एनल फिशर क्या है? जानिए जल्दी राहत पाने के उपाय और डॉक्टर से कब मिलें
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एनल फिशर क्या है? जानिए जल्दी राहत पाने के उपाय और डॉक्टर से कब मिलें

Gastro Science | by Dr. B D Soni on 23/06/2025

Summary

एनल फिशर गुदा की बाहरी त्वचा पर होने वाला एक छोटा कट या दरार है, जो दर्द और खून के साथ जलन और असहजता उत्पन्न करता है। शुरुआती अवस्था में घरेलू उपायों से इसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन लंबे समय तक लक्षण बने रहने पर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

जब हर बार टॉयलेट जाना एक डर और दर्द से भरा एहसास बन जाए, तो यह सिर्फ एक शारीरिक तकलीफ नहीं, बल्कि एक मानसिक पीड़ा भी बन जाती है। यदि आप गुदा में जलन या कटने जैसे दर्द या हर बार मल त्याग के बाद खून दिखने जैसे अनुभव का सामना कर रहे हैं, तो आप इसमें अकेले नहीं है। 

भारत में हर साल लाखों लोग एनल फिशर का सामना करते हैं। एनल फिशर या गुदा विदर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दर्द के साथ-साथ आपके रोजाना का जीवन गंभीर रूप से प्रभावित होता है। अच्छी बात यह है कि एनल फिशर का इलाज संभव है, और शुरुआती स्टेज पर पहचान और सही देखभाल से इसे घर पर ही ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए आपको लक्षणों की पहचान करनी होगी। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे — एनल फिशर क्या होता है, इसके लक्षण, कारण, घरेलू इलाज, और कब डॉक्टर से मिलना जरूरी है। इसके अतिरिक्त गुदा में किसी भी प्रकार की समस्या के लिए आपको जल्द से जल्द एक अनुभवी फिशर सर्जन से मिलने की सलाह हम देंगे। 

एनल फिशर क्या होता है?

एनल फिशर (Anal Fissure) गुदा (एनस) की बाहरी त्वचा पर पड़ा एक छोटा कट या दरार है। इस दरार का निर्माण तब होता है, जब मल त्याग के दौरान अत्यधिक दबाव या सख्त मल गुदा की नाजुक त्वचा पर कट लगा देता है। आमतौर पर, यह फिशर काफी दर्दनाक होता है और इसके साथ खून आना, जलन या खुजली जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

एक स्टडी के अनुसार, एनल फिशर सबसे आम एनोरेक्टल समस्याओं में से एक है, जो हर वर्ष लगभग 10 लाख भारतीयों को प्रभावित करता है।

फिशर दो प्रकार के होते हैं - 

  • तीव्र (Acute) फिशर: यह एक ऐसी समस्या है, जिसने आपको हाल-फिलहाल में काफी परेशान किया है। कुछ ही हफ्तों में घरेलू उपायों से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
  • क्रोनिक (Chronic) फिशर: लंबे समय से परेशान करने वाले फिशर की समस्या को क्रोनिक फिशर कहा जाता है। 6 हफ्तों से अधिक समय तक परेशान करने वाला फिशर क्रोनिक फिशर की सूची में आता है, जिसके इलाज के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट या सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।

एनल फिशर के सामान्य लक्षण

यदि आपको निम्न लक्षणों में से कोई एक भी महसूस हो रहा है, तो यह एनल फिशर का संकेत हो सकता है - 

  • मल त्याग के समय तीव्र जलन और चुभन जैसा दर्द महसूस होना।
  • टॉयलेट पेपर पर खून की हल्की धारियां मौजूद होना।
  • गुदा में खुजली और असहजता महसूस होना।
  • मल त्याग के बाद घंटों तक बना रहने वाला दर्द, जो आपको बैठने या कोई दूसरा काम करने में दिक्कत दे।
  • गुदा क्षेत्र में छोटी गांठ या स्किन टैग होना।

महिलाओं और पुरुषों में लक्षण एक समान ही होते हैं, लेकिन कई बार शिशुओं और प्रेग्नेंट महिलाओं में यह स्थिति ज्यादा देखने को मिलती है।

किन कारणों से होता है एनल फिशर?

एनल फिशर के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम निम्न है - 

  • कब्ज और सख्त मल त्याग होना। गुदा की त्वचा पर दबाव बढ़ता है, जिसके कारण दरार बन जाती है या एनल फिशर हो जाता है।
  • दस्त या बार-बार टॉयलेट जाना। लगातार जलन से गुदा की त्वचा में सूजन होती है, जिसको कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
  • कम फाइबर वाला आहार और पानी की कमी भी हमारे मल को सख्त बना देती है, जिससे बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 
  • गर्भावस्था और डिलीवरी के दौरान जोर लगाना।
  • क्रोहन डिजीज या अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे आंत के रोग की स्थिति में एनल फिशर की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • एनल सेक्स या गुदा में चोट के कारण भी एनल फिशर की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 30% से अधिक लोगों में डाइटरी फाइबर की कमी देखी गई है, जो एनल फिशर का प्रमुख कारण भी है। कई बार देखा गया है कि ट्रीटमेंट के दौरान और बाद में डॉक्टर डाइट में फाइबर की मात्रा को बढ़ाने का सुझाव देते हैं, जो दर्शाता है, कि आपको भी इस तत्व को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

