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दिल में छेद (जन्मजात हृदय रोग) के कारण और जोखिम कारक

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दिल में छेद (जन्मजात हृदय रोग) के कारण और जोखिम कारक

Pediatric Cardiology | by BMB | Published on 17/11/2023


वर्तमान में हृदय से संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। जानकारी के अभाव के कारण लोग इससे संबंधित लक्षण के बारे में नहीं जान पाते हैं, जिससे यह समस्या समय के साथ विकराल रूप ले लेती है। दिल में छेद एक ऐसा रोग है, जो बहुत बच्चों को प्रभावित करता है। इस समस्या को मेडिकल भाषा में 'कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स' (Congenital heart defects) या फिर हृदय संबंधित जन्मजात दोष कहा जाता है। सही समय पर दिल में होल होने के लक्षण को पहचानकर इलाज कराना बहुत ज्यादा जरूरी है। दिल में छेद के संबंध में आप हमारे पेडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट विशेषज्ञों से भी संपर्क कर सकते हैं।

दिल में छेद (जन्मजात हृदय रोग) के कारण और जोखिम कारक

दिल में छेद एक जन्मजात हृदय रोग है। यह तब होता है, जब गर्भावस्था के दौरान बच्चों के दिल के विकास में समस्या होती है। दिल में छेद के कई कारण हैं जैसे - 

  • जेनेटिक्स: कुछ परिवारों में यह रोग जेनेटिकली मौजूद होता है। इसके कारण उन लोगों के परिवार में दिल में होल होने का अधिक खतरा होता है। 
  • वायरल संक्रमण: गर्भावस्था के दौरान कुछ वायरल संक्रमण, जैसे कि रूबेला, दिल में होल का कारण बन सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी प्रकार के वायरल संक्रमण को नजरअंदाज न करें क्योंकि इसके कारण बहुत खतरनाक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 
  • मादक पदार्थों का सेवन: गर्भावस्था के दौरान मादक पदार्थों का सेवन, जैसे कि शराब और कोकीन, जन्मजात हृदय रोग का कारण बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है। 
  • दवाएं: कुछ प्रकार की दवाएं हैं, जो बच्चों में इस रोग के होने का जोखिम बढ़ा सकती हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर, मुहांसे और दौरे की दवाएं मुख्य रूप से इस स्थिति के लिए जिम्मेदार होती हैं। 
  • धूम्रपान: जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करती हैं, उनके बच्चे हृदय से संबंधित समस्याओं के साथ जन्म लेते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान धूम्रपान करने की सलाह नहीं दी जाती है। 

दिल में छेद (जन्मजात हृदय रोग) के लक्षण 

कुछ मामलों में दिल में होल होने के लक्षण नहीं दिखते हैं। वहीं कुछ ऐसे लक्षण भी होते हैं, जो गंभीर समस्या की तरफ इशारा करते हैं। आमतौर पर इस रोग के लक्षण नवजात शिशुओं में देखे जाते हैं जैसे -

  • सांस लेने में तकलीफ
  • त्वचा, होंठ, और नाखूनों पर नील जैसे निशान पड़ना (Cyanosis)
  • अत्यधिक थकान
  • रक्त संचार में समस्या
  • दिल धड़कने के दौरान असाधारण आवाज का आना। 
  • स्तनपान के दौरान नवजात शिशुओं का अधिक थक जाना
  • बच्चों का वजन कम होना या शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होना
  • छाती में दर्द

दिल में होल के कारण हृदय अपना सामान्य काम नहीं कर पाता है और जब स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है, तो हृदय अपना काम करना बंद कर देता है। वयस्कों में दिल में छेद की समस्या के कुछ लक्षणों के बारे में नीचे बताया गया है - 

  • दिल की धड़कन की असामान्य लय (Arrhythmia)
  • होठ, नाखून या त्वचा आदि पर नीले रंग का निशान
  • सांस फूलना
  • जल्द थक जाना
  • शरीर के ऊतकों व अंदरूनी अंगों में सूजन आना। इसे मेडिकल भाषा में एडेमा कहा जाता है।

दिल में छेद (जन्मजात हृदय रोग) का परीक्षण 

आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान या जन्म होने के बाद ही दिल में होल का निदान कर लिया जाता है। यदि स्थिति गंभीर नहीं है, तो इस स्थिति का निदान तभी हो पाता है, जब बच्चा बड़ा हो जाता है। कम गंभीर मामलों में लक्षण नहीं दिखते हैं, जिसकी वजह से किसी दूसरे परीक्षण से इस स्थिति का पता चलता है। सामान्यतः शारीरिक परीक्षण से डॉक्टर दिल की बीमारी का पता लगा लेते हैं। इसके अतिरिक्त निम्न परीक्षण से दिल में होल का निदान संभव हो सकता है। 

