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महिलाओं में थायराइड के लक्षण

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महिलाओं में थायराइड के लक्षण

Diabetes and Endocrine Sciences | Posted on 02/06/2023 by Dr. Abhinav Kumar Gupta



जब थायराइड हार्मोन यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन या थायरॉक्सिन में असंतुलन या उतार-चढ़ाव होता है, तो उस स्थिति को मेडिकल भाषा में थायराइड रोग कहते हैं। वर्तमान में यह समस्या तेजी से फैल रही है। थायराइड रोग पुरुष और महिला दोनों को ही प्रभावित कर रही है, लेकिन पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है।

चलिए इस ब्लॉग से हम महिलाओं में थायराइड के लक्षणों के बारे में जानते हैं, जिससे आप त्वरित इलाज प्राप्त कर पाए। लेकिन एक बात का खास ख्याल रखें कि इस ब्लॉग में लिखी गई सारी जानकारी एक सामान्य जानकारी है।

थायराइड क्या है?

सबसे पहले समझते हैं कि थायराइड क्या है? गर्दन के निचले भाग में स्थित तितली के जैसी ग्लैंड को मेडिकल भाषा में थायराइड कहते हैं। इसका काम शरीर की ढेरों आवश्यक गतिविधियों को कंट्रोल करना है जैसे कि भोजन को ऊर्जा में बदलना आदि।

थायराइड ग्लैंड ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) हार्मोन का निर्माण करती है। इन दोनों हार्मोन को आम बोलचाल की भाषा में थायराइड हार्मोन कहा जाता है। टी3 और टी4 हार्मोन का काम शरीर की अनेक गतिविधियों को कंट्रोल करना है।

यह हार्मोन कैलोरी खपत को कंट्रोल करके वजन को घटने या बढ़ने में मदद करते हैं। दिल की धड़कन को तेज या धीमा करके उनकी गति को कंट्रोल करते हैं और शरीर का तापमान कम या अधिक करके उसके तापमान को नियंत्रण में रखते हैं तथा मांसपेशियों के सिकुड़ने की गतिविधि को भी नियंत्रित करते हैं।

थायराइड कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्य रूप से थायराइड दो प्रकार के होते हैं - 

  • हाइपरथायराइड
  • हाइपोथायराइड

हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड हार्मोन का निर्माण अधिक मात्रा में होता है और हाइपोथायरायडिज्म में हार्मोन का उत्पादन कम होता है। जब भी हमारे शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है, तो हमारे शरीर के वजन में भी काफी उतार चढ़ाव देखने को मिलता है। जिससे थायराइड की समस्या उत्पन्न होती है। 

महिलाओं में थायराइड बढ़ने से क्या होता है?

इससे पहले यह समझना होगा कि महिलाओं में थायराइड क्यों होता है? महिलाओं में थायराइड के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे वायरल संक्रमण की चपेट में आना, लंबे समय तक तनाव यानी स्ट्रेस में रहना, डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव आना, शरीर में आयोडीन की कमी होना, और महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होना आदि। यह कारणों के साथ-साथ जोखिम कारक भी है। महिलाओं में थायराइड बढ़ने से गर्दन में सूजन, दर्द, और सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके साथ-साथ कई बार महिलाओं का प्रजनन चक्र भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है।

महिलाओं में थायराइड के लक्षण 

थायराइड रोग से जूझ रही महिला खुद में अनेक लक्षणों का अनुभव करती है, जिसकी मदद से उसे या डॉक्टर को इस बात का अंदाजा हो सकता है कि वह थायराइड रोग से परेशान है। चूँकि थायराइड ग्लैंड में थायराइड हार्मोन का निर्माण आवश्यकता से अधिक बढ़ या घट जाता है, ऐसे में इसके लक्षण अलग-लग हो सकते हैं।

हाइपोथायराइडिज्म से पीड़ित महिलाओं में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

  • वजन बढ़ना यानी मोटापा होना
  • आवाज भारी होना
  • त्वचा का सूखना
  • बालों का मोटा होना
  • कब्ज की शिकायत होना
  • हेवी मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग
  • दिल की धड़कन का धीमा होना
  • रक्त कोलेस्टेरोल का स्तर बढ़ना
  • कमजोरी और थकान महसूस करना
  • ठंड को सहन करने की क्षमता कम होना
  • कुछ मामलों में डिप्रेशन यानी अवसाद होना
  • याददाश्त कमजोर होना यानी चीजें याद नहीं रहना
  • मांसपेशियों का कोमल या कठोर होना और उसमें दर्द होना

