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एनल फिस्टुला का स्थाई इलाज

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एनल फिस्टुला का स्थाई इलाज

Gastro Science | Posted on 07/15/2024 by Dr. Saurabh Kalia



एनल फिस्टुला या भगंदर एक गुदा रोग है, जिसमें मलाशय (Rectum) संक्रमित होता है। यदि समय रहते एनल फिस्टुला (Anal Fistula) का इलाज नहीं होता है, तो यह मामूली फोड़ा भविष्य में भयंकर दर्द का कारण बन सकता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह समस्या अधिक प्रभावित करती है। 

फिस्टुला एक ऐसी बीमारी है, जो किसी को भी हो सकती है, लेकिन यह रोग दो लोगों में अधिक आम है। पहले वो जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और दूसरे वो जिनकी उम्र ज्यादा होती है। फिस्टुला की समस्या अत्यधिक असुविधा उत्पन्न कर सकती है, इसलिए इसका जल्दी निदान और इलाज जरूरी है। चलिए इस ब्लॉग से जानते हैं कि इस रोग का स्थाई इलाज क्या है और इससे कैसे बचें?

फिस्टुला क्या है?

सरल शब्दों में कहें तो फिस्टुला (Fistula) एक असामान्य मार्ग या नली है जो शरीर के दो अंगों या ऊतकों को जोड़ती है। इस ब्लॉग में हम एनल फिस्टुला के बारे में बात करने वाले हैं। एनल फिस्टुला एक ऐसी समस्या है जिसमें गुदा नलिका में किसी भी कारणवश संक्रमण हो जाता है। इस संक्रमण के कारण बहुत सारी गुदा नलिकाएं बन जाती है, जिसे भगंदर या एनल फिस्टुला कहा जाता है। 

अधिकतर मामलों में फिस्टुला के होने का कारण गुदा नली में पस का बनना होता है। आमतौर पर यह संक्रमण के कारण होता है, लेकिन इसके अतिरिक्त चोट, सूजन या कुछ चिकित्सा स्थितियों के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कई विकासशील देशों में विशेष रूप से प्रसव के दौरान महिलाएं फिस्टुला का सामना करती हैं, जो कि एक आम जटिलता है। हर साल लगभग 50,000 से 100,000 महिलाएं एनल फिस्टुला से पीड़ित होती हैं।

फिस्टुला के लक्षण

बिना लक्षण को पहचाने उत्तम इलाज प्राप्त करना संभव नहीं है। इसलिए इलाज से पहले लक्षण को पहचाना बहुत ज्यादा जरूरी है। फिस्टुला की स्थिति में रोगी को निम्न लक्षणों में कोई एक या फिर इनके संयोजन का सामना करना पड़ सकता है - 

  • गुदा में या इसके आस-पास बार बार फोड़े होना।
  • संक्रमित क्षेत्र के आसपास दर्द, सूजन और लालिमा।
  • मल त्याग के दौरान दर्द या जलन होना।
  • मल त्याग के दौरान रक्त हानि। 
  • संक्रमित क्षेत्र से बदबू आना और उसमें से रक्त निकलना। 
  • संक्रमित क्षेत्र से पस या मवाद निकलना। 
  • बुखार, ठंड लगना और थकान महसूस होना
  • कब्ज और कभी कभी कब्ज के साथ गुदा में सूजन होना। 

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो जयपुर में गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर के पास जाएं या हमसे परामर्श लें। 

फिस्टुला का उपचार

आमतौर पर एनल फिस्टुला का इलाज इसके आकार और गंभीरता के आधार पर निर्भर करता है। मुख्य रूप से सर्जरी की मदद से स्थिति में काफी हद तक आराम मिल जाता है। सर्जरी की मदद से उस नहर को बंद कर दिया जाता है, जिसके कारण संक्रमण आगे नहीं फैल पाता। वहीं कुछ मामलों में एंटीबायोटिक या ड्रेनेज थेरेपी का भी उपयोग होता है। चलिए सभी इलाज के विकल्पों को एक-एक करके समझते हैं।

फिस्टुला ऑपरेशन

फिस्टुला के इलाज के लिए मुख्य रूप से तीन प्रकार की सर्जरी की जाती है। चलिए तीनों को एक-एक करके समझते हैं - 