दिल में छेद से बचाव

दिल में होल एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसके लिए बचाव बहुत ज्यादा अनिवार्य है। बचाव की शुरुआत प्रेगनेंसी से होती है। निम्नलिखित सुझाव आपके लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं -

  • प्रेगनेंसी के दौरान खाने वाली सभी दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं।
  • आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि गर्भ धारण करने से पहले आपके ब्लड शुगर का स्तर कंट्रोल में आ जाए।
  • जर्मनी खसरा के टीकाकरण को गलती से भी मिस न करें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो इस रोग के संपर्क में आने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा।
  • यदि आपके घर परिवार में किसी को भी यह रोग है, तो प्रयास करें कि आप पेडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट से मिलें और उनसे परामर्श लें।
  • गर्भावस्था के दौरान शराब, धूम्रपान, मादक पदार्थ आदि का सेवन ना करें। इससे दिल में होल का खतरा अधिक हो जाता है।

दिल में छेद (जन्मजात हृदय रोग) का इलाज

दिल में छेद का इलाज उसके प्रकार और गंभीरता के आधार पर किया जाता है। कुछ बच्चों में इस रोग के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और वह समय के साथ अपने आप ठीक भी हो जाते हैं। लेकिन गंभीर मामलों में रोगी को त्वरित उपचार की आवश्यकता पड़ती है। इलाज के लिए निम्न विकल्पों का प्रयोग किया जाता है

  • दवाएं: कम गंभीर मामलों में दवाओं से इलाज किया जा सकता है। इससे हृदय और अधिक कुशलता से कार्य कर पाता है। 
  • इम्प्लांटेबल हार्ट डिवाइस: कई मामलों में पेसमेकर (हृदय दर को नियंत्रित करने वाला यंत्र) की आवश्यकता पड़ती है। इस विकल्प की सहायता से दिल में होल के लक्षणों से लड़ने में मदद मिलती है। 
  • कैथेटराइजेशन तकनीक का प्रयोग: बिना सर्जरी के स्थिति में सुधार के लिए सर्जन इस विकल्प का सुझाव देते हैं। 
  • ओपन हार्ट सर्जरी: कैथेटराइजेशन तकनीक के प्रयोग से स्थिति में सुधार न हो, तो डॉक्टर ओपन हार्ट सर्जरी के विकल्प को चुनते हैं। 
  • हार्ट ट्रांसप्लांट: दिल में होल की स्थिति जब बहुत ज्यादा गंभीर हो जाए और कोई भी विकल्प कारगर साबित न हो, तो हार्ट ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है।

दिल में छेद का निदान गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद संभव है। यदि स्थिति गंभीर नहीं है, तो इस स्थिति का पता तभी चल पाता है, जब बच्चे बड़े हो जाते हैं। दिल में होल के निदान के बाद त्वरित इलाज आवश्यक है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

क्या दिल में छेद ठीक हो सकता है?

हां, दिल में छेद की समस्या ठीक हो सकती है। इसका इलाज सर्जरी या कैथेटर-आधारित हृदय उपचार के माध्यम से किया जा सकता है। पेसमेकर एक मिनिमल इनवेसिव तकनीक है, जिसमें बड़े ऑपरेशन के बिना ही दिल में छेद के लक्षणों से राहत मिल जाती है।

अगर दिल में छेद हो तो क्या करना चाहिए?

यदि आपके या आपके बच्चे के दिल में छेद है, तो सबसे पहले आपको एक विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर आपकी स्थिति का निदान करते हैं और आपको सबसे अच्छे उपचार के विकल्प के बारे में बताते हैं।

क्या बिना सर्जरी के दिल में छेद का इलाज किया जा सकता है?

सामान्यतः दिल में छेद को बंद करने के लिए सर्जरी का सुझाव दिया जाता है। लेकिन वर्तमान में कैथराइजेशन तकनीक के प्रयोग से दिल में छेद का इलाज बिना सर्जरी के संभव है। इस प्रक्रिया की सफलता दर बहुत अच्छी है। अधिक जानकारी के लिए आप हमारे कार्डियोलॉजिस्ट या हृदय रोग विशेषज्ञ से मिल सकते हैं।