हाइपोथायरायडिज्म की तरह ही हाइपरथायरायडिज्म के भी कुछ महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं जैसे - 

  • वजन कम होना
  • तनाव महसूस होना
  • थायराइड ग्लैंड का आकार बढ़ना
  • घबराहट और चिड़चिड़ापन होना
  • मासिक धर्म अनियमित होना या बंद हो जाना
  • आंखों में जलन और दृष्टि संबंधित समस्या होना
  • सोने में परेशानी होना या पूर्ण रूप से नींद नहीं आना

ध्यान रखने वाली बात यह है कि कुछ मामलों में ऊपर दिए गए लक्षण अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के कारण भी हो सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि यदि आप खुद में इन लक्षणों को अनुभव करती हैं, तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें। 

जांच की मदद से डॉक्टर आपके लक्षणों के सटीक कारण की पुष्टि कर उचित उपचार प्रदान कर सकते हैं। साथ ही, उसके कारण उत्पन्न होने वाली अन्य समस्याओं का खतरा कम कर सकते हैं।

महिलाओं में थायराइड कैंसर के लक्षण

बहुत ही कम मामलों में थायराइड की समस्या कैंसर का रूप लेती है। ऐसा अक्सर तब होता है जब डीएनए में कुछ परिवर्तन होता है। हालांकि इस स्थिति के बारे में भी लोगों को पता होना चाहिए। महिलाओं में थायराइड कैंसर के निम्नलिखित लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • गर्दन पर गांठ महसूस होना
  • आवाज में बदलाव
  • खाना निगलने में परेशानी होना
  • गर्दन और गले में दर्द
  • गर्दन में लिम्फ नोड्स में सूजन 
  • खांसी

इन लक्षणों के महसूस होने पर तुरंत एक अनुभवी डॉक्टर से परामर्श लें।

महिलाओं में थायराइड कितना होना चाहिए

थायराइड की नार्मल रेंज महिलाओं और पुरुषों में एक समान ही होती है। दोनों में ही नार्मल रेंज 0.4 mU/L से 4.0 mU/L के बीच होती है। नॉर्मल रेंज में फर्क सिर्फ उम्र का होता है। 18 से 50 साल के लोगों में थायराइड का स्तर करीब 0.5 – 4.1 mU/L के बीच होना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ 51-70 साल के लोगों में में यह स्तर 0.5 से 4.5 mU/L के करीब होना चाहिए।

थायराइड से जुड़ी समस्याएं

जब थायराइड ग्लैंड ज़रूरत से कम या अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लगता है, तो थायराइड से जुड़ी समस्याएं पैदा होती हैं। ऐसा होने पर शरीर के काम करने का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके अलावा, थायराइड ग्लैंड में कैंसर वाली कोशिकाएं बनने या सूजन होने के कारण हार्मोन में असंतुलन हो जाता है।

जिसके कारण हाइपरथायराइडिज्म, हाइपोथायराइडिज्म और थाइराइड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड ग्लैंड अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जिसके कारण अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होने लगता है। हालांकि, हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड ग्लैंड से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होता है।

थायराइड कैंसर एंडोक्राइन कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है। उत्तक के आधार पर थायराइड कैंसर को दो भागों में बांटा जा सकता है। इसमें डिफ्रेंशियल थायराइड कैंसर और एनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर शामिल हैं।

महिलाओं में थायराइड के दुष्प्रभाव

थायराइड रोग से जूझ रही महिला की समग्र स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। थायराइड रोग के कारण महिला का यौवन या मासिक धर्म समय से जल्दी या बहुत देरी से आ सकता है। हाइपरथायराइडिज्म या हाइपोथायराइडिज्म ओवुलेशन को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ मामलों में यह ओवुलेशन को पूर्ण रूप से बंद भी कर सकते हैं। 

अंडाशय से अंडा रिलीज होकर फैलोपियन ट्यूब में जाने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते हैं। थायराइड रोग के कारण ओवरी यानी अंडाशय में सिस्ट बन सकते हैं, गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। थायराइड हार्मोन की कमी के कारण गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी, स्टिलबर्थ यानी डिलीवरी से पहले शिशु की मृत्यु होना, पोस्टपार्टम हेमरेज आदि का खतरा भी बढ़ जाता है।

विशेषज्ञ का यह भी मानना है कि थायराइड रोग के कारण 40 वर्ष से पहले मेनोपॉज आ सकता है। इतना ही नहीं, थायराइड हार्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण हल्का या हेवी मासिक धर्म, अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म नहीं आना (एमेनोरिया) आदि की समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।

थायराइड कैसे ठीक होता है?

