महिलाओं को पुरुषों की तुलना में घुटने की समस्या अधिक क्यों होती है?
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महिलाओं को पुरुषों की तुलना में घुटने की समस्या अधिक क्यों होती है?

Summary

महिलाओं को पुरुषों की तुलना में घुटने की समस्या अधिक होती है, इसके पीछे शारीरिक संरचना, हार्मोनल बदलाव और चलने के तरीके जैसे कारण जिम्मेदार है। इस ब्लॉग में घुटने के दर्द से बचने के उपायों और उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी आपको मिल जाएगी।

यदि आप इस ब्लॉग के विषय को पढ़कर सोच रहे हैं कि यह सच है या नहीं, तो इस बात का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि महिलाओं में घुटने के दर्द और विशेष रूप से घुटने की चोटों से पीड़ित होने की संभावना पुरुषों की तुलना में 2 से 8 गुना अधिक होती है। यह आंकड़ा नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन रिसर्च के द्वारा प्रकाशित है, इसलिए इसे नकारा नहीं जा सकता है। हालांकि इसके कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें हम इस ब्लॉग में समझने वाले हैं।

लेकिन इससे पहले आपको समझना होगा कि महिलाओं में घुटने का दर्द कोई सामान्य स्थिति नहीं है। यदि किसी को भी घुटने में बार-बार दर्द होता है, और लगातार होता है, तो तुरंत एक अनुभवी एवं सर्वश्रेष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ से मिलें और इलाज लें।

महिलाओं में घुटने का दर्द पुरुषों की तुलना अधिक क्यों होता है?

कई कारण हैं, जो बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को घुटने में दर्द और चोट का सामना अधिक करना पड़ता है। चलिए सभी कारणों को एक-एक करके समझते हैं - 

  • शारीरिक बनावट: महिलाओं और पुरुषों का शरीर अलग-अलग होता है। उदाहरण के तौर पर देखें तो महिलाओं के कूल्हे आमतौर पर चौड़े होते हैं, जिसके कारण क्यू-एंगल (कूल्हे और घुटने के बीच का कोण) अधिक होता है। इससे चलते समय घुटने पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे घुटने में दर्द अधिक होता है। यह एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (ACL) के फटने का कारण भी बन सकता है। 
  • हार्मोनल परिवर्तन: हार्मोन में उतार-चढ़ाव महिलाओं में घुटने के दर्द की अधिक घटनाओं में योगदान करता है। उम्र के साथ महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर पीरियड साइकिल के अनुसार बदलता रहता है। इस हार्मोन के कारण लिगामेंट की शिथिलता प्रभावित होती है, जिससे जोड़ों की चोट का जोखिम भी कई गुना बढ़ जाता है। 
  • चलने का तरीका: अक्सर शारीरिक बनावट के कारण महिलाओं के चलने का तरीका थोड़ा अलग ही होता है, जिसके कारण महिलाओं के जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त महिलाओं का वजन, बीएमआई, बेचैनी और कमजोरी महिलाओं की चाल को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारक है, जिससे घुटने के दर्द और ऑस्टियोआर्थराइटिस और पेटेलोफीमोरल पेन सिंड्रोम जैसी संबंधित स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
  • जूतों का चयन: कई महिलाएं हाई हील्स का शौक रखती हैं, जिससे उनके घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जो कि इस समस्या का एक और मुख्य कारण है।

इसके अतिरिक्त प्रेगनेंसी भी घुटने में दर्द का एक मुख्य कारण होता है, जिसके बारे में हम नीचे बताने वाले हैं।

प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के दौरान घुटने की समस्याएं

प्रेगनेंसी के दौरान, वजन बढ़ना और हार्मोनल परिवर्तन, विशेष रूप से हार्मोन में बदलाव के दौरान घुटनों के आस-पास के लिगामेंट को ढीला कर देता है, जिससे अस्थिरता और तनाव की स्थिति बनी रहती है। प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में अतिरिक्त वजन बढ़ता है, जिसके कारण घुटने के जोड़ों पर अतिरिक्त तनाव पड़ता है, जिससे दर्द होता है। वहीं मेनोपॉज के दौरान, एस्ट्रोजन में कमी से लिगामेंट और उपास्थि (कार्टिलेज) भी कमजोर हो सकते हैं, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस और घुटने की चोटों का खतरा बढ़ जाता है।

घुटने की समस्याओं से बचने के आसान उपाय

यदि आप भी घुटने में समस्या का सामना कर रहे हैं, तो इससे बचने के कुछ आसान उपाय हैं, जिनका पालन आप आसानी से कर सकते हैं जैसे कि - 

