क्या महिलाएं थायराइड से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं?
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क्या महिलाएं थायराइड से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं?

Summary

वर्तमान में थायराइड रोग की समस्या बहुत फैल रही है। इस रोग के कारण वजन तेजी से घटता है, जो शरीर में हार्मोन की गड़बड़ी का मुख्य कारण है। थायराइड गर्दन में मौजूद एक ग्लैंड है, जो इसके हार्मोन का निर्माण करता है। थायराइड रोग पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है।

वर्तमान में थायराइड रोग की समस्या बहुत फैल रही है। इस रोग के कारण वजन तेजी से घटता है, जो शरीर में हार्मोन की गड़बड़ी का मुख्य कारण है। थायराइड गर्दन में मौजूद एक ग्लैंड है, जो इसके हार्मोन का निर्माण करता है। थायराइड रोग पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। इसके इलाज के लिए आप हमारे एंडोक्राइनोलॉजिस्ट विशेषज्ञ (थायराइड के इलाज करने वाले विशेषज्ञ) से परामर्श कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कि थायराइड के लक्षण, कारण, इलाज और इससे बचने के लिए सही डाइट प्लान क्या है?

थायराइड क्या है?

थायराइड एक एंडोक्राइन ग्लैंड है, जिससे ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी 3) और थायरोक्सिन (टी 4) नामक दो हार्मोन का निर्माण होता है। थायराइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) इन हार्मोन के निर्माण और स्राव के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह ग्लैंड कई कार्यों के लिए जाने जाता है जैसे - 

  • शरीर में वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को नियंत्रित करना
  • रक्त में शुगर, कोलेस्ट्रॉल तथा फोस्फोलिपिड की मात्रा को भी कम करने में मदद करना
  • हड्डियों और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना 
  • हृदय गति और ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखना
  • महिलाओं में दुग्ध स्राव को बढ़ाना

जब शरीर थायराइड ग्लैंड का निर्माण कम या ज्यादा करता है, तो थायराइड की समस्‍या उत्‍पन्‍न होने लगती है। वैश्विक स्‍तर पर यह प्रमाणित है कि पुरुषों से ज्यादा महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आती हैं। अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के अनुसार हर आठ में से एक महिला अपने जीवनकाल में कभी न कभी थायराइड की समस्या से परेशान होती हैं। 

थायराइड के लक्षण

थायराइड के लक्षणों को जानने से पहले आपको यह जानना होगा कि यह कितने प्रकार के होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लक्षण इसके प्रकार पर निर्भर करते हैं। मुख्य रूप से थायराइड दो प्रकार के होते हैं:- 

  • हाइपरथायराइड - इस स्थिति में अत्यधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होता है। 
  • हाइपोथायराइड - इस स्थिति में थायराइड हार्मोन की मात्रा बहुत कम होती है। 

हाइपरथायरायडिज्म की तुलना में हाइपोथायरायडिज्म कहीं अधिक प्रभावकारी रोग है। जिन महिलाओं की उम्र 50 से अधिक होती है, उन्हें यह रोग होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जहां महिलाओं को इस रोग के बारे में पता ही नहीं चलता है, लेकिन फिर भी कुछ लक्षण उत्पन्न होते हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने वाले हैं। 

दोनों ही स्थितियों में महिलाएं अलग-अलग लक्षणों का सामना करती हैं। चलिए एक टेबल की सहायता से थायराइड के लक्षणों को समझते हैं - 

हाइपरथायराइड में उत्पन्न होने वाले लक्षण

हाइपोथायराइड में उत्पन्न होने वाले लक्षण

व्यवहार में बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन 

डिप्रेशन या अवसाद

घबराहट 

बालों के झड़ने की समस्या में वृद्धि

ज्यादा पसीना आना

पसीना कम आना

दिल की धड़कन में तेजी

दिल की धड़कन का धीमा होना

नींद की समस्या और अचानक बिना किसी मेहनत के वजन कम होना

आंखों या चेहरे पर सूजन और याद रखने में समस्या आना

ज्यादा भूख लगना

थकान महसूस होना।

मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द का लगातार बने रहना

ज्वाइंट पेन और मांसपेशियों में अकड़न

इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थितियों का अनुभव करने वाली महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए - 

  • खून की कमी
  • गोइटर
  • टाइप 1 डायबिटीज

प्रेगनेंसी के दौरान या फिर इस संबंध में विचार करने वाली महिलाओं को समय समय पर थायराइड की जांच करानी चाहिए। 

थायराइड के कारण

पुरुषों के मुकाबले महिलाएं थायराइड की समस्या से ज्यादा परेशान होती हैं। इसके कई कारण हैं, जिनमें से प्रमुख कारणों को नीचे समझाया गया है -