थायराइड रोग के इलाज के लिए डॉक्टर सबसे पहले उसके स्तर को सामान्य करने का सुझाव देते हैं। ऐसा करने के विभिन्न कारण होते हैं। थायराइड को ठीक करने के लिए निम्नलिखित इलाज के विकल्पों पर विचार किया जा सकता है - 

  • एंटी-थायराइड दवाएं जैसे मेथिमाज़ोल और प्रोपाइलथियोरासिल
  • रेडियोधर्मी आयोडीन 
  • बीटा ब्लॉकर्स थायराइड के स्तर को कम करने के साथ साथ लक्षणों से भी आराम दिलाने में मदद करता है। 
  • सर्जरी

निदान के परिणाम के आधार पर ही डॉक्टर इलाज के विकल्प का सुझाव देते हैं। इसलिए लक्षणों के अनुभव होते ही डॉक्टर से परामर्श लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

महिलाओं में थायराइड बढ़ने से क्या होता है?

महिलाओं में थायराइड बढ़ने के कारण उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि थायराइड ग्लैंड का आकार बढ़ना, वजन कम होना, घबराहट और चिड़चिड़ापन होना, तनाव महसूस करना, नींद सोने में दिक्कतें आना और आंखों में जलन होना आदि।

थायराइड ठीक होने में कितना समय लगता है?

इसका सटीक जवाब देना मुश्किल है, क्योंकि यह पूरी तरह से थायराइड रोग के प्रकार, गंभीरता, महिला की उम्र और समग्र स्वास्थ्य, उपचार के प्रकार आदि पर निर्भर करता है।

थायराइड में वजन कैसे बढ़ाएं?

थायराइड में वजन बढ़ाने के लिए मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त करना होगा। इसके लिए, नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें। व्यायाम से शरीर में कैलोरी बर्न होगी जिससे वजन कम होने वह जाएगा। अपने आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा की संतुलित मात्रा अवश्य रखें।

थायराइड टेस्ट कैसे होता है?

थायराइड टेस्ट में रक्त परीक्षण होता है, जो थायराइड ग्लैंड के द्वारा उत्पादित हार्मोन के स्तर को रक्त में मापता है। इस टेस्ट के लिए, आपको डॉक्टर के कार्यालय में अपना ब्लड सैंपल देना होगा। 

थायराइड टेस्ट कब करना चाहिए?

थायराइड टेस्ट तब करना चाहिए जब आप थायराइड से संबंधित लक्षणों का सामना करें, जैसे अचानक वजन बढ़ना या घटना, थकान, बालों का झड़ना, ठंड लगना, या कब्ज। थायराइड टेस्ट गर्भावस्था, प्रसव के बाद, या किसी अन्य हार्मोनल परिवर्तन के दौरान भी किया जा सकता है।

थायराइड जल्दी ठीक कैसे करें?

थायराइड जल्द-जल्द ठीक हो सकता है। इसके लिए आपको एक विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए और उनके निर्देशों का पालन कड़ाई से करना चाहिए। हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड हार्मोन की दवा दी जाती है। वहीं हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने वाली दवा दी जाती है।

थायराइड किसके कारण होता है?

हाइपोथायरायडिज्म की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब थायराइड ग्लैंड पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। वहीं दूसरी तरफ हाइपरथायरायडिज्म की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब थायराइड ग्लैंड बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है।

कौन सा थायराइड खतरनाक है?

सामान्यतः थायराइड के सभी प्रकार रोगी के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। लेकिन हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति थोड़ी अधिक खतरनाक होती है, क्योंकि इसमें हृदय की समस्याएं, स्ट्रोक, और हड्डी का द्रव्यमान कम हो सकती है।