  • स्वस्थ बीएमआई बनाए रखें: यदि आप स्वस्थ बीएमआई बनाए रखते हैं, तो आप घुटने पर अतिरिक्त और अनावश्यक तनाव को आसानी से कम कर सकते हैं और जोड़ों को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।
  • उचित जूते चुनें: ऐसे जूते पहनें, जो पर्याप्त सहारा दें, खासकर यदि आपका पैर में प्रोनेशन या सुपिनेशन की समस्या है। ऊँची एड़ी के जूते पहनने से बचें, क्योंकि यह घुटनों पर अतिरिक्त तनाव डाल सकते हैं।
  • कम प्रभाव वाले व्यायाम करें: स्विमिंग, साइकिल चलाना, योग जैसी कम प्रभाव वाली गतिविधियों को करें या जोड़ पर ज्यादा दबाव डाले बिना घुटने के आस-पास की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए ऐसे मशीन का उपयोग करें, जिससे आपको अपने पैर पर अधिक जोर न लगाना पड़े। इसके अतिरिक्त आप ऐसे खेलों से भी बचें, जिनमें घुटनों पर अधिक जोर लगाना पड़ता है। 
  • हैमस्ट्रिंग और क्वाड्रिसेप्स को मजबूत करें: ऐसे व्यायामों पर ध्यान दें, जो आपके हैमस्ट्रिंग और क्वाड्रिसेप्स दोनों को मजबूत करें, क्योंकि इससे घुटने के आस-पास की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
  • ठीक से वार्म अप और स्ट्रेच करें: सुनिश्चित करें कि आप व्यायाम से पहले वार्म अप करें और बाद में मांसपेशियों और लिगामेंट में लचीलापन बनाए रखें, जिससे चोट लगने का खतरा भी कम हो जाता है।
  • सही मुद्रा बनाए रखें: खड़े होने या बैठने के दौरान सही पोस्चर शरीर के वजन को समान रूप से वितरित करने में मदद करती है, जिससे घुटनों पर तनाव कम होता है।
  • शक्ति प्रशिक्षण शामिल करें: हड्डियों को मजबूत करने के लिए आप अपने व्यायाम के रूटीन में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को भी जोड़ सकते हैं। 

निष्कर्ष

महिलाओं में घुटने की समस्याएं कई कारणों से हो सकती है। इससे बचने के लिए उचित जूते पहनना, स्वस्थ वजन बनाए रखें और कम प्रभाव वाले व्यायाम करें, जिससे आपको घुटने में दर्द से आराम निश्चित रूप से मिलेगा। प्रभावी उपचार और प्रबंधन के लिए समय पर हस्तक्षेप और चिकित्सा सलाह महत्वपूर्ण है। यदि अधिक समस्या हो, तो तुरंत अनुभवी हड्डी रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गलत जूते पहनने से घुटने की समस्या कैसे बढ़ जाती हैं?

गलत जूते पहनने से सिर्फ घुटने की समस्या के साथ-साथ पैरों में भी दिक्कत होने लगती है। जो जूते ठीक से फिट नहीं होते हैं या जिनमें उचित आर्च सपोर्ट नहीं होता है, तो वह आपके शरीर के अलग-अलग भाग को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

महिलाओं को ऑस्टियोआर्थराइटिस का अधिक जोखिम क्यों होता है?

महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिसके कारण अधिक जोखिम भी होता है, खासकर मेनोपॉज के बाद यह समस्या अधिक प्रभावी हो जाती है। इसके कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या भी अधिक हो सकती है।

क्या महिलाओं में घुटने का दर्द उम्र के साथ बढ़ता है?

हां, जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, मांसपेशियों में कमी, कार्टिलेज का नुकसान और हार्मोनल परिवर्तन जैसे कारकों के कारण घुटने के दर्द का जोखिम भी बढ़ जाता है।

महिलाओं के घुटने के स्वास्थ्य के लिए कौन से पोषक तत्व महत्वपूर्ण है?

कैल्शियम, विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व मजबूत हड्डियों और स्वस्थ जोड़ों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। 

क्या महिलाओं में घुटने की समस्याएं आनुवंशिक (जेनेटिक) हो सकती हैं?

हां, आनुवांशिक कारक घुटने की समस्याओं में योगदान कर सकते हैं। यदि महिलाओं के परिवार में ऑस्टियोआर्थराइटिस या लिगामेंट की चोटों जैसी स्थितियों की फैमिली हिस्ट्री होती है, तो इससे अधिक समस्या उत्पन्न हो सकती हैं।

Written and Verified by:

Dr. Ekshit Agarwal

Dr. Ekshit Agarwal

Consultant Exp: 5 Yr

Orthopedics & Joint Replacement

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Dr. Ekshit Agarwal is a Consultant in Orthopaedics & Joint Replacement Dept. at CK Birla Hospital, Jaipur, with over 5 years of experience. He specializes in hip, knee & shoulder joint replacement, complex trauma of upper & lower limbs, and managing sports injuries.

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