की गंभीरता से पता चल सकता है। इस टेस्ट को करने के लिए यूवी लाइट का उपयोग किया जाता है।
  • स्किन बायोप्सी (यदि आवश्यक हो): यदि ऊपर वाली जांच से स्थिति की गंभीरता का पता नहीं चल पाता है, तो डॉक्टर स्किन बायोप्सी का सुझाव दे सकते हैं, जिसमें प्रभावित त्वचा के एक टुकड़े की जांच लैब में होती है।

हाइपरपिग्मेंटेशन के लिए उपचार का विकल्प

हाइपरपिग्मेंटेशन के इलाज के लिए बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं, जिससे इस स्थिति का इलाज आसानी से हो सकता है। निम्न उपचार के विकल्प से आपको लाभ मिल सकता है - 

चिकित्सा उपचार

कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट प्रोसेस की सहायता से हाइपरपिग्मेंटेशन को प्रभावी रूप से कम किया जा सकता है। निम्न इलाज के विकल्प बहुत कारगर साबित हो सकते हैं - 

दवाएं

  • हाइड्रोक्विनोन: यह एक प्रिस्क्रिप्शन स्किन-लाइटनिंग एजेंट क्रीम है, जो शरीर में मेलेनिन के निर्माण को रोक सकता है। 
  • रेटिनोइड्स (ट्रेटिनॉइन, रेटिनॉल): इस दवा की मदद से त्वचा अपने आप रिकवर होने लगती है, जिसकी वजह से समय के साथ पिगमेंटेशन में भी कमी देखी जाती है।
  • विटामिन सी: विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट है, जिसकी मदद से त्वचा चमकदार हो जाती है। इससे त्वचा पर मौजूद काले धब्बे धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं। 
  • एजेलिक एसिड: पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन और मेलास्मा के इलाज के लिए एजेलिक एसिड का उपयोग होता है। 
  • कोजिक एसिड और नियासिनमाइड: पिगमेंटेशन और सूजन को कम करने के लिए कोजिक एसिड और नियासिनमाइड का उपयोग होता है। 

त्वचा संबंधी प्रक्रियाएं

  • केमिकल पील्स: कुछ केमिकल पील्स हैं, जिसमें ग्लाइकोलिक या सैलिसिलिक एसिड होता है जिसके उपयोग से त्वचा पर मौजूद हाइपर पिगमेंट को ठीक हो सकते हैं। 
  • लेजर थेरेपी: आस-पास की त्वचा को नुकसान पहुंचाए बिना गहरे पिगमेंटेशन को टारगेट करके लेजर थेरेपी से धब्बों का इलाज किया जा सकता है। 
  • माइक्रोडर्माब्रेशन: यह एक एक्सफोलिएशन ट्रीटमेंट है, जिसमें किसी भी प्रकार की सर्जरी नहीं होती है और बिना सर्जरी के ही एक आधुनिक उपकरण से ऊपर वाली प्रभावित त्वचा को ही निकाल दिया जाता है। 
  • इन्टेंस पल्स्ड लाइट थेरेपी (आईपीएल थेरेपी): इसमें त्वचा में मौजूद अतिरिक्त मेलेनिन को ब्रेकडाउन करने के लिए एक स्पेक्ट्रम लाइट का उपयोग होता है, जिससे त्वचा धीरे-धीरे ठीक होने लगती है। 

हाइपरपिग्मेंटेशन के लिए घरेलू उपचार

जब तक आपको हाइपरपिग्मेंटेशन के लिए चिकित्सा उपचार नहीं मिलता है, तब तक आप घरेलू उपचारों की सहायता ले सकते हैं। हालांकि हल्के धब्बों के मामलों में घरेलू उपचार से ही आपको मदद मिल सकती है जैसे कि - 

  • एलोवेरा: यह एक डिपिगमेंटिंग एजेंट है, जिससे लाभ मिलना निश्चित है।
  • हल्दी: हल्दी की मदद से मेलेनिन का उत्पादन कम होगा और सूजन भी कम होगी। इसे आप मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगा सकते हैं। 
  • ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट: त्वचा को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने के लिए ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट आपकी मदद कर सकते हैं। इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से लाभ मिलेगा।
  • एप्पल साइडर विनेगर: इसमें एसिटिक एसिड होता है, जो काले धब्बों की प्रगति को धीमा कर सकता है। 
  • लिकोराइस एक्सट्रेक्ट: त्वचा को यूवी के रेडिएशन से बचाने में काफी मदद कर सकता है। 

यह सारे उपाय प्रमाणित नहीं है, लेकिन इससे कई लोगों लाभ मिला है।

हाइपरपिग्मेंटेशन को कैसे रोकें? 

हाइपरपिग्मेंटेशन जैसी स्थिति को रोकने के लिए घरेलू उपचार के साथ-साथ कुछ आदतों में सुधार की भी आवश्यकता है जैसे कि - 

  • चेहरे पर हाइपरपिग्मेंटेशन से बचने के लिए घर से बाहर निकलने से पहले रोजाना एसपीएफ 30+ सनस्क्रीन लगाएं।
  • यदि कोई मुहांसे या पपड़ी का निर्माण हुआ है, तो उसे खुजलाए नहीं।
  • अपने स्किनकेयर में एंटीऑक्सीडेंट के उपयोग को बढ़ाएं। 
  • स्किनकेयर में विटामिन सी, नियासिनमाइड और ग्रीन टी ऑक्सीडेटिव जैसे एंटीऑक्सीडेंट का उपयोग करें। 
  • खुद को हाइड्रेट करें और संतुलित आहार का सेवन करें।
  • धूप में निकलने से पहले सुरक्षात्मक कपड़े पहनें।

निष्कर्ष

सबसे पहले समझें कि हाइपरपिग्मेंटेशन कोई हानिकारक स्थिति नहीं है, लेकिन इसके कारण त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे आत्मविश्वास को ठेस पहुंचती है। इसके कारणों को समझकर और निवारक उपायों को अपनाकर आप अपनी त्वचा का ख्याल अच्छे से रख सकते हैं। हाइपरपिग्मेंटेशन की स्थिति से आराम के लिए त्वचा रोग विशेषज्ञ से मिलना और परामर्श करना बहुत ज्यादा जरूरी है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 

 

हाइपरपिग्मेंटेशन कितने समय तक रहता है? 

हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या का समय कई कारकों के आधार पर निर्भर करता है जैसे कि - 

  • हल्का हाइपरपिग्मेंटेशन 3 से 6 महीने में गायब हो जाता है।
  • गहरा पिगमेंटेशन जैसे कि मेलास्मा या सनस्पॉट, 6 महीने से लेकर एक साल या उससे अधिक समय तक रह सकता है। 

क्या मुझे हाइपरपिग्मेंटेशन के लिए त्वचा विशेषज्ञ से मिलना चाहिए?

हां, आपको हाइपरपिग्मेंटेशन ट्रीटमेंट के लिए त्वचा विशेषज्ञ से मिलना चाहिए यदि - 

  • काले धब्बे बहुत ज्यादा फैल रहे हैं या फिर उसका रंग बदल रहा है।
  • पिगमेंटेशन का 3-6 महीने के बाद भी गायब न होना।
  • थायरॉयड या एडिसन की बीमारी जैसे अन्य कारणों के कारण यह समस्या होना।
  • दवाएं और अन्य इलाज के विकल्प अप्रभावी हो जाएं।
NavBook Appt.WhatsappWhatsappCall Now