पार्किंसन रोग के शुरुआती लक्षण
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पार्किंसन रोग के शुरुआती लक्षण

Summary

पार्किंसन रोग एक ऐसी समस्या है, जिसका प्रभाव दिमाग पर देखने को मिलता है। इसके कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे धीमी गति से चलना, शरीर में कंपन, संतुलन में कमी इत्यादि। पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) के शुरुआती लक्षणों की मदद से सही समय पर सही इलाज की योजना बनाई जा सकती है, जिससे स्थिति नियंत्रित हो सकती है।

पार्किंसन रोग एक ऐसी समस्या है, जिसका प्रभाव दिमाग पर देखने को मिलता है। इसके कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे धीमी गति से चलना, शरीर में कंपन, संतुलन में कमी इत्यादि। पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease) के शुरुआती लक्षणों की मदद से सही समय पर सही इलाज की योजना बनाई जा सकती है, जिससे स्थिति नियंत्रित हो सकती है। इसके अतिरिक्त यदि आप किसी भी तरह की दिमागी परेशानी से गुजर रहे हैं, तो तुरन्त ही जयपुर के सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से मिलना चाहिए।

पार्किंसन रोग क्या है?

पार्किंसन रोग वह स्थिति है, जिसमें दिमाग का एक भाग क्षतिग्रस्त होना शुरू हो जाता है, जिसकी वजह से लक्षण धीरे-धीरे नजर आते हैं और समय के साथ यह गंभीर होने लगते हैं। हालांकि इस स्थिति का संबंध मांसपेशियों में नियंत्रण, संतुलन और गति से है। इसके साथ-साथ इस रोग के कारण सोचने समझने की क्षमता, और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। 

पार्किंसन रोग के लक्षण

सामान्य तौर पर पार्किंसन रोग के शुरुआती लक्षण हल्के ही होते हैं, जिसके कारण लोगों को इन लक्षणों का अनुभव ही नहीं होता है, जो समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। हमें यह भी समझना होगा कि पुरुष और महिलाओं दोनों में ही एक जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं, जिसके कारण इन्हें अलग-अलग करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। लेकिन हार्मोनल बदलावों के कारण कुछ लक्षण एक दूसरे से भिन्न हो सकते हैं, जिन्हें आगे इसी भाग में हम जानेंगे। चलिए सभी लक्षण और उनके बारे में जानते हैं। 

मोटर संबंधित लक्षण

दैनिक जीवन के कार्य जैसे चलना, फिरना, खाना खाना, इत्यादि से संबंधित लक्षणों को मोटर संबंधित लक्षण कहते हैं। पार्किंसन रोग की स्थिति में निम्न मोटर संबंधित लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं - 

  • धीमी गति (ब्रैडीकिनेशिया): यह पार्किंसन रोग का एक मुख्य लक्षण है, जिसमें मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। पार्किंसन रोग की जांच में इस लक्षण की पुष्टि बहुत ज्यादा आवश्यक होती है। 
  • कंपन (ट्रेमर): आमतौर पर हाथों, पैरों और चेहरे पर कंपन देखने को मिलती है। लगभग 80% पार्किंसन रोग के मामलों में यह लक्षण मौजूद होते हैं। 
  • जकड़न (स्टिफनेस): पार्किंसन रोग के मामलों में मांसपेशियों में जकड़न एक आम समस्या है। अलग-अलग प्रकार की जकड़न एक व्यक्ति को परेशान कर सकती है। 
  • असंतुलित पोस्चर या चलने में परेशानी: इस रोग के कारण चलने फिरने की गति तो धीरे होती ही है, इसके साथ-साथ, चलने या बैठने का पोस्चर भी खराब होता है। इसके कारण कुछ समस्याएं उत्पन्न होती हैं जैसे - पैर घसीट कर चलना, हाथ का न हिलना, कंधे झुकाकर चलना, इत्यादि। 

इसके अतिरिक्त कुछ और मोटर संबंधित लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे - 

  • पलक का कम झपकना
  • लिखने में समस्या
  • मुंह से लार टपकना
  • चेहरे पर किसी भी भाव का न होना
  • खाना निगलने में परेशानी (डिस्पैगिया)
  • बहुत धीमी आवाज होना (हाइपोफोनिया)

नॉन-मोटर लक्षण

नॉन-मोटर लक्षण वह हैं, जिसमें शरीर या फिर मांसपेशियों की गतिविधि का कोई संबंध नहीं होता है। इसे पार्किंसन रोग के शुरुआती लक्षणों के रूप में भी देखा जा सकता है, क्योंकि यह लक्षण इस रोग के शुरुआती चरणों में ही उत्पन्न होते हैं। पार्किंसन रोग की स्थिति में निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव एक व्यक्ति कर सकता है - 

  • नर्वस सिस्टम को नुकसान: इसके कारण खड़े होने पर ब्लड प्रेशर का अचानक कम होना, पेट की समस्या, मूत्र को नियंत्रित करने में समस्या, यौन संबंध में समस्या, इत्यादि जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। 
  • डिप्रेशन: पार्किंसन रोग के कई मामलों में लोगों को अवसाद का सामना करना पड़ सकता है। 
  • सूंघने की कमजोर क्षमता: यह भी पार्किंसन रोग के शुरुआती लक्षणों में से एक है। 
  • नींद में समस्या: इस स्थिति में कई चीजें शामिल है जैसे - रात में अक्सर पैर हिलाना, सपने में बोलना या हिलना-डुलना, पैरों में लगातार बेचैनी का बने रहना शामिल है। 
  • सोचने और ध्यान लगाने में परेशानी होना: यह समस्या लगभग सभी लोगों में देखने को मिलती है। लेकिन जब यह समस्या अधिक हो जाए, तो इससे पार्किंसन रोग का संकेत मिलता है। 