  • फिस्टुलौटोमी (Fistulotomy): यह फिस्टुला के लिए सबसे सामान्य सर्जरी है। इस सर्जरी में फिस्टुला के कारण बनने वाले असामान्य रास्ते को काटकर खोल दिया जाता है या फिर बंद कर दिया जाता है। इसके कारण धीरे-धीरे जख्म सूखने लगते हैं और स्थिति से आराम मिल जाता है। 
  • फिस्टुलेक्टोमी(Fistulectomy): यह फिस्टुला ऑपरेशन फिस्टुलौटोमी के बिल्कुल विपरीत है। इसमें फिस्टुला के रास्ते का इलाज नहीं किया जाता है। इसमें उस रास्तों को हटा ही दिया जाता है। हालांकि इस सर्जरी के कुछ जोखिम कारक भी होते हैं, जिसके बारे में हमेशा डॉक्टर से एक बार बात ज़रूर करनी चाहिए। सर्जरी के बाद व्यक्ति को दुरुस्त होने में चार से छह सप्ताह का समय भी लग सकता है। 
  • लेजर ट्रीटमेंट (Laser Treatment): एनल फिस्टुला के इलाज के लिए यह सबसे आधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें किसी भी प्रकार की मांसपेशी को काटा नहीं जाता है। बाकी दोनों सर्जरी के बाद मल त्याग में नियंत्रण की समस्या होती है, लेकिन इस आधुनिक इलाज में ऐसी कोई भी समस्या नहीं होती है। 

इलाज के अन्य विकल्प

फिस्टुला के इलाज के लिए अन्य विकल्पों का सहारा लिया जा सकता है जैसे - 

  • एंटीबायोटिक्स: कम गंभीर मामले या फिर जिन मामलों में सर्जरी की आवश्यकता नहीं है, वहां पर एंटीबायोटिक दवाओं की सहायता ली जा सकती है। 
  • ड्रेनेज थेरेपी: इसमें फिस्टुला से मवाद और बैक्टीरिया को बाहर निकालने के लिए एक ट्यूब या फिर कैथेटर का उपयोग किया जाता है। 

इनमें से किस इलाज के विकल्प का उपयोग होगा, इसका निर्णय रोगी के स्वास्थ्य और जांच के परिणाम के बाद ही होगा।

फिस्टुला से बचाव

हालांकि फिस्टुला का कोई स्थाई इलाज नहीं है। यदि आप अपना खान-पान और जीवनशैली नहीं बदलते हैं, तो यह स्थिति आपको बार-बार परेशान करेगी। इसलिए कुछ उपायों का पालन कर कोई भी व्यक्ति हमेशा के लिए इस समस्या से दूरी बना सकता है - 

  • फाइबर की मात्रा बढ़ाएं: अपने आहार में फल, सब्जियां और होल ग्रेन को जोड़ें। धीरे-धीरे फाइबर का सेवन बढ़ाएं।
  • तरल पदार्थ: खूब सारा पानी, जूस और सूप का सेवन करें। गर्मी और व्यायाम के दौरान तरल पदार्थ का खास ख्याल रखें। लेकिन शराब और कैफीन के सेवन से दूरी बनाएं। 
  • व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें। इसकी मदद से पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
  • मल त्याग: जब भी मल त्याग की इच्छा हो, तो उसे न रोकें। यदि मल त्याग में दिक्कत आए तो भी डॉक्टर से बात करें या फिर अपने आहार में फाइबर की मात्रा को बढ़ाएं और खुद को हाइड्रेट रखें। 

निष्कर्ष

फिस्टुला एक गंभीर स्थिति है, इसलिए जल्द इलाज इस स्थिति से उत्पन्न होने वाली जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। अधिक सटीक इलाज के लिए आप गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं और अपनी इस समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। 

फिस्टुला से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (Faq) 

 

फिस्टुला के ऑपरेशन में कितना खर्चा आता है?

फिस्टुला के ऑपरेशन में लगने वाला खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है। इस स्थिति के कई कारक हैं जैसे - फिस्टुला का स्थान, गंभीरता, ग्रेड, अस्पताल, डॉक्टर का अनुभव, इत्यादि। भारत में फिस्टुला के ऑपरेशन का अनुमानित खर्च लगभग ₹20,000 से ₹1 लाख रुपये तक हो सकता है।

फिस्टुला कितने दिन में ठीक होता है?

फिस्टुला की समस्या को ठीक होने में 4-6 सप्ताह का समय लग सकता है। यह समय कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकता है जैसे - सर्जरी का प्रकार, सर्जरी के दौरान और बाद में उत्पन्न होने वाली जटिलताएं और व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति।

फिस्टुला को कैसे ठीक करें?

फिस्टुला को ठीक करने के लिए मुख्य रूप से सर्जरी की आवश्यकता होती है। हालांकि कुछ मामलों में, एंटीबायोटिक या ड्रेनेज थेरेपी का भी उपयोग किया जा सकता है।

फिस्टुला के जोखिम कारक क्या होते हैं?

फिस्टुला के कई जोखिम कारक हो सकते हैं जैसे - 

  • शुगर
  • धूम्रपान करना
  • शराब पीना
  • मोटापा
  • एचआईवी
  • गुदा में पहले कभी चोट लगना
  • गुदा के आसपास के क्षेत्र में रेडिएशन थेरेपी का होना