प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण, कारण, उपचार और परहेज
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प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण, कारण, उपचार और परहेज

Summary

प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। इजेक्यूलेशन के दौरान शुक्राणुओं को ले जाने वाले तरल पदार्थ का निर्माण प्रोस्टेट ग्लैंड में होता है। एनलार्ज्ड प्रोस्टेट का अर्थ यह है कि ग्लैंड का आकार बढ़ गया है। सामान्यतौर पर उम्र बढ़ने के साथ ज़्यादातर पुरुषों में प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या देखी जाती है।

प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। इजेक्यूलेशन के दौरान शुक्राणुओं को ले जाने वाले तरल पदार्थ का निर्माण प्रोस्टेट ग्लैंड में होता है। एनलार्ज्ड प्रोस्टेट का अर्थ यह है कि ग्लैंड का आकार बढ़ गया है। सामान्यतौर पर उम्र बढ़ने के साथ ज़्यादातर पुरुषों में प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या देखी जाती है।

बढ़े हुए प्रोस्टेट को चिकित्सा भाषा में बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) (Benign Prostatic Hyperplasia) या एनलार्जड प्रोस्टेट (Enlarged prostate) के नाम से जाना जाता है। एक बात का खास ख्याल रखें कि यह कैंसर नहीं है और इसके कारण प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी नहीं होता है। लेकिन प्रोस्टेट ग्लैंड के बढ़े हुए आकार का इलाज करना बहुत ज्यादा ज़रूरी है। चलिए इस ब्लॉग की मदद से इसके लक्षण, कारण, उपचार और परहेज के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने के लक्षण -

बढ़े हुए प्रोस्टेट की स्थिति में रोगी को कई लक्षणों का अनुभव हो सकता है जैसे -

  • दिन में कई बार, अधिक्तर रात में बार-बार पेशाब आना।
  • पेशाब करने में समस्या
  • मूत्राशय में जलन या दर्द
  • मूत्र में रक्त
  • इजेक्युलेशन में कठिनाई

प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है? -

प्रोस्टेट बढ़ने के पीछे का कारण अभी भी अज्ञात है, लेकिन कुछ कारण है, जिन्हें बढ़े हुए प्रोस्टेट के मुख्य कारण के रूप में देखा जाता है जैसे -

  • बढ़ती उम्र जो कि एक प्रमुख कारक है।
  • पुरुषों में हार्मोनल बदलाव
  • फैमिली हिस्ट्री

बढ़े हुए प्रोस्टेट की जांच और इलाज -

प्रोस्टेट बढ़ने पर पेशेंट की फैमिली हिस्ट्री के संबंध में कुछ प्रश्न तो पूछे ही जाते हैं, इसके साथ-साथ वह डिजिटल रेक्टल परीक्षण (DRE) का सुझाव भी दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य जांच भी कराए जा सकते हैं जैसे - 

  • मूत्र प्रवाह दर (Urine flow rate): इसकी मदद से पेशाब करने की गति का पता आसानी से चल सकता है।
  • पोस्ट-वॉयड रेजिडुअल यूरिन टेस्ट (Post-void residual urine test): इस जांच की मदद से पेशाब करने के बाद मूत्राशय में बचे हुए पेशाब की मात्रा को मापा जाता है।
  • प्रेशर-फ्लो स्टडीज (Pressure-flow studies): इस टेस्ट में पेशाब करते समय मूत्राशय के दबाव को मापा जाता है।
  • पेशाब की जांच (Urinalysis): इस टेस्ट की मदद से पेशाब में खून या संक्रमण की जांच होती है।
  • प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन ब्लड टेस्ट (PSA blood test): इस टेस्ट की मदद से कैंसर की संभावनाओं को नकारा जा सकता है।
  • सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy): इस प्रक्रिया में दूरबीन का प्रयोग होता है, जिसमें मूत्रमार्ग और मूत्राशय की जांच होती है।
  • ब्लड यूरिया नाइट्रोजन और क्रिएटिनिन टेस्ट (Blood urea nitrogen (BUN) and creatinine tests): इस टेस्ट की मदद से पुष्टि हो सकती है कि यूरिन में ब्लड और क्रिएटिनिन मौजूद तो नहीं है। इससे किडनी की कार्यक्षमता का पता चल सकता है।

जांच के परिणाम के आधार पर इलाज के विकल्पों पर बात किया जाता है। यदि स्थिति ज्यादा गंभीर है तो सर्जरी की आवश्यकता होती है। यदि नहीं तो दवाएं और जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता होती है। यदि लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं है, तो स्थिति की "निगरानी" (watchful waiting) की आवश्यकता होती है। स्थिति के आधार पर जीवनशैली में बदलाव, दवाएं या सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