महिलाओं में पार्किंसन के शुरुआती लक्षण

  • मांसपेशियों में अकड़न और कठोरता: पार्किंसन रोग के कारण महिलाओं को उनके कंधे और गर्दन में अकड़न एवं असुविधा महसूस हो सकती है। इसके कारण लोग इसे गठिया या अन्य जॉइंट संबंधित समस्या समझ लेते हैं।
  • मनोदशा और भावनात्मक परिवर्तन: इसमें हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसके कारण महिलाओं के व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है। इसके कारण महिलाएं स्ट्रेसडिप्रेशन और अन्य भावनात्मक समस्याओं का सामना कर सकती हैं।
  • पॉस्चर और संतुलन में परिवर्तन: कई बार देखा गया है कि महिलाएं इस समस्या का सामना अक्सर करती हैं। लेकिन पार्किंसन रोग के कारण भी महिलाओं के पॉस्चर और संतुलन में परिवर्तन देखा गया है, जिससे उनके चलने या बैठने के तरीके में अस्थिरता देखी जा सकती है।
  • नींद में गड़बड़ी: इस रोग का एक मुख्य लक्षण है अनिद्रा, जो मुख्य रूप से महिलाओं को परेशान करती है। 
  • मूत्र और पाचन संबंधित समस्या: पार्किंसन रोग के कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि मूत्र में समस्या, कब्ज, इत्यादि।

पुरुषों में पार्किंसन के शुरुआती लक्षण

  • गंध की हानि (हाइपोस्मिया): पुरुषों में पार्किंसन रोग के कारण कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती है जिसमें से गंध की हानि एक मुख्य लक्षण है। इसके कारण भूख और स्वाद भी प्रभावित होने लग जाते हैं। 
  • चेहरे की कठोरता: कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि पुरुषों के चेहरे पर कोई भी भाव न आए और ऐसा प्रतीत हो कि व्यक्ति ने कोई मास्क पहना है। 
  • आवाज़ में बदलाव: इस रोग के कारण पुरुषों की आवाज़ में भी बदलाव देखने को मिलता है। 
  • अंगों में मांसपेशियों की कठोरता: चेहरे के साथ-साथ शरीर के अन्य अंगों में भी अकड़न महसूस हो सकती है, जिसके कारण सामान्य कार्य जैसे कि चलने या झुकने से संबंधित कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 
  • कॉर्डिनेशन और संतुलन संबंधी समस्याएं: पुरुषों को ध्यान देना होगा कि जहां पर भी उन्हें कॉर्डिनेशन और संतुलन संबंधी समस्या महसूस हो, तो तुरंत सचेत हो जाएं। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप गिर भी सकते हैं। 

पार्किंसन रोग के कारण

ज्यादातर मामलों में पार्किंसन रोग का संबंध बढ़ती उम्र के साथ देखा गया है। आमतौर पर 60 साल से ऊपर के लोगों में यह समस्या अधिक आम होती है। वहीं महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह समस्या अधिक आम है। बहुत ही कम मामलों में 20 साल से कम उम्र के लोग इस रोग से पीडित होते हैं। 

दूसरी तरफ इस रोग को जेनेटिक रोग की सूची में भी रखा जाता है। कुछ रिसर्च में इस बात की पुष्टि करते हैं कि डोपामाइन नामक रसायन की कमी के कारण पार्किंसन रोग की समस्या होती है, लेकिन यह कमी क्यों होती है, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। कुल मिलाकर इस रोग के कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है और रिसर्च अभी भी जारी है। पार्किंसन रोग के शुरुआती लक्षण को पहचान कर तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से बात करें। 

पार्किंसन रोग का उपचार

वर्तमान में पार्किंसन रोग का कोई स्पष्ट इलाज नहीं है। लेकिन कुछ तरीकों से इन लक्षणों का इलाज संभव है। इलाज की योजना व्यक्तिगत होती है, क्योंकि हर व्यक्ति अलग-अलग लक्षणों का सामना करता है। ऐसे में कौन सी दवा पेशेंट के लिए कारगर है, इसका पुष्टि जांच के बाद ही होती है। 

मुख्य रूप से इलाज के लिए दवाओं का प्रयोग ज्यादा होता है। वहीं कुछ मामलों में डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (Deep Brain Stimulation) की भी आवश्यकता पड़ सकती है। इसके अतिरिक्त पार्किंसन रोग के उपचार के लिए स्टेम सेल ट्रीटमेंट जैसी प्रक्रिया भी कारगर साबित हुई हैं। दवाओं के साथ पार्किंसन रोग व्यायाम इस स्थिति में बहुत कारगर साबित हुए हैं। 

पार्किंसन रोग से संबंधित अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) - 

 

पार्किंसन रोग क्या है?

पार्किंसन रोग दिमाग से संबंधित एक रोग है जो तंत्रिका कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकता है। इसके कारण गति, संतुलन और कोर्डिनेशन बनाए रखने में दिक्कत आती है। 

पार्किंसन रोग किसकी कमी से होता है?

पार्किंसन रोग का कारण डोपामाइन नामक रसायन की कमी है, जिसका कार्य शरीर के सभी अंग से दिमाग और दिमाग से पूरे शरीर में सिग्नल पहुंचाना है। 

पार्किंसन रोग का कारण क्या है?

पार्किंसन रोग का कारण अभी भी अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि जेनेटिक और पर्यावरण कारक इस रोग के प्रसार में मुख्य भूमिका निभाते हैं। 

Written and Verified by:

Dr. Pushkar Gupta

Dr. Pushkar Gupta

Director Exp: 28 Yr

Neurology

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