घर पर एनल फिशर से राहत पाने के असरदार उपाय - एनल फिशर ट्रीटमेंट एट होम

फिशर को शुरुआती अवस्था में ही ठीक किया जा सकता है। इन घरेलू उपायों से आपको भी राहत मिल सकती है - 

  • सिट्ज़ बाथ लें: दिन में 2-3 बार गुनगुने पानी में 10-15 मिनट बैठें। यह दर्द, सूजन और जलन को तुरंत कम कर सकता है।
  • फाइबर युक्त आहार लें: दाल, हरी सब्जियां, सेब, पपीता, और ओट्स जैसे खाद्य पदार्थ मल को मुलायम रखते हैं।
  • पानी ज्यादा पिएं: दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीना कब्ज को रोकने में सहायक होता है।
  • प्रोबायोटिक्स खाएं: दही या छाछ पाचन को सुधारते हैं और आंतों को स्वस्थ रखते हैं।
  • टॉपिकल ऑइंटमेंट्स: लिडोकेन या नाइट्रोग्लिसरीन युक्त क्रीम डॉक्टर की सलाह पर लगाने से दर्द और ऐंठन में राहत मिलती है।

एनल फिशर के लिए कब डॉक्टर से मिलना जरूरी है?

फिशर के अधिकतर मामलों में डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है। एक्यूट फिशर की स्थिति में आप घरेलू उपायों पर निर्भर हो सकते हैं, लेकिन क्रोनिक फिशर के मामले में आपको इलाज की आवश्यकता होती है। निम्न स्थितियों में आपको डॉक्टर से ज़रूर मिलना चाहिए - 

  • 6 हफ्तों से अधिक समय तक लक्षण का बने रहना
  • हर बार मल त्याग के दौरान खून आना
  • मल त्याग में अत्यधिक दर्द और कठिनाई होना
  • टॉपिकल क्रीम और घरेलू उपाय काम न करना
  • गर्भावस्था में दर्द या खून का आना

लेजर एनल फिशर ट्रीटमेंट: नया और असरदार समाधान

यदि फिशर क्रोनिक हो चुका है, तो लेजर सर्जरी एक सुरक्षित और तेज उपचार का विकल्प है। इसमें - 

  • 30 मिनट की डे- प्रक्रिया
  • न के बराबर ब्लीडिंग
  • जल्दी रिकवरी (7-10 दिन)
  • न्यूनतम दर्द और कोई टांका नहीं

अब फिशर के इलाज के लिए सभी अस्पतालों में इस प्रक्रिया का उपयोग होता है, क्योंकि इससे समय बहुत बचता है, जो कि अस्पताल और पेशेंट, दोनों को ही लाभ देता है। 

निष्कर्ष: अब दर्द से डरें नहीं, इलाज लें

एनल फिशर एक आम लेकिन नजरअंदाज न करने वाली तकलीफ है, जो सही समय पर इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती है। यदि आप लगातार दर्द, खून या असहजता महसूस कर रहे हैं, तो देर न करें — घरेलू उपायों से शुरू करें, लेकिन यदि लक्षण बने रहें तो किसी प्रोफेशनल डॉक्टर से सलाह लें।

आज ही सही जानकारी और इलाज से अपने दर्द को अलविदा कहें — क्योंकि आप एक बेहतर जीवन के हकदार हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

एनल फिशर कितने दिन में ठीक हो जाता है?

यदि फिशर तीव्र (Acute) है तो घरेलू उपायों से यह 1-2 हफ्तों में ठीक हो सकता है। क्रोनिक मामलों में उपचार में 4-6 सप्ताह तक लग सकते हैं।

क्या एनल फिशर अपने आप ठीक हो सकता है?

हां, यदि सही आहार और हाइजीन का ध्यान रखा जाए, तो फिशर बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकता है। लेकिन लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें। आहार में भी आपको हाइड्रेशन और फाइबर का खास ख्याल रखना है।

एनल फिशर के दौरान कौन से खाद्य पदार्थ खाने से बचना चाहिए?

मसालेदार खाना, बेकरी आइटम्स, शराब, कॉफी, और प्रोसेस्ड फूड से बचें। यह पाचन को बिगाड़ सकते हैं और दर्द बढ़ा सकते हैं।

क्या एनल फिशर बच्चों में भी होता है?

हां, खासकर शिशुओं में यह आम है, जब वह सख्त मल पास करते हैं। इस स्थिति में कोई भी घरेलू उपाय न करें क्योंकि बच्चों का शरीर बडे लोगों के शरीर से अलग होता है। डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।

क्या गर्भावस्था में एनल फिशर होने पर कोई खास सावधानी है?

हाइड्रेटेड रहें, हाई-फाइबर डाइट लें और किसी भी पेन या खून के लक्षण पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। कई बार लेबर के बाद भी फिशर हो सकता है।

Written and Verified by:

Dr. B D Soni

Dr. B D Soni

Consultant Exp: 7 Yr

GastroIntestinal Surgery

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