इसके अतिरिक्त यदि आपकी उम्र 60 से अधिक है तो अधिक लक्षणों का अनुभव आप कर सकते हैं। ऐसे मामले में स्वयं देखभाल करें और लक्षणों के अनुभव होते ही हमसे या फिर एक अनुभवी मूत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।

यदि वर्तमान में आपका इलाज चल रहा है, तो हर साल इलाज के विकल्पों में बदलाव होता है, दवाएं बदलती है और स्थिति गंभीर होने पर सर्जरी की आवश्यकती भी हो सकती है।

बढ़े हुए प्रोस्टेट के लिए परहेज -

बढ़े हुए प्रोस्टेट के इलाज में डाइट का मुख्य किरदार होता है। स्वस्थ आहार और बैलेस्ड डाइट से तो आपको लाभ मिलेगा ही, लेकिन कुछ चीजों से परहेज बहुत ज्यादा आवश्यक होता है। बढ़े हुए प्रोस्टेट के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों में परहेज की आवश्यकता होती है - 

  • रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट: इन सारे उत्पादों में सैचुरेटिड फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण प्रोस्टेट ग्लैंड में सूजन आ जाती है। 
  • डेयरी उत्पाद: डेयरी उत्पाद में सैचुरेटिड फैट और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो प्रोस्टेट के बढ़ने का एक मुख्य कारण है। 
  • अंडे: अंडे में भी प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होती है। हालांकि अंडे शरीर के लिए स्वस्थ होते हैं लेकिन इसके कारण भी प्रोस्टेट के आकार में वृद्धि होती है।
  • शराब और कैफीन: इन दोनों पदार्थों के कारण व्यक्ति को अधिक मूत्र आता है, जिससे वह बार-बार पेशाब करने जाता है। 
  • रिफाइंड ग्रेन और चीनी: इन खाद्य पदार्थों के कारण सूजन तो बढ़ती ही है, जिसके कारण प्रोस्टेट ग्लैंड भी प्रभावित होती है। 

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य चीजें भी होती हैं जिसके कारण प्रोस्टेट के आकार में वृद्धि होती है जैसे - 

  • धूम्रपान: धूम्रपान के कारण प्रोस्टेट ग्लैंड में रक्त प्रवाह कम हो जाता है जिससे सूजन बढ़ सकती है।
  • तनाव: तनाव से शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण प्रोस्टेट ग्लैंड का आकार बढ जाता है। 
  • गर्म पानी से स्नान: प्रयास करें कि गर्म पानी से स्नान करन से बचें। इसके कारण प्रोस्टेट में रक्त प्रवाह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। 

बढ़े हुए प्रोस्टेट से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

प्रोस्टेट का साइज कितना होना चाहिए?

इस प्रश्न का उत्तर व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करता है। यदि व्यक्ति की उम्र 40 वर्ष से कम है तो प्रोस्टेट का आकार अखरोट के आकार का होता है। वहीं 50-60 वर्ष की आयु के पुरुषों में प्रोस्टेट का आकार थोड़ा ज्यादा होता है। इसके अतिरिक्त 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों के लिए, यह और भी बड़ा हो सकता है।

एन्लार्जड प्रोस्टेट में कौन सा फल खाना चाहिए?

एन्लार्जड प्रोस्टेट में टमाटर, तरबूज, और पपीता जैसे लाइकोपीन से भरपूर फल खाने चाहिए जो प्रोस्टेट ग्लैंड के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।

बढ़े हुए प्रोस्टेट को कैसे ठीक करें?

बढ़े हुए प्रोस्टेट का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन दवाएं, जीवनशैली में बदलाव और सर्जरी से इसकी प्रगति को नियंत्रित किया जा सकता है।

प्रोस्टेट बढ़ना क्या है?

प्रोस्टेट ग्लैंड का आकार बढ़ना, जिसे बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) के रूप में भी जाना जाता है। यह 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में आम है।

क्या बढ़े हुए प्रोस्टेट को ठीक किया जा सकता है?

नहीं, बढ़े हुए प्रोस्टेट को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन उपचार की मदद से लक्षणों को कम करने और प्रगति को धीमा करने में मदद मिल सकती है।

Written and Verified by:

Dr. Devendra K. Sharma

Dr. Devendra K. Sharma

Director Exp: 22 Yr

Urology & Renal Transplant

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With a DNB in Urology and MCh in Urology from SGPGI Lucknow, Dr. Sharma has worked in SPPGI, Lucknow and MPUH, Nadiad. His areas of special interest include Renal transplantation, Laparoscopic Urology, Female Urology and Paediatric Urology. He has published several papers on related subjects, which have been published by reputed national and international journals. Dr. Sharma was invited as Faculty for a Live demonstration of Laparoscopic Nephrectomy in RAMAS.

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