एनल फिशर गुदा की बाहरी त्वचा पर होने वाला एक छोटा कट या दरार है, जो दर्द और खून के साथ जलन और असहजता उत्पन्न करता है। शुरुआती अवस्था में घरेलू उपायों से इसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन लंबे समय तक लक्षण बने रहने पर डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
जब हर बार टॉयलेट जाना एक डर और दर्द से भरा एहसास बन जाए, तो यह सिर्फ एक शारीरिक तकलीफ नहीं, बल्कि एक मानसिक पीड़ा भी बन जाती है। यदि आप गुदा में जलन या कटने जैसे दर्द या हर बार मल त्याग के बाद खून दिखने जैसे अनुभव का सामना कर रहे हैं, तो आप इसमें अकेले नहीं है।
भारत में हर साल लाखों लोग एनल फिशर का सामना करते हैं। एनल फिशर या गुदा विदर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दर्द के साथ-साथ आपके रोजाना का जीवन गंभीर रूप से प्रभावित होता है। अच्छी बात यह है कि एनल फिशर का इलाज संभव है, और शुरुआती स्टेज पर पहचान और सही देखभाल से इसे घर पर ही ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए आपको लक्षणों की पहचान करनी होगी। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे — एनल फिशर क्या होता है, इसके लक्षण, कारण, घरेलू इलाज, और कब डॉक्टर से मिलना जरूरी है। इसके अतिरिक्त गुदा में किसी भी प्रकार की समस्या के लिए आपको जल्द से जल्द एक अनुभवी फिशर सर्जन से मिलने की सलाह हम देंगे।
एनल फिशर (Anal Fissure) गुदा (एनस) की बाहरी त्वचा पर पड़ा एक छोटा कट या दरार है। इस दरार का निर्माण तब होता है, जब मल त्याग के दौरान अत्यधिक दबाव या सख्त मल गुदा की नाजुक त्वचा पर कट लगा देता है। आमतौर पर, यह फिशर काफी दर्दनाक होता है और इसके साथ खून आना, जलन या खुजली जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
एक स्टडी के अनुसार, एनल फिशर सबसे आम एनोरेक्टल समस्याओं में से एक है, जो हर वर्ष लगभग 10 लाख भारतीयों को प्रभावित करता है।
फिशर दो प्रकार के होते हैं -
यदि आपको निम्न लक्षणों में से कोई एक भी महसूस हो रहा है, तो यह एनल फिशर का संकेत हो सकता है -
महिलाओं और पुरुषों में लक्षण एक समान ही होते हैं, लेकिन कई बार शिशुओं और प्रेग्नेंट महिलाओं में यह स्थिति ज्यादा देखने को मिलती है।
एनल फिशर के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम निम्न है -
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 30% से अधिक लोगों में डाइटरी फाइबर की कमी देखी गई है, जो एनल फिशर का प्रमुख कारण भी है। कई बार देखा गया है कि ट्रीटमेंट के दौरान और बाद में डॉक्टर डाइट में फाइबर की मात्रा को बढ़ाने का सुझाव देते हैं, जो दर्शाता है, कि आपको भी इस तत्व को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
फिशर को शुरुआती अवस्था में ही ठीक किया जा सकता है। इन घरेलू उपायों से आपको भी राहत मिल सकती है -
फिशर के अधिकतर मामलों में डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है। एक्यूट फिशर की स्थिति में आप घरेलू उपायों पर निर्भर हो सकते हैं, लेकिन क्रोनिक फिशर के मामले में आपको इलाज की आवश्यकता होती है। निम्न स्थितियों में आपको डॉक्टर से ज़रूर मिलना चाहिए -
यदि फिशर क्रोनिक हो चुका है, तो लेजर सर्जरी एक सुरक्षित और तेज उपचार का विकल्प है। इसमें -
अब फिशर के इलाज के लिए सभी अस्पतालों में इस प्रक्रिया का उपयोग होता है, क्योंकि इससे समय बहुत बचता है, जो कि अस्पताल और पेशेंट, दोनों को ही लाभ देता है।
एनल फिशर एक आम लेकिन नजरअंदाज न करने वाली तकलीफ है, जो सही समय पर इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती है। यदि आप लगातार दर्द, खून या असहजता महसूस कर रहे हैं, तो देर न करें — घरेलू उपायों से शुरू करें, लेकिन यदि लक्षण बने रहें तो किसी प्रोफेशनल डॉक्टर से सलाह लें।
आज ही सही जानकारी और इलाज से अपने दर्द को अलविदा कहें — क्योंकि आप एक बेहतर जीवन के हकदार हैं।
यदि फिशर तीव्र (Acute) है तो घरेलू उपायों से यह 1-2 हफ्तों में ठीक हो सकता है। क्रोनिक मामलों में उपचार में 4-6 सप्ताह तक लग सकते हैं।
हां, यदि सही आहार और हाइजीन का ध्यान रखा जाए, तो फिशर बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकता है। लेकिन लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें। आहार में भी आपको हाइड्रेशन और फाइबर का खास ख्याल रखना है।
मसालेदार खाना, बेकरी आइटम्स, शराब, कॉफी, और प्रोसेस्ड फूड से बचें। यह पाचन को बिगाड़ सकते हैं और दर्द बढ़ा सकते हैं।
हां, खासकर शिशुओं में यह आम है, जब वह सख्त मल पास करते हैं। इस स्थिति में कोई भी घरेलू उपाय न करें क्योंकि बच्चों का शरीर बडे लोगों के शरीर से अलग होता है। डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
हाइड्रेटेड रहें, हाई-फाइबर डाइट लें और किसी भी पेन या खून के लक्षण पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। कई बार लेबर के बाद भी फिशर हो सकता है।
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