एनल फिशर (Anal Fissure) या गुदा विदर, एनल (गुदा) के आसपास दरारे या कट हैं। इस रोग से महिलाएं और पुरुष एक समान रूप से प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन व्यसकों में यह समस्या अधिक आम है। एनल फिशर एक दर्दनाक स्थिति है, जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ इसकी संवेदनशीलता में कमी देखी गई है। मल त्याग के दौरान अत्यधिक दर्द होता है और कभी-कभी मल में रक्त भी आ सकता है।
एनल फिशर (Anal Fissure) या गुदा विदर, एनल (गुदा) के आसपास दरारे या कट हैं। इस रोग से महिलाएं और पुरुष एक समान रूप से प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन व्यसकों में यह समस्या अधिक आम है। एनल फिशर एक दर्दनाक स्थिति है, जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ इसकी संवेदनशीलता में कमी देखी गई है। मल त्याग के दौरान अत्यधिक दर्द होता है और कभी-कभी मल में रक्त भी आ सकता है।
इस ब्लॉग की मदद से आप फिशर के कारण, लक्षण और उपायों के बारे में जानने में सफल हो पाएंगे। गुदा में किसी भी प्रकार की समस्या दिखने पर हमारे गैस्ट्रोलॉजिस्ट विशेषज्ञों से परामर्श लें।
एनल फिशर वह स्थिति है, जिसमें गुदा या एनल में छोटे-छोटे कट या दरार बन जाते हैं। यदि उस कट में दर्द होता है, तो ही उस स्थिति को फिशर कहा जाता है। मुख्य रूप से फिशर गुदा के बाहर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है। फिशर कई कारणों से एक व्यक्ति को परेशान करता है, जिसके बारे में हम इस ब्लॉग में आपको बताने वाले हैं।
इस स्थिति के कारण पेशेंट को इतना दर्द होता है कि वह सहन न कर पाए। मुख्य रूप से यह दर्द गुदा के आस-पास की मांसपेशियों में होता है, जो अक्सर मल त्याग के दौरान अधिक होता है। हालांकि कभी-कभी फिशर के लक्षण बवासीर और फिस्टुला के समान ही लगते हैं, जो भ्रमित कर सकते हैं। चलिए सबसे पहले फिशर के लक्षणों के बारे में जानते हैं।
जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि एनल फिशर के लक्षण बवासीर के लक्षण के समान ही होते हैं। हालांकि दोनों रोगों में ज्यादा अंतर नहीं होता है। एनल फिशर की स्थिति में पेशेंट को निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव होता है -
यह कुछ लक्षण है, जो फिशर की स्थिति का संकेत देते हैं। यदि आपको भी यह लक्षण दिखते हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि जल्द से जल्द गुदा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें या हमसे संपर्क करें।
एनल फिशर की समस्या एक व्यक्ति को कई कारणों से परेशान करती है जैसे -
यह तो कुछ ही कारण हैं। हालांकि एनल फिशर के भी कुछ जोखिम कारक होते हैं, जो इस स्थिति को और भी ज्यादा विकराल बना सकते हैं जैसे -
अधिकांश मामलों में कुछ सप्ताह के भीतर ही एनल फिशर की समस्या अपने आप ही ठीक हो जाती है। हालांकि फिशर के लक्षणों से बचाव के लिए कुछ उपाय या दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है। निम्नलिखित इलाज के विकल्पों की मदद से इस स्थिति का उपचार संभव है -
फिशर के इलाज के बाद स्थिति थोड़ी-थोड़ी ठीक होने लग जाती है। निम्न लक्षणों से इस बात की पुष्टि हो सकती है कि फिशर की समस्या से आराम मिल रहा है -
एनल फिशर असुविधाजनक स्थिति है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि समय पर उचित इलाज के साथ अधिकांश लोग कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाते हैं। हाई फाइबर डाइट और सिट्ज बाथ से स्थिति में काफी सुधार होगा। यदि स्थिति इसके बाद भी ठीक नहीं होती है, तो तुरंत जांच कराएं और इलाज के विभिन्न विकल्पों पर विचार करें। हमेशा याद रखें, त्वरित इलाज इस स्थिति में मददगार साबित होता है।
फिशर को ठीक करने के लिए निम्न उपायों का पालन आप कर सकते हैं -
फिशर में निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है -
फिशर में निम्न खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है -
अधिकांश फिशर के मामलों में पूर्ण रूप से रिकवर होने में 6-8 सप्ताह का समय लगता है। गंभीर मामलों में फिशर को ठीक होने में 12 सप्ताह तक का समय भी लग सकता है।
मुख्य रूप से फिशर तीन प्रकार के होते हैं -
एक्यूट फिशर: इस प्रकार के फिशर को बने हुए ज्यादा समय नहीं होता है और यह अक्सर 6-8 सप्ताह में ठीक भी हो जाता है।
क्रोनिक फिशर: इसमें रोगी को फिशर की समस्या लंबे समय से परेशान करती है। क्रोनिक फिशर के पीड़ित रोगियों को पूर्ण रूप से रिकवर होने में 6 सप्ताह से अधिक का समय लग सकता है।
असामान्य फिशर: यह फिशर का मुख्य प्रकार नहीं है। इसमें फिशर असमान्य स्थान पर बनता है, जो किसी दूसरे स्वास्थ्य स्थिति के आधार से संबंधित होता है।
फिशर में दूध पीने के कई फायदे होते हैं जैसे -
यदि आपको लैक्टोज से एलर्जी है, तो दूध के सेवन से बचें।
Written and Verified by:
Dr. Banshidhar Soni (B D Soni) has about 7-year experience in the field of Gastro-intestinal Surgery and has worked in some of the leading hospitals like Sawai Man Singh Medical College and Hospital, Santokba Durlabhji Memorial Hospital, Jaipur and Army Hospital Research and Referral- Base Hospital Delhi Cantt.
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