  • जेनेटिक: थायराइड की समस्या जेनेटिकली परिवार में चलती है। यदि घर परिवार में किसी को भी थायराइड की समस्या है, तो आपको भी यह रोग परेशान कर सकता है। 
  • प्रेगनेंसी: प्रेगनेंसी के दौरान इस रोग के होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान थायराइड ग्लैंड शरीर में पर्याप्त हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण थायराइड होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। 
  • मेनोपॉज: मेनोपॉज की स्थिति में महिलाओं के शरीर में हार्मोन का असंतुलन होता है। इससे थायराइड रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • अन्य स्वास्थ्य समस्याएं: कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जैसे टाइप 1 डायबिटीज और रूमेटोइड आर्थरटीज (गठिया) महिलाओं में थायराइड की समस्या को बढ़ा सकता है। 

अन्य कारण

  • ग्रेव्स डिजीज: यह प्रतिरक्षा प्रणाली का एक विकार है, जिसके कारण शरीर में हार्मोन का उत्पादन बहुत तेजी से होता है। 
  • थायराइड ग्लैंड में गांठ: थायराइड ग्लैंड पर गैर-कैंसरयुक्त गांठ भी हार्मोन के अधिक मात्रा में उत्पादन का मुख्य कारण है। 
  • आयोडीन का अधिक सेवन: थायराइड ग्लैंड के उत्पादन और शरीर में प्रवाह में आयोडीन मुख्य किरदार निभाता है। हालांकि, आयोडीन के अधिक सेवन से हाइपरथायराइडिज्‍म की समस्या व्यक्ति को परेशान कर सकती है। 
  • विटामिन बी 12: विटामिन बी 12 के कारण भी थायराइड की समस्या हो सकती है। 

थायराइड के लिए घरेलू उपचार या डाइट प्लान क्या है? 

थायराइड के इलाज के लिए डॉक्टर डाइट में कुछ बदलाव करने का सुझाव देते हैं। यदि स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर है तो वह डाइट प्लान के साथ साथ कुछ दवाओं का सुझाव भी दे सकते हैं। डॉक्टर निम्न डाइट प्लान का सुझाव दे सकते हैं - 

  • अपने आहार में फलों और सब्जियों की मात्रा को बढ़ाएं।
  • आयोडीन युक्त आहार लें, लेकिन एक सीमित मात्रा तक ही इसका सेवन करें। 
  • उन होल ग्रेन को अपने आहार में जोड़ें जिससे आपको प्रोटीन और फाइबर की मात्रा भरपूर मिले। 
  • कम फैट/वसा वाले भोजन को अपने आहार में जोड़ें।
  • दूध और दही के सेवन को बढ़ावा दें। 
  • अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन-डी से युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें। 

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य घरेलू उपचार हैं, जिनका पालन करने से लाभ मिल सकता है जैसे - 

  • थायराइड रोग के इलाज के लिए सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीने से लाभ मिलेगा। 
  • हरा धनिया थायराइड के इलाज में बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। इसका सेवन आप अलग-अलग तरीकों से कर सकते हैं।
  • नारियल पानी थायराइड को नियंत्रित करने में बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है। हर रोज या फिर हर दूसरे दिन नारियल पानी के सेवन से राहत मिलेगी। 
  • हल्दी में एक करक्यूमिन नामक तत्व है, जो थायराइड को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है। 
  • तुलसी और एलोवेरा जूस का मिश्रण थायराइड रोग को नियंत्रित करने में लाभकारी साबित हो सकता है। 

निष्कर्ष

थायराइड पुरुष और महिलाओं दोनों को ही प्रभावित करता है, लेकिन महिलाओं में यह समस्या बहुत ज्यादा आम है। जिन महिलाओं की उम्र 35 या उससे अधिक है, उन्हें सलाह दी जाती है कि वह हर पांच से छह माह में थायराइड की जांच कराएं। इससे वह अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रह सकती हैं और थायराइड की समस्या से भी दूर रह सकती है। यदि आप भी थायराइड से परेशान हैं या फिर इस संबंध में चिंतित हैं तो हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से मिलें और सही समय पर उत्तम इलाज प्राप्त करें। जीवनशैली में बदलाव के साथ समय पर दवाएं और हेल्थ चेकअप थायराइड को नियंत्रित करने में कारगर हैं। 

थायराइड से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

थायराइड की जांच कैसे होती है?

टीएसएच परीक्षण एक ब्लड टेस्ट है, जिससे आपके शरीर में थायराइड के स्तर की जांच हो पाती है। इस परीक्षण के द्वारा शरीर में हर प्रकार के थायराइड की जांच सरलता से हो जाती है।

शरीर का कौन सा अंग थायराइड को प्रभावित करता है?

थायराइड का प्रभाव लगभग सभी अंग पर पड़ता है। मुख्य रूप से हृदय, सेंट्रल नर्वस सिस्टम, हड्डी, और पाचन तंत्र इस रोग से प्रभावित होते हैं।

थायराइड कहाँ स्थित होता है?

थायराइड एक छोटा, तितली के आकार का ग्लैंड है। यह व्यक्ति के गर्दन के सामने, एडम्स एप्पल के ठीक नीचे स्थित होता है।

Written and Verified by:

Dr. Ankur Gahlot

Dr. Ankur Gahlot

Additional Director Exp: 16 Yr

Diabetes & Endocrinology

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